संपादकीय

न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी अभियुक्त को उसकी सहमति के बिना भी जांच के लिए उसकी आवाज के नमूने देने का आदेश दे सकता है : SC
न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी अभियुक्त को उसकी सहमति के बिना भी जांच के लिए उसकी आवाज के नमूने देने का आदेश दे सकता है : SC

एक महत्वपूर्ण फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि एक न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी अभियुक्त को उसकी सहमति के बिना भी जांच के लिए उसकी आवाज के नमूने प्रदान करने का निर्देश दे सकता है। CJI की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने शुक्रवार को उस भ्रम की स्थिति को सुलझा दिया जो 2012 के यूपी के रितेश सिन्हा बनाम राज्य में दो जजों की बेंच द्वारा दिए गए अलग- अलग फैसले से उत्पन्न हुई थी। CJI के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता में विशिष्ट शक्तियों की अनुपस्थिति में संविधान की धारा 142 के तहत...

[साक्षात्कार] मेरी हार्वर्ड की डिग्री हाशिये पर पड़े करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है: अनुराग भास्कर
[साक्षात्कार] "मेरी हार्वर्ड की डिग्री हाशिये पर पड़े करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है": अनुराग भास्कर

अनुराग: हां, बिल्कुल। मैं दलित समुदाय से हूं। यह मेरी पहचानों में से एक है, लेकिन इसने मेरे जीवन में विकल्पों को को चुनने में प्रमुख रूप से प्रभावित किया । हार्वर्ड में आना केवल मेरे अपने बारे में ही नहीं था। व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप से मुझे मिले एक्सपोज़र के अलावा, हार्वर्ड तक की पढ़ाई की मेरी यात्रा करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं की प्रतीक है, जो आज भी समाज के हाशिये पर जीने के लिए मजबूर हैं। हार्वर्ड से हासिल हुई मेरी LLM डिग्री, डॉ. पायल तडवी को श्रद्धांजलि है, जिसने जातिगत भेदभाव के कारण अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूर्ण कर पाने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी। मेरी LLM डिग्री, रोहित वेमुला के लिए एक श्रद्धांजलि है, जिसका आत्महत्या पत्र, एक राष्ट्र के रूप में हमारे नैतिक विवेक को यह याद दिलाता रहेगा कि हमें अपने समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को खत्म करना होगा। मेरी LLM डिग्री, निचली जातियों के लोगों के लिए है, जिनकी हत्या घोड़े की सवारी करने, मूंछ रखने और ऐसे अन्य कई दैनिक अत्याचारों के चलते की गई है। यह उन दलितों के लिए है, जिन्हें सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की पहुँच से वंचित किया गया है या जिन्हें फोनी चक्रवात के बाद उड़ीसा में आश्रयों में प्रवेश एवं राहत पैकेज से वंचित किया गया था। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक अन्य लोगों को प्रेरित करेगा, जिसमें 14 साल की छोटी सुनैना भी शामिल है - जिसकी कहानी हाल ही में एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने लोकसभा चुनाव के दौरान दिखाई थी। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक करना, सभी को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।

कोई उम्मीदवार अगर आरक्षित वर्ग में आयु छूट ले चुका है तो वो सामान्य श्रेणी की सीट पर प्रवेश नहीं ले सकता : SC [निर्णय पढ़े]
कोई उम्मीदवार अगर आरक्षित वर्ग में आयु छूट ले चुका है तो वो सामान्य श्रेणी की सीट पर प्रवेश नहीं ले सकता : SC [निर्णय पढ़े]

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह कहा है कि कोई उम्मीदवार जो एक आरक्षित वर्ग से संबंधित होने के चलते चयन प्रक्रिया में आयु में छूट का लाभ उठा चुका है तो वो उसके बाद सामान्य श्रेणी की सीट पर प्रवेश नहीं कर सकता।जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 16 (4) किसी राज्य को नियुक्तियों में उन पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने में सक्षम बनाता है जिनका सार्वजनिक रोजगार में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व होता है और इसलिए आरक्षित श्रेणियों से संबंधित उम्र में छूट दी गई है तो सामान्य...

आपराधिक सुनवाइयों के बारे में निचली अदालतों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश [निर्णय पढ़ें]
आपराधिक सुनवाइयों के बारे में निचली अदालतों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश [निर्णय पढ़ें]

“सीआरपीसी की धारा 231 (2) के तहत किसी आवेदन पर निर्णय लेने के दौरान, अभियुक्त के अधिकारों के बीच एक बनाया जाना चाहिए”।सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आपराधिक मुकदमे के संदर्भ में किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए इस बारे में एक दिशानिर्देश जारी किया।केरल उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 231 (2) के तहत गवाह से पूछताछ को स्थगित करने के किसी आवेदन पर गौर करने के दौरान आरोपी के अधिकार और अभियोजन पक्ष के...

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश के दरवाजे खोले, कहा परंपरा असंवैधानिक [निर्णय पढ़ें]
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश के दरवाजे खोले, कहा परंपरा असंवैधानिक [निर्णय पढ़ें]

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है। 4:1 के बहुमत से हुए फैसले में पांच जजों की संविधान पीठ  ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश की सैंकडों साल पुरानी परंपरा को असंवैधानिक करार दिया गया है।शुक्रवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से...

आईपीसी की धारा 498A : महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामले में अब तुरंत गिरफ्तारी होगी; सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोई तीसरी एजेंसी वैधानिक अधिकार का उपयोग नहीं कर सकती [निर्णय पढ़ें]
आईपीसी की धारा 498A : महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामले में अब तुरंत गिरफ्तारी होगी; सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोई तीसरी एजेंसी वैधानिक अधिकार का उपयोग नहीं कर सकती [निर्णय पढ़ें]

राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दो जजों की पीठ ने आईपीसी की धारा 498A के दुरूपयोग के बारे में जो निर्णय दिया था उसे सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने संशोधित कर दिया है। नवीनतम निर्णय के अनुसार अब दहेज़ उत्पीड़न के मामले में शिकायतकर्ता लड़की के पति और ससुराल वाले को मामला दर्ज करने के बाद तत्काल गिरफ्तार किया जा सकता है। इससे पहले दो जजों की पीठ ने इस पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इस धारा का दुरुपयोग होता है और इसलिए इस बारे में कोई गिरफ्तारी तब तक नहीं की जा सकती थी जब तक की इस...

धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : पीठ के किस जज ने क्या कहा [निर्णय पढ़ें]
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : पीठ के किस जज ने क्या कहा [निर्णय पढ़ें]

वृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को समाप्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस मामले में पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के जजों के विचार इस तरह से थे - मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और एएम खानविलकरइन दोनों ही न्यायाधीशों ने मानवाधिकार और संवैधानिक गारंटी के बीच संबंध को रेखांकित करने के लिए नालसा (एनएएलएसए) के फैसले पर भरोसा किया। पहचान की महत्ता पर जिस तरह से नालसा मामले में प्रकाश डाला गया है उससे वह मानवाधिकार और गरिमापूर्ण जीवन और स्वतन्त्रता के अधिकार को भी जोड़ता है। इसी भावना को...

गरीबों का इलाज करना डॉक्टरों का संवैधानिक कर्तव्य; छूट की जमीन पर बने अस्पतालों को गरीबों का मुफ्त इलाज करने के दिल्ली सरकार के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट ने जायज ठहराया [निर्णय पढ़ें]
गरीबों का इलाज करना डॉक्टरों का संवैधानिक कर्तव्य; छूट की जमीन पर बने अस्पतालों को गरीबों का मुफ्त इलाज करने के दिल्ली सरकार के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट ने जायज ठहराया [निर्णय पढ़ें]

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में कहा कि गरीबों का इलाज करना डॉक्टरों का संवैधानिक कर्तव्य है और वे उन लोगों का इलाज करने से मना नहीं कर सकते जिनको किसी विशेष दवा या किसी विशेष डॉक्टर से इलाज कराना बहुत जरूरी है मगर उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं।न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उसने दिल्ली सरकार के सर्कुलर को ख़ारिज कर दिया था।पीठ ने छूट वाली जमीन पर बने दिल्ली के सभी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे सरकार...

दिल्ली सरकार Vs LG - LG चुनी हुई सरकार की ‘ सहायता और सलाह’ मानने को बाध्य। वो सरकार के हर फैसले में दखल नहीं दे सकते : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
दिल्ली सरकार Vs LG - LG चुनी हुई सरकार की ‘ सहायता और सलाह’ मानने को बाध्य। वो सरकार के हर फैसले में दखल नहीं दे सकते : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

“ एलजी सीमित अर्थ में एक प्रशासनिक प्रमुख है और राज्यपाल नहीं है। वह छूट वाले क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में एनसीटी सरकार की सहायता और सलाह से बंधे हैं।” : CJIसुप्रीम कोर्ट ने लेफ्टिनेंट-गवर्नर और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता की सीमाओं को चित्रित करते हुए कहा कि एलजी दिल्ली सरकार के हर निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकते और मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह उन पर बाध्यकारी है, भूमि, पुलिस और पब्लिक आर्डर के मामलों को छोड़कर  यह फैसला एक संविधान बेंच द्वारा दिया गया जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा,...

लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले पार्टनर्स को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से अलग नहीं कर सकते; केरल हाईकोर्ट ने 18 साल के लड़के और 19 साल की लड़की को एक साथ रहने की अनुमति दी [निर्णय पढ़ें]
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले पार्टनर्स को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से अलग नहीं कर सकते; केरल हाईकोर्ट ने 18 साल के लड़के और 19 साल की लड़की को एक साथ रहने की अनुमति दी [निर्णय पढ़ें]

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 18 साल के एक लड़के और 19 साल की एक लड़की को एक साथ रहने की इजाजत दे दी और इस बारे में लड़की के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया।न्यायमूर्ति वी चितम्बरेश और न्यायमूर्ति केपी ज्योतिन्द्रनाथ की पीठ ने कहा कि  कोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका द्वारा एक साथ रह रहे दो लोगों (लिव -इन पार्टनर्स) को अलग नहीं कर सकता बशर्ते की दोनों ही वयस्क हो गए हों।कोर्ट ने कहा, “हम इस तथ्य को नजरअंदाज  नहीं कर सकते कि लिव-इन रिलेशनशिप का हमारे समाज में चलन हो गया है...

सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला : संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पर भरोसा कर सकती है अदालत [निर्णय पढ़ें]
सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला : संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पर भरोसा कर सकती है अदालत [निर्णय पढ़ें]

बुधवार को पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि न्यायालय संसदीय स्थायी समिति रिपोर्ट पर भरोसा कर सकती है। संविधान बेंच में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम  खानविलकर, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि अदालत की कार्यवाही में संसदीय समिति की रिपोर्ट पर निर्भरता संसदीय विशेषाधिकारों का उल्लंघन नहीं करती। लेकिन पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन रिपोर्ट को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है।अप्रैल 2017 में दो जजों की बेंच ने संविधान पीठ...

गुजरात हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ वैवाहिक बलात्कार के लिए IPC 354 के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दी [निर्णय पढ़ें]
गुजरात हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ वैवाहिक बलात्कार के लिए IPC 354 के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दी [निर्णय पढ़ें]

एक ऐतिहासिक फैसले में  गुजरात उच्च न्यायालय ने 2 अप्रैल को कहा है कि पत्नी की लज्जाभंग करने के मामले में पति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। धारा 354 के तहत, किसी व्यक्ति को अपनी पत्नी की लज्जा भंग करने पर दोषी ठहराया जा सकता है।अगर पति अपनी पत्नी के प्रति अपने स्नेह को जनता के बीच में निर्दयी ढंग से व्यक्त करता है तो इस तरह का आचरण एक अपवित्र व्यवहार के रूप में होगा और सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ होगा। ये धारा 354 के दायरे में होगा। पति द्वारा प्रेम और स्नेह के...

दीवानी या आपराधिक प्रक्रिया में स्थगन छह माह से अधिक अवधि के लिए नहीं; इससे आगे स्थगन की अनुमति सिर्फ स्पीकिंग आर्डर में ही : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
दीवानी या आपराधिक प्रक्रिया में स्थगन छह माह से अधिक अवधि के लिए नहीं; इससे आगे स्थगन की अनुमति सिर्फ स्पीकिंग आर्डर में ही : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी लंबित मामलों में जहाँ दीवानी या आपराधिक मामलों में स्थगन प्रभावी है, हर मामले में स्थगन की यह अवधि आज से छह महीना बीत जाने के बाद समाप्त हो जाएगी बशर्ते कि अपवादस्वरूप किसी मामले में स्पीकिंग आर्डर में इसकी अनुमति दी गई हो।न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोएल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भविष्य में जब भी स्थगन की अनुमति दी जाती है, छह महीने की अवधि के बीत जाने पर यह समाप्त हो जाएगी।पीठ ने एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ़ रोड एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड बनाम सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़...