संपादकीय

आखिरी सुनवाई ने मिश्रित भावनाओं को जन्म दिया : सीजेआई एस ए बोबडे 47 वें मुख्य न्यायाधीश के पद से मुक्त हुए
"आखिरी सुनवाई ने मिश्रित भावनाओं को जन्म दिया" : सीजेआई एस ए बोबडे 47 वें मुख्य न्यायाधीश के पद से मुक्त हुए

"इस आखिरी सुनवाई ने मिश्रित भावनाओं को जन्म दिया है, भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सीजेआई पद की कमान न्यायमूर्ति एनवी रमना को सौंपने से पहले अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा।सीजेआई ने कहा, "इस आखिरी सुनवाई ने मिश्रित भावनाओं को जन्म दिया है। मैं पहले भी पीठ में रह चुका हूं, लेकिन ये भावनाएं इतनी मिली-जुली हैं कि मैं कुछ भी साफ तौर पर नहीं कह पा रहा हूं।" जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिसॉ वी रामासुब्रमण्यन के साथ परंपरा के तौर पर बेंच साझा करते हुए सीजेआई ने कहा।उन्होंने जारी...

 हमने उच्च न्यायालयों को कार्यवाही से नहीं रोका  : सुप्रीम कोर्ट ने COVID19 पर स्वतः संज्ञान मामले में वरिष्ठ वकीलों की आलोचना पर नाराज़गी जताई
" हमने उच्च न्यायालयों को कार्यवाही से नहीं रोका " : सुप्रीम कोर्ट ने COVID19 पर स्वतः संज्ञान मामले में वरिष्ठ वकीलों की आलोचना पर नाराज़गी जताई

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के अंतिम कार्य दिवस पर, उनकी अगुवाई वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा COVID19 संबंधित मुद्दों पर लिए गए स्वत: संज्ञान मामले के खिलाफ वरिष्ठ वकीलों द्वारा की गई आलोचना पर नाराज़गी व्यक्त की।पीठ में जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रवींद्र भट भी थे। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों से मामलों को यहां लेने का कोई इरादा नहीं था और इसलिए आलोचना निराधार है।सीजेआई बोबडे ने वरिष्ठ वकीलों द्वारा स्वत: संज्ञान मामले के खिलाफ दिए गए बयानों का जिक्र करते हुए...

नहीं चाहता कि इस मामले को एक छाया के नीचे सुना जाए : एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट  COVID-19 स्वत: संज्ञान मामले से खुद को अलग किया
"नहीं चाहता कि इस मामले को एक छाया के नीचे सुना जाए" : एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट COVID-19 स्वत: संज्ञान मामले से खुद को अलग किया

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने शुक्रवार को COVID-19 महामारी के मद्देनज़र ऑक्सीजन की आपूर्ति, दवा की आपूर्ति, वैक्सीन नीति से संबंधित मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में एमिकस क्यूरी बनने से खुद को अलग कर लिया।साल्वे ने कहा,"मैं नहीं चाहता कि इस मामले को एक छाया के नीचे सुना जाए कि मुझे सीजेआई के साथ स्कूल की दोस्ती के कारण नियुक्त किया गया था। मुझे नहीं पता था कि हमारा बार उद्योगों के लिए और इसके खिलाफ आने वाले अधिवक्ताओं के बीच विभाजित है। मैं नहीं चाहता कि ...

वह बाथरूम में गिर गया, उसका COVID -19 टेस्ट भी पॉजिटिव निकला : सिद्दीक कप्पन को दिल्ली के एम्स में ट्रांसफर के लिए याचिका
"वह बाथरूम में गिर गया, उसका COVID -19 टेस्ट भी पॉजिटिव निकला" : सिद्दीक कप्पन को दिल्ली के एम्स में ट्रांसफर के लिए याचिका

चिकित्सा आपातकाल का हवाला देते हुए, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ( केयूडब्लूजे) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) या सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग की है।अपनी याचिका में, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्लूजे) ने प्रस्तुत किया है कि 20 अप्रैल 2021 को कप्पन बाथरूम में गिर गया जिससे गंभीर चोटें आईं और बाद में उसका COVID -19 टेस्ट भी पॉजिटिव निकला। वर्तमान में वो मथुरा के एक अस्पताल में...

COVID-19: आम आदमी को भूल जाओ, अगर मैं अपने लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी ने कहा
COVID-19: 'आम आदमी को भूल जाओ, अगर मैं अपने लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा': दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी ने कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी दिल्ली में COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए अस्पतालों में बेड की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की।न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने दिल्ली के COVID-19 अस्पतालों में बेड की कमी को लेकर कहा कि, "आम आदमी को भूल जाओ, अगर मैं अपने लिए बेड के लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा।"न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने जोर देकर कहा कि लोगों की जरूरतों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र COVID बेड की आवश्यकताओं पर ध्यान देगा और बेड की...

यह सुनिश्चित करें कि दिल्ली के लिए आक्सीजन टैंकरों के परिवहन में कोई बाधा नहीं आए: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा, स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी
'यह सुनिश्चित करें कि दिल्ली के लिए आक्सीजन टैंकरों के परिवहन में कोई बाधा नहीं आए': दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा, स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यदि दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति अवरुद्ध है तो इसके लिए जिम्मेदार स्थानीय अधिकारियों को आपराधिक रूप से उत्तरदायी माना जाएगा।कोर्ट ने कहा कि,"हम निर्देश देते हैं कि गैर-अनुपालन पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।"जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की खंडपीठ रोहिणी के सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में ऑक्सीजन की तत्काल आपूर्ति की मांग की गई। सुनवाई के दौरान एक अन्य अस्पताल खंडपीठ के सामने पेश हुआ और...

वेदांता ने ऑक्सीजन उत्पादन के लिए स्टरलाइट प्लांट फिर से खोलने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी
वेदांता ने ऑक्सीजन उत्पादन के लिए स्टरलाइट प्लांट फिर से खोलने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी

कॉपर निर्माता वेदांता लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक तत्काल आवेदन दिया है, जिसमें उसने तमिलनाडु में अपने संयंत्र को फिर से खोलने की अनुमति मांगी है - जिसे पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के लिए बंद कर दिया गया है - यह कहते हुए कि वह COVID की चपेट में आए देश को चिकित्सा ऑक्सीजन के मुक्त उत्पादन में मदद करना चाहता है।वेदांता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने आज भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के समक्ष मामले का उल्लेख किया।केंद्र सरकार ने वेदांत के अनुरोध का समर्थन किया। भारत के सॉलिसिटर...

देश में COVID-19 मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः: संज्ञान लिया, कहा हाईकोर्ट मामलों को सुप्रीम कोर्ट में लिया जा सकता है
देश में COVID-19 मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः: संज्ञान लिया, कहा हाईकोर्ट मामलों को सुप्रीम कोर्ट में लिया जा सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID19 महामारी के संबंध में ऑक्सीजन की आपूर्ति, दवा की आपूर्ति, वैक्सीन नीति से संबंधित मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लिया।कोर्ट ने कहा कि भारत संघ को आज नोटिस जारी किया जाएगा और मामले पर शुक्रवार को विचार किया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को अदालत की सहायता के लिए इस मामले में एक एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में लिया जा सकता है क्योंकि विभिन्न हाईकोर्ट मुद्दों से...

भारतीय पक्षकार मध्यस्थता के लिए विदेशी सीट चुन सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
भारतीय पक्षकार मध्यस्थता के लिए विदेशी सीट चुन सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अनुबंध में शामिल पक्ष में जो भारतीय नागरिक हैं या भारत में निगमित कंपनियां हैं, भारत के बाहर मध्यस्थता के लिए एक सीट चुन सकते हैं।न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के भारतीय नागरिक होने पर भी भारत के बाहर मध्यस्थता की सीट निर्धारित करने में पक्षकारों की स्वायत्तता के रास्ते में कुछ नहीं खड़ा है।पीठ पीएएसएल विंड सॉल्यूशंस लिमिटेड लिमिटेड बनाम जीई पावर कंवर्जन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मामले में इस सवाल पर विचार कर रही थी कि क्या...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
पक्षकारों की सहमति के बावजूद हाईकोर्ट जमानत देने या इनकार करने के कारण देने के कर्तव्य से बच नहीं सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पक्षकारों की सहमति के बावजूद उच्च न्यायालय उन कारणों को दर्शाने के कर्तव्य से बच नहीं सकते जिन कारणों से या तो जमानत दी है या जमानत देने से इंकार किया है।जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि जमानत देने वाली अदालत न्यायिक विवेक लगाने और कारणों को दर्ज करने के लिए अपने कर्तव्य का पालन करने से बच नहीं सकती, भले ही ये संक्षिप्त हो सकता है, यह तय करने के उद्देश्य से कि वह जमानत देना चाहती है या नहीं।अदालत ने गुजरात हाईकोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया की...

उच्च न्यायालय संकट की स्थिति में हैं  : सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के लिए समय- सीमा तैयार की
"उच्च न्यायालय संकट की स्थिति में हैं " : सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के लिए समय- सीमा तैयार की

उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की बढ़ते रिक्तियों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा नामों को मंज़ूरी देने के तुरंत बाद केंद्र सरकार को नियुक्तियां करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।यदि सरकार को कॉलेजियम की सिफारिशों पर कोई आपत्ति है, तो उसे आपत्ति के विशिष्ट कारणों के साथ नामों को वापस भेजना चाहिए। एक बार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने नामों को दोहराया है, तो केंद्र को इस तरह की पुन : प्रक्रिया के 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति करनी...

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को आपराधिक प्रणाली के लिए मसौदा नियमों को 6 महीने में अपनाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को आपराधिक प्रणाली के लिए मसौदा नियमों को 6 महीने में अपनाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उच्च न्यायालयों को आपराधिक प्रैक्टिस के लिए एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत, सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता के परमेश्वर द्वारा तैयार मसौदा नियमों को 6 महीने की अवधि के भीतर अपनाने का निर्देश दिया।सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि उक्त मसौदा नियमों को अपनाने के लिए उच्च न्यायालय त्वरित कदम उठाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि मौजूदा नियमों को 6 महीने के भीतर संशोधित किया जाए।न्यायालय ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 6 महीने की अवधि के भीतर पुलिस नियमों में परिणामी संशोधन करने...

सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के चलते पांच शहरों में लॉकडाउन के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के चलते पांच शहरों में लॉकडाउन के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को COVID19 महामारी को देखते हुए प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर के पांच शहरों में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का निर्देश दिया था।भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद फैसले के संचालन पर रोक लगा दी। सॉलिसिटर जनरल ने आज सुबह सीजेआई के समक्ष याचिका का उल्लेख किया और आज ही इस मामले की सुनवाई के लिए अनुरोध किया। इस...

एडहॉक जजों की नियुक्तियां नियमित नियुक्तियों का विकल्प नहीं  : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 224 ए के तहत दिशानिर्देश जारी किए
"एडहॉक जजों की नियुक्तियां नियमित नियुक्तियों का विकल्प नहीं " : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 224 ए के तहत दिशानिर्देश जारी किए

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 224 ए के तहत उच्च न्यायालय में एडहॉक जजों की नियुक्ति के बारे में दिशानिर्देश जारी किएं।भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने आदेशों को लोक प्रहरी बनाम भारत संघ में पारित किया। लोक प्रहरी, एक गैर सरकारी संगठन, ने अनुच्छेद 324 के तहत दायर जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालयों में बढ़ते लंबित मामलों की समस्या से निपटने के लिए दायर जनहित याचिका के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया...

सुप्रीम कोर्ट ने अमेज़न -फ्यूचर मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में आगे की कार्यवाही पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने अमेज़न -फ्यूचर मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में आगे की कार्यवाही पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अमेज़न -फ्यूचर-रिलायंस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश और डिवीजन बेंच के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हृषिकेश रॉय की एक बेंच ने अमेज़न डॉट कॉम, एनवी इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में आदेश पारित किया।अमेज़न ने दिल्ली उच्च न्यायालय की एकपीठ द्वारा पारित 22 मार्च के उस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी जिसने रिलायंस-फ्यूचर डील को लेकर...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
'जब पक्षकार आपसी समझौते से मध्यस्थता का स्थान ' बदल देते हैं, तो नया स्थान ' मध्यस्थता की सीट' बन जाएगा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब पक्षकार आपसी समझौते से मध्यस्थता के स्थान / जगह 'को बदल देते हैं, तो नया स्थान / जगह ' मध्यस्थता की सीट' बन जाएगा।इसलिए, मध्यस्थता के बदले हुए स्थान / जगह स्थित न्यायालयों का मध्यस्थता की कार्यवाही पर अधिकार क्षेत्र होगा।जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने मैसर्स आईनॉक्स रिन्यूएबल्स लिमिटेड बनाम जयेश इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। पीठ ने बीजीएस एसजीएस सोमा जेवी बनाम एनएचपीसी लिमिटेड के फैसले का पालन किया, जिसने...

एक अपील दायर करने का निर्णय लेने से पहले मामलों की उचित रूप से जांच करें, जब कोई त्रुटि न हो तो अपील दायर करने से बचें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा
एक अपील दायर करने का निर्णय लेने से पहले मामलों की उचित रूप से जांच करें, जब कोई त्रुटि न हो तो अपील दायर करने से बचें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को यह निर्देश दिया कि अपील दायर करने का निर्णय लेने से पहले मामलों की उचित जांच करें। "अन्यथा, यह न्यायालयों के साथ-साथ सरकारी अधिवक्ता के कार्यालय पर एक अनावश्यक बोझ का कारण बनता है", अदालत ने आगे जोड़ते हुए कहा। एक मामले से निपटते हुए, जिसमें दिए गए आदेश में कोई त्रुटि नहीं पाते हुए (जो अपील दायर करने के फैसले को सही ठहरा सके), न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने निर्देश दिया "राज्य...