संपादकीय

 वाणिज्यिक प्रभाग ना होने के बावजूद भी हाईकोर्ट डिजाइन अधिनियम की धारा 22 (4) के तहत डिजाइन को रद्द करने के मामले की सुनवाई कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
 वाणिज्यिक प्रभाग ना होने के बावजूद भी हाईकोर्ट डिजाइन अधिनियम की धारा 22 (4) के तहत डिजाइन को रद्द करने के मामले की सुनवाई कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

 सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 दिसंबर को एस डी कंटेनर्स, इंदौर बनाम मेसर्स मोल्ड टेक पैकेजिंग लिमिटेड के मामले में दिए गए निर्णय में डिजाइन एक्ट 2000 और वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम 2015 के बीच परस्पर क्रिया पर चर्चा की गई है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि डिजाइन अधिनियम की धारा 22 (4) के तहत डिजाइन को रद्द करने के मुद्दे से संबंधित मुकदमा उच्च न्यायालय के एक वाणिज्यिक प्रभाग द्वारा सुना जाए। यह माना गया है कि मूल सिविल अधिकार...

नाब‌ालिग पीड़िता की मां ने उसे सिखाया था कि कोर्ट में उसे क्या कहना है: दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल यौन शोषण के आरोपी को दोषमुक्त किया
"नाब‌ालिग पीड़िता की मां ने उसे सिखाया था कि कोर्ट में उसे क्या कहना है": दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल यौन शोषण के आरोपी को दोषमुक्त किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (03 दिसंबर) को यह देखते हुए कि नाबालिग पीड़िता ओर उनकी मां के बयान में ठोस सुधार हुए है, नाबालिग के यौन शोषण मामले में एक आरोपी के दोष को रद्द कर दिया।जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की खंडपीठ ने अपीलकर्ता-अभियुक्तों की ओर से उस फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत अपीलकर्ता को पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत अपराध का दोषी ठहराया गया था, और उसे 10 वर्ष की अवधि के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी।मामलाबच्चे के पिता की मां के प्राथमिकी बयान पर दर्ज की गई थी।...

दहेज मृत्यु-धारा 304 बी के तहत दोष नहीं हो सकता, यदि यह स्‍थापित ना हो कि मृत्यु का कारण अप्राकृतिक थाः सुप्रीम कोर्ट
दहेज मृत्यु-धारा 304 बी के तहत दोष नहीं हो सकता, यदि यह स्‍थापित ना हो कि मृत्यु का कारण अप्राकृतिक थाः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी के तहत दहेज हत्या का अपराध नहीं बनाया जा सकता है, यदि यह स्‍थापित नहीं हो पाता है कि मृत्यु का कारण अप्राकृतिक था। अदालत ने यह भी कहा कि यह भी दिखाया जाना चाहिए कि मृतक पत्नी को मृत्यु से पहले दहेज की मांग के संबंध में क्रूरता या उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा था।यह मानते हुए कि इन कारकों को स्थापित नहीं किया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा तीन व्यक्तियों (मृतक पत्नी के पति, ससुर और सास) को धारा 304 बी आईपीसी के तहत...

पीड़िता अच्छे और बुरे को समझने की स्थिति में नहीं थी : सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से अक्षम लड़की के साथ बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा
"पीड़िता अच्छे और बुरे को समझने की स्थिति में नहीं थी" : सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से अक्षम लड़की के साथ बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से अक्षम लड़की के साथ बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा है। अभियुक्त चमन लाल को मुख्य रूप से ट्रायल कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के आधार पर बरी कर दिया और इस आधार पर भी कि अभियोजन पक्ष परिणामों को समझने के लिए मानसिक रूप से सक्षम नहीं था कि क्या हो रहा है। अपील में, रिकॉर्ड पर पूरे साक्ष्य को पुनः प्राप्त करने पर, उच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष का आईक्यू 62 था और यह हल्की मानसिक मंदता थी। उच्च न्यायालय ने उसे सात साल के सश्रम...

National Uniform Public Holiday Policy
"धार्मिक प्रथा के आधार पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती": मुस्लिमों में द्विविवाह को कानूनी मान्यता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर द्विविवाह को सभी धर्मों के लिए असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 494 को रद्द करने की प्रार्थना करते हुए यह दलील दी गई है कि जहां तक 'किसी भी मामले में ऐसी शादी शून्य है' से संबंधित है और धारा 2 मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 में जहां तक यह मुस्लिम समुदाय में प्रचलित द्विविवाह / बहुविवाह की प्रणाली को मान्यता देता है।यह प्रस्तुत किया गया है कि धार्मिक समूह द्वारा अपनाई जाने वाली...

खान और खनिज अधिनियम पर मजिस्ट्रेट धारा 156 (3) के तहत FIR के आदेश दे सकता है, धारा 22 के तहत रोक लागू नहीं : सुप्रीम कोर्ट
खान और खनिज अधिनियम पर मजिस्ट्रेट धारा 156 (3) के तहत FIR के आदेश दे सकता है, धारा 22 के तहत रोक लागू नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम की धारा 22 के तहत रोक लागू नहीं होगी, जब कोई मजिस्ट्रेट आपराधिक प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के तहत शक्तियों के प्रयोग में एमएमडीआर अधिनियम और नियमों के तहत अपराधों के लिए भी मामला / एफआईआर ट / अपराध दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी / एसएचओ को निर्देश देता है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कानूनी स्थिति का इस प्रकार सारांश दिया:1. मजिस्ट्रेट आपराधिक प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के तहत...

लव जिहाद के नाम पर यूपी और उत्तराखंड में लागू धर्म परिवर्तन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
"लव जिहाद" के नाम पर यूपी और उत्तराखंड में लागू "धर्म परिवर्तन कानूनों" को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

"लव जिहाद" के नाम पर धर्म परिवर्तन पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा पारित कानूनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका दिल्ली के वकील टविशाल ठाकरे, अभय सिंह यादव और प्रणवेश ने दायर की है जिन्होंने हाल ही में घोषित उत्तर प्रदेश गैर कानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश 2020 और उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 की संवैधानिकता को चुनौती दी है।जनहित याचिका में कहा गया है कि "लव जिहाद" के नाम पर बने इन कानूनों को निरर्थक और शून्य घोषित...

एचआईवी पॉजिटिव मरीज़ को सहमति के बिना संभोग करने के कारण हत्या के प्रयास का दोषी नहीं ठहराया जा सकताः दिल्ली हाईकोर्ट
एचआईवी पॉजिटिव मरीज़ को सहमति के बिना संभोग करने के कारण हत्या के प्रयास का दोषी नहीं ठहराया जा सकताः दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (26 नवंबर) को फैसला सुनाया कि एक एचआईवी पॉजिटिव मरीज, य‌दि किसी महिला के साथ सहमति के बिना संभोग करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।ज‌स्टिस विभू बाखरू की खंडपीठ ने आगे कहा कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति द्वारा असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर, जब ऐसे व्यक्ति को अपनी बीमारी की प्रकृति के बारे में पता चलता है; वह आईपीसी की धारा 270 के तहत दंडित किया जा सकता है।तथ्यात्मक पृष्ठभूमिअभियुक्त/अपीलार्थी के खिलाफ वर्ष 2011...

गुजरात हाईकोर्ट ने बिना मास्क के पकड़े गए लोगों को COVID-19 केंद्रों में सामुदाय‌िक सेवा करने का निर्देश दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
गुजरात हाईकोर्ट ने बिना मास्क के पकड़े गए लोगों को COVID-19 केंद्रों में सामुदाय‌िक सेवा करने का निर्देश दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत बिना फेस कवर/मास्क के पकड़े गए लोगों को COVID-19 देखभाल केंद्रों में अनिवार्य रूप से सामुदाय‌िक सेवा के लिए भेजने की नीति बनाने या आदेश देने का गुजरात सरकार को निर्देश दिया गया था।आदेश पर रोक लगाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का निर्देश असंगत है, और इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि कहा कि मास्क अनिवार्य हैं और उल्लंघन करने वालों को कानून के अनुसार दंडित किया जाना...

ग्राहक को  सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने वाली निजी सुरक्षा एजेंसी पर भी ईपीएफ  के प्रावधान लागू : सुप्रीम कोर्ट 
ग्राहक को सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने वाली निजी सुरक्षा एजेंसी पर भी ईपीएफ के प्रावधान लागू : सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम के प्रावधान, अपने ग्राहक को विशेषज्ञ सेवा प्रदान करने में लगी एक निजी सुरक्षा एजेंसी पर भी लागू होते हैं,अगर वो ईपीएफ अधिनियम की आवश्यकता को पूरा करती है तो। जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस तरह से पैंथर सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जबकि सहायक भविष्य निधि आयुक्त के आदेश की पुष्टि करते हुए इसे ईपीएफ अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन और...

मुल्तानी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को अग्रिम जमानत दी
मुल्तानी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को अग्रिम जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी की अग्रिम जमानत याचिका को अनुमति दे दी, जिन्होंने 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी हत्या मामले में जमानत की मांग की थी। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों को रद्द करते हुए कहा कि अगर सैनी को धारा 302 आईपीसी के तहत गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाएगा।बेंच ने यह भी कहा कि सैनी को जांच में पूरा सहयोग करना...

प्रत्येक पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरा लगाना सुनिश्चित करें : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को निर्देश दिए
'प्रत्येक पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरा लगाना सुनिश्चित करें' : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को निर्देश दिए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके अधीन कार्य करने वाले प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे स्थापित हों। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इन निर्देशों को अक्षरश: जल्द से जल्द लागू किया जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सीबीआई, एनआईए आदि केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का भी निर्देश दिया है।अदालत ने ये निर्देश परमवीर सिंह सैनी द्वारा दायर एसएलपी का निपटारा करते हुए...

पूर्व जज सीएस कर्णन को अपमानजनक वीडियो के कारण चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया
पूर्व जज सीएस कर्णन को अपमानजनक वीडियो के कारण चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया

चेन्नई पुलिस ने बुधवार को मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों के पूर्व जज सीएस कर्णन को गिरफ्तार कर ‌लिया।चेन्नई पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा ने पूर्व जज को , एक ऑनलाइन वीडियो के कारण गिरफ्तार किया है, जिसमें उन्होंने जजों को गाली दी ‌‌थी और जजों की पत्न‌ियों को रेप की धमकियां दी थी।मद्रास उच्च न्यायालय ने कल पुलिस महानिदेशक और चेन्नई पुलिस आयुक्त को 7 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कर्णन के खिलाफ जांच की प्रगति से पीठ को अवगत कराने का निर्देश दिया था।इससे पहले, अदालत ने पुलिस आयुक्त,...

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होम्योपैथिक डॉक्टर COVID-19 के लिए निर्दिष्ट होम्योपैथिक दवाओं को "एड-ऑन उपचार" के रूप में निर्धारित कर सकते हैं : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट मेंं बताया

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि निर्दिष्ट होम्योपैथिक दवाओं को COVID-19 के लिए "एड-ऑन उपचार" के रूप में निर्धारित किया जा सकता है और इस प्रकार, यह कहना गलत है कि होम्योपैथिक चिकित्सकों को COVID-19 पॉजिटिव रोगियों के लिए कोई उपचार नहीं लिख सकते। ये स्पष्टीकरण केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ डॉ एकेबी सद्भावना मिशन स्कूल ऑफ होमो फार्मेसी द्वारा दाखिल अपील के जवाब में आया है, जिसमें आयुष डॉक्टरों को गोलियों / मिश्रण के जरिए COVID -19 का इलाज निर्धारित करने से रोका गया...

कभी कोई महिला भारत की मुख्य न्यायाधीश नहीं रही, न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने से यौन हिंसा से जुड़े मामलों में अधिक संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण होगा : एजी केके वेणुगोपाल
'कभी कोई महिला भारत की मुख्य न्यायाधीश नहीं रही, न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने से यौन हिंसा से जुड़े मामलों में अधिक संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण होगा : एजी केके वेणुगोपाल

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के राखी 'जमानत आदेश के खिलाफ महिला वकीलों द्वारा दायर एसएलपी में अपने लिखित सबमिशन में कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार करने से यौन हिंसा से जुड़े मामलों में एक अधिक संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण होने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय किया जा सकता है। एजी केके वेणुगोपाल ने कहा, "उदाहरण के लिए, इस न्यायालय में केवल 2 महिला जज हैं, जबकि 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है। कभी कोई महिला भारत की मुख्य न्यायाधीश नहीं रही...

कोई भी तथ्यों को दबा नहीं सकता : सुप्रीम कोर्ट ने राजकोट COVID-19 अस्पताल में आग पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई
'कोई भी तथ्यों को दबा नहीं सकता' : सुप्रीम कोर्ट ने राजकोट COVID-19 अस्पताल में आग पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई

27 नवंबर को गुजरात के राजकोट में COVID-19 नामित एक अस्पताल में आग लगने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात सरकार की खिंचाई की, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया, जबकि यह भी कहा कि राज्य तथ्यों को दबा नहीं सकता है और उसी को सही अंदाज में सामने आना है।तदनुसार, शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को मामले को देखने का निर्देश दिया। आज की सुनवाई में, एसजी ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि...

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज ने मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज के खिलाफ  साजिश के लिए कॉल टेप की जांच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज ने मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज के खिलाफ साजिश के लिए कॉल टेप की जांच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति वी ईश्वरैया ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की एक पीठ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिसमें कथित तौर पर उनकी और आंध्र प्रदेश के एक निलंबित जिला मुंसिफ मजिस्ट्रेट के बीच एक कथित निजी फोन पर बातचीत करने की जांच के आदेश दिए गए थे। ये आरोप लगाया गया था कि फोन कॉल ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश के खिलाफ एक "गंभीर साजिश" का खुलासा किया। अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम...

विवाह द्वारा धर्मांतरण के‌‌ खिलाफ लागू यूपी अध्यादेश ने पसंद की आजादी और गरिमा को पीछे छोड़ दिया हैः जस्टिस लोकुर
विवाह द्वारा धर्मांतरण के‌‌ खिलाफ लागू यूपी अध्यादेश ने पसंद की आजादी और गरिमा को पीछे छोड़ दिया हैः जस्टिस लोकुर

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में विवाह के उद्देश्य से धार्मंतरण को आपराधिक बनाने के लिए लाए गए अध्यादेश की आलोचना की है।उन्होंने 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को "पसंद की आजादी और गर‌िमा को पीछे छोड़ने वाला बताया है।" उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, असम राज्य ऐसे ही अध्यादेशों को लागू करने की योजना बना रहे हैं। इस कानून का मकसद, जिसे आम तौर पर 'लव जिहाद' कहा जाता है, उसी पर रोक लगाना...