संपादकीय
" जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को कब सार्वजनिक किया जा सकता है ? " सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के 2009 अवमानना मामला में सवाल तय किए
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने स्वत: संज्ञान अवमानना मामले में विचार करने के लिए बड़े सवाल तय किए हैं जिसमें उन्होंने 2009 में तहलका पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में आरोप लगाया था कि भारत के 16 मुख्य न्यायाधीशों में से कम से कम आधे भ्रष्ट थे। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि इस मामले में निम्न सवाल उठे हैं जिनका व्यापक असर होगा: 1. यदि न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार को लेकर सार्वजनिक बयान दिए जा सकते हैं, तो...
सुप्रीम कोर्ट ने NEET/JEE परीक्षा टालने की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी है। पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि परीक्षा स्थगित करने से छात्रों का करियर संकट में आ जाएगा।जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, " जीवन को COVID-19 में भी आगे बढ़ना चाहिए। क्या हम सिर्फ परीक्षा रोक सकते हैं? हमें आगे बढ़ना चाहिए।" जस्टिस मिश्रा ने पूछा, "अगर परीक्षा नहीं हुई तो क्या...
" जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना अवमानना के समान नहीं, आरोपों की जांच जरूरी" : प्रशांत भूषण ने 2009 अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट में कहा
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि जनहित में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने की किसी भी कवायद को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" के दायरे में रखा जाना चाहिए।भूषण द्वारा 2009 में न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले उनके बयानों को लेकर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में ये लिखित दलील दाखिल की गई है। सोमवार को, शीर्ष अदालत ने उक्त मामले में भूषण द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए एक विस्तृत सुनवाई का निर्णय...
जानिए क्यों अदालतें किसी गवाह की गवाही/साक्ष्य को हलफनामे (Affidavit) पर प्राप्त करने से कर देती हैं इनकार?
हमने 'लाइव लॉ हिंदी' के पोर्टल पर गवाहों को लेकर ऐसे तमाम लेख आपके समक्ष प्रस्तुत किये हैं जहाँ हमने अदालत के समक्ष किसी मामले में प्रस्तुत होने वाले गवाह और उसके साक्ष्य/गवाही के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है। इसी क्रम में, आज के इस लेख में हम इस बात को संक्षेप में समझने का प्रयास करेंगे कि आखिर क्यों अदालतें, किसी भी गवाह की गवाही/साक्ष्य को एफिडेविट पर प्राप्त करने से इनकार कर देती हैं। मौजूदा लेख में हम इस बात को भी समझने का प्रयास करेंगे कि आखिर क्यों, अदालतें यह जोर देकर हर मामले में...
धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान को दरकिनार करते हुए सभी नागरिकों के लिए तलाक के आधार एक समान होंं, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र को निर्देश देने की मांग
Plea In SC Seeks Direction To The Centre For Uniform Grounds Of Divorce For All Citizens Regardless Of Religion, Race, Caste, Sex, Place Of Birth
हाईकोर्ट द्वारा जारी सामान्य दिशानिर्देश न्यायिक पक्ष से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से ऊपर नहीं हो सकते : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के एक मुकदमे का छह माह के भीतर निपटारा करने के आदेश के बावजूद ट्रायल पूरा करने में असफल रहने पर गत शुक्रवार को मध्य प्रदेश की एक स्थानीय अदालत को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दिये गये उस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि कोरोना महामारी के संकट के कारण फिलहाल केवल अर्जेंट मामलों की ही सुनवाई की जा रही है। शीर्ष अदालत ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए...
2018 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, अधिवक्ता की फेसबुक पोस्ट में हाईकोर्ट जज की आलोचना अवमानना नहीं
न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपने ट्वीट के लिए अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के फैसले के औचित्य पर हो रही तीखी बहस के बीच, 2018 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए एक आदेश महत्वपूर्ण है। यह फैसला एक न्यायाधीश के खिलाफ फेसबुक पोस्ट करने के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक वकील के खिलाफ अवमानना कार्रवाई से संबंधित था। मनीष वशिष्ठ, एक वकील और 'पंजाब केसरी' के एक संवाददाता ने हाईकोर्ट के जज न्यायामूर्ति इंद्रजीत सिंह के खिलाफ 2017 में एक फेसबुक...
जानिए दाण्डिक न्यायिक प्रक्रिया में अनियमित कार्यवाही ( Irregular Proceedings) क्या होती है?
कभी-कभी दाण्डिक प्रक्रिया के अंतर्गत दंड न्यायालय अपनी शक्तियों के बाहर जाकर कोई काम करता है। जब दंड न्यायालय अपनी शक्तियों के बाहर जाकर कोई कार्यवाही करता है ऐसी कार्यवाही को अनियमित कार्यवाही (Irregular Proceedings) कहा जाता है। साधारण अर्थों में ऐसी कार्यवाही, जिसे करने के लिए कोई दंड न्यायालय सशक्त नहीं है उसके उपरांत भी उन कार्यवाहियों को कर देता है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत अध्याय 35 में इस प्रकार की अनियमित कार्यवाही का उल्लेख किया गया है। यह अनियमित कार्यवाहियां कब...
धारा 146 (1) CrPC: जानिए क्या है कार्यपालक मजिस्ट्रेट की विवादित संपत्ति कुर्क करने की विशेष शक्ति?
जैसा कि हम जानते हैं कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 145, अचल संपत्ति से जुड़े विवादों से संबंधित है, और जब इस विवाद से शांति भंग होने की संभावना हो सकती है, तो इस धारा की उपधारा (1) के तहत कार्यवाही करते हुए एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट के लिए पार्टियों को एक विशिष्ट तिथि और समय पर बुलाने करने की आवश्यकता होती है, ताकि वे उक्त संपत्ति पर अपने संबंधित दावे उसके समक्ष रखें, जिसके संबंध में लोक शांति के उल्लंघन की आशंका है। धारा 145 का यह उद्देश्य है कि यह धारा केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए...
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में संपत्तियों को डी-सील करने का आदेश दिया, मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनाए गए एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली में उन आवासीय इकाइयों को डी-सील करने का आदेश दिया, जिन्हें कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति द्वारा सील कर दिया गया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्तिकृष्ण मुरारी की 3-जजों वाली बेंच ने इस फैसले में यह पाया कि समिति कभी भी आवासीय परिसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत नहीं की गई थी जो व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किए जा रहे थे। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से यह माना कि निजी...
" शिक्षण के बिना परीक्षा कैसे? UGC के दिशा-निर्देश मनमाने " : सुप्रीम कोर्ट मेंं डॉ सिंघवी ने परीक्षा रद्द करने की मांग की
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाकर्ता यश दुबे की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा 30 सितंबर तक अंतिम अवधि परीक्षा आयोजित करने के लिए जारी दिशा-निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बहस की शुरुआत की।यह कहते हुए कि COVID-19 मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, सिंघवी ने जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह मामला "छात्रों के जीवन और स्वास्थ्य" से संबंधित है। उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 14...
" जब अप्रैल में COVID-19 के 1137 केसों के दौरान परीक्षा नहीं हुई तो अब लाखों केसों के दौरान कैसे होगी ? ": श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट में छात्र Vs UGC में कहा
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यूजीसी के निर्देश को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने प्रस्तुत किया कि जब यूजीसी स्वयं कहता है कि उसके दिशानिर्देश प्रकृति में सलाहकारी हैं, तो उन्हें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाना चाहिए।युवा सेना के लिए अपील करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में COVID-19 मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कई स्थानों पर, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों को क्वारंटीन केंद्रों में बदल दिया गया है। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष...
न्यायपालिका पर ट्वीट करने पर प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया, 20 अगस्त को सजा पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वकील प्रशांत भूषण को भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के बारे में अपने दो ट्वीट्स में उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान अवमानना मामले में अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। न्यायमूर्ति बी आर गवई ने फैसले को पढ़ते हुए कहा कि भूषण ने "न्यायालय की गंभीर अवमानना" की। पीठ 20 अगस्त को सजा पर बहस सुनेगी। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने भूषण के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की विस्तृत बहस के बाद 5 अगस्त को मामले में फैसला सुरक्षित रख...
जानिए ज़मानत (Bail) का मूल अर्थ
आपराधिक मामलों के संदर्भ में ज़मानत प्रचलित शब्द है। जब भी कोई व्यक्ति किसी प्रकरण में अभियुक्त बनाया जाता है तथा अन्वेषण (Investigation), जांच (Inquiry) और विचारण (Trial) के लंबित रहते हुए उस व्यक्ति को कारावास में परिरुद्ध किया जाता है तब ज़मानत शब्द, उस अभियुक्त के लिए सबसे अधिक उपयोग में लाया जाता है। इस सारगर्भित लेख के माध्यम से ज़मानत के मूल अर्थ को समझा जा रहा है। ज़मानत क्या है ? यह कहां से आई है ? ज़मानत शब्द जिसे अंग्रेजी में बेल (Bail) कहा जाता है, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) के...
शास्त्रीय हिंदू कानून में बेटियों के साथ किए गए अन्याय को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन के बाद समाप्त किया गया, सुप्रीम कोर्ट ने की हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम की व्याख्या
अशोक किनीसुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सहदायिकी (पुश्तैनी) संपत्ति में बेटियों के समान अधिकार को मान्यता दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सहदायिकी संपत्ति के हस्तांतरण से संबधित कानून और साथ ही बेटियों पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में 2005 किए गए संशोधन के प्रभाव की व्याख्या की है। जस्टिस अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नज़ीर और एमआर शाह की पीठ ने कहा है कि शास्त्रीय हिंदू कानून में बेटी को संपत्ति में सहभागी नहीं बनाया गया है। 2005 में संविधान की भावना के अनुसार, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में...
"परीक्षा रद्द करना छात्रों के हित में नहीं " : UGC ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार के अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने के रुख का विरोध किया
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने वाले महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार के विरोधी रुख को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया है।स्वायत्त निकाय ने तर्क दिया है कि "वैकल्पिक मूल्यांकन उपायों" का उपयोग कर अंतिम वर्ष / टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षाओं और स्नातक छात्रों को रद्द करना यूजीसी के दिशानिर्देशों के उल्लंघन में है और "छात्रों के हित" में ऐसी परीक्षाओं को आयोजित करना आवश्यक है। यूजीसी के शिक्षा अधिकारी डॉ निखिल कुमार द्वारा दायर हलफनामे...