आंध्र प्रदेश के पंचायती राज और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री को 'हाउस अरेस्ट' करने के चुनाव आयोग के निर्देश पर रोक, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने रविवार को विशेष सुनवाई के बाद दिया निर्देश
LiveLaw News Network
7 Feb 2021 8:22 PM IST
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पंचायती राज और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री पी रामचंद्र रेड्डी को घर में नजरबंद करने के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस डीवीएसएस सोमयाजुलु ने रविवार (7 फरवरी) को आयोग के आदेश के खिलाफ दायर मंत्री की याचिका पर पर विचार के लिए विशेष बैठक आयोजित की, जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयोग के पास मंत्री को 21.02.2021 तक घर में नजरबंद रहने का आदेश देने की शक्ति नहीं है।
अदालत ने, हालांकि, आयोग के आदेश के उस हिस्से को बरकरार रखा, जिसमें चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक पंद्रह दिनों की अवधि के लिए मंत्री को प्रेस से बात करने से रोक दिया गया है।
05.02.2021 को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री द्वारा दिए गए बयानों पर ध्यान देने के बाद आयोग ने मंत्री के खिलाफ उक्त आदेशों दिए थे। माना गया था कि मंत्री के बयान कथित रूप से राज्य चुनाव आयोग और अधिकारियों को छुपी धमकी जैसे थे। आयोग ने निर्देश दिया कि मंत्री 21.02.2021 तक चुनाव पूरा होने तक अपने घर में ही रहेंगे। हालांकि, उन्हें मंत्री के रूप में अपने संवैधानिक कर्तव्यों और वैध जिम्मेदारियों के निर्वहन और चिकित्सा सहायता लेने आदि की अनुमति दी गई थी।
अदालत ने अपने फैसले में मंत्री के बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था, "राज्य सरकार अधिकारियों (कलेक्टरों और रिटर्निंग अधिकारियों) पर ध्यान दे रही है, निश्चित रूप से उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी और उन्हें तब तक के लिए ब्लैक लिस्ट भी करेगी, जब तक कि वह सत्ता में है।"
कोर्ट ने आदेश में कहा, "अदालत की राय में वर्तमान सरकार सर्वसम्मति से चुनावों को प्रोत्साहित कर रही है, याचिकाकर्ता का कथन कि अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा, इसे एक ऐसी कार्रवाई नहीं कहा जा सकता है, जिसे सरकार की नीति के प्रचार के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
यदि याचिकाकर्ता ने खुद को सर्वसम्मति से चुनावों के फायदे तक सीमित कर दिया था या प्रोत्साहन प्रदान किया था, जैसा कि विद्वान वरिष्ठ वकील को प्रस्तुत किया है, स्वीकार किया जा सकता है। हालांकि, इस अदालत की प्रथम दृष्टया राय में, याचिकाकर्ता के बयान कि निश्चित रूप कार्रवाई होगी और यह कि कलेक्टरों और रिटर्निंग ऑफिसरों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा, चुनाव दरमियान में अधिकारियों के कर्तव्य पालन में हस्तक्षेप जैसा है। "
आयोग के 'हाउस अरेस्ट' के आदेश पर कोर्ट ने कहा, "तय कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया और जिसे कानून की उचित प्रक्रिया कहा जाता है, के अलावा, किसी अन्य प्रक्रिया से जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं हो सकता है। इस संबंध में मामला कानून दोहराये जाने के लिए बखूबी तय है।
किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने या हाउस अरेस्ट करने की कार्रवाई तभी की जा सकती है, जब वह कानून द्वारा समर्थित हो। कोर्ट की राय में, चुनावों और इसकी प्रक्रिया के अधीक्षण और नियंत्रण की शक्ति, याचिकाकर्ता को उसके घर में नजरबंद करने के आदेश देने तक विस्तारित नहीं हो सकती है। अदालत ने मुद्दे की प्रथम दृष्टया जांच के बाद मानती है कि राज्य चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की शक्ति नहीं है कि याचिकाकर्ता को 21.02.2021 तक अपने घर में नजरबंद रहे..।
कोर्ट ने मंत्री को प्रेस बात नहीं करने के आयोग के निर्देश को बरकरार रखा।
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