एससीबीए सीनियर एडवोकट कपिल सिब्बल और एनके कौल के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं करेगी, आम सभा की बैठक रद्द

Avanish Pathak

15 March 2023 1:57 PM GMT

  • एससीबीए सीनियर एडवोकट कपिल सिब्बल और एनके कौल के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं करेगी, आम सभा की बैठक रद्द

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एक्सक्यूटिव कमेटी ने कई सीनियर एडवोकेट्स सहित कई वकीलों के विरोध के बाद सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और सीनियर एडवोकेट एनके कौल के खिलाफ प्रस्तावित संकल्पों पर चर्चा के लिए कल बुलाई गई आम बैठक को रद्द करने का फैसला किया है।

    प्रस्तावित संकल्पों में सिब्बल और कौल को चीफ ज‌‌स्टिस ऑफ इंडिया से माफी मांगने के कारण फटकार लगाने की मांग की गई थी।

    उल्लेखनीय है कि एससीबीए ने वकीलों के ‌लिए चैंबर्स के संबंध में एक मामला दायर किया गया था, जिसे एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी, जिसके बाद सीजेआई और सिंह के बीच तीखी बहस हो गई। जिसके बाद सिब्‍बल और कौल को मामले में बार की ओर से माफी मांगनी पड़ी ‌थी।

    बार के एक वर्ग ने चेतावनी देते हुए प्रस्तावित संकल्पों के खिलाफ एक पत्र लिखा कि अगर वकीलों पर अदालतों की प्रस्तुतियों के ल‌िए घेरे में लिया जाएगा तो एससीबीए एक "खतरनाक मिसाल" कायम करेगा।

    पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने विकास सिंह को अलग पत्र लिखकर उनसे संकल्पों को पारित नहीं होने देने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि इससे बार के भीतर विभाजन होगा।

    वेणुगोपाल और अन्य वरिष्ठ वकीलों की बात मानते हुए कार्यकारी समिति ने कल आम सभा की बैठक के लिए जार‌ी नोटिस को वापस लेने का फैसला किया। कल की बैठक में सिंह के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक अन्य प्रस्ताव पर भी चर्चा होनी ‌थी।

    ‌विकास सिंह ने एससीबीए सदस्यों को भेजे पत्र में कहा कि एससीबीए की कार्यकारी समिति ने श्री केके वेणुगोपाल के पत्र को ध्यान में रखते हुए और बार के व्यापक हित में, आम सभा की बैठक संबंधी कार्यकारी समिति के नोटिस को वापस लेने के लिए बार को पत्र लिखने के लिए मुझे अधिकृत किया है।

    उन्होंने लिखा कि एससीबीए की कार्यकारी समिति उम्‍मीद करती है कि बार का कोई भी सदस्य बार के व्यापक हित के कोई भी विपरीत बयान नहीं देगा। सिंह ने यह भी कहा कि एससीबीए द्वारा दायर याचिका को 17 मार्च को पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है।

    "एससीबीए की कार्यकारी समिति का किसी के खिलाफ कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है और वह केवल जजों के समक्ष बार के रुख को कमजोर नहीं करने से संबंधित है।"

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