संपादकीय

संविधान की कॉपी जलाना: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 2018 के एससी/एसटी एक्ट मामले की जांच पूरी करने में विफल रहने पर एसीपी को समन भेजा
संविधान की कॉपी जलाना: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 2018 के एससी/एसटी एक्ट मामले की जांच पूरी करने में विफल रहने पर एसीपी को समन भेजा

साल 2018 में संसद मार्ग पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस दौरान संविधान की कॉपी जलाई गई और एससी/एसटी समुदाय के खिलाफ नारेबाजी की गई थी। मामले में दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की थी। लेकिन पुलिस समय पर जांच पूरी नहीं कर सकी। इसको लेकर दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई है।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा,“कोर्ट ने बार- बार जांच अधिकरियों से अनुरोध किया कि एससी- एसटी एक्ट के तहत साल 2018 से लंबित जांच 60 दिनों के भीतर पूरी की जाए। लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हुई। ये निराशाजनक स्थिति...

कर्जदार द्वारा तीसरे पक्ष की किराए की दुकान के रूप में दी गई सुरक्षा को स्वीकार नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
कर्जदार द्वारा तीसरे पक्ष की किराए की दुकान के रूप में दी गई सुरक्षा को स्वीकार नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा कि तीसरे पक्ष से संबंधित किराये की दुकान के रूप में निर्णीत ऋणी द्वारा दी गई सुरक्षा, जिसका ज़मानत किरायेदार है, उसको कानून में सुरक्षा के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रहे है, जिसने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जहां बाद वाले ने अपीलकर्ताओं द्वारा प्रदान की गई ज़मानत खारिज कर दी और प्रांतीय लघु वाद न्यायालय...

कथित भ्रष्ट आचरण से संबंधित सामग्री तथ्यों की पैरवी करने में विफलता चुनाव याचिका के लिए घातक : सुप्रीम कोर्ट
कथित भ्रष्ट आचरण से संबंधित सामग्री तथ्यों की पैरवी करने में विफलता चुनाव याचिका के लिए घातक : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कथित भ्रष्ट आचरण से संबंधित सामग्री तथ्यों की पैरवी करने में विफलता चुनाव याचिका के लिए घातक है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब चुनाव याचिका में एक निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ भ्रष्ट आचरण के आरोप लगाए जाते हैं, तो कार्यवाही वस्तुतः अर्ध-आपराधिक हो जाती है। इसके अलावा, इस तरह की याचिका का परिणाम बहुत गंभीर होता है, जो लोगों के एक लोकप्रिय निर्वाचित प्रतिनिधि को बाहर कर सकता है। इसलिए, भ्रष्ट आचरण के आधार से संबंधित सामग्री तथ्यों को बताने की आवश्यकता का अनुपालन न...

एससी / एसटी एक्ट - आरोपी पर ट्रायल चलाने से पहले यह वांछनीय है कि जाति संबंधी कथनों को एफआईआर या चार्जशीट में रेखांकित किया गया हो : सुप्रीम कोर्ट
एससी / एसटी एक्ट - आरोपी पर ट्रायल चलाने से पहले यह वांछनीय है कि जाति संबंधी कथनों को एफआईआर या चार्जशीट में रेखांकित किया गया हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(x) के तहत कथित अपराध के लिए किसी आरोपी पर ट्रायल चलाने से पहले, यह वांछनीय है कि जाति संबंधी कथनों को या तो एफआईआर में या कम से कम चार्जशीट में रेखांकित किया गया हो । पीठ ने कहा कि ये मामले का संज्ञान लेने से पहले यह पता लगाने में सक्षम होगा कि क्या अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अपराध के लिए मामला बनता है (रमेश चंद्र वैश्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य)।"चूंकि...

शुरुआती वर्षों में न्यायिक अधिकारी की निपटान लक्ष्यों में अक्षमता को गंभीरता से नहीं देखा जाना चाहिए; सुप्रीम कोर्ट ने सिविल न्यायाधीशों (जूनियर डिवीजन) के लिए एसीपी नियमों में छूट दी
शुरुआती वर्षों में न्यायिक अधिकारी की निपटान लक्ष्यों में अक्षमता को गंभीरता से नहीं देखा जाना चाहिए; सुप्रीम कोर्ट ने सिविल न्यायाधीशों (जूनियर डिवीजन) के लिए एसीपी नियमों में छूट दी

निपटान के निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंचने में न्यायिक अधिकारी की अक्षमता या कैरियर के प्रारंभिक चरण के दौरान मात्रात्मक मानदंडों को पूरा नहीं करने को गंभीरता से नहीं देखा जाना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने सिविल न्यायाधीशों (जूनियर डिवीजन) के लिए प्रथम सुनिश्चित कैरियर प्रगति (एसीपी) के अनुदान के मानदंडों में ढील देने के लिए दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग द्वारा दिए गए सुझाव को स्वीकार करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। वर्तमान में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) 5 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही पहले एसीपी...

अदालतों को टेंडर या अनुबंध से जुड़े मामलों में आमतौर पर दखल नहीं देना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
अदालतों को टेंडर या अनुबंध से जुड़े मामलों में आमतौर पर दखल नहीं देना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि कोर्ट को टेंडर या अनुबंध से जुड़े मामलों में आमतौर पर दखल नहीं देना चाहिए। एक रिट अदालत को किसी निविदाकर्ता की बोली को स्वीकार करने या न करने के संबंध में अपने निर्णय को नियोक्ता पर थोपने से बचना चाहिए, जब तक कि कुछ बहुत ही घोर या स्पष्ट सामने न हो।मुख्य न्यायाधीश डॉ धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने टाटा मोटर्स लिमिटेड बनाम बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (बेस्ट) और अन्य की अपील पर फैसला सुनाते हुए...

नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग
नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन कराने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका दायर की गई है।याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित न करके संविधान का उल्लंघन किया है।एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने पार्टी-इन-पर्सन के रूप में याचिका दायर की है। याचिका में लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाए।गौरतलब है कि 18 मई को लोकसभा...

हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि जिला न्यायाधीशों के समान अनुपात में होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि जिला न्यायाधीशों के समान अनुपात में होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, सेवानिवृत्ति की आयु आदि पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की विभिन्न सिफारिशों को स्वीकार करते हुए अपने फैसले में टिप्पणी की कि जिला न्यायाधीशों के कार्य अनिवार्य रूप से हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के समान ही हैं। इसलिए हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि जिला न्यायाधीशों के वेतनमान में उसी अनुपात में परिलक्षित होनी चाहिए।फैसले में यह भी कहा गया कि न्यायाधीश राज्य के कर्मचारी नहीं है, बल्कि सार्वजनिक पद के धारक...

सेक्स वर्क अपराध नहीं, एक बालिग सेक्स वर्कर को बिना किसी कारण के हिरासत में रखना अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है: मुंबई कोर्ट
सेक्स वर्क अपराध नहीं, एक बालिग सेक्स वर्कर को बिना किसी कारण के हिरासत में रखना अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है: मुंबई कोर्ट

"देश में सेक्स वर्क अपराध नहीं है, लेकिन सार्वजनिक स्थान पर वेश्यावृत्ति एक अपराध हो सकता है। अगर कोई सेक्स वर्कर अपनी किसी निजी जगह पर इस काम में लिप्त है तो गलत नहीं है।"ये कहते हुए मुंबई सेशन कोर्ट ने 34 साल की कथित सेक्स वर्कर को रिहा करने का आदेश दिया।एडिशनल सेशन जज सीवी पाटिल ने कथित सेक्स वर्कर को हिरासत में रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया और शेल्टर होम में रखी गई महिला को रिहा करने का निर्देश दिया। महिला पर देह व्यापार का आरोप था।जज ने कहा,"दूसरों की तरह इस महिला को भी काम...

Supreme Court
अवकाश बेंच के सामने निर्देश लेने वाले वकील ही मेंशन कर सकते हैं, सीनियर वकील नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी को उसके समक्ष मामले मेंशन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा कि अवकाश पीठ के नियमों के अनुसार केवल निर्देश लेने वाले वकीलों को ही मामला मेंशन करना चाहिए, न कि सीनियर वकीलों को।रोहतगी ने दिल्ली में बिजली की समस्या से जुड़े मामले को मेंशन करने की मांग की। कथित तौर पर, चिलचिलाती गर्मी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की चरम खपत में काफी वृद्धि हुई है। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग...

अवुलपल्ली जलाशय: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार पर एनजीटी के 100 करोड़ के जुर्माने पर रोक लगाई, 25 करोड़ जमा करने का आदेश दिया
अवुलपल्ली जलाशय: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार पर एनजीटी के 100 करोड़ के जुर्माने पर रोक लगाई, 25 करोड़ जमा करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के जल संसाधन विभाग पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा चित्तूर जिले में अवुलापल्ली जलाशय के निर्माण के लिए पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के लिए लगाए गए 100 करोड़ रुपये के जुर्माने पर रोक लगा दी।राज्य के अधिकारियों द्वारा आठ सप्ताह की अवधि के भीतर 25 करोड़ रुपये की राशि जमा करने के अधीन रहने की अनुमति दी जाती है।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए कहा,"अपीलकर्ताओं द्वारा...

दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर वसूले गए उपयोगकर्ता विकास शुल्क पर कोई सेवा कर लागू नहीं : सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर वसूले गए उपयोगकर्ता विकास शुल्क पर कोई सेवा कर लागू नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि हवाई अड्डे के संचालन, रखरखाव और विकास संस्थाओं द्वारा संबंधित हवाईअड्डों से प्रस्थान करने वाले यात्रियों से लगाया और एकत्र किया गया "उपयोगकर्ता विकास शुल्क" (यूडीएफ) एक वैधानिक शुल्क है, और इस प्रकार, यह वित्त अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के तहत कर सेवा लेवी के अधीन नहीं है ।जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्रिब्यूनल (सीईएसटीएटी) के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने फैसला सुनाया था...

सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर 26 मई को सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर 26 मई को सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका पर 26 मई को सुनवाई करेगा।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय करोल की अवकाश खंडपीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध किया गया है।जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पिछले साल उन्हें जमानत देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती देने वाली जैन की याचिका पर विचार करते हुए चार दिन पहले जैन की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था। वह मई...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े को जबरन वसूली मामले में व्हाट्सएप चैट पब्लिश नहीं करने का निर्देश दिया, अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े को जबरन वसूली मामले में व्हाट्सएप चैट पब्लिश नहीं करने का निर्देश दिया, अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े को 2021 क्रूज शिप ड्रग्स मामले में आर्यन खान की गिरफ्तारी के संबंध में 25 करोड़ रुपये के जबरन वसूली मामले में दी गई अंतरिम सुरक्षा को बढ़ा दिया है।जस्टिस अभय आहूजा और जस्टिस एमएम साथाये की पीठ ने अपने 19 मई के आदेश को आगे बढ़ाया और सीबीआई से वानखेड़े के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं करने को कहा, बशर्ते कि वो व्हाट्सएप चैट पब्लिशन न करे और जांच या याचिका पर कोई प्रेस बयान न दे।जबरन वसूली के आरोप में वानखेड़े ने उनपर दर्ज...

सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली के विश्वास नगर में अवैध आवासों को तोड़ने के हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार, परिसर खाली करने के लिए 7 दिन का समय दिया
सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली के विश्वास नगर में अवैध आवासों को तोड़ने के हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार, परिसर खाली करने के लिए 7 दिन का समय दिया

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के विश्वास नगर इलाके में अवैध आवासों को गिराने के हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी DDA को निवासियों को खुद से जगह खाली करने के लिए 7 दिन का समय देने को कहा। तब तक अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई नहीं की जाएगी।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय करोल की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।बेंच ने आदेश में कहा,"अगर निवासी 29 मई तक खुद से जगह खाली नहीं करते हैं, तो उसके बाद डीडीए अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई...

सुप्रीम कोर्ट स्कूल नौकरी घोटाला मामले में सीबीआई नोटिस के खिलाफ टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की अपील पर 26 मई को सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट स्कूल नौकरी घोटाला मामले में सीबीआई नोटिस के खिलाफ टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की अपील पर 26 मई को सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा दायर अपील पर 26 मई 2023 को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हो गया।कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा 13 अप्रैल को पारित उस आदेश को अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके तहत पश्चिम बंगाल स्कूल नौकरी घोटाले मामले में सीबीआई और ईडी को उनसे पूछताछ करने की स्वतंत्रता दी गई थी।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय करोल की सुप्रीम कोर्ट की अवकाश खंडपीठ ने सीनियर...

सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट की विभिन्न पीठों के समक्ष एक ही एफआईआर से उत्पन्न जमानत अर्जियों की लिस्टिंग पर चिंता व्यक्त की
सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट की विभिन्न पीठों के समक्ष एक ही एफआईआर से उत्पन्न जमानत अर्जियों की लिस्टिंग पर चिंता व्यक्त की

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उड़ीसा हाईकोर्ट में प्रचलित प्रथा पर चिंता व्यक्त की, जिसके तहत एक ही एफआईआर से उत्पन्न होने वाली विभिन्न जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट की विभिन्न पीठों के समक्ष लिस्टिंग की जाती हैं।न्यायालय ने कहा कि इस तरह की प्रथा 'विषम स्थिति' की ओर ले जाती है, क्योंकि कुछ अभियुक्तों को एक खंडपीठ द्वारा जमानत दी जा सकती है, जबकि कुछ अन्य अभियुक्त व्यक्तियों (उसी अपराध में) को अलग पीठ द्वारा जमानत से वंचित किया जा सकता है, भले ही उन सभी को कई मामलों में समान रूप से रखा गया हो।जस्टिस...