गिरफ्तारी के अधिकार पर पुलिस को चेक लिस्ट दें, आईपीसी की धारा 498ए के तहत कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी: कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए

Shahadat

26 Aug 2023 6:39 AM GMT

  • गिरफ्तारी के अधिकार पर पुलिस को चेक लिस्ट दें, आईपीसी की धारा 498ए के तहत कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी: कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना में मोहम्मद असफाक आलम बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसरण में पुलिस अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी से संबंधित पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सभी आपराधिक अदालतों के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए।

    इसमें कहा गया,

    "उपरोक्त फैसले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि पुलिस अधिकारी अनावश्यक रूप से आरोपी को गिरफ्तार न करें और मजिस्ट्रेट लापरवाही से और ऑटोमैटिक तरीके से हिरासत में लेने की अनुमति न दें।"

    विशेष रूप से उपरोक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में निर्धारित गिरफ्तारी पर दिशानिर्देशों का ईमानदारी से पालन करने को कहा।

    तदनुसार, कलकत्ता हाईकोर्ट ने निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए:

    1. सभी राज्य सरकारें अपने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दें कि आईपीसी की धारा 498-ए के तहत मामला दर्ज होने पर ऑटोमैटिक रूप से गिरफ्तारी न करें, बल्कि सीआरपीसी की धारा 41 के तहत निर्धारित मापदंडों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के बारे में खुद को संतुष्ट करें।

    2. सभी पुलिस अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 41(1) (बी)(ii) के तहत निर्दिष्ट उप-खंडों वाली चेक लिस्ट दी जाए।

    3. पुलिस अधिकारी अभियुक्त को आगे की हिरासत के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष अग्रेषित/पेश करते समय विधिवत भरी हुई चेक लिस्ट अग्रेषित करेगा और उन कारणों और सामग्रियों को प्रस्तुत करेगा जिनके कारण गिरफ्तारी की आवश्यकता हुई।

    4. मजिस्ट्रेट अभियुक्त की हिरासत को अधिकृत करते समय उपरोक्त शर्तों के अनुसार पुलिस अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन करेगा और उसकी संतुष्टि दर्ज करने के बाद ही मजिस्ट्रेट हिरासत को अधिकृत करेगा।

    5. किसी आरोपी को गिरफ्तार न करने का निर्णय, मामले की शुरुआत की तारीख से दो सप्ताह के भीतर मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा, जिसकी प्रति मजिस्ट्रेट को दी जाएगी, जिसे जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा कारणों से बढ़ाया जा सकता है। इसे लिखित रूप में दर्ज किया जाए।

    6. सीआरपीसी की धारा 41-ए के संदर्भ में उपस्थिति की सूचना मामला शुरू होने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर आरोपी को तामील की जाएगी, जिसे जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाया जा सकता है।

    7. उपरोक्त निर्देशों का पालन करने में विफलता संबंधित पुलिस अधिकारियों को विभागीय कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बनाने के अलावा, क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट के समक्ष स्थापित की जाने वाली अदालत की अवमानना के लिए दंडित किए जाने के लिए भी उत्तरदायी होगी।

    8. संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उपरोक्त कारण दर्ज किए बिना हिरासत को अधिकृत करने पर संबंधित हाईकोर्ट द्वारा विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

    अधिसूचना में यह भी कहा गया कि उपरोक्त निर्देश न केवल आईपीसी की 498ए के तहत मामले पर लागू हो सकते हैं, बल्कि उन मामलों पर भी लागू हो सकते हैं, जहां कथित अपराध सात साल से कम या अधिकतम अवधि के लिए दंडनीय है।

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