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कर्नाटक हाईकोर्ट ने 30 साल जेल में रहने के बाद मौत की सजा पाए 70 वर्षीय दोषी की सजा कम की, दया याचिका पर निर्णय लेने में अस्पष्ट देरी की आलोचना की
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 30 साल जेल में रहने के बाद मौत की सजा पाए 70 वर्षीय दोषी की सजा कम की, दया याचिका पर निर्णय लेने में अस्पष्ट देरी की आलोचना की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मौत की सजा पाए 70 वर्षीय दोषी की सजा रद्द की। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दिया, क्योंकि उसने 30 साल सलाखों के पीछे बिताए हैं। इन 30 सालों में से लगभग दो दशक उसने एकान्त कारावास में बिताए।जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस सी एम पूनाचा की खंडपीठ ने साईबन्ना निंगप्पा नाटिकर द्वारा दायर रिट याचिका को दो आधारों पर स्वीकार कर लिया - उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने में 7 साल और आठ महीने की अत्यधिक देरी/कानून की मंजूरी के बिना एकांत कारावास और एक ही सेल कारावास...

एनडीपीएस एक्ट | लैब रिपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य पूरक आरोपपत्र के माध्यम से दायर नहीं किया जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट
एनडीपीएस एक्ट | लैब रिपोर्ट 'सबसे महत्वपूर्ण' साक्ष्य पूरक आरोपपत्र के माध्यम से दायर नहीं किया जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट की सर्किट बेंच ने हाल ही में आरोप पत्र में विभिन्न 'प्रक्रियात्मक कमजोरियों' को ध्यान में रखते हुए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) के तहत आरोपी की जमानत याचिका को अनुमति दे दी।जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टि, प्रसेनजीत विश्वास की खंडपीठ ने कहा:एक्जामिनेशन रिपोर्ट प्राप्त करने पर पूरक आरोप-पत्र दाखिल करने का मात्र बयान एनडीपीएस एक्ट की धारा 36ए(4) के प्रावधान के तहत वैधानिक आदेश के अनुरूप नहीं है। रासायनिक जांच रिपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य बन जाती...

सीआरपीसी की धारा 451 | जब्त की गई संपत्ति आवश्यकता से अधिक समय तक पुलिस/अदालत के कस्टडी में नहीं रहनी चाहिए: केरल हाईकोर्ट
सीआरपीसी की धारा 451 | जब्त की गई संपत्ति आवश्यकता से अधिक समय तक पुलिस/अदालत के कस्टडी में नहीं रहनी चाहिए: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सीआरपीसी की धारा 451 के दायरे का विश्लेषण किया। उक्त दायरा आपराधिक अदालतों को किसी अपराध की सुनवाई और पूछताछ के दौरान उसके समक्ष पेश की गई जब्त संपत्ति की अंतरिम कस्टडी के आदेश देने का अधिकार देता है।जस्टिस राजा विजयराघवन वी. की एकल न्यायाधीश पीठ का विचार था कि जब कोई संपत्ति आपराधिक अदालत के समक्ष पेश की जाती है तो उक्त अदालत के पास ऐसा आदेश देने का विवेक होगा, क्योंकि वह ऐसी वस्तु की उचित कस्टडी, जांच या ट्रायल के लिए उचित समझती है।हालांकि, कोर्ट ने संकेत...

त्वरित सुनवाई अनुच्छेद 21 की भावना: केरल हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ 12 साल पुराने क्रूरता मामला रद्द किया
त्वरित सुनवाई अनुच्छेद 21 की भावना: केरल हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ 12 साल पुराने क्रूरता मामला रद्द किया

केरल हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह पति के खिलाफ 12 साल पुराने क्रूरता के मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि दोनों पक्षों ने अपने विवाद सुलझा लिए हैं और पीड़िता इस मामले पर आगे मुकदमा नहीं चलाना चाहती है।जस्टिस के बाबू ने कहा कि एफआईआर के आधार पर आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति देने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा होने की संभावना नहीं है, जिसकी जांच बारह साल पहले शुरू हुई थी लेकिन कहीं नहीं पहुंची।पीठ ने कहा, “संहिता के प्रावधानों की अक्षरशः भावना और संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित संवैधानिक संरक्षण के...

नैरेटिव बदलने का दबाव कौन से मामलों में चल सकता है, न्यायाधीश और जांच एजेंसियां मीडिया के दबाव से प्रतिरक्षित नहीं: जस्टिस अनुप जे. भंभानी
नैरेटिव बदलने का दबाव कौन से मामलों में चल सकता है, न्यायाधीश और जांच एजेंसियां मीडिया के दबाव से प्रतिरक्षित नहीं: जस्टिस अनुप जे. भंभानी

दिल्ली हाईकोर्ट के जज, जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने शनिवार को कहा कि जांच एजेंसियां और न्यायाधीश मीडिया के दबाव से अछूते नहीं हैं और किसी मामले के इर्द-गिर्द बने नैरेटिव का दबाव भटक जाता है और मामले की दिशा बदल देता है।न्यायाधीश ने कहा,"आपराधिक न्याय प्रणाली में शामिल लोगों की तरह वकील के रूप में हमें हमेशा यह कहना चाहिए कि हम जो सुनते हैं, जो पढ़ते हैं, उससे हम सभी अचेतन रूप से प्रभावित होते हैं। यह हमारी सोच को प्रभावित करता है।"जस्टिस भंभानी आपराधिक और संवैधानिक न्यायशास्त्र पर प्रवचन केंद्र...

ज्ञानवापी - मस्जिद परिसर के एएसआई के सर्वेक्षण के दौरान मिली कलाकृतियों, अन्य सामग्रियों को संरक्षित करने के लिए वाराणसी न्यायालय में आवेदन
ज्ञानवापी - मस्जिद परिसर के एएसआई के सर्वेक्षण के दौरान मिली कलाकृतियों, अन्य सामग्रियों को संरक्षित करने के लिए वाराणसी न्यायालय में आवेदन

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के चल रहे सर्वेक्षण के दौरान मिली कलाकृतियों और अन्य सामग्रियों को संरक्षित करने के लिए वाराणसी न्यायालय के समक्ष एक नया आवेदन दायर किया गया है । आदेश 7 नियम 39 सीपीसी के तहत आवेदन 2022 के श्रृंगार गौरी पूजा सूट (सूट नंबर 18) में 4 महिला वादी द्वारा एडवोकेट हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी के माध्यम से दायर किया गया है।आवेदन में यह कहा गया है कि एएसआई को जो भी वस्तुएं मिलीं, वे मामले की संपत्ति...

झारखंड हाईकोर्ट ने वित्तीय धोखाधड़ी मामले में अलकेमिस्ट ग्रुप के निदेशक को अग्रिम जमानत दी
झारखंड हाईकोर्ट ने वित्तीय धोखाधड़ी मामले में अलकेमिस्ट ग्रुप के निदेशक को अग्रिम जमानत दी

झारखंड हाईकोर्ट ने वित्तीय धोखाधड़ी और निवेशक धोखाधड़ी से जुड़े मामले में अलकेमिस्ट ग्रुप के निदेशक कृष्णा कबीर को अग्रिम जमानत दे दी।जस्टिस गौतम कुमार चौधरी मामले की सुनवाई कर रहे थे, जो भूमि बुकिंग से संबंधित झूठे वादों के साथ निवेशकों को लुभाने के आरोपों के इर्द-गिर्द घूमता है। धन के कथित गबन और प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 के उल्लंघन के कारण इस मामले ने काफी ध्यान आकर्षित किया।याचिकाकर्ता कृष्ण कबीर ने अन्य मामले के संबंध में अदालत के माध्यम से अग्रिम जमानत...

जब आप उन्हें जारी रखना नहीं चाहते तो ट्रिब्यूनल क्यों बनाएं?: गुजरात हाईकोर्ट ने GujRERA में रिक्त पदों पर राज्य सरकार को फटकार लगाई
'जब आप उन्हें जारी रखना नहीं चाहते तो ट्रिब्यूनल क्यों बनाएं?': गुजरात हाईकोर्ट ने GujRERA में रिक्त पदों पर राज्य सरकार को फटकार लगाई

गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (GujRERA) के सदस्यों और GujRERA अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष और तकनीकी सदस्यों के रिक्त पदों को भरने में विफलता पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा," आप ये ट्रिब्यूनल क्यों बनाते हैं, जब आप इन्हें जारी नहीं रखना चाहते हैं? आप इस अधिनियम को ही विफल करना चाहते हैं। आप अपने हित के खिलाफ काम कर रहे हैं। हम एक सीनियर अधिकारी को बुलाएंगे, अब, यह बहुत हो गया।"अदालत को सूचित किया गया कि GujRERA के...

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारत में 29 बीमा कंपनियों ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट लॉन्च किए
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारत में 29 बीमा कंपनियों ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट लॉन्च किए

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में कुल 29 बीमा कंपनियों ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट पेश करने का कदम ऐसे व्यक्तियों को आशा की किरण प्रदान करेगा। उनके लिए समानता हासिल करने की दिशा में पहला कदम होगा।जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा,“हालांकि उक्त प्रोडक्ट दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सबसे आदर्श नहीं हो सकते हैं, यह केवल दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समानता प्राप्त करने की प्रक्रिया में पहला कदम होगा, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 सहित कानूनों का गंभीर...

मुज़फ़्फ़रनगर मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मारने की घटना - यह देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आघात: यूपी के वकील ने एफआईआर की मांग करते हुए एनएचआरसी का रुख किया
मुज़फ़्फ़रनगर मुस्लिम बच्चे को 'थप्पड़' मारने की घटना - 'यह देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आघात': यूपी के वकील ने एफआईआर की मांग करते हुए एनएचआरसी का रुख किया

उत्तर प्रदेश के एक वकील एसएम हैदर रिज़वी ने राज्य के मुजफ्फरनगर जिले के एक निजी स्कूल की शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख किया है। शिक्षक पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने और कक्षा दो के सभी छात्रों को अपने सहपाठी मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मारने का निर्देश देने का आरोप लगाया गया है । यह घटनाक्रम कथित घटना का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने के कुछ घंटों बाद आया है और मुजफ्फरनगर पुलिस ने तृप्ता त्यागी (नेहा पब्लिक स्कूल की शिक्षिका) के खिलाफ एफआईर दर्ज...

Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child
आजकल पति और उसके परिवार के खिलाफ '5 मामलों का पैकेज' दर्ज कराया जा रहा है,मध्य प्रदेश ‌हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 498ए के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498-ए के दुरुपयोग पर उल्लेखनीय टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवादों को निपटाने के लिए इस धारा का तेजी से दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ "पांच मामलों के पैकेज" का पंजीकरण होता है।जस्टिस विवेक रुसिया ने कहा, “आजकल दंड संहिता, 1860 की धारा 498-ए का उपयोग पति या उसके रिश्तेदारों को दंडित करने के मकसद से किया जा रहा है। अधिकांश मामलों में, इस धारा का दुरुपयोग किया जा रहा...

ऐसे पुराने दावे को पुनर्जीवित नहीं किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल बाद दायर आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर आवेदन खारिज किया
'ऐसे पुराने दावे को पुनर्जीवित नहीं किया जाना चाहिए': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल बाद दायर आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर आवेदन खारिज किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 2016 की धारा 11(4) के तहत आर्बिट्रेटर की नियुक्ति के लिए दायर आवेदन खारिज कर दिया। कोर्ट ने आवेदन खारिज करते हुए कहा कि विवाद होने के 20 साल बाद दायर किया जाने वाला ऐसा आवेदन देरी और देरी से भरा होता है।जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा ने यह देखते हुए कि पक्षकारों के बीच समझौते में आर्बिट्रेशन क्लॉज मौजूद है, कहा,“हालांकि, जो बात रिकॉर्ड में स्वीकार की गई, वह यह है कि वर्ष 2000 में पक्षकारों के बीच विवाद हुआ। आवेदक को आर्बिट्रेशन क्लॉज के...

दुर्गा पूजा महज धार्मिक पूजा नहीं, यह सभी जाति, पंथ, लिंग या धर्म के लोगों   के मिलने की जगह भी है: कलकत्ता हाईकोर्ट
दुर्गा पूजा 'महज धार्मिक पूजा' नहीं, यह सभी जाति, पंथ, लिंग या धर्म के लोगों के मिलने की जगह भी है: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा‌ कि पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक पूजा नहीं है, यह "किसी विशेष समुदाय के शुद्ध धार्मिक प्रदर्शन की तुलना में प्रकृति में कहीं अधिक धर्मनिरपेक्ष है।" जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ न्यू टाउन मेला ग्राउंड पर "दुर्गा उत्सव 2023" समारोह की मेजबानी के लिए दायर याचिका को स्वीकार कर लिया।पीठ ने कहा,"जैसा कि आम तौर पर माना जाता है, दुर्गा पूजा महोत्सव केवल स्त्री शक्ति के अवतार की पूजा या धार्मिक पूजा तक ही...

गिरफ्तारी के अधिकार पर पुलिस को चेक लिस्ट दें, आईपीसी की धारा 498ए के तहत कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी: कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए
गिरफ्तारी के अधिकार पर पुलिस को चेक लिस्ट दें, आईपीसी की धारा 498ए के तहत कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी: कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना में मोहम्मद असफाक आलम बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसरण में पुलिस अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी से संबंधित पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सभी आपराधिक अदालतों के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए।इसमें कहा गया,"उपरोक्त फैसले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि पुलिस अधिकारी अनावश्यक रूप से आरोपी को गिरफ्तार न करें और मजिस्ट्रेट लापरवाही से और ऑटोमैटिक तरीके से...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंपनी के ह्यूमन रिसोर्स वाइस प्रेसिडेंट के खिलाफ यौन उत्पीड़न की एफआईआर रद्द कर दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंपनी के ह्यूमन रिसोर्स वाइस प्रेसिडेंट के खिलाफ यौन उत्पीड़न की एफआईआर रद्द कर दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को शिकायतकर्ता के बयान में सुधार को देखते हुए बीमा कंपनी के ह्यूमन रिसोर्स वाइस प्रेसिडेंट (एचआर) के खिलाफ यौन उत्पीड़न की एफआईआर रद्द कर दी।जस्टिस एएस गडकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हरियाणा राज्य और अन्य बनाम भजन लाल और अन्य का फैसला में दिशानिर्देश 6 और 7 का हवाला दिया।दिशानिर्देशों के अनुसार जहां संहिता या संबंधित अधिनियम में पीड़ित पक्ष की शिकायत के प्रभावी निवारण के लिए विशिष्ट प्रावधान है, वहां एफआईआर रद्द की जा सकती है, या यदि अदालत को लगता है कि एफआईआर...

आपराधिक धमकी | बिना इरादे के केवल शब्दों की अभिव्यक्ति आईपीसी की धारा 506 लगाने के लिए अपर्याप्त: कर्नाटक हाईकोर्ट
आपराधिक धमकी | बिना इरादे के केवल शब्दों की अभिव्यक्ति आईपीसी की धारा 506 लगाने के लिए अपर्याप्त: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में माना कि केवल शब्दों की अभिव्यक्ति, जिसमें ‌शिकायतकर्ता को परेशान करने का इरादा ना हो, उससे कोई कार्य कराना या किसी कार्य को न करने देना, आपराधिक धमकी के दायरे में लाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत निर्धारित है। जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस प्रकार आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड, 1860 की धारा 34 सहपठित धारा 448, 504 और 506 के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान लेते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर...

सीआरपीसी की धारा 438 | अग्रिम जमानत याचिका आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी सुनवाई योग्य होगी: उत्तराखंड हाईकोर्ट
सीआरपीसी की धारा 438 | अग्रिम जमानत याचिका आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी सुनवाई योग्य होगी: उत्तराखंड हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2:1 के बहुमत से माना कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत 'अग्रिम जमानत' के लिए आवेदन पर आरोप-पत्र प्रस्तुत करने के बाद भी विचार किया जा सकता है।चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस मनोज कुमार तिवारी ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि विधायिका ने उस चरण के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया, जिस स्तर तक अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पर विचार किया जा सकता है।उन्होंने कहा,"...अग्रिम जमानत के लिए आवेदन को केवल इसलिए सुनवाई योग्य नहीं माना जा सकता, क्योंकि आरोपी व्यक्ति के खिलाफ आरोप पत्र...