मुख्य सुर्खियां
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (21 नवंबर, 2022 से 25 नवंबर, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।पॉक्सो एक्ट | बच्चे का यौन उत्पीड़न संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है: दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि बच्चे का यौन उत्पीड़न यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO Act) अधिनियम, 2012 की धारा 12 के तहत दंडनीय अपराध है। इसके साथ ही उक्त अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध भी है।चीफ जस्टिस सतीश...
सत्येंद्र जैन को तिहाड़ जेल में विशेष सुविधा दी गई, फलों और सब्जियों की आपूर्ति जेल नियमों का उल्लंघन: दिल्ली कोर्ट
दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता सत्येंद्र जैन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दिल्ली जेल नियमों का उल्लंघन करते हुए उन्हें फल और सब्जियां मुहैया कराकर उनके साथ 'तरजीही व्यवहार' किया।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन वर्तमान में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में है।विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कहा कि राज्य देश में किसी को भी विशेष सुविधा नहीं दे सकता है।न्यायाधीश ने कहा,"इसलिए इस अदालत का प्रथम दृष्टया...
कर्नाटक के जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण अधिनियम के तहत अपराधों के लिए धारा 438 और 439 सीआरपीसी के तहत आवेदन सुनवाई योग्य नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि जब कर्नाटक वित्तीय प्रतिष्ठानों में जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2004 (केपीआईडीएफई) के तहत किए गए अपराध एफआईआर में शामिल किए गए हों, तब सीआरपीसी की धारा 438 (अग्रिम जमानत) या 439 (जमानत) के तहत याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस राजेंद्र बादामीकर की पीठ ने कहा कि जमानत याचिका खारिज होने से व्यथित आरोपी अधिनियम की धारा 16 के तहत अपील दायर कर सकता है।मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता कंपनी का निदेशक है, उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 419, 406, 403, 120-बी और 506,...
पूर्व सीजेआई बोबडे के नेतृत्व में भारतीय भाषा समिति कानूनी शर्तों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने पर काम कर रही है : केंद्रीय कानून मंत्री
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने 26 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में सभा को संबोधित किया। रिजिजू ने न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए टैक्नोलोजी के उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 'भारतीय भाषा समिति' के बारे में भी बात की, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री के अनुवाद के लिए एक सामान्य कोर शब्दावली विकसित करने के लिए कानून की शाखाओं में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शब्दों और वाक्यांशों को...
"राज्य के पास अपनी नीति बनाने के शक्ति": पुलिस विभाग में ट्रांसजेंडरों के प्रवेश का विरोध करने पर एमएटी ने महाराष्ट्र सरकार की निंदा की
महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने शुक्रवार को राज्य पुलिस विभाग में ट्रांसजेंडरों के नामांकन के लिए आवेदन पत्र में "अन्य लिंग" के विकल्प को जोड़ने के लिए राज्य सरकार के विरोध पर नाराजगी जताई कि महाराष्ट्र सरकार ने जब प्रशासनिक कठिनाइयों और पहले केंद्र सरकार से एक नीति की आवश्यकता का हवाला दिया, तब एमएटी अध्यक्ष जस्टिस मृदुला भाटकर की राय थी कि राज्य "अपनी खुद की नीति बनाने और ऐसे मामलों में निर्णय लेने में पूरी तरह से सशक्त था।"चेयरपर्सन ने बिहार, कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों द्वारा संबंधित...
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24-सोशल मीडिया पर जॉब ऑफर लेटर को पोस्ट करना पत्नी के रोजगार का अपर्याप्त सबूतः बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक मामले में एक महिला को अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए कहा कि नौकरी की पेशकश के बारे में केवल सोशल मीडिया पोस्ट करने का मतलब यह नहीं है कि वह वास्तव में कार्यरत थी। एक रिट याचिका पर विचार करते हुए औरंगाबाद पीठ के जस्टिस संदीप वी. मार्ने ने याचिकाकर्ता-पत्नी को भरण-पोषण देने से इनकार करने वाले फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी-पति ने ऐसा कोई वास्तविक प्रमाण नहीं दिया कि उसकी पत्नी कार्यरत है। हाईकोर्ट ने कहा, ''सोशल...
एनडीपीएस एक्ट | धारा 50 के अनुपालन के बिना की गई रिकवरी कायम नहीं रह सकती; नाइजीरियाई नागरिक को जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग्स मामले में एक नाइजीरियाई नागरिक लगभग चार साल की हिरासत के बाद जमानत देते हुए कहा है कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 के अनुपालन के बिना की गई कोई भी रिकवरी "स्वयं कायम नहीं रह सकती है" और उस पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है।जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा, "चूंकि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 की अनिवार्य आवश्यकता को पूरा नहीं किया गया है, इसलिए रिकवरी ही संदेह के दायरे में है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 के अनुपालन के बिना की गई कोई भी रिकवरी कायम नहीं रह सकती है।"अदालत ने आगे कहा कि...
राष्ट्रपति ने जस्टिस संजय किशन कौल को NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया
भारत के राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कौल को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया है।जस्टिस कौल सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर जज हैं। भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, NALSA के पिछले कार्यकारी अध्यक्ष थे।परंपरा के अनुसार, इस पद पर सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर जज को नियुक्त किया जाता है।कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा 25 नवंबर को जारी अधिसूचना इस प्रकार है:"विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा...
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 'मसाज पार्लस की आड़ में' चल रहे 'वेश्यावृत्ति के धंधों' के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि "मसाज पार्लरों की आड़ में" वेश्यावृत्ति के धंधों को संचालित होने से रोकने के लिए सभी कदम उठाए जाएं।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में "सेक्स रैकेट या अवैध देह व्यापार" के संचालन के खिलाफ अतीत बंसल द्वारा दायर जनहित याचिका का निस्तारण किया।बंसल ने तर्क दिया कि मसाज पार्लर की आड़ में चल रहे सेक्स रैकेट के धंधे महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।...
रेस्तरां मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना उसका परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं, जब तक कि मामले में दोष सिद्ध न हो: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट यह देखते हुए कि आपराधिक मामला दर्ज करना रेस्तरां का परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है, जब तक कि मामला दोषी साबित न हो, हाल ही में मुंबई में रेस्तरां गीता लंच होम का परफॉर्मेंस लाइसेंस बहाल कर दिया।जस्टिस संदीप के. शिंदे ने कहा,"यह स्थापित कानून है कि जब तक दोषी नहीं ठहराया जाता है, तब तक व्यक्ति को निर्दोष माना जाना चाहिए। इसलिए केवल अपराध का रजिस्ट्रेशन परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने के लिए आधार प्रदान नहीं करेगा।"याचिकाकर्ता के पास सार्वजनिक मनोरंजन के...
पॉक्सो एक्ट | बच्चे का यौन उत्पीड़न संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि बच्चे का यौन उत्पीड़न यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO Act) अधिनियम, 2012 की धारा 12 के तहत दंडनीय अपराध है। इसके साथ ही उक्त अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध भी है।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि अपराध दंड प्रक्रिया संहिता की अनुसूची I के भाग II की दूसरी श्रेणी के दायरे में आएगा।उक्त श्रेणी में कहा गया कि यदि अपराध तीन साल और उससे अधिक लेकिन सात साल से अधिक नहीं के कारावास से दंडनीय है, तो यह संज्ञेय और गैर-जमानती...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2005 से कार्यरत चतुर्थ श्रेणी संविदा कर्मचारियों के लिए नियमित कर्मचारियों के बराबर न्यूनतम वेतन का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह 2005 से उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी के चार संविदा कर्मचारियों को (नियमित कर्मचारियों के बराबर) न्यूनतम वेतन दे।यह आदेश जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने दिया, जिसने 'पंजाब सरकार बनाम जगजीत सिंह (2017) 1 एससीसी 148' मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा जताया, जिसमें यह कहा गया था कि नियमित कर्मचारियों के साथ कदम से कदम मिलाकर लगातार कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले कर्मचारी भी...
सीआरपीसी की धारा 233(3)- 'जिस अभियोजन पक्ष के गवाह का क्रॉस एग्जामिनेशन किया गया, उसे बचाव पक्ष के गवाह के रूप में कोर्ट में पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता': केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने कहा कि जिस अभियोजन पक्ष के गवाह से मुख्य रूप से पूछताछ की गई, क्रॉस एग्जामिनेशन और रि-एग्जामिनेशन किया गया, उसे सीआरपीसी की धारा 233 (3) के तहत बचाव पक्ष के गवाह के रूप में अदालत में पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।सीआरपीसी की धारा 233(3) में प्रावधान है कि अगर अभियुक्त किसी गवाह को हाजिर होने या किसी दस्तावेज या चीज को पेश करने के लिए बाध्य करने के लिए किसी प्रक्रिया को जारी करने के लिए आवेदन करता है, तो न्यायाधीश ऐसी प्रक्रिया जारी करेगा, जब तक...
'पल्स' या 'प्लस++' कन्जूयमर को धोखा दे सकता है, दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में पल्स कैंडी के पक्ष में स्थायी निषेधाज्ञा का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में 'पल्स कैंडी' के निर्माता धरमपाल सत्यपाल समूह के पक्ष में स्थायी निषेधाज्ञा का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि 'पल्स' या 'प्लस++' कन्जूयमर को धोखा दे सकता है।जस्टिस नवीन चावला ने वादी डीएस कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट्स लिमिटेड को 2,00,000 रुपये की राशि के हर्जाने का हकदार ठहराया। अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों द्वारा अपनाए गए ट्रेडमार्क भ्रामक रूप से वादी के समान हैं।कोर्ट ने कहा,"मेरी राय में, वादी के मार्क से "++" चिह्न को जोड़ना या अल्फाबेट...
दिल्ली हाईकोर्ट ने फॉरेन कपल के लिए अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण का मार्ग प्रशस्त किया, कानूनी औपचारिकताओं को तेजी से पूरा करने का आदेश दिया
एक विदेशी जोड़े द्वारा एक देश के अंदर गोद लेने का मार्ग प्रशस्त करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को अधिकारियों को विशेष जरूरतों वाले एक नाबालिग बच्चे को गोद लेने से संबंधित सभी कानूनी औपचारिकताओं को तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया, जिसे अक्टूबर 2019 में एक श्मशान घाट में छोड़ दिया गया था।जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि बच्चे को एक प्यार करने वाले परिवार के साथ एक घर में रखा जाना चाहिए ताकि आने वाले वर्षों में वह दुनिया में अपनी जगह बना सके।अदालत ने कहा,"यह ध्यान रखना...
गिरफ्तारी वारंट के बावजूद जांच अधिकारी ने अभियोजन गवाह के रूप में पेश होने से इनकार किया; पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा-ट्रायल कोर्ट शक्तिहीन नहीं, कठोर कार्रवाई कर सकता है
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में मामले में जांच अधिकारी के कई प्रयासों के बावजूद गवाह के रूप में पेश होने में विफल रहने के बाद अभियोजन साक्ष्य को बंद करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। एएसआई केवल सिंह ने अपने खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट तक को नजरअंदाज कर दिया था।शिकायतकर्ता ने सिंह को बुलाने के लिए सीआरपीसी की धारा 311 के तहत एक आवेदन भी दायर किया था, लेकिन उसे भी ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अभियोजन पक्ष ने सबूत पेश करने के लिए कई अवसरों लिए थे, लेकिन उक्त...
हमें वकीलों के ड्रेस कोड पर पुनर्विचार करना चाहिए, पोशाक की सख्ती से महिला वकीलों की मोरल पुलिसिंग नहीं होनी चाहिए: सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को 25 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन के माध्यम से संवाद की संस्कृति को प्रोत्साहित करते हुए भारत में वकीलों के लिए स्ट्रिक्ट ड्रेस कोड पर फिर से विचार करने की वकालत की, खासकर गर्मियों के मौसम में। उन्होंने कहा कि ड्रेस की सख्ती से महिला वकीलों की मोरल पुलिसिंग नहीं होनी चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन की...
केवल एफआईआर दर्ज होना या जांच लंबित होना पासपोर्ट जारी करने/नवीनीकरण से इनकार करने का आधार नहीं: जेएंडके एंडएल हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने बुधवार को एक फैसले में कहा कि एफआईआर दर्ज होना या जांच एजेंसी की ओर से जांच लंबित होना पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण से इनकार करने का आधार नहीं है।जस्टिस संजीव कुमार ने एक याचिका पर यह फैसला दिया, जिसके तहत याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा उसके पासपोर्ट नवीनीकरण आवेदन के क्लोज़र को चुनौती दी थी।याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट प्राधिकरण को उसके पक्ष में पासपोर्ट को नवीनीकृत/पुनः जारी करने का निर्देश देने के लिए परमादेश रिट के लिए...
Google आयरलैंड ने जीडीपीआर अनुपालन के बिना यूट्यूब उपयोगकर्ता की जानकारी देने से इनकार किया, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से डेटा संरक्षण कानूनों के बारे में पूछा
अमूल ने Youtube पर अपने खिलाफ मौजूद "अपमानजनक सामग्री" को हटाने के लिए एक मुकदमा दायर किया है।दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष उसी मामले के तहत Google LLC ने बताया है कि वह YouTube यूजरर की बेसिक सब्सक्राइबर इंफॉर्मेशन (BSI) का खुलासा नहीं कर सकती है, जिसका विवरण Google आयरलैंड के पास संग्रहीत हैं।Google आयरलैंड की ओर "आयरिश कोर्ट के जरिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना या या सरकार की ओर से पत्र अनुरोध भेजे बिना" जानकारी का खुलासा करने से इनकार करने के बाद हाईकोर्ट ने मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब...
धारा 37 एनडीपीएस एक्ट का लागू करने भर से अभियुक्त जमानत से वंचित नहीं हो सकता, यदि उचित आधार मौजूद है तो राहत दी जानी चाहिए: जेएंडके एंडएल हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि केवल इसलिए कि जहां वर्जित पदार्थ की वाणिज्यिक मात्रा शामिल है, वहां एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 लागू होती है, इसका मतलब यह नहीं है कि अभियुक्त जमानत का हकदार नहीं हो सकता है, परिस्थितियां जो भी हो...धारा 37 एनडीपीएस एक्ट के तहत निर्धारित कठोरता की व्याख्या करते हुए जस्टिस पुनीत गुप्ता ने कहा कि 'उचित आधार' को यह मानने के लिए दिखाया जाना चाहिए कि अभियुक्त धारा 19 या धारा 24 या धारा 27 के तहत अपराध और वाणिज्यिक मात्रा से जुड़े अपराधों के...