एक अदालत से दूसरी अदालत में कैसे होते हैं केस ट्रांसफर, जानिए सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और प्रक्रिया

Sharafat Khan

5 Aug 2019 8:03 PM GMT

  • एक अदालत से दूसरी अदालत में कैसे होते हैं केस ट्रांसफर, जानिए सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और प्रक्रिया

    ताज़ा उन्नाव मामले के अलावा सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई केस हैं जबकि केस या अपील एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर हुए हैं। जब भी सुप्रीम कोर्ट को यह प्रतीत करवाया जाता है कि न्याय के उद्देश्य के लिए यह समीचीन है कि इस धारा के तहत आदेश किया जाए...

    उन्नाव रेप कांड में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले के तहत इस मामले के केस उत्तर प्रदेश के उन्नाव से दिल्ली ट्रांसफर कर दिये। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एक बार फिर इस तथ्य पर ध्यान गया कि कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने केस एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर किए हैं।

    आखिर सुप्रीम कोर्ट को किसी केस या अपील को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने की शक्ति किस तरह मिलती है और इसकी प्रक्रिया क्या है? यह आज हम इस आलेख के माध्यम से जानेंगे।

    दंड प्रक्रिया संहिता याने Criminal Procedure Code 1973 [CrPC] के चैप्टर 31 में सेक्शन 406 से लेकर सेक्शन 412 तक का विवरण दिया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के केस ट्रांसफर करने की पावर से के बारे में बताया गया है। किसी केस या अपील को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने का अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को है और उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 406 से यह अधिकार मिलता है।

    यह कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 406 :

    Criminal Procedure Code 1973 [CrPC] की धारा 406 के अनुसार जब भी सुप्रीम कोर्ट को यह प्रतीत करवाया जाता है कि न्याय के उद्देश्य के लिए यह समीचीन है कि इस धारा के तहत आदेश किया जाए तो सुप्रीम कोर्ट किसी विशेष मामले या अपील को एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट या किसी हाईकोर्ट के अधीनस्थ आपराधिक न्यायालय से दूसरे हाईकोर्ट के अधीनस्थ आपराधिक न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश दे सकता है।

    धारा 406 आगे कहती है कि सुप्रीम कोर्ट भारत के एटोर्नी जनरल या हितबद्ध पक्षकार के आवेदन पर ही इस धार के तहत कार्य कर सकता है। अगर यह आवेदन एटोर्नी जनरल नहीं दे रहे हैं और कोई पक्षकार दे रहा है तो पक्षकार को इस आवेदन के साथ एक शपथ पत्र लगाना होगा।

    जहां इस धारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कोई आवेदन खारिज कर दिया जाता है, वहां, यदि सुप्रीम कोर्ट की यह राय है कि आवेदन तुच्छ या तंग करने वाला था तो वह आवेदक को आदेश दे सकता है कि वह एक हजार रुपए से अनिधक इतनी राशि, जितनी वह न्यायालय उस मामले की परिस्थितियों में समुचित समझे प्रतिकर के तौर पर उस व्यक्ति को दे जिसने आवेदन का विरोध किया था।

    इस तरह Criminal Procedure Code 1973 [CrPC] की धारा 406 से स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट किसी केस या अपील को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित कर सकता है।

    हाईकोर्ट को भी इसी तरह से अधिकार प्राप्त हैं लेकिन हाईकोर्ट अपने राज्य के अधिकार क्षेत्र में किसी केस या अपील को एक दंड न्यायालय से दूसरे दंड न्यायालय में स्थानांतरित कर सकता है। Criminal Procedure Code 1973 [CrPC] की धारा 407 में हाईकोर्ट की इस शक्ति का वर्णन है।

    ताज़ा उन्नाव मामले के अलावा सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई केस हैं जबकि केस या अपील एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर हुए हैं। इसी तरह से हाईकोर्ट भी अपने अधिकार क्षेत्र में एक ही राज्य में किसी अपील या केस को एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित करते हैं।

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