संपादकीय

मुविक्कल का बचाव करने पर वकील को मिल रही थी धमकियां, दिल्ली हाईकोर्ट दी पुलिस सुरक्षा
मुविक्कल का बचाव करने पर वकील को मिल रही थी धमकियां, दिल्ली हाईकोर्ट दी पुलिस सुरक्षा

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस वकील की पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की मांग को स्वीकार कर लिया है, जिसे सिर्फ इसलिए धमकाया गया और उस पर हमला किया गया था, क्योंकि वह अदालत में एक केस में अपने मुविक्कल का बचाव कर रहा था। चूंकि इस मामले में ''बार की स्वतंत्रता''का बड़ा मुद्दा था और बार के एक युवा सदस्य के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पुलिस की निष्क्रियता को भी उजागर किया गया था, इसलिए 24 अक्टूबर को इस मामले को तुरंत मुख्य न्यायाधीश डी.एन पटेल के संज्ञान में लाया गया, जिसके बाद इस मामले को मुख्य...

लोक अदालत के अवार्ड के तहत जारी चेक बाउंस होने पर NI एक्ट की धारा 138 की शिकायत सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट
लोक अदालत के अवार्ड के तहत जारी चेक बाउंस होने पर NI एक्ट की धारा 138 की शिकायत सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोक अदालत द्वारा दिए गए अवार्ड तहत जारी किए गए चेक के बाउंस होने पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट ( NI एक्ट) की धारा 138 के तहत कोई शिकायत सुनवाई योग्य होगी। इस मामले में [अरुण कुमार बनाम अनीता मिश्रा] आरोपी द्वारा जारी किए गए पहले चेक पर NI एक्ट की धारा 138 के तहत आपराधिक मामला दर्ज कराया गया। इसके परिणामस्वरूप सजा और जुर्माना किया गया। लंबित मुकदमे को वापस लेने के लिए सजा के फैसले और दोनों पक्षों के खिलाफ अपील को लोक अदालत में प्राथमिकता दी गई थी।इसी के चलते...

सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को नहीं समझ सका कहा, ऐसा आदेश दें, जिसे हम समझ सकें
सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को नहीं समझ सका कहा, ऐसा आदेश दें, जिसे हम समझ सकें

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट से 'अनुरोध' करते हुए कहा कि ऐसा आदेश पारित करें, जिसे हम समझ सकें। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश लागू करने वाली विशेष अवकाश याचिका का निपटान किया। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अस्पष्ट है। हाईकोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसे हम समझ नहीं पा रहे हैं। पीठ ने आदेश को रद्द कर दिया और मामले को हाईकोर्ट वापस भेज दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के द्वारा एक आपराधिक रिट याचिका में पारित एक आदेश के...

ट्रायल शुरू होने के बाद भी मामले में आगे की जांच की जा सकती है, अदालत की मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं,  केरल हाईकोर्ट का फैसला
ट्रायल शुरू होने के बाद भी मामले में आगे की जांच की जा सकती है, अदालत की मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं, केरल हाईकोर्ट का फैसला

केरल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जांच अधिकारी के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह आगे की जांच करने के लिए अदालत से कोई अनुमति ले। न्यायमूर्ति आर नारायण पिशराडी ने यह भी देखा कि मामले का ट्रायल शुरू होने के बाद आगे की जांच करने के लिए जांच अधिकारी की शक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) और राम चौधरी बनाम राज्य AIR 2009 SC 2308 के फैसले का हवाला देते हुए कहा। "अदालत से किसी भी अनुमति के बिना भी, जांच अधिकारी के पास आगे की जांच करने की...

जब खनिज और खनन अधनियम के तहत अपराध को माफ़ कर दिया गया है तो आईपीसी की धारा 379 के तहत अभियोजन नहीं टिकेगा : कर्नाटक हाईकोर्ट
जब खनिज और खनन अधनियम के तहत अपराध को माफ़ कर दिया गया है तो आईपीसी की धारा 379 के तहत अभियोजन नहीं टिकेगा : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर खनिज और खान (विकास और विनियमन) (एमएमआरडी) अधिनियम के तहत अगर अपराध को जुर्माना वसूलकर माफ़ कर दिया गया है तो आईपीसी की धारा 379 के तहत उसका अभियोजन अदालत में नहीं टिकेगा। न्यायमूर्ति पीबी बजंथ्री ने सुरेश के और फ्रंसिक @मंजुनाथ जोसफ के खिलाफ कदाबा पुलिस थाने में खनिज और खान (विकास और विनियमन) अधिनियम की धारा 4(1) और 21(A) और कर्नाटक गौण खनिज छूट नियम के नियम 31(R), 42 और आईपीसी की धारा 379 के तहत दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया। क्या है मामला याचिकाकर्ता के...

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, NRC भविष्य के लिए एक आधारभूत दस्तावेज़, अवैध प्रवासियों की संख्या का पता लगाना तत्काल आवश्यक था
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, NRC भविष्य के लिए एक आधारभूत दस्तावेज़, अवैध प्रवासियों की संख्या का पता लगाना तत्काल आवश्यक था

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने रविवार को कहा कि असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) भविष्य के लिए आधार दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि भविष्य के दावों को निर्धारित करने के लिए यह एक तरह का संदर्भ दस्तावेज है। उन्होंने कहा,"1985 के असम समझौते और इसके सहवर्ती विशेषताओं - नागरिकता अधिनियम में धारा 6A की शुरुआत और नागरिकों के एक राष्ट्रीय रजिस्टर का वादा कानूनी ढांचे के माध्यम से एक समाधान विकसित करने का प्रयास था। परिणाम क्या हैं? धारा 6 ए को सुप्रीम कोर्ट की सहमति का इंतज़ार है...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों का मानवीय जीवन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों का मानवीय जीवन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि जेल ठीक से काम करें और राज्य के जेल में कैदियों को मानवीय जीवन प्रदान किया जाए। अंतरिम आदेश डॉक्टर स्वर्णदीप सिंह द्वारा दायर याचिका पर दिया गया है। डॉक्टर स्वर्णदीप सिंह ने केंद्रीय जेल, लुधियाना की अपनी यात्रा के दौरान जेलों के कामकाज में गंभीर अनियमितताओं की शिकायत की थी। सिंह ने पंजाब राज्य में जेलों के कामकाज की स्वतंत्र जांच करने और जेल के कैदियों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए...

क्या नाजायज़ बच्चा पिता की पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकारी बन सकता है? सुप्रीम कोर्ट के सामने फिर आया सवाल
क्या 'नाजायज़' बच्चा पिता की पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकारी बन सकता है? सुप्रीम कोर्ट के सामने फिर आया सवाल

क्या एक 'नाजायज' बच्चे को पिता की पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकारी बनने का अधिकार है? जितेंद्र कुमार बनाम जसबीर सिंह के मामले में विशेष अवकाश याचिका में यह मुद्दा फिर से सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। इस मामले में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने दूसरी अपील को खारिज करते हुए, भरत मठ और एक अन्य बनाम आर विजया रेंगनाथन और अन्य, एआईआर 2010 एससी 2685 और जिनिया केओटिन बनाम कुमार सीताराम (2003) 1 एससीसी 730 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर भरोसा किया था और यह माना कि शून्य विवाह से पैदा...

भावी मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा, कॉलेजियम प्रणाली में पर्याप्त पारदर्शिता, सरकार न्यायिक नियुक्तियों में देरी नहीं करती
भावी मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा, कॉलेजियम प्रणाली में पर्याप्त पारदर्शिता, सरकार न्यायिक नियुक्तियों में देरी नहीं करती

एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में देश के भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा है कि कॉलेजियम प्रणाली में पर्याप्त पारदर्शिता है। जस्टिस बोबडे ने कॉलेजियम के निर्णयों में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि, "मुझे लगता है कि पर्याप्त पारदर्शिता है। अधिकांश समय जब कुछ लोग अधिक पारदर्शिता की मांग करते हैं तो वे इसका कारण जानना चाहते हैं कि किसी का चयन क्यों नहीं किया गया। वे इतने इच्छुक नहीं हैं कि किसी को क्यों चुना गया। वे रुचि रखते हैं कि किसी को...

सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के बावजूद क्यों नहीं रुक रही हैं बोरवेल दुर्घटनाएं, शीर्ष अदालत ने दिए थे ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के बावजूद क्यों नहीं रुक रही हैं बोरवेल दुर्घटनाएं, शीर्ष अदालत ने दिए थे ये निर्देश

बोरवेल दुर्घटना के कारण तमिलनाडु में दो वर्षीय सुजीत विल्सन की दुखद मौत एक आंख खोलने वाली घटना होनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की घटनाएं अभी भी जारी हैं, जबकि बोरवेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नौ साल पहले व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे। शीर्ष अदालत द्वारा स्वत संज्ञान लिए गए एक मामले में बोरवेल में गिरने और ट्यूबवेल में गिरने के कारण छोटे बच्चों के साथ होने वाली घातक दुर्घटनाओं की रोकथाम के उपायों पर फिर से विचार किया गया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस...

क्या मृतक के शरीर में जहर नहीं मिलने पर भी उसे दोषी करार दिया जा सकता है? ऐसे केस की कुछ खास बातें
क्या मृतक के शरीर में जहर नहीं मिलने पर भी उसे दोषी करार दिया जा सकता है? ऐसे केस की कुछ खास बातें

मनु सेबेस्टियनइस आलेख में इस बात पर चर्चा की जा रही है कि जहर देकर मार देने के मामले में सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर कैसे दोषी ठहराया जा सकता है। क्या किसी व्यक्ति को जहर देकर मारने के मामले में सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोषी ठहराया जा सकता है जबकि यह पता नहीं है कि जहर कैसे दिया गया? केरल पुलिस के इस आरोप के बाद कि उत्तरी केरल के कूदाथायी गांव की जॉली जोसफ नामक एक महिला ने अपने ही परिवार के छः लोगों की 17 साल की अवधि के दौरान जहर देकर हत्या कर दी, कानूनी क्षेत्र में...