हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

8 Oct 2023 5:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (02 अक्टूबर 2023 से 06 अक्टूबर 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    व्यभिचार में रहने वाली पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि एक पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत अपने पति से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती, जब वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ व्यभिचारी संबंध में हो। जस्टिस राजेंद्र बदामीकर की एकल न्यायाधीश पीठ ने सत्र अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग करने वाली पत्नी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जिसने बदले में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा पत्नी के पक्ष में दिए गए भरण-पोषण के आदेश को रद्द कर दिया था।

    केस टाइटल : एबीसी और एक्सवाईजेड

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    आपराधिक मामले में बरी होने के बावजूद सार्वजनिक रोजगार के लिए चरित्र की उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सरकार स्वयं जांच कर सकती है: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों में बरी होने के बावजूद, जब सरकार किसी व्यक्ति के चरित्र और पूर्ववृत्त के बारे में राय बनाने में असमर्थ होती है तो वह उम्मीदवार के चरित्र का आकलन करने के लिए स्वतंत्र और अलग जांच कर सकती है। जस्टिस ए.मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन की खंडपीठ ने कहा कि सरकार किसी उम्मीदवार को सार्वजनिक सेवा में रोजगार प्राप्त करने के लिए केवल इसलिए अयोग्य नहीं ठहरा सकती, क्योंकि उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया। इसमें कहा गया कि सरकार उम्मीदवार के चरित्र और निष्ठा का आकलन करने के लिए आपराधिक मामले में उम्मीदवार के खिलाफ सामग्री के साथ आरोपों पर स्वतंत्र रूप से विचार कर सकती है कि वह सेवा में प्रवेश के लिए उपयुक्त है या नहीं।

    केस टाइटल: केरल राज्य बनाम दुर्गादास

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    विवाह के समय वैवाहिक पक्षों के बीच पैसे के आदान-प्रदान के लिए दस्तावेजी साक्ष्य की अपेक्षा करना अनुचित: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने विवाह संबंधी विवाद में पति को विवाह के समय पत्नी के परिजनों की ओर से दिए गए धन को पत्नी को लौटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस तथ्य के बावजूद कि यह आदेश दिया है कि धन के स्रोत या धन सौंपने को साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।

    जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस सोफी थॉमस ने कहा कि वैवाहिक मामलों में, शादी के दौरान हर लेनदेन को साबित करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य पर जोर नहीं दिया जा सकता है। अदालत ने शादी के समय दिए गए धन के संबंध में पत्नी के पिता और भाई द्वारा दी गई मौखिक गवाही पर भरोसा किया।

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    न्यूज़क्लिक गिरफ्तारियां: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा, रिमांड आदेश में गड़बड़ बताई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। प्रबीर ने अपनी याचिका में पोर्टल पर चीन समर्थक प्रचार के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद दर्ज यूएपीए मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। जस्टिस तुषार राव गेडेला ने न्यूज पोर्टल के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की ओर से दायर इसी तरह की याचिका पर दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा और याचिकाओं को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    केस टाइटल: प्रबीर पुरकायस्थ बनाम दिल्ली राज्य और एक अन्य और अन्य जुड़े मामले

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    बलात्कार के मामलों में एफआईआर दर्ज करने में देरी अगर उचित स्पष्टीकरण दिया जाए तो अभियोजन पक्ष के लिए घातक नहीं होगा : झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया है कि बलात्कार के मामलों में जहां परिवार की गरिमा और प्रतिष्ठा खतरे में हो, वहां एफआईआर दर्ज करने में देरी को अभियोजन पक्ष के मामले के लिए घातक नहीं माना जाना चाहिए।

    जस्टिस सुभाष चंद ने कहा, “वास्तव में, बलात्कार के मामले में जिसमें परिवार की गरिमा और प्रतिष्ठा दांव पर होती है, यह तय करने में भी समय लगता है कि एफआईआर दर्ज की जाए या नहीं। यदि ठोस और भरोसेमंद सबूत हों तो बलात्कार के मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी अभियोजन के लिए घातक नहीं हो सकती।''

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    'आदिवासी व्यक्ति के लिए मामूली मुद्दों पर आपा खोना असामान्य बात नहीं': उड़ीसा हाईकोर्ट ने आदिवासी व्यक्ति की हत्या की सजा को गैर इरादतन हत्या में बदला

    उड़ीसा हाईकोर्ट ने तीर चलाकर एक व्यक्ति की हत्या करने के आरोपी आदिवासी व्यक्ति की सजा को हत्या से गैर इरादतन हत्या में बदल दिया। जस्टिस संगम कुमार साहू और जस्टिस सिबो शंकर मिश्रा की खंडपीठ ने आरोपी-अपीलकर्ता को आंशिक राहत देते हुए कहा, “वास्तव में रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है कि अपीलकर्ता और मृतक के बीच किसी भी तरह की पिछली दुश्मनी थी और इसके अलावा ऐसा प्रतीत होता है कि उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन अपीलकर्ता और मृतक के बीच अचानक झगड़ा हुआ और जब मृतक अपीलकर्ता को चुनौती दी कि वह उससे क्यों झगड़ा कर रहा है तो अपीलकर्ता ने मृतक पर तीर चला दिया। एक आदिवासी व्यक्ति के लिए छोटी-छोटी बातों पर भी अपना आपा खो देना असामान्य बात नहीं है।”

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    विवाह के आश्वासन के बावजूद बिना सहमति के यौन संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा: झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को डिस्चार्ज करने से इनकार कर दिया, जिसने कथित तौर पर शादी के बहाने पीड़िता की सहमति ली थी लेकिन उसके साथ जबरन प्रारंभिक यौन संबंध बनाए। जस्टिस सुभाष चंद ने कहा, “शुरू से ही उसे शादी के बहाने पीड़िता की सहमति मिल गई। पीड़िता को शादी का आश्वासन देकर वह पीड़िता के प्रेमजाल में आया और 21.09.2018 को पहली बार उसने पीड़िता के साथ जबरन दुष्कर्म किया। ऐसे में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि 375 का अपराध जो आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय है, याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला नहीं बनता है।”

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    न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ, एचआर हेड ने यूएपीए मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

    न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने पोर्टल पर चीन समर्थक प्रचार के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद उनके खिलाफ दर्ज यूएपीए मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल द्वारा मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया था।

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    अग्रिम जमानत | POCSO Act अत्याचार अधिनियम पर तभी प्रभावी होता है जब एक्ट के तहत अपराध प्रथम दृष्टया स्थापित हो: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि POCSO Act में अग्रिम जमानत के प्रावधान एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम में अपील के प्रावधानों पर लागू नहीं होंगे अगर एक्ट के तहत प्रथम दृष्टया आरोप आरोपी के खिलाफ नहीं बनते हैं।

    जस्टिस एनजे जमादार ने POCSO Act और अत्याचार अधिनियम दोनों के तहत आरोपी व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा - "संक्षिप्त संदर्भ के अलावा कि जुलूस में लड़कियां थीं और उनकी वीडियोग्राफी भी की गई थी, कोई अन्य आरोप नहीं है जो प्रथम दृष्टया अधिनियम, 2012 की धारा 12 के दायरे में आता हो। इन परिस्थितियों में यह उचित होगा कि आवेदक एससी और एसटी अधिनियम, 1989 की धारा 14ए(4) के अनुसार अपील करे।

    केस टाइटल- दीनानाथ माणिक काटकर बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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    निजी विश्वविद्यालयों की डिग्री, जिसे यूजीसी ने मान्यता नहीं दी है, सरकारी नौकरियों के लिए अमान्य: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने दोहराया है कि एक निजी विश्वविद्यालय की ओर से स्टडी सेंटर या ऑफ-कैंपस सेंटर के जर‌िए जारी की गई डिग्री, जिसे यूजीसी से पूर्व अनुमोदन नहीं दिया है, अमान्य है। इसका उपयोग सरकारी क्षेत्र में रोजगार पाने के नहीं किया जा सकता है। जस्टिस संजय धर ने कहा कि जब याचिकाकर्ता खुद चयन के योग्य नहीं है तो वह अन्य लोगों के चयन को चुनौती नहीं दे सकता।

    केस टाइटल: मकसूद अहमद शूशा बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य और अन्य

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    मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप सांसद संजय सिंह को 5 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया

    दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह को 10 अक्टूबर तक पांच दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया। आप नेता को कल प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था। बुधवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी स्थित उनके आवास की तलाशी ली गई। सिंह इस मामले में गिरफ्तार होने वाले तीसरे आप नेता हैं। सिंह को आज राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष पेश किया गया। ईडी ने 10 दिन की हिरासत मांगी थी।

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    जब तक दोनों पक्षों के बीच 'सप्तपदी' (सात फेरे) नहीं हो जाता, हिंदू विवाह 'संपन्न' नहीं होता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक हिंदू विवाह तब तक 'संपन्न' नहीं किया जा सकता जब तक कि 'सप्तपदी' समारोह (दूल्हे और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के सामने संयुक्त रूप से सात फेरे लेना ) और अन्य अनुष्ठान नहीं किए जाते। इसके साथ, जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने स्मृति सिंह द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उनके पति द्वारा आईपीसी की धारा 494 (द्विविवाह) और 109 (उकसाने की सजा) के तहत उनके खिलाफ दायर शिकायत की पूरी कार्यवाही को चुनौती दी गई थी।

    केस टाइटलः स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह और 3 अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य [APPLICATION U/S 482 No. - 23148 of 2022]

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    जब अभियोजन पक्ष सबूत के प्रारंभिक दायित्व का निर्वहन करने में विफल रहता है तो अदालत 'अश्लीलता' का निर्धारण करने के लिए खुद किताब नहीं पढ़ सकती: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने दुकान के कमरे में बिक्री के लिए अश्लील किताबें प्रदर्शित करने के आरोपी व्यक्ति की सजा इस आधार पर रद्द कर दी कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि किताबें अश्लील हैं, या आरोपी ने दुकान के कमरे पर कब्ज़ा कर लिया, जहां किताबें जब्त कर ली गईं।

    जस्टिस सी.एस. डायस की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों, यानी तलाशी लेने वाले पुलिस अधिकारियों ने न तो यह कहा कि किताबें अश्लील हैं और न ही उन्होंने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292(2)(ए) के तहत आरोपी के खिलाफ अपराध के लिए सामग्री साबित की।

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    अगर पीड़िता और गवाहों के साक्ष्य विश्वसनीय हैं तो जांच अधिकारी की लापरवाही अभियोजन मामले को खारिज करने का वारंट नहीं: पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364 और 365 के तहत अपहरण के लिए पांच व्यक्तियों की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि जांच में कुछ खामियों के बावजूद, अगर पीड़ित की गवाही भरोसेमंद है तो अभियोजन के मामले को खारिज नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस आलोक कुमार पांडे और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने कहा, एपीपी का तर्क इस तथ्य के आलोक में काफी तर्कसंगत है कि पूरे मुकदमे के दौरान पीड़िता का बयान बरकरार रहा। दूसरी ओर, मकसद के बिंदु पर अपीलकर्ताओं का तर्क और आई.ओ. की ओर से चूक हुई। प्रत्यक्षदर्शी के कथन के आलोक में मान्य नहीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जांच दोषपूर्ण तरीके से की गई है। लेकिन केवल आई.ओ. की अव्यवसायिकता के कारण अभियोजन के मामले को खारिज नहीं किया जा सकता।

    केस टाइटल: दीपक मंडल बनाम बिहार राज्य

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    ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण | एएसआई ने वाराणसी कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 4 सप्ताह का और समय मांगा

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वाराणसी कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर कर ज्ञानवापी सर्वेक्षण से संबंधित रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है। इससे पहले कोर्ट ने 6 अक्टूबर तक अपनी सर्वे रिपोर्ट पेश करने को कहा था।

    आवेदन में एएसआई के वकील ने कहा कि सर्वेक्षण में कुछ और समय लगने की उम्मीद है, क्योंकि कचरा, ढीली मिट्टी और निर्माण सामग्री सहित बहुत सारा कचरा/मलबा तहखाने में फर्श के स्तर के साथ-साथ संरचना के चारों ओर फेंक दिया जाता है, जिससे संरचना की मूल विशेषताएं ढकी हुई हैं। इसलिए एएसआई को इसे साफ़ करने में समय लग रहा है।

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    भगौड़ा व्यक्ति आत्मसमर्पण कर दे तो कुर्की आदेश खत्म हो जाता है, उसके बाद संपत्ति की बिक्री पर कोई बाधा नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि किसी संपत्ति की कुर्की का मकसद तब खत्‍म हो जाएगा जब भगोड़ा व्यक्ति, जिसकी संपत्ति है, अदालत में आत्मसमर्पण कर देगा। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार जब संपत्ति को बाद में किसी अन्य को बेचा जाएगा तो ऐसा कोई कुर्की आदेश मौजूद नहीं होगा, जो संपत्ति संबंधी कर भुगतान को बाधित करे।

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    पति के साथ रह रही विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मृत एलआईसी कर्मचारी की विवाहित बेटी की ओर से की गई अनुकंपा नियुक्ति की मांग को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की शादी उसके पिता की मृत्यु से बहुत पहले हुई थी और वह अपने पति के साथ रह रही है।

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    खेड़ा में मुस्लिम युवक की पिटाई का मामला: गुजरात हाईकोर्ट ने 'डीके बसु दिशानिर्देशों' के कथित उल्लंघन के लिए 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए

    गुजरात हाईकोर्ट ने डीके बसु दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के कारण पिछले साल अक्टूबर में खेड़ा जिले में मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक रूप से पीटने के आरोपी चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ आज अवमानना के आरोप तय किए। जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे की खंडपीठ ने दोषी अधिकारियों को अपने बचाव में हलफनामा दाखिल करने का समय दिया और मामले की सुनवाई 11 अक्टूबर को तय की।

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    सेल डीड के साक्ष्य को प्रमाणित करने वाले को उनके खिलाफ किसी भी आरोप के अभाव में धोखाधड़ी के लिए आपराधिक रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोहराया कि सेल डीड के साक्ष्यांकित गवाह को धोखाधड़ी के मामले में नहीं घसीटा जा सकता, यदि उसके खिलाफ कोई अन्य आरोप नहीं है सिवाय इसके कि वह प्रमाणित गवाह (Attesting Witness) है। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने राजेश तोतागांती द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 34 सपठित धारा 420, 465, 467, 468, 471, 474 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए उसके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही रद्द कर दी।

    केस टाइटल: राजेश टोटागंती और कर्नाटक राज्य और अन्य

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    राजस्थान हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के मामले में गलत तरीके से दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी किया, 25 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह अपनी पत्नी की हत्या के लिए एक व्यक्ति की सजा को रद्द कर दिया और राज्य सरकार को उसे 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। 'दुर्भावनापूर्ण अभियोजन' के कारण जेल में उसके जीवन के 12 साल बर्बाद हो गए, जिसके लिए राज्य को उसे 3 महीने के भीतर 25 लाख रुपये का भुगतान करने निर्देश दिया। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की पीठ ने कहा कि हालांकि आरोपी को रुपए के रूप में पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, फिर भी समाज और आरोपी से परिचित व्यक्तियों को एक संदेश भेजा जाना आवश्यक है।

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    ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न हो तो उस पर स्वतः ही 'अंशदायी लापरवाही' का आरोप नहीं लगाया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट हाल ही में दोहराया कि हालांकि बिना लाइसेंस वाहन चलाना अपराध है, लेकिन ऐसा करने पर ड्राइवर के खिलाफ अंशदायी लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता है, तब जबकि दुर्घटना का कारण वह खुद नहीं है। इन्हीं टिप्पणियों के साथ जस्टिस मोहम्मद नवाज और जस्टिस राजेश राय की खंडपीठ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेश को संशोधित किया, जिसमें मृतक को 23% अंशदायी लापरवाही का दोषी ठहराया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसके पास कोई ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और वह जिस मोटरसाइकिल को चला रहा था, उसका बीमा कवरेज भी नहीं था।

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    केवल मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी किट की बिक्री एमटीपी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया है कि केवल मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) किट की बिक्री एमटीपी अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। जस्टिस पंकज जैन ने डॉ. वंदना मलिक बनाम हरियाणा राज्य में मिसाल पर भरोसा किया और याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर और उसके बाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया क्योंकि आरोपों से आरोपी के खिलाफ मामला स्थापित नहीं हुआ।

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    अनुच्छेद 311(2) | दोषसिद्धि से सरकारी सेवा से स्वत: बर्खास्तगी नहीं होती, विवेक का प्रयोग जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि संविधान के अनुच्छेद 311(2)(ए) के तहत सेवा से बर्खास्तगी के लिए, प्राधिकारी को उस आचरण को देखना चाहिए जिसके कारण आपराधिक आरोप में सजा हुई। यह माना गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 311(2)(ए) के तहत केवल दोषसिद्धि के आधार पर बर्खास्तगी का यांत्रिक आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस नीरज तिवारी ने कहा, “अब यह मुद्दा कोई रेस इंटेग्रा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीराम पटेल (सुप्रा) के फैसले से लेकर कई अन्य फैसलों में इस मुद्दे पर बार-बार विचार किया है और माना है कि किसी कर्मचारी को दोषी ठहराए जाने के बाद भी, निष्कासन या बर्खास्तगी आदेश पारित करते समय उसके आचरण पर विचार किया जाना चाहिए। उसके बिना बर्खास्तगी का कोई भी आदेश बुरा है।”

    केस टाइटलः विश्वनाथ विश्वकर्मा बनाम यूपी राज्य Through Prin. Secy. Deptt. Of Revenue Lko. And O [WRIT - A No. - 4422 of 2015]

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    एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान पर लागू नहीं होता, हालांकि ऐसे संस्‍थानो में अल्पसंख्यक छात्रों का प्रवेश 50% से अधिक नहीं हो सकता: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की नीति अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में लागू नहीं की जा सकती है। चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस पीडी आदिकेसवालु की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय नज़ीरों पर भरोसा किया और दोहराया कि अल्पसंख्यक संस्थानों को अनुच्छेद 15(5) के दायरे से बाहर रखा गया है, जिसके तहत राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े समुदायों की उन्नति के लिए प्रावधान करने का अधिकार दिया गया है, और ऐसा करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है क्योंकि अल्पसंख्यक संस्थान एक अलग वर्ग हैं।

    केस टाइटल: जस्टिस बशीर अहमद सईद महिला कॉलेज (स्वायत्त) बनाम तमिलनाडु राज्य

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    उचित दस्तावेज के बिना मां नाबालिग बच्चों की संपत्ति का अधिकार नहीं छोड़ सकती: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने माना है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन के आलोक में एक मां कानूनी रूप से अपने नाबालिग बच्चों की ओर से संपत्ति के अधिकारों को नहीं छोड़ सकती है, जो बेटियों को पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार देता है, जिससे ऐसी संपत्तियों में. हिस्सेदारी के लिए उनका दावा मजबूत होता है। जस्टिस पी श्री सुधा ने कहा कि पैतृक संपत्ति में अपनी बेटियों के अधिकारों को मां द्वारा कथित रूप से त्यागने को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी जा सकती, खासकर उचित दस्तावेज के बिना।

    केस टाइटल: टी विजया बनाम तुर्कापल्ली महियाह

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    WYNK बनाम TIPS | इंटरनेट आधारित म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म टीवी, रेडियो के लिए उपलब्ध अनिवार्य म्यूजिक लाइसेंस के लिए पात्र नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    TIPS इंडस्ट्रीज लिमिटेड (टिप्स) जैसे रिकॉर्ड लेबल के लिए बड़ी जीत निर्धारित करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि ऑनलाइन म्यूजिक स्ट्रीमिंग और डाउनलोडिंग प्लेटफॉर्म कॉपीराइट एक्ट की धारा 31 डी के तहत अपने म्यूजिक के लिए रियायती अनिवार्य लाइसेंस के लिए पात्र नहीं होंगे। इसका मतलब यह है कि इंटरनेट-आधारित प्लेटफार्मों को रेडियो और टेलीविजन नेटवर्क के विपरीत अपने म्यूजिक के भंडार का उपयोग करने के लिए बड़ी रिकॉर्ड कंपनियों के साथ अनुबंध पर बातचीत करनी होगी।

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    लखनऊ कोर्ट ने वीडी सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया

    उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले की एक सत्र अदालत ने पिछले साल महाराष्ट्र में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ की गई 'अपमानजनक' टिप्पणी के मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है।

    यह नोटिस लखनऊ जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी द्वारा एडवोकेट नृपेंद्र पांडे द्वारा दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव द्वारा (इस साल जून में) पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सीआरपीसी की धारा 203 के तहत गांधी के खिलाफ उनकी शिकायत को खारिज कर दिया गया था।

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    आदेश VII नियम 11 | वाद-विवाद खारिज करने के लिए ट्रायल के खत्म होने की प्रतीक्षा करना कानून के उद्देश्य को पराजित कर देगा : केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि वाद-विवाद खारिज करने के लिए ट्रायल के खत्म होने की प्रतीक्षा करना कानून के उद्देश्य को पराजित कर देगा। साथ ही कहा कि ऐसा निर्णय पूरी तरह से आदेश VII नियम 11 सीपीसी के तहत वाद के मूल्यांकन पर किया जाना चाहिए। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि ट्रायल न्यायाधीश मुकदमा पूरा होने तक वाद को खारिज करने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे आदेश VII नियम 11 सीपीसी के तहत निर्धारित कानून का उद्देश्य विफल हो गया।

    केस टाइटल: जस्टिस चेट्टूर शंकरन नायर बनाम मधु वडक्कपट्ट

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