संपादकीय

यूएपीए के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच हो या राज्य सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा, ट्रायल सिर्फ विशेष अदालतों में ही चलेगा : सुप्रीम कोर्ट
यूएपीए के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच हो या राज्य सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा, ट्रायल सिर्फ 'विशेष अदालतों' में ही चलेगा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूएपीए के तहत सभी अपराधों, चाहे जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा की गई हो या राज्य सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा, विशेष रूप से एनआईए अधिनियम के तहत स्थापित विशेष न्यायालयों द्वारा ही ट्रायल किया जाए। न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि विशेष अदालत में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम की धारा 43-डी (2) (बी) में 180 दिनों तक समय बढ़ाने का अधिकार क्षेत्र रखा गया है।केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना...

वैवाहिक मामले में लगाए गए आरोपों के आधार पर बन सकता है आपराधिक मानहानि का मामला :  कर्नाटक हाईकोर्ट
वैवाहिक मामले में लगाए गए आरोपों के आधार पर बन सकता है आपराधिक मानहानि का मामला : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महिला को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी माना है। कोर्ट ने पाया कि महिला द्वारा उसके पति के खिलाफ फैमिली कोर्ट के समक्ष दिया गया बयान 'आपराधिक मानहानि' के दायरे में आताा है। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत में दायर याचिकाएं और दिए गए बयान धारा 499 के अर्थ में 'प्रकाशन' के समान होते हैं, इसलिए अगर ऐसे बयान मानहानि करने वाले होते हैं तो सजा हो सकती है। न्यायमूर्ति डॉ एच.बी प्रभाकर शास्त्री ने सुषमा रानी की तरफ से दायर अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। सुषमा...

बॉलीवुड बनाम रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ : अपमानजनक रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग करते हुए बिग स्टूडियो पहुंचे  दिल्ली हाईकोर्ट
बॉलीवुड बनाम 'रिपब्लिक टीवी' और 'टाइम्स नाउ' : अपमानजनक रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग करते हुए बिग स्टूडियो पहुंचे दिल्ली हाईकोर्ट

एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हिंदी फिल्म उद्योग के प्रमुख प्रोडक्शन हाउस ने एक साथ आते हुए ''रिपब्लिक टीवी'' और ''टाइम्स नाउ'' जैसे समाचार चैनलों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दीवानी मुकदमा दायर किया है। हिंदी फिल्म उद्योग के 38 बड़े प्रोडक्शन हाउस ने संयुक्त रूप से रिपब्लिक टीवी के अर्णब गोस्वामी और प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ के नविका कुमार और राहुल शिवशंकर और कई अज्ञात प्रतिवादियों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ मुकदमा दायर कर ,इन सभी को बॉलीवुड के सदस्यों के खिलाफ ''गैर-जिम्मेदार,अपमानजनक...

कल आप कहेंगे कि किसी को भी मांस नहीं खाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट ने हलाल को चुनौती देने वाली याचिका को शरारतपूर्ण करार देकर खारिज किया
"कल आप कहेंगे कि किसी को भी मांस नहीं खाना चाहिए" : सुप्रीम कोर्ट ने 'हलाल' को चुनौती देने वाली याचिका को 'शरारतपूर्ण' करार देकर खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भोजन के लिए जानवरों के वध के लिए 'हलाल' की प्रथा को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति एसके कौल ने कहा, "'हलाल 'केवल ऐसा करने का एक तरीका है। अलग-अलग तरीके संभव हैं-' हलाल 'है,' झटका 'है। कुछ लोग' झटका 'करते हैं, कुछ' हलाल 'करते हैं, यह कैसे एक समस्या है? कुछ 'हलाल' मांस खाना चाहते हैं, कुछ 'झटका' मांस खाना चाहते हैं, कुछ रेंगने वाले जंतुओं का मांस खाना चाहते हैं।" याचिकाकर्ता-संगठन के वकील ने आग्रह किया, "यह माना गया है कि...

कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा
कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली तीन रिट याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसके कारण देश भर के कई किसान समूह विरोध कर रहे हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल को छह सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा।पीठ मनोहर लाल शर्मा, छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस (राकेश वैष्णव और अन्य) के पदाधिकारियों और डीएमके सांसद तिरुचि शिवा द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं पर विचार कर रही थी। सबसे पहले,...

उच्च पद पर होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता : सुप्रीम कोर्ट
उच्च पद पर होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता : सुप्रीम कोर्ट

"जो जितना बड़ा पद संभालता है, उसकी उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी होती है।"सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च पद पर विराजमान होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता है। यह मामला 2007 के बिहार नगरपालिका चुनाव से जुड़ा है। अनिल सिंह उर्फ अनिल कुमार सिंह और अन्य को वर्ष 2007 में हुए जनरल नगरपालिका चुनावों में दाखिल नामांकन पत्रों में कथित तौर पर झूठी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 447 के तहत अभियुक्त बनाया गया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने आरोपों को सही...

सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह। आइए जानते हैं 5 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।सुप्रीम कोर्ट ने CLAT 2020 के उम्मीदवारों को शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी, जल्द फैसला करने को कहासुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को CLAT 2020 के उम्मीदवारों को परीक्षा के संचालन से संबंधित शिकायतों के बारे में शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी जो सेवानिवृत्त भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में है। न्यायमूर्ति...

सही पाये जाने पर संबद्ध गवाहों की गवाही भी दोषसिद्धि का आधार हो सकती है: सुप्रीम कोर्ट
सही पाये जाने पर 'संबद्ध' गवाहों की गवाही भी दोषसिद्धि का आधार हो सकती है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'सम्बद्ध' गवाहों की गवाही यदि सही पायी जाती है तो यह दोषसिद्धि का आधार हो सकती है।न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा कि यदि गवाह दूसरे प्रकार से विश्वास करने योग्य हैं तो अतीत की दुश्मनी भी अपने आप में किसी भी गवाही को दरकिनार नहीं करेगी।कोर्ट ने हत्या के एक मामले में पांच अभियुक्तों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148, 302 एवं धारा 149 के तहत...

संभावित अपराध की गुप्त सूचना पर एफआईआर दर्ज करना आवश्यक नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
संभावित अपराध की गुप्त सूचना पर एफआईआर दर्ज करना आवश्यक नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य [(2014) 2 SCC 1] के फैसले में निर्धारित अनुपात, जिसमें कहा गया है कि ऐसी सूचना प्राप्त होने के बाद, जिसमें संज्ञेय अपराध का खुलासा किया गया हो, स्टेशन हाउस ऑफ‌िसर एफआईआर का पंजीकरण करने के लिए बाध्य है। यह उन मामलों में लागू नहीं होगा, जिनमें किसी अधिकारी को किसी अपराध के बारे में गुप्त सूचना मिलती है, जिसे अभी घटित होना है।न्यायालय ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत आरोपी व्यक्तियों की जमानत...

कानून आम लोगों को समझ में आना चाहिए: कानून, नियम और सूचना को आसान भाषा में ड्राफ्ट करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका
"कानून आम लोगों को समझ में आना चाहिए": कानून, नियम और सूचना को आसान भाषा में ड्राफ्ट करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

सर्वोच्च कोर्ट में एक याचिका दायर करके सभी सरकारी संचारों, अधिसूचना और दस्तावेजों में आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए आसान भाषा इस्तेमाल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की कि वह 'लीगल राइटिंग इन प्लेन इंग्लिश' विषय को 3 तीन वर्षीय और 5 वर्षीय एलएलबी पाठ्यमक्र में अनिवार्य बनाए। याचिका में यह भी मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील और मौखिक तर्क पेश करते हुए कुछ सीमा तय की जाए।याचिका में कहा गया है कि...

[प्रोजेक्ट 39A – डेथ पेनल्टी इंडिया रिपोर्ट] मृत्यु-दंड पर विचार-विमर्श में प्रणाली-गत वास्तविकताओं को समझने का एक प्रयास
[प्रोजेक्ट 39A – 'डेथ पेनल्टी इंडिया रिपोर्ट'] मृत्यु-दंड पर विचार-विमर्श में प्रणाली-गत वास्तविकताओं को समझने का एक प्रयास

आज (10 अक्टूबर) को विश्व भर में 'डेथ पेनल्टी के खिलाफ विश्व दिवस' मनाया जाता है, इस दिन का आयोजन प्रथम बार, वर्ल्ड कोलिशन द्वारा 2003 में किया गया था। इस दिन, मौत की सजा के उन्मूलन की वकालत करने के अलावा, मौत की सजा के साथ-साथ कैदियों को प्रभावित करने वाली अन्य परिस्थितियों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।वास्तव में, गिरफ्तारी, नजरबंदी, परीक्षण और परीक्षण के दौरान और बाद में, प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व तक पहुंच के बिना, उचित कानूनी प्रक्रिया की गारंटी नहीं दी जा सकती है। यह कहना गलत नहीं...

सुप्रीम कोर्ट ने CLAT 2020 के उम्मीदवारों को शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी, जल्द फैसला करने को कहा 
सुप्रीम कोर्ट ने CLAT 2020 के उम्मीदवारों को शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी, जल्द फैसला करने को कहा 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को CLAT 2020 के उम्मीदवारों को परीक्षा के संचालन से संबंधित शिकायतों के बारे में शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी जो सेवानिवृत्त भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में है।न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कमेटी को जल्द से जल्द उम्मीदवारों द्वारा की गई आपत्तियों पर फैसला लेना चाहिए।पीठ ने हालांकि, अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया को रोकने के लिए मना कर दिया।आज, वरिष्ठ अधिवक्ता...

आरोप-पत्र दाखिल करना ही CrPC 164 के तहत बयानों की प्रतियों के लिए आरोपी को हकदार नहीं बनाता : सुप्रीम कोर्ट
आरोप-पत्र दाखिल करना ही CrPC 164 के तहत बयानों की प्रतियों के लिए आरोपी को हकदार नहीं बनाता : सुप्रीम कोर्ट

सिर्फ आरोप-पत्र दाखिल करने से ही, संहिता की धारा 164 के तहत बयान सहित किसी भी संबंधित दस्तावेज की प्रतियों के लिए एक आरोपी खुद ही हकदार नहीं बन जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए कहा जिसमें बलात्कार पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति लेने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चिन्मयानंद की याचिका की अनुमति दी गई थी। इस तरह के बयान की एक प्रति प्राप्त करने का अधिकार केवल संज्ञान लेने के बाद ही उत्पन्न होगा जैसा कि संहिता के खंड 207 और 208 द्वारा तय किया...

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहाः महज चयन सूची में उम्मीदवार का नाम शामिल हो जाने से उसे नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं मिल जाता
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहाः महज चयन सूची में उम्मीदवार का नाम शामिल हो जाने से उसे नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं मिल जाता

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि महज चयन सूची में उम्मीदवार का नाम शामिल होने से ही उसे नियुक्ति पाने का अधिकार हासिल नहीं हो जाता। इस मामले में, उम्मीदवारों ने 'दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल (एक्जक्यूटिव)- पुरुष' पद के लिए 2013 की भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। इन लोगों को पहले चरण के परीक्षा परिणाम में सफल घोषित किया गया था। बाद में परीक्षाफल संशोधित किया गया, जिसमें ये उम्मीदवार बाहर हो गये थे। उम्मीदवारों ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 'ओए' को...

सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर असंवेदनशील रिपोर्टिंग का मामला: एनबीएसए ने  आजतक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जी न्यूज,इंडिया टीवी व न्यूज 24 को  माफी मांगने का निर्देश
सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर असंवेदनशील रिपोर्टिंग का मामला: एनबीएसए ने आजतक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जी न्यूज,इंडिया टीवी व न्यूज 24 को माफी मांगने का निर्देश

समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) ने इलेक्ट्रॉनिक समाचार चैनल आजतक, जी न्यूज, न्यूज 24 और इंडिया टीवी को निर्देश दिया है कि वह अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को सनसनीखेज बनाने व असंवेदनशील रिपोर्टिंग करने के मामले में माफी मांगे और उसका प्रसारण किया जाए। स्वशासी प्राधिकरण ने आजतक, जी न्यूज और न्यूज 24 चैनल को वो असंवेदनशील टैग लाइन्स चलाने से भी रोक दिया है,जिनमें मृतक की निजता का उल्लंघन करने और उसकी गरिमा को प्रभावित करने का प्रभाव था।जबकि, आजतक के साथ इंडिया टीवी को भी...

हाथरस केसः पीड़िता के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की याचिका, उत्तर प्रदेश पुलिस की अवैध हिरासत से रिहा किए जाने की मांग
हाथरस केसः पीड़िता के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की याचिका, उत्तर प्रदेश पुलिस की अवैध हिरासत से रिहा किए जाने की मांग

हाथरस मामले में पीड़िता के परिजनों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कथित अवैध हिरासत के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। अधिवक्ता काशिफ अब्बास रिजवी और जौन अब्बास के माध्यम से अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत ने हिरासत में लिए गए परिवार की ओर से रिट याचिका दायर की है।मामले जस्टिस को प्रीतिंकर दिवाकर और प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जिस पर उन्होंने फैसला सुरक्षित रखा । आरोप है कि मृतक पीड़िता के करीबी परिजनों यानी पिता, मां, दो भाइयों,...

अपराध के समय आरोपी किशोर था: सुप्रीम कोर्ट ने चार दशक पुराने केस में आरोपी के आजीवन कारावास को रद्द किया
"अपराध के समय आरोपी किशोर था": सुप्रीम कोर्ट ने चार दशक पुराने केस में आरोपी के आजीवन कारावास को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने 1981 के हत्या के मामले में आरोपी एक व्यक्ति पर लगाया गया आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि अपराध की तारीख पर उसकी आयु 18 वर्ष से कम थी। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने हालांकि किशोर न्याय अधिनियम, 2000 अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और किशोर न्याय बोर्ड को हिरासत और कस्टडी के संबंध में आदेश पारित करने का निर्देश दिया।दरअसल सत्य देव और अन्य को ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इलाहाबाद...

(COVID19), लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि स्थिति में सुधार हुआ है और जीवन सामान्य हो सकता है : त्रिपुरा हाईकोर्ट
(COVID19), लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि स्थिति में सुधार हुआ है और जीवन सामान्य हो सकता है : त्रिपुरा हाईकोर्ट

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मंगलवार (06 अक्टूबर) को कहा है कि राज्य के लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि कोरोना वायरस प्रसार में आकस्मिक सुधार हुआ है और अब जीवन सामान्य हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश अकिल कुरैशी और न्यायमूर्ति सुभाषिश तालपात्रा की खंडपीठ ने एक याचिका पर (हाईकोर्ट द्वारा लिए गए स्वत संज्ञान के बाद जनहित याचिका की प्रकृति में) सुनवाई करते हुए त्रिपुरा राज्य में कोरोनावायरस के प्रसार की स्थिति और संबंधित मुद्दों पर विचार किया था। न्यायालय ने 11 सितम्बर 2020, 18 सितम्बर 2020 और 28...

जमानत के लिए असंगत शर्तों को लगाकर आरोपी के अधिकार को भ्रामक नहीं बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
जमानत के लिए असंगत शर्तों को लगाकर आरोपी के अधिकार को भ्रामक नहीं बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

अदालत द्वारा जमानत देने के लिए लगाई जाने वाली शर्तों में अभियुक्तों के अधिकारों के साथ आपराधिक न्याय के प्रवर्तन में जनहित को संतुलित किया जाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि न्याय के प्रशासन को सुविधाजनक बनाने, अभियुक्तों की उपस्थिति को सुरक्षित करने और अभियुक्त की स्वतंत्रता का जांच, गवाहों को रोकने या न्याय में बाधा डालने में दुरुपयोग ना हो, ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए।अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर...