ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न हो तो उस पर स्वतः ही 'अंशदायी लापरवाही' का आरोप नहीं लगाया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
Avanish Pathak
3 Oct 2023 5:08 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट हाल ही में दोहराया कि हालांकि बिना लाइसेंस वाहन चलाना अपराध है, लेकिन ऐसा करने पर ड्राइवर के खिलाफ अंशदायी लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता है, तब जबकि दुर्घटना का कारण वह खुद नहीं है।
इन्हीं टिप्पणियों के साथ जस्टिस मोहम्मद नवाज और जस्टिस राजेश राय की खंडपीठ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेश को संशोधित किया, जिसमें मृतक को 23% अंशदायी लापरवाही का दोषी ठहराया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसके पास कोई ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और वह जिस मोटरसाइकिल को चला रहा था, उसका बीमा कवरेज भी नहीं था।
मृतक के माता-पिता और नाबालिग बहन ने 8,86,000 रुपये के मुआवजे को बढ़ाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था और कुल 54,50,000 रुपये के मुआवजे की मांग की थी।
दुर्घटना एक बोलेरो जीप के कारण हुई थी, जो विपरीत दिशा से मृतक की ओर आ रही थी।
कोर्ट ने कहा कि जब वह मृतक की ओर तीन फीट आगे बढ़ी उसकी मोटरसाइकिल से जा टकराई, जबकि मृतक सड़क सही साइड पर था यानि बाईं ओर था। अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि दुर्घटना बोलेरो चालक के तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई थी।
जांच के दौरान मालिक की ओर से दिए गए बयान के आधार पर ट्रिब्यूनल ने माना था कि मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जो बयान दर्ज किया है, वह इस निष्कर्ष पर पहुंचने का आधार नहीं हो सकता कि दुर्घटना की तारीख तक ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
कोर्ट ने कहा,
“अन्यथा भी, जब इस आशय का स्पष्ट निष्कर्ष है कि दुर्घटना पूरी तरह से बोलेरो ड्राइवर के तेज गति से और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई थी। बोलेरो का बीमा प्रतिवादी नंबर 2 ने किया था, तो ट्रिब्यूनल का मोटरसाइकिल सवाल को अंशदायी लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं था।"
इस प्रकार यह माना गया कि ट्रिब्यूनल का यह निष्कर्ष कि मृतक ने दुर्घटना में 25% तक योगदान दिया था, कायम नहीं रखा जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल ने 'भविष्य की संभावनाओं की हानि' मद के तहत मुआवजा नहीं दिया है। कोर्ट ने कहा “मृतक की उम्र को ध्यान में रखते हुए, आय का 40% भविष्य की संभावनाओं के लिए जोड़ा जाना चाहिए। मृतक की आयु के लिए उपयुक्त गुणक 17 है।”
तदनुसार, इसने निर्भरता के नुकसान के लिए 14,63,700 रुपये की राशि का मुआवजा दिया और मुआवजे की राशि को संशोधित करते हुए कहा, “दावेदार यानि अपीलकर्ता एक और दो, माता-पिता होने के नाते, फ़िलियल कंसोर्टियम की हानि के लिए 88,000 रुपये की राशि के हकदार हैं। संपत्ति के नुकसान और अंतिम संस्कार के खर्च के लिए 33,000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है। इसलिए, दावेदार कुल 15,84,700 रुपये के मुआवजे के हकदार हैं।'
कोर्ट ने कहा कि बीमाकर्ता पूरे मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (कर) 379