अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक के परिजनों को अप्रत्याशित लाभ पहुंचाना नहीं, इसका उद्देश्य केवल रसोई की आग जलाए रखना है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
15 April 2025 7:28 AM

हाल ही में अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले से निपटते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा आधार पर नियुक्तियों का उद्देश्य मृतक के परिजनों को अप्रत्याशित लाभ पहुंचाना नहीं है। नियोक्ता को केवल वित्तीय स्थिति का आकलन करना होता है, जिससे रसोई की आग जलती रहे।
यह टिप्पणी जस्टिस अजय भनोट ने इस संदर्भ में की कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए वित्तीय स्थितियों को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया लेकिन लागू कानून के आलोक में इसकी जांच की जानी चाहिए।
न्यायालय ने यह भी कहा कि अनुकंपा नियुक्ति देने में अति उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता, क्योंकि इससे ऐसी नियुक्तियों के लिए द्वार खुल जाएंगे और नियुक्ति में योग्यता पीछे छूट जाएगी।
कोर्ट ने कहा,
“अनुकंपा के आधार पर अनुचित उदार दृष्टिकोण जो लागू सेवा नियमों के अनुरूप नहीं है, वह अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ प्रदान करेगा। साथ ही योग्य और मेधावी उम्मीदवारों के सरकारी पदों पर नियुक्ति पाने के अधिकारों और वैध दावों को नकार देगा।”
इसने माना कि अगर निहित अधिकार के रूप में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां दी जाती हैं तो यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विरुद्ध होगा।
याचिकाकर्ता के पति एक बैंक कर्मचारी थे, जिनका अंतिम वेतन 1,18,800.14 रुपये था। 2022 में उनकी मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। हालांकि, उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि मासिक पारिवारिक आय मृतक के अंतिम वेतन के 75% से कम नहीं है।
न्यायालय ने माना कि सार्वजनिक पदों, सरकारी सेवाओं और राज्य के विभिन्न साधनों पर नियुक्तियों के लिए व्यापक भर्ती प्रक्रिया निर्धारित की गई, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आते हैं। ऐसी भर्ती प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 की योजना के अनुरूप है। इसने माना कि अनुकंपा नियुक्ति इस संवैधानिक योजना का अपवाद है, क्योंकि इस योजना के तहत नियुक्तियां खुली और पारदर्शी प्रक्रिया से नहीं होती हैं।
"अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियाँ संवैधानिक वैधता की कसौटी पर मामूली अंतर से पास हुई हैं। अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां करने का एकमात्र औचित्य यह है कि मृतक कर्मचारी के आश्रितों को बाद में मृत्यु के बाद अप्रत्याशित वित्तीय अभाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता होती है। कर्मचारी की मृत्यु के कारण अचानक वित्तीय संकट से निपटने के लिए परिवार को अनुकंपा नियुक्तियां प्रदान की जाती हैं। अकेले इस विशेषता ने एक मृतक कर्मचारी के परिजनों को एक वर्ग में शामिल कर दिया और इस एकमात्र आधार पर संवैधानिक न्यायालयों द्वारा अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियों के औचित्य को उचित ठहराया गया।”
न्यायालय ने पाया कि मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर वित्तीय सहायता के भुगतान की अनुकंपा नियुक्ति योजना, 2022 के खंड 5, जो बैंक कर्मचारियों के लिए है, में यह प्रावधान है कि परिवार तभी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार होगा, जब सभी स्रोतों से परिवार की आय मृतक के अंतिम प्राप्त सकल वेतन के 50% से कम हो, जहां आश्रित परिवार में केवल पति/पत्नी और/या एक बच्चा ही जीवित हो। अन्य सभी मामलों में यह मृतक के अंतिम प्राप्त सकल वेतन के 60% से कम होनी चाहिए।
न्यायालय ने पाया कि अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए वित्तीय कठिनाई का निर्धारण करने के लिए उपरोक्त मानदंड उचित है।
परिवार की मासिक आय के संबंध में बैंक द्वारा की गई गणना को देखते हुए न्यायालय ने माना कि यह मृतक के अंतिम प्राप्त वेतन के 75% से अधिक है। इसलिए परिवार अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए वित्तीय कठिनाई में नहीं है
तदनुसार, रिट याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: चंचल सोनकर बनाम अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक और 5 अन्य