मुख्य सुर्खियां
कोर्ट के समक्ष ट्रांजिट वारंट के माध्यम से गिरफ्तार अभियुक्त की पेशी में देरी अनुच्छेद 21 के तहत उसकी मौलिक अधिकार का उल्लंघन है: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रांजिट वारंट पर गिरफ्तार किए गए अभियुक्त की कोर्ट के समक्ष पेशी होने में देरी, उस अभियुक्त के मौलिक अधिकार का हनन है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसे स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्राप्त है।इस मामले में अभियुक्त औपचारिक रूप से एक पी.टी. के माध्यम से गिरफ्तार किया गया था। उसे देरी से मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने वारंट के माध्यम से पेश किया गया था। लेकिन मजिस्ट्रेट ने इस पर यानी देरी से पेशी की बात पर ध्यान नहीं दिया और मजिस्ट्रेट के सामने जिस तारीख को पेश किया...
गिरफ्तारी पुलिस के लिए अंतिम विकल्प होना चाहिए; अतार्किक गिरफ्तारी मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (06 जनवरी) को यह देखा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, पुलिस द्वारा कभी भी गिरफ़्तारी की जा सकती है और पुलिस द्वारा अभियुक्तों (जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है) की गिरफ़्तारी के लिए कोई निश्चित अवधि निर्धारित नहीं होती है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने हालांकि कहा कि गिरफ्तारी, पुलिस के लिए अंतिम विकल्प होना चाहिए और ऐसा "उन असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए जहां अभियुक्त को गिरफ्तार करना अनिवार्य है या उसकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।"न्यायालय के समक्ष...
वर्चुअल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने किया अभद्र भाषा का इस्तेमाल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने "न्यायिक अनुग्रह और उदारता दिखाते हुए अवमानना नोटिस जारी करने से परहेज किया
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने मालेगांव ब्लास्ट मामले से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कठिनाई का सामना क्योंकि याचिकाकर्ता ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान अभद्र और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।अदालत डॉ. सरिता किशोर पारिख और ग्लेन पॉल फर्नांडीज द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (एपीपी) जेपी याग्निक ने बेंच के सामने पेश किया कि जांच और पूछताछ का रिकॉर्ड कोर्ट के सामने लाने की...
संरक्षण याचिका-मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए महिला ने इस्लाम स्वीकार किया, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने युवक को महिला के पक्ष में तीन लाख रुपए का फिक्स्ड डिपॉजिट कराने का निर्देश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (06 जनवरी) को एक मुस्लिम व्यक्ति को उस महिला के पक्ष में, जिसने उससे शादी के लिए इस्लाम धर्म स्वीकार किया था, तीन लाख रुपए का फिक्स्ड डिपॉजिट कराने और उसकी रसीद कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया।जस्टिस सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ दंपति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने मांग की थी कि प्रतिवादियों को उनके विवाहित जीवन में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया जाए और उनके जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की जाए।याचिकाकर्ताओं की दलीलेंयाचिकाकर्ताओं ने अदालत के...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में COVID-19 की स्थिति को देखते हुए अंतरिम आदेशों की अवधि 31 जनवरी तक बढ़ाने का आदेश दिया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट, सभी जिला न्यायालयों, सिविल न्यायालयों, परिवार न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, औद्योगिक न्यायाधिकरणों और राज्य के अन्य सभी न्यायाधिकरणों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों को परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 4 के तहत 31 जनवरी तक बढ़ा दिया है। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा,"पिछला विस्तार 26 नवंबर 2020 को किया गया था। इसके बाद राज्य में COVID-19 के पॉजिटिव मामलों की संख्या के मामले में स्थिति में काफी सुधार हुआ है। कोर्ट कॉम्प्लेक्स में वादियों का...
दो वयस्कों के शांतिपूर्ण जीवन में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंटरफेथ युगल को संरक्षण प्रदान किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क स्वेच्छा से एक साथ रह रहे हैं, तो कोई भी उनके जीवन को बाधित करने का हकदार नहीं है। कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर इंटरफेथ दंपति को उनके अपने परिवारों के हाथों उत्पीड़न का शिकार करने से बचा लिया। न्यायमूर्ति सराल श्रीवास्तव की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि," जहां दो व्यक्ति बहुमत की आयु प्राप्त कर चुके हैं और एक साथ रह रहे हैं तो कोई भी उनके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप करने का हकदार नहीं है।"इस मामले में, हिंदू महिला ने दावा किया कि उसने...
याचिकाकर्ता नशे का आदी हो चुका है, उसे मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास केंद्र में भेजे जाने की जरूरतः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय एनडीपीएस एक्ट के आरोपी को जमानत दी
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह देखते हुए जमानत याचिकाकर्ता मादक पदार्थ का आदी हो चुका है और उसे पुनर्वास केंद्र में ले जाने की आवश्यक है, ताकि उसे मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए जाएं, बुधवार को (06 जनवरी) एनडीपीएस एक्ट के तहत एक आरोपी को जमानत दी।जस्टिस संदीप शर्मा की खंडपीठ ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टांस एक्ट, 1985 की धारा 21 के तहत गिरफ्तार गौरव कुमार की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गौरव कुमार 10 अक्टूबर 2020 से जेल में बंद था।मामले के तथ्यअभियोजन पक्ष के मामले...
रिश्ते में खटास आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता : सिक्किम हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को बरी किया
शादी का वादा करके एक महिला से बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को बरी करते हुए सिक्किम हाईकोर्ट ने कहा कि रिश्ते में खटास आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। 10 जनवरी 2018 को, पीड़िता ने यह आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि आरोपी (मकराज लिंबो) ने 17 जनवरी 2013 को उससे बलात्कार किया था। इस कारण वह गर्भवती हो गई थी और उसने आरोपी की सलाह पर अपना गर्भपात करा लिया था। यह भी आरोप लगाया गया था कि उसने इसके बाद भी उससे कई बार बलात्कार किया था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड...
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने NALSA विनियम के विनियमन17 के अनुपालन में मुआवजे का आदेश पारित करने के लिए लोक अदालतों को निर्देश दिया
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रेखा मित्तल ने कहा कि न्यायपालिका के सदस्य के रूप में लंबे अनुभव के दौरान उन्होंने कभी कोई ऐसा मामला नहीं पाया ,जहां लोक अदालत ने नियमन 17 के प्रावधानों के अनुपालन में मुआवजा देने का आदेश पारित किया हो या कभी इस पर विचार किया हो।कोर्ट ने आगे कहा कि,"पंजाब, हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ राज्यों के लोक अदालतों के विनियम 17 के प्रावधानों के अनुपालन में मुआवजा पारित करने के लिए निर्देशित दिया जाता है।"[नोट: राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (लोक अदालत)...
केरल हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह पंजीकरण की अनुमति दी
केरल हाईकोर्ट ने श्रीलक्ष्मी जे.एस. बनाम कडुकुट्टी ग्राम पंचायत और अन्य WP (C) .No.27387 of 2020 मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह पंजीकरण की औपचारिकताओं को पूरा करने की अनुमति दी।याचिकाकर्ता ने अपने पति सनूप के साथ 24.08.2019 को प्रथागत संस्कार के अनुसार विवाह किया था। उन्होंने केरल रजिस्ट्रेशन ऑफ मैरिज (कॉमन) रूल्स, 2008 (रूल्स) के संदर्भ में स्थानीय रजिस्ट्रार ऑफ मैरिजेज (कॉमन) के समक्ष विवाह के पंजीकरण का आवेदन प्रस्तुत किया था। लेकिन विवाह पंजीकरण पूरा होने से पहले ही...
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की सेवानिवृत्ति के बाद 20 सितंबर, 2020 से जस्टिस नोंग्मीकापम कोटिसवार सिंह गुवाहाटी हाईकोर्ट कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे हैं।केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है:"भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के खंड (1) द्वारा प्रदान की गई शक्तियों के तहत...
UAPA की धारा 45 के तहत अनुमति प्राधिकरण का निर्धारण करने के लिए घटनास्थल नहीं, बल्कि जांच एजेंसी महत्वपूर्णः केरल हाईकोर्ट
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 45 के तहत अनुमोदन प्राधिकारी का निर्धारण करने के लिए घटना की जगह मायने नहीं रखेगी। केरल हाईकोर्ट ने काठिरूर मनोज हत्या मामले में माकपा नेता पी जयराजन और अन्य अभियुक्तों की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चैली की खंडपीठ ने कहा कि अनुमोदन प्राधिकरण के निर्धारण के लिए जो सवाल मायने रखता है, वह यह है कि जांच एजेंसी को कौन नियंत्रित करता है। अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया था कि चूंकि अपराध केरल में हुआ है,...
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा और विधिमान्यकरण अध्यादेश 2020 के खिलाफ नई याचिका को खारिज किया, उचित वैकल्पिक फोरम जाने की स्वतंत्रता दी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा और विधिमान्यकरण अध्यादेश 2020 के पारित करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को उचित वैकल्पिक फोरम में संपर्क करने की स्वतंत्रता दी। जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने 1978 से 1986 तक यूपी सरकार में सिंचाई, भूजल विभाग, पीडब्लूडी में कार्य प्रभार कर्मचारियों के रूप में नियुक्त 159 याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई की, जिसने आग्रह किया कि 2019 में प्रेम सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा...
SC/ST एक्ट की धारा18 : जब तक कि आरोपी का कृत्य इस विचार से प्रभावित न हो कि पीड़ित SC/ST समुदाय से है तो अग्रिम ज़मानत के प्रतिबंध लागू नहीं होते
दिल्ली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत गिरफ्तार अभियुक्त को अग्रिम जमानत प्रदान की। कोर्ट ने कहा कि,"सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत की मांग की गई थी। इस तहत की जमानत पर रोक तभी लगाई जा सकती है, जब SC/ST एक्ट की धारा- 18 के तहत अपराध किया गया हो। इस धारा का मतलब है कि आरोपी जानबूझ कर इसलिए अपराध करता है क्योंकि पीड़ित एससी या एसटी समुदाय का सदस्य है।"कोर्ट ने एससी/एसटी...
जस्टिस हिमा कोहली ने तेलंगाना हाईकोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने गुरुवार को तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। तेलंगाना के राज्यपाल डॉ तमिलिसाई साउंडराजन ने हैदराबाद के राजभवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस कोहली की नियुक्ति के साथ ही तेलंगाना हाईकोर्ट को अपनी पहली महिला मुख्य न्यायाधीश मिली है। इस समय वह देश के 25 हाईकोर्ट में से वर्तमान में एक में अकेली महिला मुख्य न्यायाधीश हैं।यह 31 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट की एक न्यायाधीश से तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश...
COVID-19 जागरूकता कॉलर-ट्यून से अमिताभ बच्चन की वॉयसओवर हटाने की मांगः दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर
दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक 'जनहित याचिका' दायर की गई है जिसमें COVID-19 कॉलर-ट्यून से बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन के वॉयसओवर को हटाने के लिए भारत संघ को निर्देश देने की मांग की गई है। दलील में कहा गया है कि बच्चन का न तो "साफ-सुथरा इतिहास" है और न ही उन्होंने "सामाजिक कार्यों" द्वारा राष्ट्र की "सेवा" की है। याचिका बच्चन के खिलाफ पूर्व के मामलों का हवाला देते हुये दावा करती है कि बच्चन के खिलाफ जो मामले दर्ज किए गए हैं या लंबित हैं, उनमें से बहुत सी विशेषताओं के कारण भी अभिनेता ऐसी "सेवा"...
"उसे मादक पदार्थ की लत लग गई है और मुख्यधारा में लाने के लिए उसका पुनर्वास करने की आवश्यकता है": एचपी हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत आरोपित व्यक्ति को जमानत दी
यह देखते हुए कि न्यायालय के समक्ष जमानत आवेदक-याचिकाकर्ता, मादक पदार्थ का आदी हो गया है और इस तरह, उसे पुनर्वास केंद्र में ले जाना आवश्यक है, ताकि जमानत आवेदक-याचिकाकर्ता को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयास किए जा सकें, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार (06 जनवरी) को एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक व्यक्ति को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की पीठ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेन्स एक्ट, 1985 के सेक्शन 21, 29-65-85 के तहत एक गौरव कुमार (जो 10 अक्टूबर 2020 से जेल में था) की नियमित जमानत...
मालेगांव धमाका मामला: मुकुल रोहतगी ने पीड़ितों के रिश्तेदारों द्वारा आपत्तियों के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की पैरवी से इनकार कर दिया
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में पीड़ितों के रिश्तेदारों द्वारा की गई आपत्ति के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के लिए उपस्थित नहीं हुए। बम विस्फोट मामले में छह मृतकों के परिजनों ने रोहतगी को एक ईमेल भेजा था जिसमें कहा गया था कि वह 2015 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के लिए पेश हुए थे, जब वह भारत के अटॉर्नी जनरल थे। उन्होंने यह भी कहा कि एनआईए ने 2016 में कानून मंत्रालय से पुरोहित के खिलाफ...
दिल्ली हाईकोर्ट ने बीसीआई को एआईबीई-2021 एग्जाम के फिजिकल संचालन के लिए एसओपी जारी करने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने एडवोकेट पूरव मिड्ढा द्वारा दायर एक याचिका पर वर्चुअल माध्यम से सुनवाई करते हुए ऑल इंडिया बार परीक्षा, 2021 के संचालन के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को COVID-19 महामारी के बीच 24 जनवरी, 2021 को होने जा रही ऑल इंडिया बार एग्जाम (AIBE) के फिजिकल संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी करने का आदेश दिया। बीसीआई ने इंटरनेट सुविधाओं तक पहुंच नहीं रखने वाले अधिकांश परीक्षार्थियों के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए परीक्षा के ऑनलाइन संचालन के विकल्प को खारिज कर दिया। एडवोकेट...
हाईकोर्ट CrPC 482 के तहत नॉन-कंपाउंडेबल मामले में दोषसिद्धि को केवल इस आधार पर रद्द नहीं कर सकता कि आरोपी और शिकायतकर्ता ने सजा के बाद समझौता किया है: बॉम्बे हाईकोर्ट
एक महत्वपूर्ण फैसले में, बॉम्बे हाईकोर्ट की एक पूर्ण पीठ, [नागपुर बेंच] ने मंगलवार को कहा कि हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक नॉन-कंपाउंडेबल मामलों ( जिन मामलों में समझौता नहीं हो सकता) अभियुक्तों को दोषी ठहराए जाने के आदेश को केवल इस आधार पर रद्द नहीं कर सकता है कि आरोपी और शिकायतकर्ता सजा के बाद समझौता कर चुके हैं। हालांकि, यह केवल दुर्लभतम से दुर्लभ मामलों में प्रत्येक मामले के व्यक्तिगत तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर किया जा सकता है।यह अवलोकन...




















