मुख्य सुर्खियां
'मोटरसाइकिल टैक्सी सेवाओं की परमिट के लिए किए गए आवेदन पर दो महीने के भीतर विचार करें': कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में मोटरसाइकिल टैक्सी सेवाओं की परमिट के लिए किए गए आवेदन पर दो महीने के भीतर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया है।न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न और न्यायमूर्ति जे एच काजी की खंडपीठ ने एएनआई टेक्नॉलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर अपील का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया।याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2 (7) अनुबंध गाड़ी को परिभाषित करती है जो एक समावेशी परिभाषा है और इसमें परिवहन वाहनों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और...
कर्नाटक राज्य बार काउंसिल ने COVID-19 पॉजीटिव आने वाले वकीलों की आर्थिक मदद करने का फैसला लिया
कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल ने COVID-19 पॉजीटिव पाए जाने वाले और अपने घरों में आइसोलेट वकीलों के लिए रु. 10,000 और उन वकीलों के लिए COVID-19 पॉजीटिव पाए गए हैं और अस्पतालों में भर्ती हैं, उनकी 25,000 रुपये की राशि से मदद करने का फैसला किया है।बार काउंसिल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार,"संक्रमित वकीलों की पीड़ा को कम करने के लिए बार काउंसिल ने 7 मई, 2021 को आयोजित अपनी बैठक में सर्वसम्मति से इस मामले पर फैसला लिया है।"इसके अलावा यह कहा गया है कि कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल ने कर्नाटक के...
COVID-19 के कारण मरने वाले न्यायिक अधिकारियों और कोर्ट स्टाफ के परिजनों के लिए अनुग्रह राशि की मांग, दिल्ली उच्च न्यायालय ने याचिका पर जारी किया नोटिस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें COVID-19 के कारण मौत का शिकार हुए न्यायिक अधिकारियों और कोर्ट स्टाफ के परिजनों को एक करोड़ और 50 लाख रुपए अनुग्रह राशि प्रदान करने की मांग की गई है। याचिका में हाल ही में COVID-19 के कारण मरने वाले न्यायिक अधिकारियों कोवई वेणुगोपाल और कामरान खान को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने की मांग की गई है।चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जीएनसीटीडी, वित्त विभाग, जीएनसीटीडी, गृह मंत्रालय, दिल्ली सचिवालय,...
'अस्पताल के निदेशक और विभाग के प्रमुख को रोगी के बीमारी की प्रकृति और उपचार के बारे में जानकारी होनी चाहिए': दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में चिकित्सा संस्थान के निदेशक और विभाग के प्रमुख को रोगी के कल्याण को ध्यान में रखते हुए रोगी के बीमारी की प्रकृति और इलाज के बारे में जानकारी होनी चाहिए।मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने यह अवलोकन उस मामले में किया, जिसमें बेंच मेहराज बानो द्वारा दायर एक पत्र अपील पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया कि चिकित्सा उपचार और उसके नाबालिग बेटे के बीमार होने के संबंध में कुछ निजता की जानकारी आईएचबीएएस में उपचार करने वाले...
COVID- "अस्पताल ज्यादा चार्ज वसूल कर महामारी का लाभ उठा रहे हैं": मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा
मद्रास हाईकोर्ट (मदुरै खंडपीठ) ने गुरुवार (6 मई) को निजी अस्पतालों के लिए COVID-19 रोगियों के लिए कुल बेड की संख्या का न्यूनतम 50% आवंटित करने का सरकारी आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य से जवाब मांगा है।न्यायमूर्ति एम. एस. रमेश और न्यायमूर्ति बी. पुगलेंधी की एक खंडपीठ ने कहा,"इस कठिन समय के दौरान भी कुछ अस्पतालों द्वारा अत्यधिक बिल वसूल किया जा रहा है, जिसे अनुमति नहीं दी जा सकती। अस्पताल COVID-19 महामारी की स्थिति का लाभ उठा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि...
सीनियर एडवोकेट आर. षणमुगसुंदरम को तमिलनाडु के लिए अगले महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया
तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने वरिष्ठ वकील आर. षणमुगसुंदरम को तमिलनाडु राज्य का नया महाधिवक्ता नियुक्त किया है। यह फैसला एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी द्वारा हाल ही में संपन्न तमिलनाडु राज्य विधानसभा चुनावों में नई सरकार के गठन के कुछ दिनों बाद आया है।1 मई को तमिलनाडु के तत्कालीन एडवोकेट जनरल विजय नारायण ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी (जिन्होंने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को अपना इस्तीफा सौंप दिया) को अपना इस्तीफा भेज दिया...
'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश, एक धार्मिक समूह अन्य समुदायों के धार्मिक जुलूसों, समारोहों को आयोजित करने के मौलिक अधिकार का विरोध नहीं कर सकता': मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि, "अगर धार्मिक असहिष्णुता की अनुमति दी जा रही है तो यह एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए अच्छा नहीं है। किसी भी धार्मिक समूह पर किसी भी रूप में असहिष्णुता फैलाने पर रोक लगाई जानी चाहिए।"न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति पी. वेलुमुरुगन की खंडपीठ कुछ हिंदू त्यौहारों / धार्मिक जुलूसों के आयोजन पर हिंदू और मुस्लिम (गांव में) के बीच एक लंबे समय से चल रहे विवाद पर सनुवाई कर रही थी।कोर्ट ने कहा कि,"भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और केवल इसलिए कि एक धार्मिक समूह एक विशेष...
राम जन्मभूमि मामले में फैसला देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति धर्म वीर शर्मा का निधन
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति धर्म वीर शर्मा का लंबी बीमारी के बाद कल निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। वर्ष 2010 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वह परिवार के साथ लखनऊ में रह रहे थे।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ट्वीट में परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।न्यायमूर्ति धर्म वीर शर्मा उन तीन न्यायाधीशों में से एक थे, जिन्होंने 2010 में अयोध्या विवाद में अपना फैसला दिया था।न्यायमूर्ति धर्म वीर शर्मा (विघटनकर्ता) ने मुस्लिम मामले को भी खारिज कर दिया था। हालांकि, तीनों...
कोर्ट हियरिंग की रिपोर्ट करने की स्वतंत्रताः सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मीडिया के लिए ई-एक्सेस की मांग
सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के मद्देनजर (भारत का चुनाव आयोग बनाम एमआर विजया भास्कर एलएल 2021 एससी 244),जिसमें अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों और वकीलों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों और चर्चाओं की रिपोर्ट करने के लिए मीडिया की स्वतंत्रता को बरकरार रखा है, गुजरात हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर मीडिया के लिए ई-एक्सेस की मांग की गई है।गुजरात राज्य में कोरोना महामारी के प्रबंधन से संबंधित हाईकोर्ट के समक्ष चल रहे एक मामले में [Suo Motu Writ Petition (PIL) No. 53 of 2021] यह आवेदन...
'POCSO एक्ट की धारा 35 का अनुपालन नहीं करने से आरोपी को जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं देता' : कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 35 का अनुपालन नहीं करने से आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं देता है।POCSO एक्ट की धारा 35 में यह प्रावधान है कि विशेष न्यायालय द्वारा अपराध के संज्ञान लेने के तीस दिनों की अवधि के भीतर बच्चे के साक्ष्य को दर्ज किए जाएगा और यदि इसमें किसी तरह की देरी होती है तो देरी के कारणों को विशेष न्यायालय द्वारा दर्ज किया जाएगा। अधिनियम की धारा 35 इसके अलावा यह भी कहती है कि विशेष अदालत अपराध का...
COVID-19- उड़ीसा हाईकोर्ट ने बुजुर्गों, विकलांगों और अन्य लोगों जो वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं जा सकते उन्हें घर पर वैक्सीन दिए जाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र जवाब मांगा
उड़ीसा हाईकोर्ट ने गुरुवार को बुजुर्गों, विकलांगों और अन्य लोगों, जो वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं जा सकते उन्हें घर पर वैक्सीन दिए जाने को लेकर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल को दिए अपने एक फैसले के संदर्भ में याचिका को 12 मई को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।सोहन मिश्रा और दो अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में ऐसे लोगों को घर पर वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।मुख्य...
'170 वकीलों की मौत हो गई है, यह समय हाथ मिलाने का है": P&H बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस को हटाने के P&H हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव पर रोक लगाई
एक महत्वपूर्ण कदम में, पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल ने 'पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन' के कार्यकारी निकाय द्वारा पारित एक प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। प्रस्ताव में चीफ जस्टिस रवि शंकर झा के स्थानांतरण की मांग की गई थी।यह कहते हुए कि "अप्रत्याशित और अनिश्चित स्थिति ने बार काउंसिल को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर कर दिया है", काउंसिल ने एचसीबीए के संकल्प को "पूर्णतया अनुचित और अनावश्यक" कहा है। किसी भी अन्य मुद्दे सहित उल्लेख का मुद्दा 3 सप्ताह तक इंतजार कर सकता है और इसे उपयुक्त समय पर...
लॉकडाउन-''राज्य में कहीं भी प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता कार्यालय जाने के लिए पास के लिए आवेदन कर सकते हैं'': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
अपने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज निर्देश दिया है कि राज्य के किसी भी जिला मुख्यालय में कहीं भी रहने वाला प्रैक्टिसिंग एडवोकेट इस समय चल रहे लॉकडाउन/कोरोना कर्फ्यू के दौरान अपने निवास स्थान से कार्यालय आने-जाने के लिए पास बनवाने के लिए अप्लाई कर सकता है। अपने पूर्व के आदेश में, मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने केवल जबलपुर, इंदौर, और ग्वालियर के जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया था कि वे अधिवक्ताओं,उनके जूनियर्स और अधिवक्ता...
'कोई भी सुरक्षित नहीं है जब तक कि हर व्यक्ति की सुरक्षा न हो': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से राज्य में वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में उठाए गए कदमों के बारे में पूछा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यूपी सरकार से कहा कि वह राज्य में COVID-19 वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताए ताकि 3-4 महीने के भीतर सभी को COVID-19 वैक्सीन दी जा सके। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की एक डिवीजन बेंच ने कहा,"हमें यह याद रखना चाहिए कि COVID-19 वायरस के संदर्भ में जब तक कि प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा नहीं हो जाती, कोई भी सुरक्षित नहीं है।"हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह न्यायालय को इस बात...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
03 मई 2021 से 08 मई 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़रइलाहाबाद हाईकोर्ट के COVID-19 से हुई मतदान अधिकारियों की मौत के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस के बाद यूपी सरकार ने उनके परिवार वालों के लिए 30 लाख रूपये के मुआवजे की घोषणा कीइलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा COVID-19 के कारण राज्य में 135 मतदान अधिकारियों की कथित मौत के मामले में संज्ञान लेने के कुछ दिनों बाद यूपी सरकार ने उनके परिवार वालों के लिए 30,00,000 रूपये के मुआवजे की घोषणा की है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत...
'लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए मजबूर नही किया जा सकता': दिल्ली हाईकोर्ट ने प्लाज़्मा डोनेट करने को अनिवार्य करने के लिए कानून बनाने की मांग वाली याचिका खारिज की, 10 हज़ार रूपए का जुर्माना लगाया
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्लाज्मा डोनेट करने को अनिवार्य करने के लिए कानून बनाने की मांग वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मजबूर नहीं किया जसकता। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को 'तुच्छ और आधारहीन' कहते हुए याचिकाकर्ता पर 10 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया।मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की,"हम उत्तरदाताओं को न तो प्लाज्मा के अनिवार्य दान के लिए कानून या नीति का मसौदा तैयार करने के लिए मजबूर कर...
'एक राष्ट्र, एक दाम': राजस्थान हाईकोर्ट ने COVID-19 वैक्सीन के अलग-अलग दामों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को COVID-19 वैक्सीन के संबंध में 'एक राष्ट्र, एक दाम' नीति को लागू करने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनित कुमार माथुर की एक खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 मई को तय की है।याचिका अधिवक्ता मनीष भुंवाल ने यह कहते हुए दायर की है कि केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों द्वारा वैक्सीन की खरीद में मूल्य भिन्नता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन की गारंटी के मौलिक अधिकार का...
इलाहाबाद हाईकोर्ट के COVID-19 से हुई मतदान अधिकारियों की मौत के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस के बाद यूपी सरकार ने उनके परिवार वालों के लिए 30 लाख रूपये के मुआवजे की घोषणा की
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा COVID-19 के कारण राज्य में 135 मतदान अधिकारियों की कथित मौत के मामले में संज्ञान लेने के कुछ दिनों बाद यूपी सरकार ने उनके परिवार वालों के लिए 30,00,000 रूपये के मुआवजे की घोषणा की है।जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की एक डिवीजन बेंच को राज्य सरकार ने सूचित किया कि,"राज्य सरकार ने मृतक मतदान अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को 30,00,000 रूपये का मुआवजा देने का निर्णय लिया है।"कोर्ट ने 135 शिक्षकों, शिक्षा मित्र और जांचकर्ताओं की मृत्यु पर न्यायिक नोटिस जारी...
"एक ट्वीट पर भरोसा करते हुए दाखिल यह याचिका पब्लिसिटी इंटरेस्ट याचिका है": दिल्ली HC ने दिल्ली सरकार पर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोप वाली याचिका को 50K लागत के साथ खारिज किया
एक याचिका से निपटते हुए जहां याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाया था कि वह इस आशंका में है कि दिल्ली सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही है, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (4 मई) को याचिका को 50 हजार की लागत के साथ खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 'ट्विटर' पर किसी और के 'ट्वीट' पर भरोसा करते हुए रिट याचिका दायर की थी। "ऐसा प्रतीत होता है कि यह सार्वजनिक हित याचिका नहीं है, बल्कि एक प्रचार हित याचिका है ... इस प्रकार ...
COVID के दौरान चिकित्सा/स्वास्थ्य बीमा आवश्यक सेवाएं हैं, बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को स्वतंत्र संचलन से रोका नहीं जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
यह रेखांकित करते हुए कि COVID-19 महामारी की स्थिति के दौरान चिकित्सा बीमा और स्वास्थ्य बीमा सेवाएं आवश्यक सेवाएं हैं, गुरुवार (6 मई) को दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह देखा कि बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को मुक्त संचलन (Free movement) से रोका नहीं जा सकता है, खासकर महामारी की स्थिति के दौरान। दरअसल न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की खंडपीठ याचिकाकर्ता बीमा कंपनी, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका से निपट रही थी जो स्वास्थ्य बीमा योजनाओं और मेडिक्लेम नीतियों के...



















