संपादकीय
बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर वकील ऑनलाइन पेश होने के लिए स्वतंत्र : सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर वकील वर्चुअल रूप से पेश होने के लिए स्वतंत्र हैं।सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा,"हमने बढ़ते COVID-19 मामलों पर समाचार पत्रों की रिपोर्ट देखी। वकील हाइब्रिड मोड का उपयोग कर सकते हैं। यदि आप ऑनलाइन उपस्थित होना चुनते हैं, तो हम आपको सुनेंगे। हाइब्रिड मोड चालू है और मुझे कई वकील दिखाई दे रहे हैं, जो ऑनलाइन दिखाई दे रहे हैं। इसलिए कृपया स्वतंत्र महसूस करें।"
सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne के प्रसारण पर लगा प्रतिबंध हटाया, कहा- राज्य नागरिकों के अधिकारों से इनकार करने के लिए 'राष्ट्रीय सुरक्षा' की दलील का उपयोग कर रहा है
सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम समाचार चैनल MediaOne पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रसारण प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाया।न्यायालय ने चैनल चलाने वाली कंपनी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में यह आदेश पारित किया, जिसमें सुरक्षा मंजूरी के अभाव में चैनल के प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत नहीं करने के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फैसले को बरकरार रखने के केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की खंडपीठ ने मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर चैनल...
चेक बाउंस केस में सज़ा होने पर क्या किया जाए
चेक बाउंस के केस दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। अदालतों में चेक बाउंस केस की अधिकता हो गई है। चेक बाउंस का प्रकरण परिवादी के परिवाद पर निगोशिएबल इंट्रूमेंट एक्ट,1881 की धारा 138 के अंतर्गत दर्ज करवाया जाता है। इस केस में अदालत यह उपधारणा लेकर चलती है कि अभियुक्त ने चेक किसी आर्थिक जिम्मेदारी के बदले ही दिया होगा। इस कारण चेक बाउंस के अधिकतर प्रकरणों में राजीनामा नहीं होने पर अदालत द्वारा अभियुक्त को सज़ा दे दी जाती है। चेक बाउंस के बहुत कम प्रकरण ऐसे होते है जिनमे अभियुक्त बरी किए जाते है।कितनी...
धारा 138 एनआई एक्ट | कार्यवाही केवल इसलिए अमान्य नहीं की जा सकती क्योंकि चेक राशि के साथ विविध खर्चों का दावा किया गया था: उड़ीसा हाईकोर्ट
उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत एक कार्यवाही को केवल इसलिए अमान्य नहीं किया जा सकता है क्योंकि चेक राशि की मांग के साथ-साथ नोटिस में कुछ विविध खर्चों का दावा किया गया है।सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भरोसा करते हुए जस्टिस राधा कृष्ण पटनायक की सिंगल जज बेंच ने कहा,"... केआर इंदिरा (सुप्रा) में स्थापित कानूनी स्थिति के मद्देनजर अप्रतिरोध्य निष्कर्ष यह है कि नोटिस में दोष कार्यवाही को अमान्य नहीं कर सकता है, जब मांग केवल विविध खर्चों के लिए अतिरिक्त दावे के...
'केवल नरेंद्र मोदी ही दायर कर सकते थे मानहानि का केस, शिकायत पॉलिटिकली मोटिवेटेड है': सूरत कोर्ट में राहुल गांधी ने अपनी अपील में कहा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सूरत सेशंस कोर्ट में 'मोदी सरनेम' टिप्पणी को लेकर दर्ज मानहानि केस में मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दी गई सजा और दोषसिद्धि को चुनौती दी है।अपनी अपील में उन्होंने कहा कि उनका भाषण (सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों है’) नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी और ललित मोदी के संबंध में थे, न कि पूरे मोदी समुदाय के संबंध में।ये अपील सीनियर एडवोकेट आर.एस. चीमा, एडवोकेट किरीट पानवाला और एडवोकेट तरन्नुम चीमा की एक कानूनी टीम के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि मोदियों...
रेस जुडिकाटा को लागू करने के लिए पिछले वाद को गुण-दोष के आधार पर तय किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के रेस जुडिकाटा सिद्धांतों की व्याख्या करने वाले एक उल्लेखनीय निर्णय में माना कि किसी मामले में कार्यवाही बंद करने के आदेश को गुण-दोष के आधार पर अंतिम निर्णय के रूप में नहीं माना जा सकता, जिससे बाद के मुकदमे पर रोक लगाई जा सके।तदनुसार, न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले और डिक्री रद्द कर दी, जिसने बेदखली याचिका की याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि यह न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था।जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने कहा,"किराया नियंत्रक...
किसका बच्चा है, ये पता लगाने के लिए सीधे DNA टेस्ट का आदेश नहीं दे सकते: हाईकोर्ट (वीडियो)
शख्स का असली बेटा है या नहीं, ये पता लगाने के लिए शख्स ने अपने नाबालिग बेटे का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश देने की मांग की। शख्स ने कहा कि वो अपने नाबालिग बेटे को गुजारा भत्ता नहीं देगा। वो उसकी संतान नहीं है। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागुपर बेंच ने पिता की याचिका खारिज कर दी और कहा कि किसी बच्चे का पिता कौन है, ये पता लगाने के लिए सीधे DNA टेस्ट कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। बच्चे की मानसिकता पर आघात पहुंच सकता है।वीडियो यहां देखें:
सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत दी, अगली सुनवाई 13 अप्रैल को
सूरत सेशन कोर्ट ने ‘सभी चोर मोदी सरनेम वाले क्यों होते हैं’ टिप्पणी के मानहानि मामले में राहुल गांधी को जमानत दे दी। मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।गांधी की दोषसिद्धि पर आज कोर्ट ने रोक नहीं लगाई। हालांकि, दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली राहुल गांधी की याचिका पर शिकायतकर्ता (पूर्णेश मोदी) को नोटिस जारी किया गया है। शिकायतकर्ता को 10 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है।इससे पहले आज, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी सजा को चुनौती देते हुए सूरत सत्र न्यायालय में अपील दायर...
क्रॉस एग्जामिनेशन में बचाव पक्ष के वकील का गवाह को दिया सुझाव, यदि दोषी ठहराए जाने वाला है तो आरोपी को बाध्य करेगा : सुप्रीम कोर्ट
हाल ही में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि क्रॉस एग्जामिनेशन में बचाव पक्ष के वकील द्वारा एक गवाह को दिया गया सुझाव, यदि दोषी ठहराए जाने वाला पाया जाता है, तो निश्चित रूप से अभियुक्त को बाध्य करेगा। और अभियुक्त यह कहकर बच नहीं सकता कि उसके वकील के पास अपने मुवक्किल के खिलाफ स्वीकारोक्ति की प्रकृति में सुझाव देने का कोई निहित अधिकार नहीं था।ट्रायल में इस प्रासंगिक पहलू को जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने समझाया।"कानून के बिंदु पर रियायत को छोड़कर, किसी बचाव पक्ष के...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (27 मार्च, 2023 से 31 मार्च, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।घायल गवाह के सबूतों का साक्ष्य मूल्य अधिक, उनके बयानों को हल्के में खारिज नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हत्या के दो दोषियों की अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने परीक्षण के चरण में घायल चश्मदीद गवाहों के मौखिक साक्ष्य की सराहना पर कुछ...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (27 मार्च, 2023 से 31 मार्च, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।सीआरपीसी की धारा 164 या 161 के तहत दर्ज बयान को बचाव पक्ष को क्रॉस एक्जामिनेशन का अवसर दिये बिना ठोस साक्ष्य के रूप में नहीं माना जा सकता: पटना हाईकोर्टपटना हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी को बरी करते हुए दोहराया कि यदि बचाव पक्ष को किसी ऐसे गवाह से क्रॉस एक्जामिनेशन करने के अवसर से वंचित कर दिया...
क्या उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है?
Episode 2- पिछले एपिसोड में हमने भारत में कितनी तरह की जेलें हैं? उस पर बात की थी। इस एपिसोड में हम उम्रकैद की सजा पर बात करेंगे। आम तौर पर लोगों के बीच ये धारणा है कि उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है। यानी 14 साल के बाद आरोपी जेल से छूट जाएगा। उनमें से एक ये भी है कि जेल में दिन और रात अलग-अलग गिने जाते हैं.किसी आरोपी का जुर्म तय हो जाने के बाद कोर्ट उसके गुनाहों के आधार पर सजा देता है। गुनाह जितना बड़ा होगा सजा उतनी ज्यादा होगी। इसमें कुछ साल की जेल, फांसी, उम्रकैद जैसी सजा आते हैं। फांसी की...
मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुलिस को दिया गया कबूलनामा हत्या की सजा का आधार नहीं हो सकता: हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट में हत्या से जुड़ा एक केस आया। हाईकोर्ट पति की हत्या के मामले में आरोपी पत्नी को बरी कर दिया। बरी करने के पीछ की वजह थी मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुलिस अधिकारी को दिया गया कबूलनामा। जस्टिस माइकल ज़ोथनखुमा और जस्टिस मालाश्री नंदी की डिवीजन बेंच ने ये कहते हुए महिला को बरी किया कि मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुलिस अधिकारी को दिया गया कबूलनामा हत्या की सजा के लिए आधार नहीं बन सकता है।पूरी वीडियो यहां देखें:
संभव है कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया में पुलिस ने ही हत्या की हो और झूठी कहानी बनाई हो : सुप्रीम कोर्ट ने 1989 हत्या केस में चार को बरी किया
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 1989 में हुई एक हत्या के लिए दोषी चार लोगों को बरी कर दिया। सबूतों की सराहना करने के बाद, अदालत ने ये राय बनाई कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया में हो सकता है कि खुद पुलिस ने उसकी हत्या की हो और ये झूठी कहानी बनाई हो ( पुलेन फुकन और अन्य बनाम असम राज्य)।अदालत गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने हत्या के एक मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी। इसे चुनौती देते हुए 11 में से चार ने सुप्रीम...
जानिए हाईकोर्ट ने जयपुर ब्लास्ट केस के चारों आरोपियों को क्यों किया बरी (वीडियो)
तारीख 13 मई, 2008। जगह राजस्थान का जयपुर। सिलिसलेवर 8 ब्लास्ट हुए। 71 लोगों की जानें गईं। 185 लोग घायले हुए। इसी मामले में निचली अदालत ने 4 लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी। अब राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर डिवीजन बेंच ने इन चारों आरोपियों को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने सभी सबूतों को खारिज करते हुए चारों को बरी करने का आदेश दिया।पूरी वीडियो यहां देखें:
हिंदू उत्तराधिकार | अगर बंटवारे के मुकदमे में अंतिम फैसला पारित करने से पहले कानून में संशोधन हो जाता है तो पक्षकार इसका लाभ ले सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बंटवारे के मुकदमे के लंबित रहने के दरमियान, जब तक अंतिम डिक्री पारित ना की गई हो पक्षकार संशोधित कानून का लाभ ले सकते हैं। इसी के मुताबिक, यदि पार्टियों के मामलों से संबंधित कानून में संशोधन होता है तो बंटवारे के मुकदमे में शुरुआती डिक्री और अंतिम डिक्री कार्यवाही में अंतर हो सकता है।जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने कहा कि संयुक्त संपत्ति के बंटवारे के मुकदमे में केवल कुछ पक्षों के बीच सहमति के कारण एक डिक्री टिकाऊ नहीं हो सकती है। समझौते की वैधता...
गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईसी के उस आदेश को खारिज किया, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को पीएम मोदी की डिग्री की जानकारी देने का निर्देश दिया था; दिल्ली सीएम पर 25 हजार का जुर्माना लगाया
गुजरात हाईकोर्ट ने शु्क्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को "श्री नरेंद्र दामोदर मोदी के नाम पर डिग्री के बारे में जानकारी" प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ, जस्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ ने सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से दायर अपील को इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि उसे बिना नोटिस दिए पारित कर दिया गया था।उल्लेखनीय है कि संबंधित पक्षों को विस्तार से सुनने के...
भले ही पति भिखारी हो तो भी पत्नी को गुजारा भत्ता देना उसका कानूनी दायित्वः हाईकोर्ट (वीडियो)
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में तलाक से जुड़ा एक केस आया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि भले ही पति पेशेवर भिखारी हो तो भी पत्नी को गुजारा भत्ता देना उसका नैतिक और कानूनी दायित्व है।पूरी वीडियो यहां देखें:
सरकार से सवाल करने वाले 'राष्ट्र-विरोधी' नहीं है: सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने कानून मंत्री की टिप्पणियों के बारे में कहा
भारत के केंद्रीय कानून मंत्री जबब सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को कठोर तरीके से वर्णित करते हैं तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। मंत्री के लिए "राज्य की नीतियों" पर सवाल उठाने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को "भारत विरोधी" तत्वों के रूप में लेबल करना न केवल अवधारणाओं की त्रुटिपूर्ण समझ का मामला है, बल्कि नागरिकों के लिए गंभीर चिंता का विषय भी है।मंत्री का विदाई शॉट इस गलत धारणा के आधार पर कि कुछ न्यायाधीश भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं और "कीमत चुकानी होगी", अपने लहजे में न केवल डराने वाला है बल्कि...