कपल अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा नहीं मांग सकते, उन्हें अपने परिवारों को मनाने का प्रयास करना चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

12 Jan 2022 12:40 PM GMT

  • कपल अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा नहीं मांग सकते, उन्हें अपने परिवारों को मनाने का प्रयास करना चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने परिवार से धमकी मिलने की आशंका में घर से भागे प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।

    अदालत ने कहा कि उसके पास यह निष्कर्ष निकालने के लिए कोई सामग्री या कारण नहीं है कि याचिकाकर्ताओं का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है।

    न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने आगे कहा,

    "यदि याचिकाकर्ताओं ने शादी करने का फैसला किया है तो उन्हें समाज का सामना करने के लिए दृढ़ता दिखानी चाहिए और उनके परिवार को उनके द्वारा उठाए गए कदम को स्वीकार करने के लिए राजी करना चाहिए।"

    वर्तमान मामले में यह नोट किया गया कि यह साबित करने के लिए सबूत या सामग्री नहीं है कि प्रतिवादी (याचिकाकर्ता संख्या 1 के रिश्तेदार) द्वारा याचिकाकर्ताओं पर कोई शारीरिक या मानसिक हमला करने की आशंका है।

    कोर्ट ने कहा,

    "एक योग्य मामले में न्यायालय कपल को सुरक्षा प्रदान कर सकता है, लेकिन उन्हें वह समर्थन नहीं दे सकता जो उन्होंने मांगा है। उन्हें एक-दूसरे का समर्थन करना और समाज का सामना करना सीखना होगा।"

    याचिकाकर्ता नंबर 1, एक 18 साल की लड़की और याचिकाकर्ता नंबर 2, एक 21 वर्षीय लड़के ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए रिट याचिका के माध्यम से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

    उन्हें राहत देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दंपति के साथ दुर्व्यवहार करता है तो अदालतें और पुलिस अधिकारी उनके बचाव में आते हैं। हालांकि युगल अधिकार के रूप में सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता।

    लता सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य (AIR 2006 SC 2522) के मामले पर विश्वास जताते हुए अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ताओं को कोई गंभीर खतरा नहीं है और इसलिए उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई आदेश पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

    लता सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अदालतें ऐसे युवाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नहीं हैं, जो अपनी मर्जी से शादी करने के लिए घर से भाग गए हैं।

    अदालत ने यह भी देखा कि याचिकाकर्ता पहले ही पुलिस अधीक्षक, श्रीगंगानगर के समक्ष एक आवेदन दे चुके हैं। अदालत ने कहा कि अगर पुलिस अधीक्षक को वास्तविक खतरे की धारणा मिलती है तो वह कानून के अनुसार जरूरी कदम उठाएंगे।

    केस का शीर्षक: शोभा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य और अन्य

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