सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, देखिए वीकली राउंड अप, एक नज़र में कुछ खास फैसले
LiveLaw News Network
28 Oct 2019 3:05 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में 21 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक का सप्ताह कैसा रहा और इस दौरान कौन से खास मुद्दे शीर्ष अदालत के सामने आए, यह जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वीकली राउंड अप पर एक नज़र डालिए।
(बलात्कार) सिर्फ पुलिस को सीआरपीसी की धारा 154/161 के तहत दिए गए बयानों के आधार पर नहीं हो सकती सजा, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के एक आरोपी को बरी करते हुए कहा है कि एक अभियुक्त की सजा पूरी तरह से दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 या 154 के तहत पुलिस द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के बयान पर आधारित नहीं हो सकती। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने बलात्कार के मामले में एक आरोपी को बरी कर दिया, जिसे पंद्रह साल पहले वर्ष 2004 में इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया था।
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अगर पीड़ित के साथ समझौता धमकी और दबाव डालकर किया गया है तो बलात्कार का केस समाप्त नहीं किया जा सकता, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईएकोर्ट के आदेश को पलट दिया है, जिसमें बलात्कार के मामले को आरोपी और पीड़ित के बीच 'समझौता' दर्ज करके समाप्त कर दिया था। लड़की ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके प्रबंधक ने उसके साथ उसकी नग्न तस्वीर प्रकाशित करने की धमकी देकर उसके साथ बलात्कार किया था। आईपीसी की धारा 376, 499 और 506 (2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
आरोपियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि इस केस के संबंध में उनके बीच एक लिखित समझौता हुआ। इस पर ध्यान देते हुए, उच्च न्यायालय ने एफआईआर को खारिज कर दिया और कहा कि एफआईआर में उल्लिखित आरोप और तथ्य अनुचित हैं और यह दुर्भावनापूर्ण लगाए गए हैं।
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अगर पक्षकारों में समझौता हो गया है तो 498A के तहत आपराधिक शिकायत जारी नहीं रह सकती, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आईपीसी की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम के तहत की गई आपराधिक शिकायत के बाद यदि पक्षकारों ने इस मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है तो उपरोक्त शिकायत के तहत कार्रवाई जारी नहीं रह सकती।
न्यायमूर्ति ए.एम.कांविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ द्वारा पारित आदेश में पाया गया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस व्यवस्था के बावजूद कि दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते हो गया है, दोनों के बीच होने वाली कार्रवाई को रद्द करने से इनकार कर दिया। यह माना गया था कि उच्च न्यायालय को इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए था कि पक्षकारों ने अपने सभी मतभेद सौहार्दपूर्वक हल कर लिए हैं और शिकायतकर्ता द्वारा शुरू की गई आपराधिक कार्रवाई सहित विवाह से संबंधित सभी कार्रवाई को बिना शर्त वापस ले लिया गया है।
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रुपए वसूलने के लिए सिर्फ एनआई अधिनियम की धारा 138 के तहत शिकायत करना आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को समाप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रुपए वापस लेने के लिए सिर्फ मामला दायर करना और एनआई अधिनियम की धारा 138 के तहत शिकायत करना आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वासघात के आपराधिक मामले को खारिज करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
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चाहे विक्रय विलेख पर राशि कितनी ही दर्ज हो, मारुडु फ्लैट मालिक 25 लाख रुपए के अंतरिम मुआवज़े के हक़दार : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जल्द ही ध्वस्त होने वाले कोच्चि के मारुडु में अपार्टमेंट परिसर का प्रत्येक फ्लैट मालिक 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा प्राप्त करने का हकदार है, चाहे विक्रय विलेख (बिक्री नामा) में कितनी ही राशि का उल्लेख हो।
जस्टिस अरुण मिश्रा और रवींद्र भट्ट की खंडपीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि बेंच द्वारा नियुक्त केरल हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस के बालकृष्णन नायर की अध्यक्षता वाली समिति ने बिक्री नामा पर दिखाई गई कीमतों से कम कीमत देने पर विचार करने को कहा। इसके बाद शुक्रवार को खंडपीठ ने इस संबंध में आदेश पारित किए।
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NDPS के तहत शिकायतकर्ता और जांच अधिकारी यदि एक ही व्यक्ति है तो क्या निष्प्रभाव हो जाएगा ? संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस एस रवींद्र भट की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को उस मामले की सुनवाई की जिसमें ये तय करना है कि नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम (NDPS Act) के तहत जांच अधिकारी और शिकायतकर्ता यदि एक ही व्यक्ति है तो क्या ट्रायल निष्प्रभावी हो जाएगा।
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जांच के हर पहलू पर मजिस्ट्रेट से आदेश लेने की आवश्यकता नहीं, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जांच के हर पहलू के लिए मजिस्ट्रेट से आदेश लेने की आवश्यकता नहीं है। इस मामले में सीबीआई झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSP) द्वारा आयोजित संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने के संबंध में एक प्राथमिकी (एफआईआर) की जांच कर रही थी। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति जो अभियुक्त है, उसके पास जांच के तरीके को चुनौती देने का कोई कारण नहीं है, जब तक कि यह जांच उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता या अधिकारों पर हमला नहीं करती। इसमें कहा गया है कि जांच को जिस तरीके से अंजाम दिया जाना है, वह जांच एजेंसी द्वारा तय किया जाना चाहिए।
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जस्टिस कुरैशी की सिफारिश :सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली, सॉलिसिटर जनरल ने मांगा और समय
न्यायमूर्ति अकील कुरैशी की मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति करने में देरी का विरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 4 नवंबर को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर यह सुनवाई टाली जिसमें कहा गया कि केंद्र से निर्देश लेने के लिए उन्हें कुछ वक्त चाहिए।
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मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की प्रथा को चुनौती : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह और दिया
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है जिसमें भारत में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की प्रथाओं को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 29 के उल्लंघन के लिए अवैध और असंवैधानिक घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा कि इस मामले में पांच नवंबर को सुनवाई की जाएगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को टेलीकॉम कंपनियों से 92 हज़ार करोड़ रुपये का राजस्व वसूल करने की अनुमति दी
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से उस समय एक तगड़ा झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार की याचिका को मंज़ूर करते हुए केंद्र को टेलीकॉम कंपनियों से लगभग 92,000 करोड़ रुपये का समायोजित सकल राजस्व (AGR)वसूलने की अनुमति दे दी।
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जम्मू और कश्मीर में कब तक प्रतिबंध जारी रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा साफ जवाब
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद प्रतिबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर कब तक वहां प्रतिबंध और इंटरनेट बैन जारी रहेंगे।
जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई के साथ जस्टिस एनवी रमना की तीन जजों की पीठ ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा, " आप स्थितियों की समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन हम समय के बारे में जानना चाहते हैं । आप हमें साफ- साफ बताइए।" इसके साथ ही इस मामले में सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों व हिरासत के मामलों में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर को तय की गई हैं ।
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क्या सार्वजनिक अधिकारी के लिए बोलने की आजादी में अधिक प्रतिबंध हैं? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस एस रवीन्द्र भट की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को कौशल किशोर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य का मामला उठाया।
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भूमि अधिग्रहण अधिनियम धारा 24 : सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिए मुद्दे तय किए, 6 नवंबर से सुनवाई
जस्टिस अरुण मिश्रा, विनीत सरन, इंदिरा बनर्जी, एमआर शाह, और एस रवींद्र भट की संवैधानिक पीठ ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार, सुधार तथा पुनर्वास अधिनियम, 2013 की धारा 24(2) की व्याख्या संबंधित मामलों से संबंधित कानून के सवालों के मुद्दे तय कर लिए हैं और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 6 नवंबर से शुरू होगी।