हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

19 April 2021 4:11 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    12 अप्रैल 2021 से 16 अप्रैल 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    इस आधार पर महिलाओं को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता कि यह रात का काम है': केरल हाईकोर्ट ने 'केवल पुरुष ही आवेदन कर सकते हैं' वाली शर्त रद्द की

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला जो पूरी तरह से योग्य है, उसे इस आधार पर रोजगार के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह एक महिला है और क्योंकि नौकरी की प्रकृति के अनुसार रात के समय काम करना पड़ेगा। न्यायमूर्ति अनु शिवरामन ने कहा कि महिला का नौकरी हेतु योग्य होने के सिवा नौकरी के महिला के अधिकार के लिए दूसरा कोई सुरक्षात्मक प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड द्वारा नौकरी के लिए जारी अधिसूचना को पलटा, जिसमें केवल पुरुष उम्मीदवारों को पद के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

    केस: ट्रेजा जोसफीन बनाम केरल राज्य [WP (C) .No.25092 of 2020]

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    केरल हाईकोर्ट ने केरल पुलिस के प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ एफआईआर रद्द की

    केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केरल पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर को रद्द किया। दरअसल, केरल पुलिस क्राइम ब्रांच ने राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और अन्य राज्य को पदाधिकारियों के खिलाफ सोने की तस्करी के मामले में आरोपियों गलत बयान देने के लिए ज़बरदस्ती करने के आरोप में दो एफआईआर दर्ज की थी। कोर्ट ने कहा कि मामले में एफआईआर के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 195 (1) (बी) के तहत बार को आकर्षित किया गया। सीआरपीसी की धारा 195 (1) (बी) के अनुसार अदालत के समक्ष विचाराधीन किसी मामले में साक्ष्य के निर्माण से संबंधित एक अपराध का संज्ञान उस न्यायालय द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर ही लिया जा सकता है।

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    स्वास्थ्य का अधिकार उन लोगों द्वारा बाधित नहीं किया जा सकता है जो मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने के इच्छुक नहीं हैंः कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार भारत के संविधान के आर्टिकल 21 का एक अभिन्न अंग है। कोर्ट ने कहा कि, ''एक स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार उन व्यक्तियों द्वारा बाधित नहीं किया जा सकता है जो मास्क पहनने,सोशल डिस्टेंसिग और भीड़ एकत्रित न करने आदि के नियमों का पालन करने की चिंता नहीं करते हैं।'' मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की खंडपीठ ने गुरुवार को स्पष्ट किया "मास्क न पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन न करना धारा 5 की उपधारा 1 (कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम) के तहत एक अपराध है,जो रैली के आयोजकों/नेताओं पर ही नहीं बल्कि प्रत्येक उस व्यक्ति पर भी लागू होता है जो उस रैली में भाग लेते हैं और मास्क न पहनने व सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन नहीं करते हैं। इसके अलावा, कोई भी व्यक्ति जो किसी अपराध को अबेट करता है, उक्त अधिनियम की धारा 8 में दिए गए अनुसार वह भी अपराध कर रहा है।''

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    राज्य सरकार ने COVID-19 पर वास्तविक संख्या का पॉजीटिव मामलों के साथ मिलान नहीं किया: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर गुजरात सरकार ने पूर्व में कदम उठाए होते तो COVID-19 महामारी की वर्तमान गंभीर स्थिति से बचा जा सकता था। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ ने अधिवक्ता जनरल कमल त्रिवेदी से कहा, "अगर राज्य सरकार ने कदम उठाए होते, लेकिन अगर यह एक धक्का है और अगर यह सब पहले किया होता, तो पीआईएल दर्ज होने से पहले, स्थिति बेहतर होगी। मगर नहीं, राज्य तो सो रहा था।" जबकि एजी ने कहा कि राज्य पर्याप्त रूप से तैयार है।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के दौरान हेड कांस्टेबल पर बंदूक तानने के आरोपी शाहरुख पठान की जमानत याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश कैत की एकल न्यायाधीश पीठ ने दिल्ली दंगों के आरोपी शाहरुख पठान खान की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। शाहरुख पर दिल्ली दंगों के मामले में जाफराबाद में दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल पर गोलीबारी करने का आरोप हैं। पुलिस द्वारा सबूत के तौर पर पेश किए गए वीडियो फुटेज पर भरोसा करते हुए अदालत ने कहा, "इस अदालत के सामने रखे गए वीडियो क्लिपिंग और तस्वीरों ने इस कोर्ट की अंतरात्मा को हिला दिया है कि याचिकाकर्ता कानून और व्यवस्था को अपने हाथों में कैसे ले सकता है।"

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    शाहरुख पठान उर्फ खान बनाम दिल्ली राज्य के एनसीटी (जमानत एप्लिकेश 664/2021)]

    'केवल इस आधार पर पूरे परिवार को हत्या के गंभीर अपराध के लिए कलंकित नहीं किया जा सकता कि शादी के दो महीने के भीतर वैवाहिक घर में पत्नी की मौत हो गई': बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में मृत पत्नी के पति और ससुराल वालों को बरी किया। इस मामले में कोर्ट ने देखा कि शादी के दो महीने के भीतर पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। यह देखते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर पूरे परिवार (ससुराल वालों) को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हत्या के गंभीर अपराध के लिए कलंकित नहीं किया जा सकता कि शादी के दो महीने के भीतर वैवाहिक घर में पत्नी की मृत्यु हो गई।

    शीर्षक: सचिन रामचंद्र टेके बनाम महाराष्ट्र राज्य

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    बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को COVID19 का टीका लगाने पर विचार करेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    COVID19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर लिए गए स्वतः संज्ञान के एक मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और इंडियन काउंसिल फाॅर मेडिकल रिसर्च को निर्देश दिया है कि वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले और बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों को COVID19 का टीका लगाने पर विचार करें। कोर्ट ने कहा कि, ''केंद्र सरकार और इंडियन काउंसिल फाॅर मेडिकल रिसर्च को उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले और हाई स्कूल व इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को टीकाकरण का लाभ देने पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि युवा पीढ़ी की आबादी में बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल रहा है। यदि बोर्ड और अन्य परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय ऑफलाइन परीक्षा लेने पर विचार रहे हैं तो सरकार को ऐसे छात्रों को टीकाकरण का लाभ देने के लिए व्यवहार्यता पर विचार करना चाहिए।''

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    अगर कोई राज्य अच्छा नहीं कर पाता है तो क्या केंद्र उसमें दखल दे सकता है? गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में COVID-19 की स्थिति को लेकर पूछा

    गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में COVID-19 स्थिति को गुजरात सरकार के संभालने के तरीके के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को ने कहा कि "सरकार जो दावा करती है, स्थिति उसके विपरीत है।" मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की खंडपीठ ने COVID-19 नियंत्रण के संबंध में राज्य द्वारा आगे उठाए गए कदमों पर महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से एक हलफनामा मांगा है। हलफनामे में राज्य में गंभीर महामारी की स्थिति के बारे में समाचार रिपोर्टों की सटीकता को विवादित करने वाले महाधिवक्ता के रिकॉर्ड को भी प्रस्तुत किया गया था, जिसने हाईकोर्ट को इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए प्रेरित किया था।

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    "दिन में सपना देखने जैसा:" हरियाणा एंड पंजाब हाईकोर्ट ने एक महिला वकील की वादा करके शादी न करने को लेकर प्रिंस हैरी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील द्वारा दायर यूनाइटेड किंगडम के राजकुमार चार्ल्स मिडलटन के बेटे प्रिंस हैरी मिडलटन के खिलाफ शादी का वादा करके शादी न करने को लेकर कार्रवाई करने और यूनाइटेड किंगडम पुलिस सेल को उसके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि उक्त वादा पूरा नहीं किया गया है। यह भी प्रार्थना की जाती है कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए ताकि उनकी शादी में और देरी न हो।

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    'पुलिसकर्मियों को जेल सुपरिटेंडेंट के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता': उत्तराखंड हाईकोर्ट

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कैदियों के अधिकार से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि पुलिस कर्मियों को जेल सुपरिटेंडेंट के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एक खंडपीठ ने कहा कि हम कैदियों के सुधार और पुनर्वास के युग में आ गए हैं। आगे कहा कि पुलिस का उद्देश्य जेल अधीक्षकों से बहुत अलग है और स्वाभाव के रूप में, उनके प्रशिक्षण और मानस अलग-अलग हैं। इसलिए पुलिस कर्मी जेल अधीक्षक के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

    केस का शीर्षक: संजीव कुमार आकाश बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य।

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    मुस्लिम महिलाओं को विवाह को समाप्त करने के अतिरिक्त न्यायिक तरीकों का सहारा लेने का अधिकार, केरल हाईकोर्ट ने 49 साल पुराने फैसले को रद्द किया

    49 साल पुराने एक फैसले, जिसके तहत मुस्लिम महिलाओं को विवाह को समाप्त करने के अतिरिक्त न्यायिक तरीकों का सहारा लेने से रोक दिया गया था, केरल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और इन तरीकों की वैधता को बरकरार रखा। यह पाते हुए कि शासी कानून, द डिसॉल्विंग ऑफ मुस्लिम मैरिजेज एक्ट, पर्सनल लॉ के तहत महिलाओं को उपलब्ध अतिरिक्त न्यायिक तलाक के तरीकों को अनकिया करने पर विचार नहीं किया, जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक़ और सीएस डायस की पीठ ने कहा, "शरीयत एक्‍ट की धारा 2 में उल्लिखित अतिरिक्त न्यायिक तलाक के अन्य सभी प्रकार इस प्रकार मुस्लिम महिलाओं के लिए उपलब्ध हैं। इसलिए, हम मानते हैं कि केसी मोइन के मामले (सुप्रा) में घोषित कानून अच्छा कानून नहीं है।"

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    पुलिस अधिकारियों से ऐसे मामलों में संवेदनशील होने की उम्मीद की जाती है जहां बोलने की और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दांव पर है': बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने कहा कि पुलिस अधिकारियों से ऐसे मामलों में काफी संवेदनशील होने की उम्मीद की जाती है जहां बोलने की और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दांव पर है। दरअसल कोर्ट ने रॉक लाइव प्रदर्शन करने वाला बैंड 'दस्तान लाइव' के सदस्यों द्वारा 'ओम' शब्द का उपयोग करने और इसे 'उल्लू का पट्ठा' जैसे वाक्यांशों के साथ जोड़ने और कथित तौर पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के खिलाफ गोवा पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295A के तहत दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए ये टिप्पणी की।

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    दिल्ली के दंगे- दिल्ली हाईकोर्ट ने मर्डर के चश्मदीद गवाह की गवाही के संदेहजनक होने पर मर्डर और षडयंत्र के दो आरोपियों को जमानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगे के दौरान हुई एक घटना के चश्मादीद गवाहों की गवाही को संदेहजनक पाते हुए प्रदीप राय और अमन कश्यप को दंगों के मामले में हत्या और साजिश के मुकदमे का सामना करने वाले दोनों व्यक्तियों को जमानत दे दी। यह घटना उसके घर से दूर स्थित एक जगह पर हुई थी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की एकल पीठ ने कहा: "इस न्यायालय की प्रथम दृष्टया राय में यह संभव है कि चश्मदीद गवाह, जो वर्तमान मामले में गली नंबर 8 का निवासी है, हो सकता है कि वह घटना गली नंबर 10 में घटित हुई हो, जो उसकी जगह के करीब हो। लेकिन वह वर्तमान घटना को कैसे देख सकता था, जो कि गली नंबर 3 में हुई है और गली नंबर 10 और गली नंबर 8 से दूर है, यह संदिग्धजनक है। "

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