हाईकोर्ट द्वारा जारी सामान्य दिशानिर्देश न्यायिक पक्ष से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से ऊपर नहीं हो सकते : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
16 Aug 2020 12:15 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के एक मुकदमे का छह माह के भीतर निपटारा करने के आदेश के बावजूद ट्रायल पूरा करने में असफल रहने पर गत शुक्रवार को मध्य प्रदेश की एक स्थानीय अदालत को आड़े हाथों लिया।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दिये गये उस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि कोरोना महामारी के संकट के कारण फिलहाल केवल अर्जेंट मामलों की ही सुनवाई की जा रही है। शीर्ष अदालत ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सभी से अपेक्षा की जाती है कि वे बिना किसी नाज-नखरे के उसके आदेश का अक्षरश: पालन करें।
निचली कोर्ट ने दलील दी थी कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरेाना काल में राज्य की सभी अदालतों में केवल अर्जेंट मामलों की सुनवाई करने का ही दिशानिर्देश दिया था और इसी के कारण मामले में ट्रायल पूरा नहीं हो सका।
तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस दलील को अस्वीकार्य करार देते हुए आगे कहा,
"हाईकोर्ट की ओर से जारी सामान्य दिशानिर्देश इस मामले में शीर्ष अदालत के न्यायिक निर्देश से ऊपर कतई नहीं हो सकता। संबंधित अदालत और सभी संबंधित पक्षों से अपेक्षा की जाती है कि वे बिना किसी नाज-नखरे के तब तक उसके आदेश का अक्षरश: पालन करेंगे, जब तक उसमें कोई छूट नहीं मिल जाती।"
यह मामला 15 वर्षीया लड़की के अपहरण एवं उसके साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी अंकित माहेश्वरी की जमानत याचिका से जुड़ा है। आरोपी ने पिछले वर्ष दिसम्बर में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज किये जाने के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
यद्यपि शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था, लेकिन इसने ट्रायल कोर्ट को छह माह के भीतर मुकदमे का निपटारा करने का निर्देश जारी किया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने ही गत दिसम्बर में ट्रायल कोर्ट को यह आदेश जारी किया था और शुक्रवार को सुनवाई करने वाली बेंच में भी दोनों जज शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने संबंधित स्थानीय अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस मामले का निपटारा दिसम्बर 2020 के अंत तक हो जाना चाहिए। कोर्ट ने इस वर्ष के अंत तक आदेश पर अमल संबंधी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।
इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को यह निर्देश भी दिया गया है कि वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को इस बाबत आवश्यक कार्रवाई करने तथा अधीनस्थ अदालतों को उचित स्पष्टीकरण / निर्देश जारी करने के लिए संबंधित आदेश की प्रति अग्रसारित करे।
केस का विवरण
केस का नाम : अंकित माहेश्वरी उर्फ चिट्टू बनाम मध्य प्रदेश सरकार एवं अन्य
केस नं. : एसएलपी (क्रिमिनल) नं. 11315/2019
कोरम : न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना