मुख्य सुर्खियां

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
घरेलू सहायिका की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार का मामला, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 55-वर्षीय दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के दोषी 55 वर्षीय एक व्यक्ति की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि अपीलकर्ता ने लड़की के पिता के समान होने के बावजूद उसके भरोसे को तोड़ा।कोर्ट ने कहा,"इस सबूत से पता चलता है कि पीड़िता के विश्वास को अभियुक्त ने धोखा दिया है। अभियुक्त का नैतिक दायित्व था कि वह बच्चे की रक्षा करे क्योंकि उसकी अपनी बेटी थी, लेकिन उसने उसके भावी जीवन को नष्ट कर दिया। अभियुक्त ने शरीर को नष्ट कर दिया था। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए...

हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक
किसी फर्म को ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए तर्कपूर्ण आदेश होना चाहिए, इसके नागरिक और आर्थिक परिणाम होते हैं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा कि किसी फर्म को ब्लैक लिस्ट में डालने या प्रतिबंधित करने के लिए अधिकारियों द्वारा एक तर्कपूर्ण आदेश पारित किया जाना चाहिए क्योंकि इसके नागरिक और आर्थिक परिणाम होते हैं।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने कहा,"याचिकाकर्ता पर आदेश के आर्थिक और नागरिक परिणाम हैं। नागरिक या आर्थिक परिणामों वाले किसी भी आदेश में दिमाग का प्रयोग होना चाहिए। दिमाग का इस्तेमाल केवल तभी स्पष्ट होता है जब आदेश में कारण होते हैं, क्योंकि कारण निर्णय लेने वाले और लिए गए...

सबूत दिखाते हैं कि उसने देश-विरोधी गतिविधियां कीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक धर्मांतरण रैकेट मामले में उमर गौतम, 4 अन्य को जमानत देने से इनकार किया
'सबूत दिखाते हैं कि उसने देश-विरोधी गतिविधियां कीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक धर्मांतरण रैकेट मामले में उमर गौतम, 4 अन्य को जमानत देने से इनकार किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मोहम्मद उमर गौतम को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसे पिछले साल राज्य में सामूहिक धर्मांतरण रैकेट चलाने और राज्य भर में 1000 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।कोर्ट ने 4 अन्य सह आरोपियों को भी जमानत देने से इनकार कर दिया।जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा जांच के दौरान गौतम के खिलाफ एकत्र किए गए सबूतों और उसके खिलाफ दायर चार्जशीट को ध्यान में रखते हुए जमानत से इनकार...

यूपी के मुख्यमंत्री को गुंडा कहने वाले कथित ट्वीट पर शिरीष कुंदर के खिलाफ एफआईआर : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निष्पक्ष जांच करने को कहा
यूपी के मुख्यमंत्री को गुंडा कहने वाले कथित ट्वीट पर शिरीष कुंदर के खिलाफ एफआईआर : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निष्पक्ष जांच करने को कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को बॉलीवुड फिल्म निर्माता शिरीष कुंदर के खिलाफ एक एफआईआर में जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया है। यह एफआईआर शिरीष कुंदर के 2017 के एक कथित ट्वीट से संबंधित है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुंडा कहा गया था और उनकी तुलना डॉन दाऊद इब्राहिम और एक बलात्कारी से की थी। जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस विवेक कुमार सिंह की पीठ ने अमित कुमार तिवारी द्वारा दायर एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, जिसने वर्ष...

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायपालिका और अधीनस्थ न्यायालय शब्दों का प्रयोग न करने के लिए प्रस्ताव पारित किया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 'अधीनस्थ न्यायपालिका' और 'अधीनस्थ न्यायालय' शब्दों का प्रयोग न करने के लिए प्रस्ताव पारित किया

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश ने फुलकोर्ट में गुरुवार (15 दिसंबर 2022) को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट के अलावा अन्य सभी न्यायालयों को ज़िला न्यायपालिका (district judiciary) के रूप में संबोधित किया जाएगा और उन्हें अधीनस्थ न्यायपालिका (subordinate judiciary) नहीं कहा जाएगा। इसी प्रकार हाईकोर्ट के अलावा अन्य सभी न्यायालयों को अधीनस्थ न्यायालय (subordinate Courts) के बजाए विचारण न्यायालय (trial Courts) कहा जाएगा।इस प्रस्ताव के माध्यम से "अधीनस्थ" शब्द...

धारा 37 एनडीपीएस एक्ट की कठोरता उन मामलों में लागू नहीं होती है, जहां वर्जित नमूने का संग्रह खुद दोषपूर्ण हो: दिल्ली हाईकोर्ट
धारा 37 एनडीपीएस एक्ट की कठोरता उन मामलों में लागू नहीं होती है, जहां वर्जित नमूने का संग्रह खुद दोषपूर्ण हो: दिल्ली हाईकोर्ट

नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में एक व्यक्ति को जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधिनियम की धारा 37 की कठोरता उन मामलों में लागू नहीं होगी, जहां वर्जित नमूने का संग्रह ही दोषपूर्ण था।धारा 37 में कहा गया है कि किसी अभियुक्त को जमानत तब तक नहीं दी जानी चाहिए जब तक कि अभियुक्त दोहरी शर्तों को पूरा करने में सक्षम न हो, यानी यह विश्वास करने के लिए उचित आधार हो कि अभियुक्त इस तरह के अपराध का दोषी नहीं है और जमानत मिलने पर अभियुक्त ऐसा अपराध नहीं करेगा या...

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
'लड़की ने पिता जैसा माना, दोषी ने भरोसा तोड़ा': बॉम्बे हाईकोर्ट ने घरेलू सहायिका की नाबालिग बेटी से बलात्कार के दोषी 55-वर्षीय दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के दोषी 55 वर्षीय एक दोषी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता लड़की के लिए पिता जैसा था, उसने उसके भरोसे को तोड़ दिया।नागपुर स्थित जस्टिस रोहित देव और जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के की खंडपीठ ने आईपीसी की धारा 376(2)(एफ)(जे)(आई)(एन) के तहत सजा के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया।मामलापीड़िता की मां अपीलकर्ता के घर में घरेलू नौकर के रूप में काम करती थी। पीड़िता आरोपी और उसके परिवार के साथ रह रही थी। उसकी मां की दूसरी शादी...

स्कूल COVID वैक्सीन मैंडेट किसी की पसंद के धर्म को मानने और पालन करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता: कलकत्ता हाईकोर्ट
स्कूल COVID वैक्सीन मैंडेट किसी की पसंद के धर्म को मानने और पालन करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि शिक्षकों के लिए स्कूल वैक्सीन मैंडेट अपनी पसंद के धर्म को मानने और अभ्यास करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की पीठ ने सेंट जेम्स स्कूल, कोलकाता में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत एक ईसाई व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह कोविड टीकाकरण को पूर्ववर्ती शर्त बनाए बिना शिक्षण कार्य जारी रखने की अनुमति दे।मामलायाचिकाकर्ता / शिक्षक ने अपने स्कूल द्वारा जारी एक नोटिस...

धारा 304-ए आईपीसी | निर्माण स्थल पर सुरक्षा उपायों का पालन किया गया, यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं: मप्र हाईकोर्ट का कांट्रेक्टर के खिलाफ मामला खारिज करने से इनकार
धारा 304-ए आईपीसी | निर्माण स्थल पर सुरक्षा उपायों का पालन किया गया, यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं: मप्र हाईकोर्ट का कांट्रेक्टर के खिलाफ मामला खारिज करने से इनकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में एक निर्माण कंपनी के निदेशक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया। उस पर एक निर्माण स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं करने का आरोप था, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई।जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे पता चले कि निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानदंडों का पालन किया गया था। इसके अलावा, यह देखा गया कि मामले में किसी और की गलती थी या नहीं, यह सबूत का मामला था जिसे केवल ट्रायल के चरण में...

विधेय अपराध का पीड़ित यूपी गैंगस्टर एक्ट मामले में जमानत याचिका का विरोध कर सकता है : इलाहाबाद हाईकोर्ट
विधेय अपराध का 'पीड़ित' यूपी गैंगस्टर एक्ट मामले में जमानत याचिका का विरोध कर सकता है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एक विधेय अपराध का पीड़ित यूपी गैंगस्टर एक्‍ट के तहत आरोपित व्यक्ति की जमानत याचिका का विरोध करने के लिए सुनवाई के अधिकार का दावा कर सकता है।सुधा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य एलएल 2021 एससी 229 और जगजीत सिंह और अन्य बनाम आशीष मिश्रा @ मोनू और अन्य 2022 लाइवलॉ (एससी) 376 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को ध्यान में रखते हुए, जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने कहा,"यदि विधेय अपराध का शिकार गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध में जमानत आदेश के खिलाफ अपील दायर कर...

एनडीपीएस एक्ट| भांग के बीज और पत्तियां, जब फूल या फलदार शीर्ष के साथ न हो, केवल तभी उन्हें एनडीपीएस एक्ट की धारा 2 (iii) (बी) के तहत गांजा की परिभाषा से बाहर रखा जाता है: कर्नाटक हाईकोर्ट
एनडीपीएस एक्ट| भांग के बीज और पत्तियां, जब फूल या फलदार शीर्ष के साथ न हो, केवल तभी उन्हें एनडीपीएस एक्ट की धारा 2 (iii) (बी) के तहत 'गांजा' की परिभाषा से बाहर रखा जाता है: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भांग के बीज और पत्तियां, जब फलदार या पुष्प शीर्ष के साथ न हो, केवल तभी उन्हें एनडीपीएस एक्ट की धारा 2 (iii) (बी) के तहत 'गांजा' की परिभाषा से बाहर रखा जा सकता है।प्रावधान में कहा गया है- भांग का मतलब गांजा है, यानी भांग के पौधे के फूल या फलदार शीर्ष (बीज और पत्तियां, जब शीर्ष के साथ न हो को छोड़कर)।इस आलोक में जस्टिस के नटराजन की सिंगल जज बेंच ने कहा,"केवल पत्ते और बीज साथ ना हों, तो इसे गांजा नहीं माना जा सकता है। गांजा की परिभाषा से बाहर होने के लिए बीज और...

धारा 33(5) पॉक्सो एक्ट | मामले के न्यायोचित निर्णय के लिए बाल गवाह को वापस बुलाया जा सकता है; विशेष अदालतों पर रोक निरपेक्ष नहीं: केरल हाईकोर्ट
धारा 33(5) पॉक्सो एक्ट | मामले के न्यायोचित निर्णय के लिए बाल गवाह को वापस बुलाया जा सकता है; विशेष अदालतों पर रोक निरपेक्ष नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 33 (5) द्वारा विशेष अदालतों पर लगाई गई वैधानिक रोक यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक बच्चे को अदालत में गवाही देने के लिए बार-बार बुलाना निरपेक्ष नहीं है।जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा,"पोक्सो एक्ट की धारा 33(5) के तहत प्रतिबंध पूर्ण नहीं है। उपयुक्त मामलों में, यदि यह मामले के न्यायोचित निर्णय के लिए आवश्यक है, तो निश्चित रूप से बाल गवाह को वापस बुलाया जा सकता है।"अदालत ने इस आलोक में कहा कि मजिस्ट्रेट के पास...

हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के लिए नए सिरे से चुनाव कराने, इसके संविधान में संशोधन के लिए बीसीसीआई को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की
हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के लिए नए सिरे से चुनाव कराने, इसके संविधान में संशोधन के लिए बीसीसीआई को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बीसीसीआई को जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान में संशोधन की प्रक्रिया शुरू करने और निकाय के नए सिरे से चुनाव कराने की आवश्यकता है।यह आरोप लगाया गया है कि जेकेसीए के वर्तमान पदाधिकारी एक न्यायिक आदेश की अवज्ञा के दोषी हैं, जिसमें हितों के टकराव को लेकर 3 पदाधिकारियों को हटाने का निर्देश दिया गया है।एक्टिंग चीफ जस्टिस ताशी रबस्तान और जस्टिस पुनीत गुप्ता की पीठ ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि यह एक निपटाए गए...

अगर किसी दोषी की अपील सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हो तो क्या हाईकोर्ट दिल्ली जेल नियमों के तहत फरलो दे सकता है? दिल्ली हाईकोर्ट फैसला करेगा
अगर किसी दोषी की अपील सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हो तो क्या हाईकोर्ट दिल्ली जेल नियमों के तहत फरलो दे सकता है? दिल्ली हाईकोर्ट फैसला करेगा

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) इस पर फैसला करेगा कि करने के लिए तैयार है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वह दिल्ली जेल नियमों के तहत एक दोषी को फरलो दे सकता है, जब उसकी अपील सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।नियम 1199 और 1200 कैदियों को पैरोल और फरलो देने से संबंधित हैं। नियम 1224 के नोट 2 में कहा गया है कि अगर किसी दोषी की अपील हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है या हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर करने की अवधि समाप्त नहीं हुई है, तो फरलो नहीं दी जाएगी और यह दोषी के लिए कोर्ट से उचित निर्देश के लिए...

यूपी कोर्ट ने 26 साल पुराने गैंगस्टर एक्ट मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराया, 10 साल की जेल की सजा सुनाई
यूपी कोर्ट ने 26 साल पुराने गैंगस्टर एक्ट मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराया, 10 साल की जेल की सजा सुनाई

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की एक अदालत ने गुरुवार को 26 साल पुराने गैंगस्टर मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी (भीम सिंह) को दोषी करार दिया। इस साल यह तीसरा मामला है, जिसमें उसे दोषी ठहराया गया है। उसे 10 साल जेल की सजा सुनाई गई।गाजीपुर के एडीजे-प्रथम सांसद/विधायक कोर्ट दुर्गेश ने अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह पहला मामला है जिसमें किसी ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया है। इससे पहले इसी साल सितंबर में हाईकोर्ट ने उसे दो मामलों...

बॉम्बे हाईकोर्ट प्रिमाइसेस में आवार कुत्तों को खिलाने के लिए निर्दिष्ट स्थान के संबंध में अवमानना ​​नोटिस जारी होने के बाद वकील बिना शर्त माफी मांगने को तैयार
बॉम्बे हाईकोर्ट प्रिमाइसेस में आवार कुत्तों को खिलाने के लिए निर्दिष्ट स्थान के संबंध में अवमानना ​​नोटिस जारी होने के बाद वकील बिना शर्त माफी मांगने को तैयार

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ द्वारा हाईकोर्ट प्रिमाइसेस में कुत्तों को खिलाने के लिए निर्दिष्ट स्थान के संबंध में वकील और नागरिक अधिकारी के खिलाफ अवमानना ​​नोटिस जारी करने के कुछ दिनों बाद वकील बिना शर्त माफी मांगने के लिए तैयार हो गए।एडवोकेट अंकिता शाह के वकील ने कहा कि वह अगली तारीख तक बिना शर्त माफी का हलफनामा दाखिल करेंगी, जबकि उपायुक्त डॉ. गजेंद्र पंधारी महलले ने सुनवाई के दौरान माफी मांगी।जस्टिस एसबी शुक्रा और जस्टिस एमडब्ल्यू चंदवानी की खंडपीठ ने महाले के हलफनामे के संबंध में आदेश में...

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट
प्रिवेंटिव डिटेंशन आदेश को पूर्व निष्पादन स्टेज में चुनौती दी जा सकती है, बशर्ते बंदी साबित करे कि डिटेंशन आदेश अवैध है: जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि प्रिवेंटिव डिटेंशन आदेश को पूर्व निष्पादन स्टेज में चुनौती दी जा सकती है, बशर्ते याचिकाकर्ता / बंदी अदालत को संतुष्ट करें कि डिटेंशन आदेश स्पष्ट रूप से अवैध है।जस्टिस राजेश ओसवाल और जस्टिस पुनीत गुप्ता की पीठ ने प्रिवेंटिव डिटेंशन को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज करने के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा,"अगर यह पाया जाता है कि यह स्पष्ट रूप से अवैध है, तो निश्चित रूप से उसे जेल जाने और फिर डिटेंशन आदेश को चुनौती देने के लिए...

इस ज्ञान के साथ कि दुर्घटना मृत्यु का कारण बनेगी, तेज गति से वाहन चला रहे व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (II) के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है: कलकत्ता हाईकोर्ट
इस 'ज्ञान' के साथ कि दुर्घटना मृत्यु का कारण बनेगी, तेज गति से वाहन चला रहे व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (II) के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को एक मोटर दुर्घटना मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 भाग II के तहत कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मामला अभी भी जांच के स्तर पर है और यह संभावना है कि याचिकाकर्ता को "जानकारी" थी कि उसकी लापरवाह ड्राइविंग एक घातक दुर्घटना का कारण बनेगी।जस्टिस बिबेक चौधरी ने कहा कि प्रारंभिक पुलिस रिपोर्ट से यह पाया गया कि याचिकाकर्ता यह जानते हुए भी अत्यधिक तेज गति से वाहन चला रहा था कि इस तरह की लापरवाह ड्राइविंग से किसी भी राहगीर, खुद और...

बेंगलुरु की सड़कों में गड्ढे
बेंगलुरु की सड़कों में गड्ढे- 'खराब सड़कों के कारण मौत की शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने में संकोच न करें': हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने गुरुवार को पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि खराब सड़कों के कारण चोट या मौत की शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने में संकोच न करें।चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वरले और जस्टिस अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने प्रकाशित न्यूज रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में यह निर्देश दिया, जिसमें यह बताया गया था कि भले ही नागरिकों ने सड़कों और गड्ढों की खराब स्थिति के कारण गंभीर चोट लगने या मृत्यु को लेकर एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया हो, पुलिस अधिकारियों ने...

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
समान मामलों पर भरोसा करके एक व्यक्ति को निर्वासन की कठोरता के अधीन करना संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि समान मामलों पर भरोसा करके एक व्यक्ति को निर्वासन की कठोरता के अधीन करना संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है।पुलिस डिप्टी कमिश्नर, नासिक द्वारा पारित निष्कासन के तीसरे आदेश को रद्द करते हुए जस्टिस प्रकाश नाइक ने कहा कि बाहरी प्राधिकारी उन्हीं मामलों पर निर्भर थे जो पहले अपीलकर्ता को निर्वासित करने के लिए इस्तेमाल किए गए थे। अदालत ने कहा कि निर्वासन की शक्तियों का प्रयोग मनमाने तरीके से किया जाता है।कोर्ट ने कहा,"बाहरी व्यक्ति को एक ही सामग्री के...