मजिस्ट्रेट शिकायत में अनसुलझे आरोपों की सीआरपीसी की धारा 202 के तहत दूसरी जांच का आदेश दे सकते हैंः जम्ममू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
Shahadat
10 April 2023 10:24 AM IST
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अगर जांच अधिकारी द्वारा पेश की गई पहली रिपोर्ट में शिकायत में लगाए गए कुछ आरोप में जांच का अभाव है तो यह मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में है कि वह सीआरपीसी की धारा 202 के तहत गहन जांच का आदेश दे सकते हैं।
जस्टिस राजेश ओसवाल ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जम्मू की अदालत के समक्ष लंबित शिकायत रद्द करने और एसएसपी द्वारा जांच का निर्देश देते हुए उनके द्वारा पारित आदेश की मांग की।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि एक बार जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ट्रायल कोर्ट सीआरपीसी की धारा 203 या सीआरपीसी की धारा 204 के अनुसार आगे बढ़ सकती है, लेकिन एसएसपी द्वारा आगे की जांच करने का निर्देश नहीं दे सकती।
पीठ ने कहा कि पहले जांच अधिकारी ने शायद इस कारण से ठीक से जांच नहीं की कि जिस क्षेत्र में कथित घटना हुई थी, उस क्षेत्र में उनके पास क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का अभाव था। इसने यह भी नोट किया कि जांच अधिकारी ने शिकायत में नामजद लोगों को ठगने के आरोपों की प्रामाणिकता के बारे में कोई जांच नहीं की।
सीआरपीसी की धारा 202 के संदर्भ में जांच के उद्देश्य पर विचार करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रावधान का उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि शिकायत में लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं ताकि अभियुक्त के खिलाफ प्रक्रिया जारी की जा सके।
याचिकाकर्ता इस हद तक सही है कि जांच अधिकारी द्वारा सीआरपीसी की धारा 202 के संदर्भ में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ट्रायल कोर्ट या तो शिकायत को सीआरपीसी की धारा 203 के तहत खारिज कर सकता है या आरोपी के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 204 के तहत प्रक्रिया जारी करके आगे बढ़ सकता है।
हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने प्रतिवादी नंबर 1 को निर्देश दिया कि वह पहले के जांच अधिकारी द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद गहन जांच करे, कोई अवैधता नहीं की है, क्योंकि पहले के जांच अधिकारी ने जांच नहीं की। पीठ ने कहा कि शिकायत में लगाए गए कुछ आरोपों के संबंध में जांच की जा रही है।
अदालत ने कहा,
"शिकायत में लगाए गए आरोपों की प्रामाणिकता को अन्य जांच अधिकारी से सत्यापित करने के लिए ट्रायल कोर्ट अपनी शक्ति के भीतर है।"
इस प्रकार इसने हस्तक्षेप अस्वीकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: राज कुमार बनाम एसएसपी व अन्य
साइटेशन: लाइवलॉ (जेकेएल) 76/2023
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