संपादकीय

महिलाएं सिंहासन पर नहीं बैठना चाहतीं, हम केवल समान व्यवहार चाहती हैं: जस्टिस बीवी नागरत्ना
महिलाएं सिंहासन पर नहीं बैठना चाहतीं, हम केवल समान व्यवहार चाहती हैं: जस्टिस बीवी नागरत्ना

सुप्रीम कोर्ट की जज, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें समाज में किसी सिंहासन पर नहीं रखा जाए, बल्कि उनके साथ पुरुष समकक्षों के समान व्यवहार किया जाए, चाहे वह कार्यस्थल में हो, घर पर हो या सार्वजनिक सड़क पर हो। जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की दौड़ में शामिल हैं।उन्होंने कहा,"मुझे याद आया जब मैं एक साल में 8 मार्च को एक मामले को आगे बढ़ा रही थी, जब मैं वकील थी, तो एक न्यायाधीश ने कहा कि कृपया महिला को मामले को पहले स्थानांतरित करने की अनुमति दें,...

मतदान को अनिवार्य बनाने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट का सुनवाई से इनकार,  कहा- अदालतें कानून निर्माता नहीं, जो कानून बनाएं (वीडियो)
मतदान को अनिवार्य बनाने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट का सुनवाई से इनकार, कहा- अदालतें कानून निर्माता नहीं, जो कानून बनाएं (वीडियो)

चुनाव में मतदान को अनिर्वाय बनाने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि मतदान एक अधिकार है और ये लोगों का खुद का फैसला होना चाहिए कि उन्हें मतदान करना है या नहीं। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच के समक्ष मामला रखा गया था। बेंच ने याचिकाकर्ता वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय से पूछा- भारतीय संविधान का कौन-सा आर्टिकल है जो मतदान को अनिवार्य बनाता है। हम भी जानना चाहते हैं। हम लॉ मेकर नहीं हैं।पूरी...

अतिरिक्त-न्यायिक-स्वीकारोक्ति का प्रामाणिक महत्व उस व्यक्ति पर भी निर्भर करता है, जिसे यह दिया गया है: सुप्रीम कोर्ट
अतिरिक्त-न्यायिक-स्वीकारोक्ति का प्रामाणिक महत्व उस व्यक्ति पर भी निर्भर करता है, जिसे यह दिया गया है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को बरी कर दिया, जबकि उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोहरे हत्याकांड का दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साक्ष्य के उन मूल्यों और परिस्थितियों पर रोशनी डाली, जिनमें अतिरिक्त-न्यायिक-स्वीकारोक्ति को स्वीकार किया जा सकता है।जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा,"अतिरिक्त न्यायिक-स्वीकारोक्ति के बारे में अभियोजन पक्ष का मामला भरोसा पैदा नहीं करता है। इसके अलावा, ऐसी कोई अन्य परिस्थिति रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं की गई, जिससे...

कंपनी का दिवाला समाधान धारा 138 एनआई अधिनियम के तहत निदेशक की देनदारी को समाप्त नहीं करेगा: सुप्रीम कोर्ट
कंपनी का दिवाला समाधान धारा 138 एनआई अधिनियम के तहत निदेशक की देनदारी को समाप्त नहीं करेगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के तहत कॉरपोरेट कर्जदार की समाधान योजना की मंज़ूरी से निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत उसके पूर्व निदेशक की आपराधिक देनदारी खत्म नहीं होगी।जस्टिस संजय किशन कौल,जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि कंपनी के निदेशक एन आई अधिनियम की कार्यवाही से इस आधार पर आरोपमुक्त होने की मांग नहीं कर सकता कि लेनदार का ऋण आईबीसी के तहत कार्यवाही में तय हो गया।पीठ ने उस व्यक्ति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया,...

आरएसएस रूट मार्च: तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ नई याचिका दायर की, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 27 मार्च तक के लिए स्थगित की
आरएसएस रूट मार्च: तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ नई याचिका दायर की, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 27 मार्च तक के लिए स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट को तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रस्तावित रूट मार्च से संबंधित विवाद में राज्य सरकार ने शुक्रवार को सूचित किया कि उसने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा एकल रूप से पारित मूल आदेश के खिलाफ एक नई विशेष अनुमति याचिका दायर की है । पीठ ने 22 सितंबर, 2022 को संगठन को जुलूस निकालने की अनुमति दी। 10 फरवरी को मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ राज्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया है। इस आदेश में आरएसएस के जुलूसों के लिए एकल पीठ द्वारा लगाई गई शर्तों को रद्द कर...

शिवसेना केस | संसदीय लोकतंत्र का मूल सिद्धांत यह है कि सरकार को सदन का विश्वास होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे पक्ष ने कहा
शिवसेना केस | संसदीय लोकतंत्र का मूल सिद्धांत यह है कि सरकार को सदन का विश्वास होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे पक्ष ने कहा

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 16 मार्च 2023 को उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे समूहों के बीच शिवसेना पार्टी के भीतर दरार से संबंधित मामलों के बैच में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसके कारण महाराष्ट्र में जुलाई 2022 में सरकार बदल गई।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने सुनवाई के अंतिम दिन उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी द्वारा दिए गए तर्क और सीनियर...

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कानूनी भाषा में इस्तेमाल होने वाले अनुचित लैंगिक शब्दों की कानूनी शब्दावली जारी करने की योजना की घोषणा की
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कानूनी भाषा में इस्तेमाल होने वाले अनुचित लैंगिक शब्दों की कानूनी शब्दावली जारी करने की योजना की घोषणा की

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के लिए सुप्रीम कोर्ट की जेंडर सेंसेटाइजेशन एंड इंटरनल कंप्लेंट कमेटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए खुलासा किया कि सुप्रीम कोर्ट के एनेक्सी भवन में महिला वकीलों के लिए आरक्षित एक बड़ी जगह बनाने और कानूनी भाषा में इस्तेमाल होने वाले अनुचित लैंगिक शब्दों की कानूनी शब्दावली जारी करने की योजना पाइपलाइन में है।न्यायिक सेवाओं और लेन-देन कानून में महिलाओं की बढ़ती संख्या के बारे में बात करने के साथ-साथ...

ऋणमुक्ति के लिए बंधक द्वारा दूसरा वाद केवल इसलिए वर्जित नहीं क्योंकि पहला वाद डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज किया गया था: सुप्रीम कोर्ट
ऋणमुक्ति के लिए बंधक द्वारा दूसरा वाद केवल इसलिए वर्जित नहीं क्योंकि पहला वाद डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज किया गया था: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि ऋणमुक्ति के लिए एक बंधक द्वारा दूसरा वाद केवल इसलिए वर्जित नहीं है क्योंकि पहला वाद डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज कर दिया गया था, जब तक कि बंधक का ऋणमुक्ति का अधिकार समाप्त नहीं हो जाता।जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश IX नियम 9 (जो कार्रवाई के समान कारण पर दूसरे वाद को रोकता है यदि पहला वाद डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज कर दिया जाता है) दूसरा वाद दायर करने से गिरवी रखने वाले को रोक नहीं सकता है जब तक बंधक के लिए...

वसीयत को सिर्फ इसलिए वास्तविक नहीं माना जा सकता क्योंकि ये 30 साल से ज्यादा पुरानी है : सुप्रीम कोर्ट
वसीयत को सिर्फ इसलिए वास्तविक नहीं माना जा सकता क्योंकि ये 30 साल से ज्यादा पुरानी है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 90 के तहत 30 वर्ष से अधिक पुराने दस्तावेजों की वास्तविकता के बारे में अनुमान वसीयत पर लागू नहीं होता है।अदालत ने 03.05.2013 को सुनाए गए पूर्ववर्ती कानूनी वारिसों द्वारा एम बी रमेश (डी) बनाम कानूनी वारिसों द्वारा के एम वीराजे उर्स (डी) और अन्य [सिविल अपील संख्या 1071/2006 के फैसले के आधार पर कहा, "वसीयत को केवल उसकी आयु के आधार पर साबित नहीं किया जा सकता है - धारा 90 के तहत 30 साल से अधिक आयु के दस्तावेजों की नियमितता के रूप में अनुमान...

शिवसेना केस -  राज्यपाल उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते जो सरकार गिरने का कारण बनता हो : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा
शिवसेना केस - राज्यपाल उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते जो सरकार गिरने का कारण बनता हो : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा

सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने शिवसेना मामले की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के विद्रोह के आधार पर फ्लोर टेस्ट बुलाने के फैसले पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुन रही थी, जो महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश हो रहे थे।एसजी मेहता द्वारा उठाया गया प्राथमिक विवाद यह था कि राज्यपाल...

एससीबीए सीनियर एडवोकट कपिल सिब्बल और एनके कौल के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं करेगी, आम सभा की बैठक रद्द
एससीबीए सीनियर एडवोकट कपिल सिब्बल और एनके कौल के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं करेगी, आम सभा की बैठक रद्द

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एक्सक्यूटिव कमेटी ने कई सीनियर एडवोकेट्स सहित कई वकीलों के विरोध के बाद सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और सीनियर एडवोकेट एनके कौल के खिलाफ प्रस्तावित संकल्पों पर चर्चा के लिए कल बुलाई गई आम बैठक को रद्द करने का फैसला किया है।प्रस्तावित संकल्पों में सिब्बल और कौल को चीफ ज‌‌स्टिस ऑफ इंडिया से माफी मांगने के कारण फटकार लगाने की मांग की गई थी।उल्लेखनीय है कि एससीबीए ने वकीलों के ‌लिए चैंबर्स के संबंध में एक मामला दायर किया गया था, जिसे एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने तत्काल...

बिना गंदी नीयत नाबालिग के सिर और पीठ पर हाथ फेरना सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट (वीडियो)
बिना गंदी नीयत नाबालिग के सिर और पीठ पर हाथ फेरना 'सेक्सुअल हैरेसमेंट' नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट (वीडियो)

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सेक्सुअल हैरेसमेंट यानी यौन शोषण के मामले में 28 साल के एक शख्स की सजा रद्द की और कहा कि बिना किसी गंदी नीयत के नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर केवल हाथ फेरना यौन शोषण नहीं माना जा सकता है। जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। जस्टिस भारती ने शख्स को आरोपों से रिहा करते हुए कहा कि दोषी का कोई सेक्सुअल इंटेंशन नहीं था और उसके कथन से पता चलता है कि उसने लड़की को एक बच्चे के रूप में देखा था।पूरी वीडियो यहां देखें:

5 साल तक सहमति से सेक्स रेप नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट ने युवक को रेप केस से किया बरी (वीडियो)
'5 साल तक सहमति से सेक्स रेप नहीं': कर्नाटक हाईकोर्ट ने युवक को रेप केस से किया बरी (वीडियो)

मामला कर्नाटक का है। एक शख्स पर उसकी प्रेमिका ने रेप और विश्वासघात करने का आरोप लगाया। विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया। इसकी सुनवाई कर्नाटक हाईकोर्ट में हुई। कोर्ट ने लड़की की याचिका खारिज कर दी। और शख्स को रेप के आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि पांच साल तक शादी के नाम पर शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार नहीं कहा जा सकता।लड़की ने अपने प्रेमी पर आरोप लगाया था कि उसने शादी का झूठा वाद करके उसके साथ संबंध बनाए थे, लेकिन बाद में उसने ये रिश्ता तोड़ दिया।पूरी वीडियो यहां देखें: