संपादकीय
जीवन साथी चुनने का अधिकार एक मौलिक अधिकार, दो व्यस्कों के बीच शादी के लिए परिवार, समुदाय या कबीले की सहमति आवश्यक नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
जब दो वयस्क अपनी इच्छा से शादी करते हैं तो वे अपना रास्ता चुनते हैं; वे अपने रिश्ते को समाहित करते हैं; उन्हें लगता है कि यह उनका लक्ष्य है और उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। सम्मान के नाम पर किसी भी तरह की यातना या पीड़ा या दुर्व्यहार, किसी भी जमावड़े द्वारा किसी व्यक्ति के प्रेम और विवाह से संबंधित व्यक्ति की पसंद के शोषण के लिए समानता, जो भी मान लिया गया है, वह अवैध है और इसके अस्तित्व को एक पल की अनुमति नहीं दी जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा,जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वाई...
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश :आरटीआई आवेदन की फीस 50 रुपए से अधिक नहीं और सूचना के लिए प्रति पृष्ठ पांच रुपए से अधिक नहीं लिया जाए; आरटीआई के उद्देश्य के खुलासे पर प्रतिबन्ध [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी सरकारी प्राधिकरणों को निर्देश देकर कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन की फीस 50 रुपए से अधिक नहीं लिए जाएं और फोटोकॉपी के लिए पांच रुपए से अधिक राशि नहीं ली जाए।न्यायमूर्ति एके गोएल और यूयू ललित की पीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए :आरटीआई फीसआरटीआई आवेदन की फीस 50 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए और प्रति पृष्ठ सूचना के लिए 5 रुपए से अधिक नहीं लिया जाए। हालांकि अपवाद की स्थिति में इससे अलग तरह से निपटा जा सकता है। अगर जरूरत पड़ी तो आगे...
एक्सक्लूसिव : जजों की नियुक्ति : क्या यह टेबल टेनिस का खेल बनकर रह गया है? क्या अनिश्चित वक्त के लिए फाइल पर बैठे रहना न्यायिक प्रणाली में रुकावट ?
लाइव लॉ विभिन्न हाई कोर्ट में जजों के रिक्त पदों को भरने को लेकर लंबित सिफारिशों के बारे में आंकड़ों को इकट्ठा करता रहा है। ये आंकड़े इलाहाबाद, बॉम्बे, कलकत्ता, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गौहाटी, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मद्रास, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा तथा त्रिपुरा हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित हैं।इलाहाबाद हाई कोर्ट में बर्षद अली खान का नाम कॉलेजियम की अनुशंसा के बाद केंद्र सरकार के पास 04.04.2016 से लंबित है और मुहम्मद मंसूर का नाम केंद्र सरकार के पास 16.11.2016 से...
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : लिविंग विल और पैसिव यूथेनेशिया को इजाजत, कहा, जीने के अधिकार में गरिमापूर्ण तरीके से मरने का अधिकार भी शामिल [निर्णय पढ़ें]
सु्प्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए लिविंग विल यानी इच्छा मृत्यु और पैसिव यूथेनेशिया को इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार में गरिमापूर्ण तरीके से मरने का अधिकार भी शामिल भी शामिल है।इसके लिए कोर्ट ने गाइडलाइन भी जारी की हैं। कोर्ट ने साफ किया कि केंद्र सरकार के कानून लाने तक ये गाइलाइन प्रभावी रहेंगी।मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई...
समझें : फ्यूज़िटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स बिल को लेकर क्या केंद्र के दावे वैध ?
1 मार्च को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फ्यूज़िटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स बिल को मंजूरी दे दी जो आर्थिक अपराधियों को भारतीय अदालतों के न्यायक्षेत्र के बाहर रहने पर भारतीय कानूनों की प्रक्रिया से बचने पर रोक के उपाय प्रदान करता है, जिससे भारत में कानून के शासन की पवित्रता को संरक्षित किया जा सकता है।हालांकि मसौदा विधेयक पिछले साल से प्रचलन में रहा है, कैबिनेट द्वारा उसका पुनरुद्धार नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे हाईप्रोफाइल वाले व्यावसायियों के भारत लौटाने से इनकार करने के बाद अपनी तात्कालिकता का प्रतीक...
समझें : राज्य द्वारा भूमि अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट में संकट
सुप्रीम कोर्ट के 23 फरवरी को होली की छुट्टी के लिए स्थगित होने से पहले न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक बेंच को एक अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ा, जिसमें सभी उच्च न्यायालयों में जमीन अधिग्रहण में मुआवजे के मामलों की सुनवाई पर रोक लगाई गई और सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई को रोका गया जब तक कि 7 मार्च को इस मुद्दे पर एक बड़ी बेंच के संदर्भ के सवाल पर पक्षकारों की सुनवाई ना हो। हालांकि, दो-दो न्यायाधीशों की दो बेंच जो कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति आदर्श...
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पांच हाईकोर्ट के 37 अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की [रिज़ॉल्यूशन पढ़ें]
भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के कॉलेजियम ने5 उच्च न्यायालयों के 37 अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय: स्थायी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किए जाने वाले अनुशंसित न्यायाधीश हैं (1) राजूल भार्गव, (2) सिद्धार्थ वर्मा, (3) संगीता चंद्र, (4) दया शंकर त्रिपाठी, (5) शैलेंद्र कुमार अग्रवाल, (6) संजय हरकोलली, (7) कृष्णा प्रताप सिंह, (8)रेखा दीक्षित, और (9) सत्य नारायण अग्निहोत्री। हालांकि,...
ब्रेकिंग : अब चुनावी हलफनामे में सिर्फ प्रत्याशी ही नहीं बल्कि जीवन साथी और आश्रितों की आय के स्त्रोत का भी खुलासा हो: सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सासंद और विधायक का चुनाव लडते वक्त चुनावी हलफनामे में उम्मीदवार को अपनी, अपने जीवनसाथी आश्रितों की आय के स्रोत का खुलासा भी करना होगा।जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने शुक्रवार को NGO लोक प्रहरी की याचिका पर ये फैसला सुनाया।जस्टिस जे चेलामेश्वर ने कहा ,” याचिका में प्रार्थना को अनुमति दी जाती है। केवल वो जिनमें का कानून में संशोधन की जरूरत है वो मंजूर नहीं की जा रही हैं और ये संसद पर है कि वो इस रर फैसला ले।”गौरतलब है कि...
जज लोया की मौत की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हाई वोल्टेज सुनवाई [लिखित सबमिशन पढ़ें]
सीबीआई के विशेष जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली रिट याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार दोपहर एक हाई वोल्टेज सुनवाई देखी गई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ,जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच में बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, "मैंने महाराष्ट्र राज्य के खुफिया आयुक्त की रिपोर्ट के संबंध में एक नोट तैयार किया है जिस पर तत्काल विचार की आवश्यकता है। रिपोर्ट विरोधाभासों का एक बंडल है। हम प्रार्थना करते...
ऑनर किलिंग और अंतर जातीय विवाह में खाप पंचायत के दखल को रोकना जरूरी : एमिक्स राजू रामचंद्रन ने SC में दाखिल किए सुझाव [सुझाव पढ़ें]
"इस नोट में ऐसे कुछ सुझाव हैं जिन पर इस माननीय न्यायालय द्वारा विचार किया जा सकता है (जब तक उचित कानून लागू नहीं किया जाता है), उदाहरण के तौर पर ऐसे हत्याओं की समस्या को हल करने की दृष्टि से, जो शायद कुछ खाप पंचायतों के इशारे, उकसावे या प्रोत्साहन से होती हैं,” एमिक्स क्यूरी राजू रामचंद्रन '' शक्ति वाहिनी 'द्वारा दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने खाप पंचायतों के अंतर-जाति विवाहों में अनैतिक हस्तक्षेप की रोकथाम करने के लिए सुप्रीम...
गुजरे वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के 25 यादगार फैसले
1.निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हैनिजता के अधिकार के बारे में लंबी अवधि से चले आ रहे इस बहस को अंजाम तक पहुंचाते हुए अपने इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न हिस्सा है। यह फैसला नौ जजों की पीठ ने एकमत से सुनाया। पीठ ने इस मामले में एमपी शर्मा और खड़क सिंह मामले में अपने फैसले को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने फैसले के जिन बातों को निरस्त किया - एमपी शर्मा मामले में निजता को मौलिक अधिकार नहीं कहनाखड़क...
GST से मानसिक हेल्थकेयर तक : 2017 में लागू किए गए ये कानून
साल 2017 में लगभग 20 नए कानून लागू किए गए और मौजूदा कानूनों में एक दर्जन से अधिक संशोधन किए गए। इनमें से अधिकतर कानूनों को कवर करने वाली एक सूची है:नए कानून निर्दिष्ट बैंक नोट्स (देयताएं समाप्ति) अधिनियम, 2017 इस अधिनियम ने 30 दिसम्बर 2016 को प्रख्यापित निर्दिष्ट दायित्वों ( देनदारी की जब्ती) अध्यादेश, 2016 को बदल दिया। इसे बंद किए जा सके 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट का उपयोग करके "समानांतर अर्थव्यवस्था चलाने की संभावना" को समाप्त करने के उद्देश्य से पारित किया गया।वित्त अधिनियम, 2017...
जल्द-जल्द बदलते CJI : क्या बताता है 2017
साल 2017 में देश के तीन मुख्य न्यायाधीश ( CJI) रहे। जस्टिस टीएस ठाकुर को 3 दिसंबर 2015 को नियुक्त किया गया और उन्होंने 3 जनवरी 2017 तक पद संभाला जबकि CJI जेएस खेहर को 4 जनवरी को नियुक्त किया गया और उन्होंने 27 अगस्त तक पद संभाला। 28 अगस्त को नियुक्त CJI दीपक मिश्रा इस साल 2 अक्टूबर को रिटायर हो जाएंगे।दरअसल सुप्रीम कोर्ट की शुरुआत के बाद से ये आठवां मौका है जब भारत में तीन मुख्य न्यायाधीश रहे। इससे पहले साल 1954, 19 66, 1989, 1991, 199 8, 2004 और 2014 में तीन मुख्य न्यायाधीश रहे जबकि 2002 केवल...
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंटस (संशोधन) बिल-2017 लोकसभा में पेश [बिल पढ़े]
चेक बाउंस से संबंधित कार्यवाही में देरी को कम करने और ऐसे मामलों में आदाता के लिए अंतरिम राहत प्रदान करने के उद्देश्य से नियोजन योग्य उपकरण (संशोधन) विधेयक 2017 को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। चेक बाउंस के मामलों की लंबितता से संबंधित केंद्र सरकार को व्यापारिक समुदाय समेत जनता से कई ज्ञापन हो रहे हैं। अपीलों को दाखिल करने में आसानी के कारण चेक बाउंस करने वालों की अपनाई गई देरी रणनीति और कार्यवाही पर रोक लगाने के मामलों के परिणामस्वरूप चेक के भुगतानकर्ता के साथ अन्याय होता है जिसे अदालत...
वो बड़े मामले सुप्रीम कोर्ट में जिनकी सुनवाई पर 2018 में होगी सबकी नजर
सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों की दृष्टि से वर्ष 2017 काफी महत्त्वपूर्ण रहा. इसमें निजता के अधिकार संबंधी उसका फैसला बहुत ही चर्चित और व्यापक प्रभाव वाला माना जा रहा है। उम्मीद की जाती है कि आधार कार्ड और धारा 377 से जुड़े मामलों पर इस फैसले का असर पड़ेगा। लाइव लॉ वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आने वाले को बहुत ही अहम मामलों पर एक नजर डाल रहा है। ये मामले हैं :वो मामले जिनकी सुनवाई कर रही है सुप्रीम कोर्ट की कई संवैधानिक पीठदिल्ल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच जोर आजमाइश : दिल्ली सरकार और...
सीआईसी ने कहा सरकार व अॅथारिटी फैलाए जागरूकता,शादी के रजिस्ट्रेेशन के लिए जरूरी नहीं है आधार
केंद्रीय सूचना आयोग(सी.आई.सी) ने सरकार व विवाह पंजीकरण अधिकारी को निर्देश दिया है कि विभिन्न मीडिया के जरिए वह लोगों में जागरूकता फैलाए कि शादी का पंजीकरण करवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है।इस मामले में दायर दूसरी अपील का निपटारा करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त प्रोफेसर एम.श्रीधर आचार्यूलू ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि स्पेशल मैरिट एक्ट के तहत आॅन लाइन एप्लीकेशन फार्म में भी जरूरी बदलाव करें।इस मामले में अपील दायर करने वाले ने रिट पैटिशन नंबर 494/2012 न्यायमूर्ति के.एस पुतास्वामी...