कैसा रहा सुप्रीम कोर्ट में पिछला सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप पर एक नज़र
LiveLaw News Network
13 Jan 2020 10:47 AM IST
Supreme Court Weekly Round Up
लंबी छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट में साल 2020 में 6 जनवरी से काम फिर शरू हुआ। इस दौरान कश्मीर लॉक डाउन से लेकर सीएए जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई हुई।
आइए सुप्रीम कोर्ट के वीकली राउंड अप के तहत पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र डालते हैं।
सीआरपीसी की धारा 144 का इस्तेमाल विचारों की वैध अभिव्यक्ति को रोकने के टूल के रूप में नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
कश्मीर लॉकडाउन मामले में दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत मिले अधिकारों को विचारों की वैध अभिव्यक्ति या लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करने से रोकने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
सीआरपीसी की धारा 144, के तहत मिली शक्ति, उपचारात्मक के साथ-साथ निवारक होने के कारण, न केवल वहां प्रयोग की जाती है जहां खतरा मौजूद है, बल्कि तब भी प्रयोग की जाती है जब खतरे की आशंका हो।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
केवल इसलिए कि मृतक 100% जलने से घायल था, यह नहीं कहा जा सकता कि वह मरने से पहले बयान देने में असमर्थ था : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि मृतक 100% जलने के कारण घायल था, यह नहीं कहा जा सकता है कि वह मरने से पहले बयान देने में असमर्थ था/थी, जिसे उसका मरने से पहले दिया गया बयान (dying declaration) माना जा सकता था।
इस मामले में ध्यान देने वाली बात यह थी कि पीड़ित 100% जल चुका था और वह पहले से ही गंभीर स्थिति में था और इससे आगे भी उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। यह तर्क दिया गया कि ऐसी गंभीर और बिगड़ती हालत में वह उचित, सुसंगत और समझदारी भरा बयान नहीं दे सकता था। इस मामले के अभियुक्तों को शेर सिंह की मौत का दोषी ठहराया गया और जिन्होंने उसे आग में डाल दिया था।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
कश्मीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार
कश्मीर लॉकडाउन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक महत्वपूर्ण उपल्ब्धि उसकी यह घोषणा है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित इंटरनेट के माध्यम से व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता भी अनुच्छेद 19 (1) (ए) और 19 (1)(जी) के तहत संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार हैं।
जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि: "हम घोषणा करते हैं कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और किसी भी पेशे को करने की स्वतंत्रता या इंटरनेट के माध्यम से किसी भी व्यापार या व्यवसाय को करने की स्वतंत्रता को अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 19 (1) (जी) तहत संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है।
इस तरह के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 19 (2) और (6) के तहत दी अनिवार्यता के अनुरूप, आनुपातिकता की परीक्षा में शामिल (पैरा 152 (बी))"।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
वैकल्पिक उपचार उपलब्ध होने के बावजूद हाईकोर्ट के रिट क्षेत्राधिकार के प्रयोग पर पूरा प्रतिबंध नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैकल्पिक उपचार का नियम विवेक का नियम है, क्षेत्राधिकार का नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि वैकल्पिक उपचार उपलब्ध होने के बावजूद हाईकोर्ट के रिट क्षेत्राधिकार के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। इस मामले में मुद्दा यह उठा था कि सशस्त्र बल अधिकरण अधिनियम, 2007 को देखते हुए सशस्त्र बल के एक कर्मी के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में लंबित मामले को सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) को भेजा जाए या हाईकोर्ट उसकी सुनवाई करे। हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने कहा कि अगर इस तरह का कोई मुक़दमा हाईकोर्ट में इस अधिकरण के गठन से पहले लंबित था, ऐसे मामलों को अधिकरण को नहीं भेजा जाएगा। दलील यह दी गई थी कि एएफटी अधिनियम के तहत आने वाले मामलों के संदर्भ में हाईकोर्ट का स्थान लेगा, लेकिन पीठ इससे सहमत नहीं थी।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पति का घर छोड़ने के बाद पत्नी जहां रहती है, उस स्थान की अदालत आईपीसी की धारा 498ए के तहत दायर शिकायत पर विचार कर सकती है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दोहराया है कि पत्नी अपने पति का घर छोड़ने के बाद जिस जगह पर रहती है, उस स्थान के अधिकार क्षेत्र के न्यायालय को भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत दायर महिला की शिकायत पर विचार करने का अधिकार होगा। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि रूपाली देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2019 (5) एससीसी 384), मामले में एक निर्णय जो पिछले साल दिया गया था, उसमें यह माना गया था कि यह आवश्यक नहीं है कि एक शिकायत केवल वैवाहिक घर के स्थान पर ही दायर की जानी चाहिए।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यूएन के विशेष प्रतिनिधि की हस्तक्षेप याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने पर केंद्र से जवाब मांगा
रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रस्तावित निर्वासन के बारे में एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से इस मुद्दे पर जवाब मांगा। इस बारे में दायर एक हस्तक्षेप याचिका में यूएन के विशेष प्रतिनिधि ने इसे जातिवादी, जाति आधारित भेदभाव और विदेशियों के प्रति घृणा और इससे संबंधित असहिष्णुता बताया।
देश में सीएए और एनआरसी को लेकर जो देशव्यापी आंदोलन चल रहे हैं, उसे देखते हुए यह और ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया है और यूएन के प्रतिनिधि ने अपने आवेदन में कहा है कि बड़े पैमाने पर रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के गृहमंत्रालय के निर्णय की 'अन्तरराष्ट्रीय मानव अधिकार क़ानून के तहत' अनुमति नहीं है। प्रतिनिधि ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में रोहिंग्या को भी 'क़ानून के समक्ष समान अधिकार और न्यायिक मदद मिलनी चाहिए।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
'केवल सहानुभूति ही उपचार नहीं दे सकती', सुप्रीम कोर्ट ने 'अनिच्छा' से हाईकोर्ट के अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को रद्द किया
केवल सहानुभूति ही उपचार नहीं दे सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर 'अनिच्छा' जताई जिसमें एक बैंक को अपने मृत कर्मचारी के बेटे द्वारा दायर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था।
दरअसल जगदीश राज ने इंडियन बैंक में क्लर्क के रूप में काम किया था जहां वो अपने निधन तक काम कर रहे थे। बाद में, जगदीश राज के निधन के कारण अनुकंपा के आधार पर रोजगार पाने के लिए बेटे की ओर से एक आवेदन दायर किया गया था। संबंधित योजना में यह प्रावधान किया गया कि यदि आश्रितों ने सेवा में रहते हुए मारे गए कर्मचारी की सेवा की अवधि के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का विकल्प चुना है तो कोई अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इस मामले में आश्रितों ने ग्रेच्युटी का लाभ उठाया था। इसलिए बैंक ने आवेदन को खारिज कर दिया।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
CAA को चुनौती देने वाली विभिन्न हाईकोर्ट में दायर सभी याचिकाओं को SC में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया। आवेदन पर 22 जनवरी को विचार किया जाएगा, जब अधिनियम को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में दायर अन्य याचिकाएं सूचीबद्ध होंगी।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सायरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड को एक अस्थायी राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के 18 दिसंबर के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सायरस मिस्त्री को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था।
सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर अपील में मिस्त्री को नोटिस जारी किया।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
गुजरात लोक निर्माण संविदा विवाद मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के पास मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 17 के तहत अंतरिम आदेश देने का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात लोक निर्माण संविदा विवाद मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के पास मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 17 के संदर्भ में अंतरिम आदेश देने का अधिकार है।
ट्रिब्यूनल का गठन गुजरात लोक निर्माण संविदा विवाद विवाद मध्यस्थता अधिनियम, 1992 की धारा 3 के तहत किया गया है। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने कहा था कि वह केवल उस क्षेत्राधिकार और अधिकार का प्रयोग कर सकता है जिसके तहत या गुजरात अधिनियम के तहत इसे प्रदान किया गया है। यह आगे कहा गया कि यदि गुजरात अधिनियम ट्रिब्यूनल को निषेधाज्ञा देने का अधिकार नहीं देता है तो ये अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की पुनरावृत्ति नहीं कर सकता है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
निर्भया मामला : मौत की सज़ा से पहले दोषी विनय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की
2012 के निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों को मृत्युदंड की सज़ा देने में एक पखवाड़े से भी कम समय शेष है। इस मामले में चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने अंतिम प्रयास के रूप में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका (संशोधन याचिका) दायर की है।
सभी दोषियों- मुकेश (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी। यह इस मामले में पहली क्यूरेटिव याचिका है। किसी भी दोषी ने अब तक अंतिम कानूनी उपाय का इस्तेमाल नहीं किया है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया, एनआई एक्ट की धारा 148 में पूर्वप्रभावी, जबकि 143A भावी प्रभाव की है
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 148 पूर्वप्रभावी है, जबकि धारा 143 ए नहीं है। इस मामले में, अभियुक्त को एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।
अपीलीय कोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट की ओर से लगाए गए मुआवजे/ जुर्माने की 25 फीसदी राशि जमा करने को कहा। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जिसमें सवाल उठा है कि धारा 148 पूर्वप्रभावी है या नहीं। मई 2019 में, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा था कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 148 में संशोधन किया गया है, जो एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत सजा और दोष के आदेश के खिलाफ अपील के संबंध में लागू होगा।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हिंसा रुकने पर CAA पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे : मुख्य न्यायाधीश बोबडे
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबड़े ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रव्यापी हिंसा रुकने के बाद नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी।
यह टिप्पणी तब आई जब एडवोकेट विनीत ढांडा की CJI की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष विवादास्पद कानून को संवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका का उल्लेख किया गया। "बहुत हिंसा हुई है", पीठ ने टिप्पणी की, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे। पीठ ने कहा, "राष्ट्र कठिन समय का सामना कर रहा है ... शांति लाने का प्रयास होना चाहिए।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
POCSO : फोरेंसिक लैब के लिए संसाधनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वो बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से जांच सुनिश्चित करने के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट दाखिल करें।
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने यह भी कहा कि हर जिले में विशेष सरकारी वकील होने चाहिए, जिनके पास बाल पीड़ितों से निपटने के लिए ज्ञान हो। सभी राज्यों में न्यायिक अकादमियों द्वारा ऐसे अभियोजकों की मदद के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए। दरअसल अदालत ने बच्चों के साथ बढ़ती रेप की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए अदालतों में CISF तैनात करने पर करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से कहा कि हिंसा की अनियंत्रित घटनाओं को रोकने के लिए कुछ विशिष्ट अदालतों में CISF का एक अलग कैडर तैनात करने की संभावना पर गौर करे।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में तीस हजारी अदालत की जटिल हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, " अगर CISF की तैनाती की गई होती तो दिल्ली की घटना नहीं हुई होती।" दरअसल पिछले साल नवंबर में यहां तीस हजारी कोर्ट परिसर में वकील और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी जिसमें कुछ वकील गोली लगने से घायल हो गए थे और कई सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए थे।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पार्टनरशिप फर्जी न हो तो किराये की संपत्ति पर की गई साझेदारी 'किराये की संपत्ति को किराये पर देने' जैसा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर पार्टनरशिप असली है तो किरायेदार द्वारा अपने पार्टनर को व्यवसाय या पेशे में शामिल करना किसी किराये की संपत्ति को दोबारा किराये पर देने जैसा नहीं है।
ए महालक्ष्मी बनाम बाला वेंकटरम (डी) में के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ, जिसमें बेदखली के आदेश को रद्द कर दिया गया था, अपील की अनुमति देते हुए जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि यदि इस तरह की साझेदारी का नकली उद्देश्य व्यवसाय या पेशा चलाना जबकि असली उद्देश्य किसी किराये के परिसर को ऐसे व्यक्ति को दोबारा किराये पर देना है, जिसे व्यवसाय में पार्टनर के रूप में दिखाया जा रहा है तो ये ऐसी गतिविधि को किराये की संपत्ति को दोबरा किराये पर देने के बराबर है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
बिहार शेल्टर होम : CBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, मुजफ्फपुर शेल्टर होम में किसी बच्ची की हत्या नहीं हुई
बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शेल्टर होम में किसी भी बच्ची की हत्या नहीं की गई है और सभी गायब 35 लड़कियों को सकुशल बरामद किया गया है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ के समक्ष सीबीआई की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि आशंका जताई जा रही थी कि शेल्टर होम में कुछ लड़कियों की हत्या की गई है। लेकिन सीबीआई ने जांच में पाया है कि किसी भी बालिका की हत्या नहीं की गई है और सभी गायब 35 लड़कियों को जिंदा बरामद किया गया है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
' वी द पीपल..' सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी
भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने के लिए वकीलों का एक समूह आज सुप्रीम कोर्ट में इकट्ठा हुआ। प्रस्तावना की प्रतियां उपस्थित वकीलों को वितरित की गईं और समान रूप रूप एक साथ पढ़ी गईं। दरअसल नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कथित असंवैधानिक स्वरूप के साथ-साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों पर कथित रूप से पुलिस बर्बरता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के अलावा भारत के संविधान के सिद्धांतों के पालन पर जोर दिया जा रहा है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
एनडीपीएस ट्रायल में स्वतंत्र गवाहों से पूछताछ न होने का मतलब यह नहीं है कि अभियुक्त को गलत तरीके से फंसाया गयाः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट के तहत एक मुकदमे में, केवल इसलिए कि अभियोजन पक्ष ने किसी भी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की है, से जरूरी नहीं कि यह निष्कर्ष निकले कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है।
इस मामले में सुरिंदर कुमार को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट की धारा 18 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दोष सिद्ध होने की पुष्टि की थी।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
नुस्ली वाडिया Vs रतन टाटा : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप उद्योगजगत के नेता, बैठकर सुलह क्यों नहीं करते
टाटा बनाम सायरस मिस्त्री के साथ- साथ अब नुस्ली वाडिया बनाम रतन टाटा मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। सोमवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले में दोनों उद्योगपतियों से सुलह करने का सुझाव दिया।
पीठ ने कहा, " आप दोनों उद्योगजगत में नेता हैं, आप बात क्यों नहीं करते हैं और इस मुद्दे को हल क्यों नहीं करते हैं। इस दिन और उम्र में आप को इस तरह मुकदमेबाजी करने की क्या जरूरत है ? हम एक प्रतिष्ठित मध्यस्थ से मुद्दे को हल करने के लिए कह सकते हैं।दोनों पक्षों को बात करनी चाहिए और हल करना चाहिए।"
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें