"यह इस देश में और सरकारी अधिकारी के साथ ही हो सकता है": मद्रास हाईकोर्ट ने मुआवजे के भुगतान में 54 साल की देरी के मामले में कहा

LiveLaw News Network

9 Feb 2021 9:06 AM IST

  • यह इस देश में और सरकारी अधिकारी के साथ ही हो सकता है: मद्रास हाईकोर्ट ने मुआवजे के भुगतान में 54 साल की देरी के मामले में कहा

    मद्रास हाईकोर्ट (मदुरै बेंच) ने पिछले हफ्ते देखा कि तमिलनाडु राज्य के सरकारी आधिकारिक द्वारा बस डिपो स्थापित करने के लिए अधिग्रहित भूमि के टुकड़े के लिए, मुआवजे के भुगतान में 54 साल तक की देरी की गई।

    न्यायमूर्ति आर. सुब्रमण्यन की खंडपीठ ने कहा कि,

    "भूमि के अधिग्रहण के बाद अब लगभग 54 साल हो गए हैं। यह केवल इस देश में और सरकारी अधिकारी के साथ हो सकता है।"

    न्यायालय के समक्ष मामला

    तमिलनाडु सरकार ने सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 148 के तहत एक याचिका दायर की, जिसमें पलानी के उप न्यायालय के समक्ष अर्जित ब्याज के साथ मुआवजा राशि जमा करने के लिए आगे चार महीने का समय देने की मांग की गई। उप न्यायालय द्वारा 1974 के L.A.O.P.No.73 में पारित निर्णय के निष्पादन में कार्यवाही हुई।

    भूमि 03.08.1967 को 4 (1) अधिसूचना के तहत पलानी में बस डिपो के गठन के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई थी।

    21 अक्टूबर 2010 के आदेश द्वारा, निष्पादन अदालत ने पलानी के राजस्व विभागीय अधिकारी के कार्यालय में टेबल और कुर्सियों लगाने का निर्देश दिया। उक्त आदेश को चुनौती देते हुए, उपरोक्त संशोधन 2011 में न्यायालय के समक्ष दायर किया गया था।

    जब सुनवाई के लिए आखिरकार संशोधन किया गया था, तो सरकारी अधिवक्ता ने विशेष तहसीलदार द्वारा हस्ताक्षरित गणना का एक ज्ञापन प्रस्तुत किया था जिसमें दिखाया गया था कि 25,42,894 रूपए देने बाकी हैं। यह भी वचन दिया गया कि उक्त राशि का भुगतान 10.01.2019 को या उससे पहले किया जाएगा।

    हालांकि, उक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया था और राजस्व विभाग के अधिकारी डिंडीगुल ने तत्काल आवेदन देकर समय बढ़ाने की मांग की थी।

    यह देखते हुए कि सरकारी अधिकारी नागरिकों के अधिकारों से संबंधित "सुस्त, उदासीन और क्रूर" रहे हैं। कोर्ट ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मेरे निष्कर्ष को सही ठहराने के लिए कोई और तथ्य जरूरी है कि न तो सरकार और न ही इसके अधिकारी नागरिकों के कल्याण में रुचि रखते हैं। इसके साथ ही वे न्यायालय के आदेशों का सम्मान भी नहीं करते हैं। पारित निर्णय के पूरा करने के लिए बहाने बनाए गए हैं।"

    अंत में, विशेष सरकारी याचिकाकर्ता द्वारा किए गए "उत्कट अनुरोध" को देखते हुए मुआवजा (Award) देने के लिए 25 मार्च 2021 तक का समय दिया गया।

    न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि उस दिन तक संपूर्ण शेष मुआवजा जमा नहीं किया जाता है, तो डिंडीगुल के जिला कलेक्टर, 26 मार्च 2021 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा।

    केस का शीर्षक - डिंडीगुल जिले के जिला कलेक्टर और अन्य बनाम वी. सरस्वती और अन्य [CMD (MD). No. 2487 of 2019 in CRP (MD). No. 919 of 2011]

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



    Next Story