संपादकीय

पक्षद्रोही गवाह के साक्ष्य का ऐसा हिस्सा, जो विश्वसनीय पाया जाता है, उस पर अदालत विचार कर सकती है, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
पक्षद्रोही गवाह के साक्ष्य का ऐसा हिस्सा, जो विश्वसनीय पाया जाता है, उस पर अदालत विचार कर सकती है, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट के एक ताज़ा फैसले में यह स्पष्ट हुआ है कि पक्षद्रोही गवाह (hostile witness) के साक्ष्य का ऐसा हिस्सा, जो विश्वसनीय पाया जाता है, उसपर अदालत द्वारा विचार किया जा सकता है और यह जरुरी नहीं कि उसके पूरे साक्ष्य को त्याग दिया जाए। उच्चतम न्यायालय ने यह देखा कि यदि आरोपी द्वारा धारा 313 CrPC के तहत अपने बयान में अस्पष्ट या गलत स्पष्टीकरण/झूठी व्याख्या दी गयी है तो उसे आरोपी के अपराध को स्थापित करने हेतु, परिस्थितियों की श्रृंखला पूरी करने के लिए एक परिस्थिति के रूप में विचार में नहीं...

पति की गलती से विवाह शून्य हुआ है तो पति भरण पोषण देने को बाध्य, सुप्रीम कोर्ट ने की केरल हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि
पति की गलती से विवाह शून्य हुआ है तो पति भरण पोषण देने को बाध्य, सुप्रीम कोर्ट ने की केरल हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें यह कहा गया था कि जहां शादी को रद्द कर दिया गया हो या पति द्वारा की गई कुछ शरारत या गलती के कारण शादी को शून्य घोषित किया गया हो तो भी पति को CrPC की धारा 125 के तहत पत्नी को भरण-पोषण का भुगतान करना होगा। अदालत ने केरल HC के फैसले को रखा बरकरार न्यायमूर्ति आर. बानुमति और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए पत्नी को भरण-पोषण की पुष्टि करते हुए कहा कि...

यौन उत्पीड़न के आरोपों पर न्यायिक अधिकारी के खिलाफ हाईकोर्ट अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत कर सकती है, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
यौन उत्पीड़न के आरोपों पर न्यायिक अधिकारी के खिलाफ हाईकोर्ट अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत कर सकती है, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवा के एक न्यायिक अधिकारी की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया। न्यायिक अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है। एक कनिष्ठ न्यायिक सहायक ने न्यायिक अधिकारी के खिलाफ शिकायत दायर करते हुए उन पर कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। जब मामला फुल कोर्ट के पास पहुंचा तो उसके खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार करते हुए न्यायिक अधिकारी को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया। न्यायिक अधिकारी ने...

गुजारे भत्ते के मामलों की सुनवाई पर अदालतों  को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार न तो संघ के पास है ओर न ही राज्य के पास-बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
गुजारे भत्ते के मामलों की सुनवाई पर अदालतों को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार न तो संघ के पास है ओर न ही राज्य के पास-बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जो एक व्यक्ति ने सीआरपीसी की धारा 125 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दायर की थी। अदालत ने माना है कि न तो केंद्र और न ही राज्य के पास यह अधिकार है कि अदालतों के न्यायिक विवेक को निर्देशित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर सके। अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मांग की गई थी कि धारा 125 के तहत दिए जाने वाले गुजारे भत्ते के लिए केंद्र या राज्य को दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। जस्टिस अकिल कुरैशी और जस्टिस एस.जे कथावाला की दो...

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, इस मामले ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया, पति के खिलाफ बेटी पर यौन हमले के पत्नी के झूठे आरोप ख़ारिज, पढ़िए फैसला
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, इस मामले ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया, पति के खिलाफ बेटी पर यौन हमले के पत्नी के झूठे आरोप ख़ारिज, पढ़िए फैसला

मद्रास हाईकोर्ट ने पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 6 के अधीन अपने पति के ख़िलाफ़ पत्नी की शिकायत पर कड़ा रुख़ अपनाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा "ऐसे कई मौक़े आए जब अदालत का ध्यान इसी तरह की घटनाओं की ओर आकृष्ट किया गया, जिसमें पति पर अपनी बेटी के ख़िलाफ़ पोक्सो अधिनियम के तहत इस तरह की शिकायतें दर्ज कराई गई थीं और इस अदालत को बताया गया कि इस तरह की ओछी हड़कतें फ़ैमिली कोर्ट में भी अपनाई गई हैं ताकि पति से इच्छित बातें मनवाई जा सकें। यह अदालत इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि इस तरह की...

मुकदमेबाज़ अवैधता को बहुप्रचारित करने के औज़ार के रूप में अदालत का प्रयोग नहीं कर सकते, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर
मुकदमेबाज़ अवैधता को बहुप्रचारित करने के औज़ार के रूप में अदालत का प्रयोग नहीं कर सकते, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई मुकदमेबाज़ अदालत का प्रयोग ग़ैर क़ानूनी बातों को बहुप्रचारित करने के औज़ार के रूप में नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को जिस पर दायित्व है, उसे अदालत के अंतरिम आदेश का लाभ लेने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट गोवा स्टेट कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड बनाम कृष्ण नाथ ए (दिवंगत) मामले पर ग़ौर कर रहा था। शीर्ष अदालत के समक्ष मुद्दा यह था कि महाराष्ट्र कोआपरेटिव सोसाइटिज अधिनियम, 1960 की धारा 109 के प्रावधानों के तहत विघटन की निर्धारित अवधि के बीत...

महाराष्ट्र की बाढ़ को मानव-कृत आपदा घोषित किया जाए, पूर्व सांसद ने बॉम्बे हाईकोर्ट को लिखा पत्र, पढ़िए यह पत्र
महाराष्ट्र की बाढ़ को मानव-कृत आपदा घोषित किया जाए, पूर्व सांसद ने बॉम्बे हाईकोर्ट को लिखा पत्र, पढ़िए यह पत्र

बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग को संबोधित एक पत्र में पूर्व सांसद नाना पटोले और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.संजय लखे पाटिल ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सतारा और सांगली जिलों में भारी बाढ़ और जलभराव की घटना को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 2 डी के तहत, मानव-कृत आपदा (man-made disaster) घोषित करने की मांग की है। इसके अलावा उक्त पत्र में यह मांग की गयी है कि राज्य सरकार को यह निर्देश दिए जाएं कि वो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिए उठाए गए वास्तविक राहत और बचाव उपायों पर...

एडहॉक जिला जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके जज अपनी वरिष्ठता का दावा प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नहीं कर सकते, पढ़िए फैसला
एडहॉक जिला जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके जज अपनी वरिष्ठता का दावा प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नहीं कर सकते, पढ़िए फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि जिला जज, जो पहले एडहॉक जिला जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं, वह अपनी वरिष्ठता का दावा उस प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नहीं कर सकते है, जब उनको बतौर एडहॉक जिला जज नियुक्त किया गया था। पहले फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और उसके बाद नियमित जिला जज के पदों पर हुई थी नियुक्ति कुम सी. यामिनी व अन्य को फास्ट ट्रैक कोर्ट में वर्ष 2003 में एडहॉक जिला जज के तौर पर नियुक्त किया गया था। बाद में उनका चयन हो गया और सरकार ने उनको नियमित जिला जज के पदों पर नियुक्त कर दिया। ...

धारा 197 CrPC: सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों के कर्मचारी लोक सेवक के रूप में संरक्षण की पूर्व स्वीकृति के हक़दार नहीं, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
धारा 197 CrPC: सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों के कर्मचारी 'लोक सेवक' के रूप में संरक्षण की पूर्व स्वीकृति के हक़दार नहीं, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

"यह तथ्य कि, निगम द्वारा हटाए या पदच्युत किये जाने के मामले में उनकी पूर्व सेवा को, पेंशन के प्रयोजनों हेतु ध्यान में लिया जा सकता है या उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से पहले, संबंधित मंत्रालय की/ प्रशासनिक स्वीकृति औपचारिक रूप से आवश्यक हो सकती है, उन्हें Cr.PC के तहत 'लोक सेवक' का दर्जा हासिल नहीं होगा।" सर्वोच्च न्यायालय ने यह दोहराया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों के वे कर्मचारी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत 'लोक सेवक' के रूप में संरक्षण के हकदार नहीं हैं। दरअसल...

पत्नी ने अपने मोबाइल उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले एक असामान्य आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का आदेश
'पत्नी' ने अपने मोबाइल उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले एक असामान्य आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का आदेश

वैवाहिक संबंधों में विवाद असामान्य नहीं हैं, लेकिन इस तरह के विवादों से जुड़े मुकदमों में न्यायालयों द्वारा पारित कुछ आदेश असामान्य कहे जा सकते हैं। झारखंड हाईकोर्ट के एक ऐसे ही असामान्य फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने एक विशेष अवकाश याचिका पर सुनवाई की। झारखंड हाईकोर्ट द्वारा एक अग्रिम जमानत अर्जी में इस तरह के 'असामान्य' आदेश को लागू किया गया। अपनी पत्नी द्वारा दायर एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी को स्वीकार करते हुए एक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय...

अगर बच्चों को वाहन चलाने की देते हैं इजाजत तो हो जाएं सावधान, अभिभावकों को जाना पड़ सकता है जेल, जानिए खास बातें
अगर बच्चों को वाहन चलाने की देते हैं इजाजत तो हो जाएं सावधान, अभिभावकों को जाना पड़ सकता है जेल, जानिए खास बातें

मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 को 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई। इस अधिनियम में बच्चों द्वारा वाहनों का उपयोग करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। नव सम्मिलित धारा 199A के अनुसार जहां एक किशोर द्वारा मोटर वाहन अपराध किया गया है, ऐसे किशोर के माता-पिता या अभिभावक या मोटर वाहन के मालिक को कानून के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और वह तदनुसार कानूनी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा और उसे दंडित किया जायेगा। इस धारा के स्पष्टीकरण में यह कहा गया है कि...

भाजपा लीगल सेल के विरोध पर आर्टिकल 370 पर अपना लेक्चर रद्द होने के बाद सीनियर एडवोकेट केएम विजयन ने जम्मू कश्मीर पर दी अपनी राय
भाजपा लीगल सेल के विरोध पर आर्टिकल 370 पर अपना लेक्चर रद्द होने के बाद सीनियर एडवोकेट केएम विजयन ने जम्मू कश्मीर पर दी अपनी राय

सीनियर एडवोकेट केएम विजयन आर्टिकल 370 पर मद्रास बार एसोसिएशन में लेक्चर देने वाले थे, लेकिन इस लेक्चर के ठीक पहले भाजपा लीगल सेल के विरोध के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इसके बाद सीनियर एडवोकेट केएम विजयन ने लाइव लॉ के साथ बातचीत में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर अपने विचार रखे। मद्रास उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के एम विजयन 14 अगस्त को लंच ब्रेक के दौरान बार एसोसिएशन की अकादमिक व्याख्यान श्रृंखला के रूप में भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 विषय पर एक व्याख्यान देने वाले थे। इस व्याख्यान के...

मोटर दुर्घटना के मामलों में मृतक पीड़ित के वेतन का आकलन इस तथ्य के आधार पर नहीं किया जा सकता है कि वह एक प्रतिभाशाली छात्र था,  पढ़िए बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
मोटर दुर्घटना के मामलों में मृतक पीड़ित के वेतन का आकलन इस तथ्य के आधार पर नहीं किया जा सकता है कि वह एक प्रतिभाशाली छात्र था, पढ़िए बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहा है कि केवल इसलिए कि मोटर दुर्घटना के मामले में पीड़ित एक प्रतिभाशाली छात्र था, उसके वेतन को 'एक्सेम्पलरी' (अत्यधिक) नहीं माना जा सकता है। औरंगाबाद पीठ की न्यायमूर्ति विभा कंकानवाड़ी ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड द्वारा दायर अपील को आंशिक रूप से अनुमति दी और मुआवजे की राशि को रु 21.90 लाख से घटाकर 15.82 लाख कर दिया। दरअसल बीमाकर्ता ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा पारित अवार्ड को चुनौती दी थी। केस की पृष्ठभूमि मृतक कृष्णा काबरा, 22 साल का एम.कॉम की पढ़ाई...

किसी संपत्ति का हस्तांतरण सिर्फ इसलिए अवैध नहीं हो सकता, क्योंकि हस्तांतरण संपत्ति पर मुकदमा लंबित रहते किया गया, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
किसी संपत्ति का हस्तांतरण सिर्फ इसलिए अवैध नहीं हो सकता, क्योंकि हस्तांतरण संपत्ति पर मुकदमा लंबित रहते किया गया, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लिस पेंडेंस सिद्धांत का प्रभाव पक्षकारों द्वारा एक मुकदमे के संबंध में किए गए सभी हस्तातंरण को निरस्त करना नहीं है, बल्कि पक्षकारों को मुकदमे में मिलने वाली डिक्री या आदेश के अधीन जो अधिकार मिले हैं, उन पर यह लागू होता है। इस तरह के हस्तांतरण केस के परिणाम के अधीन मान्य रहते हैं। यह टिप्पणी जस्टिस अभय मनोहर सपरे और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की पीठ ने हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द करते हुए की है। हाईकोर्ट ने दूसरी अपील पर सुनवाई के बाद निर्णय दिया था कि मुकदमे की लंबित...

पहलू खान हत्याकांड : वीडियो, गवाह, सबूत सब मौजूद, लेकिन पुलिस ने खराब की जांच, पढ़िए फैसला
पहलू खान हत्याकांड : वीडियो, गवाह, सबूत सब मौजूद, लेकिन पुलिस ने खराब की जांच, पढ़िए फैसला

अप्रैल 2017 में दिल्ली और जयपुर के बीच मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहलू खान को पीटा गया। मौके पर 200 लोग मौजूद थे। उससे मारपीट का बकायदा मोबाइल फोन से वीडियो भी बनाया गया। 9 लोगों ( तीन नाबालिग) को आरोपी बनाया गया। तमाम गवाह, वीडियो और बाकी सबूत अदालत में पेश किए गए, लेकिन अदालत ने 6 आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। अलवर जिले की अपर सेशन न्यायाधीश डॉ सरिता स्वामी ने 92 पेज के अपने फैसले में पुलिस की घटिया जांच को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। सवाल ये है कि आखिरकार अदालत को पुलिस...