यौन संबंध स्थापित करने के लिए न्यूनतम पेनेट्रेशन भी पर्याप्त: दिल्ली हाईकोर्ट
Avanish Pathak
26 Aug 2023 3:56 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी पुरुष ने न्यूनतम पेनेट्रेशन भी किया है, तो यह यौन संबंध स्थापित करने के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने कहा, अपराध की प्रकृति कि क्या यह बलात्कार है या बलात्कार करने का प्रयास है, पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 2006 में सात साल की एक बच्ची से बलात्कार का प्रयास करने और उसे एक कमरे में कैद करने के आरोप में 2008 में एक व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने पांच साल के कठोर कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा को भी बरकरार रखा।
कोर्ट ने कहा,
“…अपराध की प्रकृति पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है, चाहे वह बलात्कार हो या बलात्कार करने का प्रयास। यह स्वीकार करना आवश्यक है कि न्यूनतम पेनेट्रेशन भी यौन संबंध स्थापित करने के लिए पर्याप्त है।"
मामले में एफआईआर नाबालिग की मां ने दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह व्यक्ति उसकी दोनों नाबालिग बेटियों को एक कमरे में ले गया और सात साल की बेटी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए।
अदालत ने 2009 में उस व्यक्ति की अपील स्वीकार कर ली थी, साथ ही अपील को लंबित होने तक सजा को निलंबित कर दिया था।
अपील को खारिज करते हुए जस्टिस शर्मा ने कहा कि नाबालिग पीड़िता की गवाही से यह स्पष्ट हो गया कि उसे अकेले कमरे में ले जाया गया, जबकि उसकी छोटी बहन बाहर इंतजार कर रही थी। बलात्कार के के पहलू पर, अदालत ने कहा कि गवाही से यह भी स्पष्ट हो गया कि आदमी ने पेनेट्रेशन किया था।
कोर्ट ने कहा,
"रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के व्यापक विश्लेषण और पीडब्लू-7 के बयान से, यह स्पष्ट है कि यद्यपि बलात्कार को खारिज कर दिया गया है, क्योंकि कोई पेनेट्रेशन नहीं हुआ है, बलात्कार का प्रयास किया गया है क्योंकि अपीलकर्ता ने पेनेट्रेशन करने कोशिश की है, जिसके कारण पीडब्लू-4 को दर्द महसूस होने लगा था। हालांकि, अपीलकर्ता अपने कृत्य को पूरा नहीं कर पाया क्योंकि पीड़िता की मां मौके पर आ गई थी।”
जस्टिस शर्मा ने यह भी कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि पीड़िता को सिखाया गया था। मुकदमे के दरमियान इस आशय का कोई संकेत भी नहीं मिला।
कोर्ट ने फैसले में कहा,
“वर्तमान अपील खारिज की जाती है। इसके मद्देनजर, अपीलकर्ता को सजा की शेष अवधि काटने के लिए पंद्रह दिनों के भीतर संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है।”
केस टाइटल: राहुल बनाम दिल्ली राज्य