संपादकीय

राजनीतिक दलों को अपने चयनित उम्मीदवारों के आपराधिक पृष्ठभूमि को उनके चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित करना होगा: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए
'राजनीतिक दलों को अपने चयनित उम्मीदवारों के आपराधिक पृष्ठभूमि को उनके चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित करना होगा': सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजनीति को अपराध मुक्त करने के उद्देश्य से निर्देश दिया कि राजनीतिक दलों को अपने चयनित उम्मीदवारों के आपराधिक पृष्ठभूमि को उनके चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित करना होगा।जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने इस संबंध में अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले को संशोधित किया।कोर्ट ने फरवरी 2020 के फैसले के पैराग्राफ 4.4 में आदेश दिया था कि विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, प्रकाशित...

विशेष विवाह अधिनियम के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शादी पंजीकृत हो सकती है : सुप्रीम कोर्ट
विशेष विवाह अधिनियम के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शादी पंजीकृत हो सकती है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा राज्य द्वारा दायर उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह प्रमाण पत्र देने के आदेश को चुनौती दी गई थी, क्योंकि पत्नी यात्रा संबंधी प्रतिबंध के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत की यात्रा करने में असमर्थ थी।न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने मौखिक रूप से कहा, "कानून को प्रौद्योगिकी के साथ आगे बढ़ना है।"पीठ ने मौखिक रूप से...

पेंडेंसी कॉलेजियम की मंजूरी के बाद वर्षों तक हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति नहीं करने के केंद्र के अड़ियल रवैये का सीधा परिणाम: सुप्रीम कोर्ट
पेंडेंसी कॉलेजियम की मंजूरी के बाद वर्षों तक हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति नहीं करने के केंद्र के 'अड़ियल रवैये' का सीधा परिणाम: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने केंद्र से अपने अप्रैल 2021 के आदेश में न्यायिक नियुक्तियों के लिए निर्धारित समय-सीमा का पालन करने का आग्रह किया।देश भर के हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की बढ़ती रिक्तियों को भरने में केंद्र सरकार की ओर से हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर नाराजगी व्यक्त की है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 अगस्त) को पारित एक आदेश में, कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिशों को मंजूरी देने के वर्षों बाद भी हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करने में सरकार के "अड़ियल रवैये" के कारण मामलों के...

रेस ज्यूडिकाटा सीपीसी के आदेश VII नियम 11 (डी) के तहत एक वाद को खारिज करने का आधार नहीं है: सुप्रीम कोर्ट
रेस ज्यूडिकाटा सीपीसी के आदेश VII नियम 11 (डी) के तहत एक वाद को खारिज करने का आधार नहीं है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेस ज्यूडिकाटा नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश VII नियम 11 (डी) के तहत वाद को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता है।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा, "चूंकि रेस ज्यूडिकाटा की याचिका के निर्णय के लिए 'पिछले मुकदमे' में दलीलों, मुद्दों और निर्णय पर विचार करने की आवश्यकता होती है, इस तरह की याचिका आदेश 7 नियम 11 (डी) के दायरे से बाहर होगी, जहां केवल वाद में बयान पर विचार करना होगा।"वादी द्वारा दायर मुकदमे में, प्रतिवादी ने सीपीसी के...

सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच पर रोक लगाने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच पर रोक लगाने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन को झटका देते हुए प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत इनकी कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच पर रोक लगाने से इनकार किया।भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेशों में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा उनके कथित प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों की प्रारंभिक जांच के आदेश में हस्तक्षेप करने...

सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर राज्य बोर्डों को परीक्षा शुल्क वापस करने का निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर राज्य बोर्डों को परीक्षा शुल्क वापस करने का निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के कारण कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर राज्य बोर्डों को छात्रों से एकत्र परीक्षा शुल्क वापस करने की मांग करने वाली याचिका पर निर्देश देने से इनकार कर दिया।न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह मुद्दा विचार करने लायक नहीं है।पीठ ने प्रारंभिक कार्य के लिए खर्च की गई राशि को वापस करने में असमर्थता के बारे में राज्य बोर्डों द्वारा उठाए गए स्टैंड और परीक्षा आयोजित करने के लिए अंतिम समय में रद्द की...

सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई, सीआईएससीई ने इम्प्रूवमेंट, कंपार्टमेंट, प्राइवेट, पत्राचार परीक्षाओं के कार्यक्रम के बारे में सूचित किया; सितंबर अंत तक रिजल्ट घोषित किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई, सीआईएससीई ने इम्प्रूवमेंट, कंपार्टमेंट, प्राइवेट, पत्राचार परीक्षाओं के कार्यक्रम के बारे में सूचित किया; सितंबर अंत तक रिजल्ट घोषित किया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) और काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) ने इम्प्रूवमेंट, कंपार्टमेंट, प्राइवेट और पत्राचार परीक्षाओं के शेड्यूल के बारे में सूचित कर दिया है।I.C.S.E के हलफनामे में कार्यक्रम इस प्रकार है: -इम्प्रूवमेंट परीक्षा के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम का पालन किया जाएगा:04.08.2021: अभ्यर्थियों को 4 अगस्त, 2021 तक बोर्ड के साथ इम्प्रूवमेंट परीक्षाओं के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा।5/6.08.2021: प्रतिवादी संख्या तीन बोर्ड 5 या 6 अगस्त,...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
क्या दूसरी शादी के बच्चे पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी के हकदार हैं?: सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी किया जिसमें यह मुद्दे को उठाया गया कि क्या दूसरी शादी के बच्चे पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी के हकदार हैं?याचिकाकर्ता ने इस मामले में उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि बच्चों को अपनी दादी की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा क्योंकि वे 'दूसरी पत्नी' से पैदा हुए हैं।जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की पीठ ने नोटिस जारी किया और यह भी देखा कि पैतृक संपत्ति में दूसरी...

मेडिकल लापरवाही के मामलों में मंशा के तौर पर आपराधिक मनोस्थिति की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
मेडिकल लापरवाही के मामलों में मंशा के तौर पर आपराधिक मनोस्थिति की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल लापरवाही के मामलों में मंशा के तौर पर आपराधिक मनोस्थिति (मेन्स रिया) की आवश्यकता नहीं होती है।न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि एक आपराधिक चिकित्सा लापरवाही की शिकायत में आरोपी को तलब करने से पहले, शिकायतकर्ता को शिकायत में रखे गये अपने बिंदुओं के समर्थन में चिकित्सकीय साक्ष्य पेश करना होगा या एक पेशेवर डॉक्टर से पूछताछ करनी होगी।इस मामले में शिकायतकर्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 316/34 के तहत चिकित्सकीय लापरवाही की...

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग: 10 अजन्मे बालक के फायदे के लिए संपत्ति का अंतरण और शाश्वतता के विरुद्ध संपत्ति का अंतरण
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग: 10 अजन्मे बालक के फायदे के लिए संपत्ति का अंतरण और शाश्वतता के विरुद्ध संपत्ति का अंतरण

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 अजन्मे बालक के लाभ के लिए किए जाने वाले अंतरण पर भी प्रतिबंध लगाता है तथा संपत्ति में शाश्वतता के विरुद्ध नियम पर भी प्रतिबंध लगाती है। इससे संबंधित संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 13 और धारा 14 में स्पष्ट उल्लेख किए गए हैं। पिछले आलेख में धारा 10, 11 और 12 से संबंधित ऐसी शर्तों पर अंतरण के संबंध में उल्लेख किया गया था जिनको शून्य करार दिया गया है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 13 और धारा 14 से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा रही है।इस अधिनियम में वर्णित सिद्धान्त ऐसे...

मोटर दुर्घटना मुआवजा : प्रणय सेठी निर्णय अधिक लाभ प्रदान करने वाले क़ानून के संचालन को सीमित नहीं करता: सुप्रीम कोर्ट
मोटर दुर्घटना मुआवजा : 'प्रणय सेठी' निर्णय अधिक लाभ प्रदान करने वाले क़ानून के संचालन को सीमित नहीं करता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'प्रणय सेठी' मामले में दिया गया निर्णय मोटर दुर्घटना मुआवजे के मामले में अधिक लाभ देने वाले वैधानिक प्रावधान के संचालन को सीमित नहीं करता है।न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि यदि एक वैधानिक प्रपत्र ने एक सूत्र तैयार किया है जो बेहतर या अधिक लाभ प्रदान करता है, तो ऐसे वैधानिक प्रपत्र को तब तक संचालित करने की अनुमति दी जानी चाहिए जब तक कि वैधानिक साधन अन्यथा अमान्य नहीं पाया जाता है।कोर्ट ने दुर्घटना के कारण जयराम शुक्ल की मौत मामले में...

ट्रेन लेट होने के कारण फ्लाइट छूटीः सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा कि क्या रेलवे को यात्रियों को मुआवजा देना चाहिए?
ट्रेन लेट होने के कारण फ्लाइट छूटीः सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा कि क्या रेलवे को यात्रियों को मुआवजा देना चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूनियन ऑफ इंडिया की तरफ से दायर उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें भारतीय रेलवे को ''लापरवाही और सेवा में कमी'' के लिए 40,000 रुपये का मुआवजा देने के आदेश को चुनौती दी गई है। राशि का भुगतान उन व्यक्तियों को किया जाना है,जिनको गंतव्य पर पहुंचने में 6 घंटे की देरी हो गई थी और इस कारण से उनकी फ्लाइट छूट गई।रेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें जिला फोरम द्वारा दिए गए मुआवजे को बरकरार रखा गया है। यह निर्णय इस आधार पर...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
अनुच्छेद 136: एसएलपी में पहली बार कानून का विशुद्ध प्रश्न उठाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपील में पहली बार उठाए गए नए आधारों पर विचार कर सकता है यदि इसमें कानून का कोई प्रश्न शामिल है जिसमें अतिरिक्त सबूत जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कहा कि नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश XLI नियम 22 के सिद्धांत 'पीड़ित पक्ष' के अलावा अन्य पक्ष को उनके खिलाफ किसी भी प्रतिकूल निष्कर्ष को उठाने के लिए न्याय का कारण प्रदान करता है, यह कोर्ट सीपीसी के आदेश XLI नियम 22...

राज्य की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं कर सकते, सुरक्षा देनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में कहा
'राज्य की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं कर सकते, सुरक्षा देनी चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में कहा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि धनबाद के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की हाल ही में हुई हत्या के मामले में राज्य की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।सीजेआई एनवी रमाना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने कहा कि धनबाद एक माफिया क्षेत्र है, जहां कई अधिवक्ताओं की हत्या की गई है और पूर्व में कई न्यायाधीशों पर हमला किया गया है। इस बात से अच्छी तरह वाकिफ होने के कारण राज्य को न्यायिक अधिकारी को कम से कम उनकी कॉलोनियों के आसपास कुछ सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।बेंच ने टिप्पणी...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सीपीसी धारा 25 की स्थानांतरण याचिका में अदालत के 'क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार' के सवाल पर जाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 25 के तहत एक स्थानांतरण याचिका में अदालत के 'क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार' के सवाल पर जाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने एक स्थानांतरण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जिस न्यायालय में मुकदमा लंबित है, उसके समक्ष इस बिंदु पर आग्रह किया जाना आवश्यक है।इस मामले में, याचिकाकर्ता जिला न्यायाधीश, शाहदरा, कड़कड़डूमा कोर्ट, नई दिल्ली की अदालत में ट्रेड मार्क और कॉपीराइट के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एक मुकदमे में प्रतिवादी है।...

न्यायाधीशों को डराने के लिए बड़ी बड़ी फाइलों में केस दायर किया, इतना वॉल्यूम ले जाने के लिए हमें लॉरी लगानी होगी : सीजेआई ने नाराज़गी व्यक्त की
न्यायाधीशों को डराने के लिए बड़ी बड़ी फाइलों में केस दायर किया, इतना वॉल्यूम ले जाने के लिए हमें लॉरी लगानी होगी : सीजेआई ने नाराज़गी व्यक्त की

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकारों द्वारा दायर की जा रही अत्यधिक विशाल फाइलों में दायर की गई याचिकाओं पर नाराजगी व्यक्त की।चीफ जस्टिस ने आश्चर्य जताया कि क्या इस तरह की भारी भरकम फाइलिंग का उद्देश्य न्यायाधीशों को पूरी याचिकाओं को पढ़ने से "डराने" के उद्देश्य के लिए है।ट्राई के टैरिफ ऑर्डर से जुड़े मामले में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन की ओर से दायर एक याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की गई। CJI ने टिप्पणी की कि याचिकाओं के 51...

सीबीआई ने कुछ नहीं किया, हमें इसके रवैये में बदलाव की उम्मीद थी : सुप्रीम कोर्ट ने जजों की शिकायतों पर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर नाराजगी जताई
"सीबीआई ने कुछ नहीं किया, हमें इसके रवैये में बदलाव की उम्मीद थी" : सुप्रीम कोर्ट ने जजों की शिकायतों पर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट ने जजों को धमकी देने की शिकायतों पर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो और खुफिया ब्यूरो पर नाराजगी जताई।भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सीबीआई के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,"सीबीआई ने कुछ नहीं किया और इसके रवैये में अपेक्षित बदलाव नहीं हुआ है।"मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी तब आई जब पीठ पिछले सप्ताह झारखंड के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मामले के मद्देनजर न्यायाधीशों और अदालतों की सुरक्षा के मुद्दे...