संपादकीय

सुप्रीम कोर्ट में बच्चों के लिए COVID-19 वैक्सीनेशन को चुनौती, प्रतिकूल प्रभावों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में बच्चों के लिए COVID-19 वैक्सीनेशन को चुनौती, प्रतिकूल प्रभावों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका दायर

केंद्र सरकार द्वारा बच्चों के टीकाकरण के रोलआउट की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में भारत सरकार के 4 जनवरी 2022 के निर्देश को रद्द करने की मांग की गई है जिसमें 15-18 आयु वर्ग के बच्चों को महत्वपूर्ण देखभाल संस्थानों में COVID-19 टीकाकरण को अनिवार्य किया गया है।इसके साथ ही याचिका में वैक्सीनेशन के बाद बच्चों में इसके प्रतिकूल प्रभावों की विशेषज्ञ जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता पांच व्यक्ति हैं। कहा कि उन्होंने COVID टीकाकरण...

सुप्रीम कोर्ट ने दसवीं कक्षा के मूल्यांकन में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली छात्रों की याचिका पर सीबीएसई स्कूल को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने दसवीं कक्षा के मूल्यांकन में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली छात्रों की याचिका पर सीबीएसई स्कूल को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने दसवीं कक्षा के मूल्यांकन में सेंट जेवियर इंटरनेशनल स्कूल पर गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए दसवीं कक्षा के उत्तीर्ण छात्रों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सीबीएसई को नोटिस जारी किया।जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की बेंच ने 14 फरवरी, 2022 को नोटिस जारी करते हुए अपने आदेश में कहा,"नोटिस जारी किया जाता है। याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि इस अदालत द्वारा दी गई स्वतंत्रता के संदर्भ में, याचिका की एक प्रति प्रतिवादियों को दी गई है। प्रतिवादी के लिए कोई भी...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने इसरो की वाणिज्यिक शाखा आर्म एंट्रिक्स की याचिका पर देवास मल्टीमीडिया को बंद करने की अनुमति के खिलाफ अपील खारिज की

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को देवास मल्टीमीडिया (Devas Multimedia) की अपील को खारिज किया, जिसमें एनसीएलटी और एनसीएलएटी द्वारा इसरो की वाणिज्यिक शाखा आर्म एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर कंपनी को बंद करने की अनुमति देने वाले आदेशों को चुनौती दी गई थी।न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने देवास मल्टीमीडिया और उसके शेयरधारक देवास कर्मचारी मॉरीशस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर अपील को खारिज किया।19 जनवरी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल,...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
क्या देरी के आधार पर रिट खारिज करना पक्षकर के लिए इसी तरह के विवाद से संबंधित अन्य याचिका दायर करने के आड़े आ सकता है ? सुप्रीम कोर्ट विचार करने को तैयार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस बात पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की है कि क्या देरी के आधार पर रिट को खारिज करना एक पक्ष के लिए इसी तरह के विवाद से संबंधित एक अन्य याचिका दायर करने के आड़े आ सकता है।न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए एसएलपी में नोटिस जारी करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता की पिछली याचिका में निर्णय अंतिम हो गया था, यह तथ्य याचिकाकर्ता के रास्ते में नहीं आएगा क्योंकि वह याचिका केवल देरी के आधार पर खारिज कर दी गई...

किसी भी व्यक्ति को इच्छा के विरूद्ध वैक्सीनेशन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता; किसी भी उद्देश्य के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट को अनिवार्य नहीं बनाया : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
'किसी भी व्यक्ति को इच्छा के विरूद्ध वैक्सीनेशन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता; किसी भी उद्देश्य के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट को अनिवार्य नहीं बनाया' : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्पष्ट कर दिया है कि COVID-19 वैक्सीनेशन कोई जनादेश नहीं है और वैक्सीनेशन अनिवार्य नहीं है।दिव्यांग व्यक्तियों के लिए वैक्सीनेशन तक पहुंच में आसानी की मांग वाली एक याचिका का जवाब देते हुए, केंद्र सरकार ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया है कि उसके दिशानिर्देश संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना किसी भी जबरन वैक्सीनेशन की परिकल्पना नहीं करते हैं।इस बात पर जोर देते हुए कि कोविड -19 वैक्सीनेशन व्यापक जनहित में है और विभिन्न प्रिंट और...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
अगर सह-आरोपियों बरी हो गए हैं, 'गैरकानूनी रूप से जमा भीड़ के सदस्यों की संख्या 5 से कम हुई, मामले में अज्ञात आरोपी नहीं है तो आईपीसी की धारा 149 की मदद से दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर सह-आरोपियों को बरी कर दिया गया है, कथित गैरकानूनी रूप से जमा भीड़ की सदस्यता 5 से कम है और मामले में कोई अज्ञात आरोपी नहीं है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 149 (गैरकानूनी रूप से जमा भीड़ की सदस्यता का अपराध) की सहायता से दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है।न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एएस ओक की पीठ 25 जून, 2018 के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक आपराधिक अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 325 आर/डब्ल्यू धारा 149 के तहत अपीलकर्ताओं की...

मामले की सामग्री के पहलुओं पर विचार किए बिना दिया गया गुप्त और सामान्य जमानत आदेश रद्द करने योग्य : सुप्रीम कोर्ट
मामले की सामग्री के पहलुओं पर विचार किए बिना दिया गया गुप्त और सामान्य जमानत आदेश रद्द करने योग्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मामले की सामग्री के पहलुओं पर विचार किए बिना एक गुप्त और सामान्य आदेश द्वारा जमानत नहीं दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि भले ही जमानत देने के बाद कोई नई परिस्थिति विकसित नहीं हुई हो, राज्य जमानत रद्द करने की मांग करने का हकदार है, अगर उन सामग्री पहलुओं की अनदेखी की गई है जो आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या मामला स्थापित करते हैं।न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील की अनुमति दी...

अदालत द्वारा नाबालिग बच्चे की कस्टडी देते समय माता- पिता को विदेश जाने का आदेश निजता के अधिकार का उल्लंघन
अदालत द्वारा नाबालिग बच्चे की कस्टडी देते समय माता- पिता को विदेश जाने का आदेश निजता के अधिकार का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अदालत बच्चे की कस्टडी के मुद्दे पर फैसला करते समय माता-पिता को भारत छोड़ने और बच्चे के साथ विदेश जाने का निर्देश नहीं दे सकती है।न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओक की पीठ ने अवलोकन किया, "बंदी प्रत्यक्षीकरण के मुद्दे से निपटने के दौरान एक रिट कोर्ट माता-पिता को भारत छोड़ने और बच्चे के साथ विदेश जाने का निर्देश नहीं दे सकती है। यदि माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध इस तरह के आदेश पारित किए जाते हैं, तो यह उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन करेगा।"इस मामले में...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने 80 साल से अधिक उम्र के कैदियों की समयपूर्व रिहाई की नीति पर यूपी सरकार से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्या राज्य के पास 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के कैदियों की समयपूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए कोई मौजूदा नीति है।भारत के मुख्य न्यायाधीश, एन.वी. रमाना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड पी.वी. योगेश्वरन ने बताया कि याचिकाकर्ता की उम्र वर्तमान में 80 वर्ष है।खंडपीठ ने कहा कि अपराध वर्ष 1985 में किया गया था और लंबे समय तक चलने वाले ट्रायल के बाद...

सुरक्षा की दृष्टि से गहनों की कस्टडी लेना आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुरक्षा की दृष्टि से गहनों की कस्टडी लेना आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षा की दृष्टि से आभूषणों को अपने पास रखना भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं हो सकता।इस मामले में, शिकायतकर्ता द्वारा उसके पति और ससुराल वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 323, 34, 406, 420, 498A और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता ने अपने पति के भाई (जो अमेरिका के टेक्सास में कार्यरत थे) को एक आरोपी के रूप में रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ एक अपील पर विचार कर रहा था, जिसने...

जब अदालत नाबालिग बच्चे की कस्टडी के मुद्दे पर फैसला करती है तो माता-पिता के अधिकार अप्रासंगिक हैं : सुप्रीम कोर्ट
जब अदालत नाबालिग बच्चे की कस्टडी के मुद्दे पर फैसला करती है तो माता-पिता के अधिकार अप्रासंगिक हैं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब कोई अदालत नाबालिग बच्चे की कस्टडी के मुद्दे पर फैसला करती है तो माता-पिता के अधिकार अप्रासंगिक होते हैं।न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओक की पीठ ने कहा कि नाबालिग की कस्टडी का मुद्दा, चाहे बंदी प्रत्यक्षीकरण की मांग वाली याचिका में हो या कस्टडी की याचिका में, इस सिद्धांत की कसौटी पर तय किया जाना चाहिए कि नाबालिग का कल्याण सर्वोपरि है।इस मामले में नाबालिग बच्चे की कस्टडी की मांग को लेकर पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मंजूर करते हुए पंजाब...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
एक बार उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के आधार पर अधिग्रहण कार्यवाही समाप्त हुई तो भूमि मालिक 1894 एक्ट की धारा 48 के तहत भूमि मांगने के हकदार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बार जब हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुन: स्थापन अधिनियम, 2013 ("अधिनियम") में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 24 (2) के आधार पर अधिग्रहण कार्यवाही को समाप्त करने का आदेश पारित किया है तो भूमि मालिक इस दलील पर वापस नहीं जा सकते कि वे भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 48 के तहत भूमि को मुक्त करने की मांग करने के हकदार हैं।न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के 23 सितंबर, 2014 के आदेश ("आक्षेपित...

निजी बैंकों/ एआरसी द्वारा शुरू की गई सरफेसी अधिनियम के तहत कार्यवाही को चुनौती देने वाली रिट याचिका सुनवाई योग्य नहींः सुप्रीम कोर्ट
निजी बैंकों/ एआरसी द्वारा शुरू की गई सरफेसी अधिनियम के तहत कार्यवाही को चुनौती देने वाली रिट याचिका सुनवाई योग्य नहींः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी बैंकों/परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों द्वारा शुरू की गई सरफेसी अधिनियम के तहत कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, "यदि सरफेसी अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू की जाती है और/या कोई प्रस्तावित कार्रवाई की जानी है और उधारकर्ता निजी बैंक/बैंक/एआरसी की किसी भी कार्रवाई से व्यथित है, तो उधारकर्ता को सरफेसी अधिनियम के तहत उपाय का लाभ उठाना होगा और रिट याचिका दाखिल करने योग्य और / या बनाए रखने...

कपल अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा नहीं मांग सकते, उन्हें अपने परिवारों को मनाने का प्रयास करना चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट
कपल अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा नहीं मांग सकते, उन्हें अपने परिवारों को मनाने का प्रयास करना चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने परिवार से धमकी मिलने की आशंका में घर से भागे प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।अदालत ने कहा कि उसके पास यह निष्कर्ष निकालने के लिए कोई सामग्री या कारण नहीं है कि याचिकाकर्ताओं का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है।न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने आगे कहा,"यदि याचिकाकर्ताओं ने शादी करने का फैसला किया है तो उन्हें समाज का सामना करने के लिए दृढ़ता दिखानी चाहिए और उनके परिवार को उनके द्वारा उठाए गए कदम को स्वीकार करने के लिए राजी करना चाहिए।"वर्तमान मामले...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
क्या पत्नी के साथ गुप्त तरीके से रिकॉर्ड की गई बातचीत को पति तलाक के लिए सबूत के तौर पर पेश कर सकता है ? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

सुप्रीम कोर्ट ने आज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एसएलपी में नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया था कि पत्नी की जानकारी के बिना टेलीफोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग उसकी निजता का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने माना था कि फैमिली कोर्ट के समक्ष साक्ष्य के रूप में एक गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई फोन बातचीत स्वीकार्य नहीं होगी।यह नोटिस जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने जारी किया है।याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अंकित स्वरूप ने तर्क दिया कि निजता का अधिकार पूर्ण...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
कर्मचारियों के निहित अधिकारों को पूर्वव्यापी रूप से छीन रहे नियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ: बैंक पेंशनभोगियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एक संशोधन, जिसकी पूर्वव्यापी प्रयोज्यता है और मौजूदा नियमों के तहत एक कर्मचारी को पहले से उपलब्ध लाभ को छीन लेता है, कर्मचारी को उसके निहित/ अर्जित अधिकारों से वंचित कर देगा और इस प्रकार, अनुच्छेद 14 ​​और अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन करेगा।कोर्ट ने कहा, "... यदि कर्मचारी जो पहले से ही पदोन्नत या किसी विशेष वेतनमान में नियत किया गया था, यदि उसे पूर्वव्यापी रूप से लागू नियमों की योजना द्वारा छीन लिया जा रहा है तो निश्चित रूप से पदधारी के...