मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 'अधीनस्थ न्यायपालिका' और 'अधीनस्थ न्यायालय' शब्दों का प्रयोग न करने के लिए प्रस्ताव पारित किया
Sharafat
16 Dec 2022 5:03 PM GMT

Madhya Pradesh High Court
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश ने फुलकोर्ट में गुरुवार (15 दिसंबर 2022) को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट के अलावा अन्य सभी न्यायालयों को ज़िला न्यायपालिका (district judiciary) के रूप में संबोधित किया जाएगा और उन्हें अधीनस्थ न्यायपालिका (subordinate judiciary) नहीं कहा जाएगा। इसी प्रकार हाईकोर्ट के अलावा अन्य सभी न्यायालयों को अधीनस्थ न्यायालय (subordinate Courts) के बजाए विचारण न्यायालय (trial Courts) कहा जाएगा।
इस प्रस्ताव के माध्यम से "अधीनस्थ" शब्द के उपयोग को समाप्त किया गया और यह माना गया कि जिला न्यायपालिका स्वतंत्र न्यायपालिका है और यह किसी भी इकाई के अधीनस्थ या उससे कमतर नहीं है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट इस प्रकार का प्रस्ताव पारित करने वाला देश का दूसरा हाईकोर्ट है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यायालयों के साथ अधीस्थ शब्द को प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया था।
तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस रवि मलिमठ की अगुवाई में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 02.08.2021 को उक्त प्रस्ताव पारित करके अधीनस्थ न्यायपालिका शब्द को जिला न्यायपालिका शब्द से और "अधीनस्थ न्यायालय" शब्द को "ट्रायल कोर्ट शब्द से प्रतिस्थापित किया था।
उल्लेखनीय है भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले माह एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि हमें अपनी जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका नहीं कहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में बोलते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था: "मुझे लगता है कि हमने अधीनता की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। हम अपनी जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहते हैं। मैं जिला न्यायाधीशों को अधीनस्थ न्यायाधीशों के रूप में संबोधित नहीं करने का सचेत प्रयास करता हूं, क्योंकि वे अधीनस्थ नहीं हैं। वे जिला न्यायपालिका से संबंधित हैं।"