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Allahabad High Court
'दुर्व्यवहार की कथित घटना कार के अंदर हुई': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट रद्द किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दायर मुकदमे में एक व्यक्ति को अधीनस्‍थ न्यायालय की ओर से जारी किया गया सम्‍मन रद्द कर दिया। अधीनस्‍थ न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार करने का कथित कृत्य कार के अंदर हुआ, न कि सार्वजनिक दृश्य में । जस्टिस राज बीर सिंह की पीठ ने हितेश वर्मा बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य 2020 AIR (SC) 5584 के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया था कि...

आरटीई अधिनियम-  राज्य 6वीं-8वीं कक्षा के सभी निजी स्कूल के छात्रों को मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म देने के लिए बाध्य नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट
आरटीई अधिनियम- राज्य 6वीं-8वीं कक्षा के सभी निजी स्कूल के छात्रों को मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म देने के लिए बाध्य नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देखा है कि राज्य निजी प्रबंधन द्वारा संचालित गैर-सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में पढ़ने वाले सभी स्टूडेंट को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म देने के लिए बाध्य नहीं है। जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने हालांकि कहा कि राज्य और स्थानीय अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे प्रत्येक वर्ष केवल ऐसे छात्रों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म प्रदान करें, जिन्हें आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 12(1)(c) के प्रावधानों के तहत प्रवेश दिया गया है।उल्लेखनीय...

घायल से महज शराब की गंध मोटर दुर्घटना में उसके दावे का खंडन नहीं करती: कर्नाटक उच्च न्यायालय
घायल से महज 'शराब की गंध' मोटर दुर्घटना में उसके दावे का खंडन नहीं करती: कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि भले ही कोई व्यक्ति नशे में था या शराब की गंध आ रही थी, यह एक बस ड्राइवर के लिए सड़क दुर्घटना का कारण बनने और किसी को घायल करने का बहाना नहीं हो सकता। जस्टिस डॉ एचबी प्रभाकर शास्त्री की सिंगल जज बेंच ने दावेदार मुरुगन टी की ओर से दायर याचिका की अनुमति दी और याचिकाकर्ता की ओर से दायर दावा याचिका को खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया और मुआवजे की पात्रता के मुद्दे पर विचार करने के लिए मामले को वापस ट्रिब्यूनल को भेज दिया। खंडपीठ ने कहा, "सड़क...

सुप्रीम कोर्ट 10 से 12 मार्च तक एससीओ सदस्य देशों के मुख्य न्यायाधीशों की 18वीं बैठक की मेजबानी करेगा
सुप्रीम कोर्ट 10 से 12 मार्च तक एससीओ सदस्य देशों के मुख्य न्यायाधीशों की 18वीं बैठक की मेजबानी करेगा

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया सदस्य देशों के बीच न्यायिक सहयोग विकसित करने के उद्देश्य से 10 मार्च से 12 मार्च, 2023 तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों की 18वीं बैठक की मेजबानी करेगा। एससीओ सदस्य देशों के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों/चेयर पर्सन को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। बैठक में भारतीय भागीदारी में भारत के मुख्य न्यायाधीश, डॉ धनंजय वाई चंद्रचूड़ और भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शामिल होंगे।बैठक में "स्मार्ट कोर्ट और न्यायपालिका का...

Gauhati High Court
क्षणि‌‌‌क उत्तेजना में दोस्त की गर्दन पर वार किया: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हत्या के दोषसिद्धि को गैर इरादतन हत्या में बदला

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति की हत्या को सदोष मानव हत्या, जो हत्या के बराबर ना हो में बदल दिया। कोर्ट ने यह कहते हुए कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि अपराध मृतक को मारने के इरादे या मकसद से किया गया था, आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को रद्द कर दिया। उस व्यक्ति ने अपने दोस्त की गर्दन में छुरा घोंपा था।जस्टिस माइकल ज़ोथनखुमा और जस्टिस मालाश्री नंदी की खंडपीठ ने कहा, "रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि अपीलकर्ता और मृतक लंबे समय से दोस्त थे और...

एकपक्षीय डिक्री के खिलाफ अपील दायर करने में देरी की माफी मांगने वाली पार्टी को ट्रायल के दौरान इसकी अनुपस्थिति की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं: जेकेएल हाईकोर्ट
एकपक्षीय डिक्री के खिलाफ अपील दायर करने में देरी की माफी मांगने वाली पार्टी को ट्रायल के दौरान इसकी अनुपस्थिति की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं: जेकेएल हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि देरी की माफ़ी चाहने वाले को मुकदमे के दौरान उसकी अनुपस्थिति की अवधि की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है, जो आवश्यक है वह देरी की अवधि के लिए स्पष्टीकरण, जो सीमा अधिनियम के अनुसार ‌काम करता है। जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने एक सिविल सेकंड अपील की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में अपीलकर्ता ने जिला न्यायाधीश, कुलगाम द्वारा पारित फैसले को चुनौती दी थी, जिसके संदर्भ में उसने 24 ‌दिन की देरी की माफी की मांग वाली अर्जी को खारिज कर...

हिंदू उत्तराधिकार कानून आदिवासी महिलाओं के उत्तराधिकार के आड़े नहीं आएगा: मद्रास हाईकोर्ट
हिंदू उत्तराधिकार कानून आदिवासी महिलाओं के उत्तराधिकार के आड़े नहीं आएगा: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में समान उत्तराधिकार की मांग कर रही है आदिवासी महिलाओं का समर्थन‌ किया। अदालत ने कहा, हिंदू उत्तराधिकार कानून आदिवासी महिलाओं को बाहर नहीं करता, बल्कि रीति-रिवाजों को सकारात्मक रूप से शामिल करने का इरादा रखता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2 के खंड (2) में कहा गया है कि यह अधिनियम अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अन्यथा निर्देशित न करे। जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि हिंदू...

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने नागरिक-पिता की गवाही के बाद 52-वर्षीय महिला को विदेशी घोषित करने का आदेश रद्द किया
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने नागरिक-पिता की गवाही के बाद 52-वर्षीय महिला को विदेशी घोषित करने का आदेश रद्द किया

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भारत के नागरिक को विदेशी नागरिक घोषित किया था। कोर्ट ने यह आदेश इस आधार पर रद्द किया कि अधिकारियों की सत्यापन रिपोर्ट अधूरी है और याचिकाकर्ता के पिता का सबूत है, जिसने याचिकाकर्ता को अपनी बेटी बताया है।जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन की खंडपीठ ने ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए कहा,"इस पहलू पर भी विचार करते हुए कि सत्यापन रिपोर्ट स्वयं किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अधूरी है कि...

मोटी राशि का लोन चुकाने में सक्षम व्यक्ति पत्नी और बच्चों के प्रति जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
मोटी राशि का लोन चुकाने में सक्षम व्यक्ति पत्नी और बच्चों के प्रति जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति मोटी लोन राशि का भुगतान करने में सक्षम है, वह अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से नहीं हट सकता।जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने भारतीय सेना में काम करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप मलिक को कुल 55,000 / रुपए भरण-पोषण के रूप में उनकी पत्नी और नाबालिग बेटियों को देने का निर्देश दिया।अदालत ने कहा,"याचिकाकर्ता होम लोन और कार लोन चुकाने के लिए मोटी रकम का भुगतान करने में सक्षम है। हालांकि वह अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी...

Allahabad High Court
'अनुच्छेद 300A का स्पष्ट उल्लंघन': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुआवजे में विलंब के लिए एनएचएआई के खिलाफ जांच का निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह प्रमुख सचिव (राजस्व), उत्तर प्रदेश को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया। उन अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने हाईवे की परियोजना के लिए नौ गावों की भूमि अधिग्रहित करने के बावजूद मुआवजा देने में देरी की थी। जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस मंजीव शुक्ला की पीठ ने यह आदेश दो ऐसे भूस्वामियों ‌की याचिका पर पारित किया, जिनकी जमीन 2016 में अधिग्रहित की गई थी, हालांकि हाईवे का निर्माण हो जाने के बाद भी उन्हें...

NCDRC ने बिल्डर को फ्लैट का कब्जा देने में हुई देरी के लिए मुआवजा देने का निर्देश दिया
NCDRC ने बिल्डर को फ्लैट का कब्जा देने में हुई देरी के लिए मुआवजा देने का निर्देश दिया

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) की जस्टिस राम सूरत राम मौर्या, (पीठासीन सदस्य) और डॉ इंदर जीत सिंह की खंडपीठ ने बिल्डर के 'अप्रत्याशित घटना' के तर्क को खारिज कर दिया है और देरी के लिए फ्लैट खरीदार को मुआवजा देने का निर्देश दिया। कानूनी शब्द 'अप्रत्याशित घटना' (एक्ट ऑफ गॉड) ऐसी स्थिति है, जो किसी भी अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में अनुबंध के लिए पार्टी की देयता को समाप्त करती है।शिकायतकर्ताओं को गुड़गांव के सेक्टर 57 में 'द लेजेंड' के नाम से जानी जाने वाली क्लेरियन प्रॉपर्टीज...

मद्रास हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के पत्नी द्वारा पति को अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश देने वाला आदेश रद्द किया
मद्रास हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के पत्नी द्वारा पति को अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश देने वाला आदेश रद्द किया

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पत्नी को तलाक की याचिका के लंबित रहने के दौरान पति को अंतरिम भरण-पोषण के रूप में बीस हजार रुपये देने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस आर सुब्रमण्यम और जस्टिस के गोविंदराजन थिलाकावडी ने कहा कि फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश ने छोटी-सी प्रक्रिया को "बढ़ा" दिया और सहानुभूति खो दी। फैमिली जज ने कहा कि पति की एंजियोप्लास्टी हुई है और स्टेंट लगा है, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गया।अपीलकर्ताओं ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि जब पति...

किसी की स्वतंत्रता दांव पर है: केरल हाईकोर्ट ने माता-पिता के खिलाफ पॉक्सो मामले में जमानत पर विचार करते हुए बच्चे की कस्टडी पर सावधानी बरतने की सलाह दी
'किसी की स्वतंत्रता दांव पर है': केरल हाईकोर्ट ने माता-पिता के खिलाफ पॉक्सो मामले में जमानत पर विचार करते हुए बच्चे की कस्टडी पर सावधानी बरतने की सलाह दी

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत अपराधों से संबंधित जमानत आवेदनों पर विचार करते हुए, जिसमें माता-पिता द्वारा बाल शोषण के आरोप शामिल हैं, अदालतों को इस मामले को बहुत सावधानी से देखना चाहिए, खासकर जब बच्चे की कस्टडी को लेकर माता-पिता के बीच मुकदमेबाजी हो।जस्टिस जियाद रहमान की एकल पीठ ने अपने 10 वर्षीय बेटे के यौन उत्पीड़न के आरोपी पिता द्वारा दायर जमानत याचिका स्वीकार करते हुए आगाह किया,“ऐसे मामलों में जब अदालत के सामने रखी गई सामग्री आरोपों की सत्यता के रूप में...

भारत में लोगों के लिए डॉक्टर का अनुपात बहुत कम: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़े जनहित का हवाला देते हुए डॉक्टर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से इनकार किया
"भारत में लोगों के लिए डॉक्टर का अनुपात बहुत कम": कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़े जनहित का हवाला देते हुए डॉक्टर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से इनकार किया

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें बड़े जनहित के आधार पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए डॉक्टर का आवेदन खारिज कर दिया गया था।जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस प्रसेनजीत विश्वास की खंडपीठ ने उक्त आदेश बरकरार रखते हुए कहा,"स्वास्थ्य क्षेत्र न केवल समाज के लिए बल्कि मानवता के लिए सेवाओं के प्रतिपादन के लिए प्रणाली के प्रशासन में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। नागरिकों का स्वास्थ्य समाज और देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका...

सूचना आयोग RTI एक्ट के कथित उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने से पहले PIO को सुनने के लिए बाध्य: कर्नाटक हाईकोर्ट
सूचना आयोग RTI एक्ट के कथित उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने से पहले PIO को सुनने के लिए बाध्य: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कर्नाटक राज्य सूचना आयोग द्वारा जन सूचना अधिकारी (PIO)पर दंड लगाने का आदेश उसके द्वारा प्रस्तुत लिखित स्पष्टीकरण पर विचार किए बिना या उसे मौखिक स्पष्टीकरण देने का अवसर दिए बिना पारित किया जाता है तो आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है और रद्द किए जाने योग्य हैं।जस्टिस ज्योति मुलिमणि की एकल पीठ ने एम वेंकटेशप्पा द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और आयोग के दिनांक 18.01.2008 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उसने याचिकाकर्ता पर 10,000 रूपये का जुर्माना लगाया...

आर्बिट्रेटर को पक्षकार के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने से पहले पर्याप्त नोटिस देना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
आर्बिट्रेटर को पक्षकार के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने से पहले पर्याप्त नोटिस देना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आधार पर एकपक्षीय पंचाट अधिनिर्णय रद्द कर दिया कि आर्बिट्रेटर इसके खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने से पहले पक्षकार को उचित नोटिस जारी करने में विफल रहा। साथ ही जांच करने के लिए पर्याप्त प्रयास करने में विफल रहा कि क्या पक्षकार की अनुपस्थिति पर्याप्त कारण दर्शाने के साथ या उसके बिना है।जस्टिस चंद्र धारी सिंह की पीठ ने कहा कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी अधिनियम) के तहत यह हमेशा पसंद किया और प्रोत्साहित किया गया कि आर्बिट्रेटर किसी भी पक्षकार को नोटिस जारी करता है,...

बार काउंसिल ऑफ केरल ने वकीलों के इनरोलमेंट फीस को 750 रुपये तक सीमित करने वाले अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील की
बार काउंसिल ऑफ केरल ने वकीलों के इनरोलमेंट फीस को 750 रुपये तक सीमित करने वाले अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील की

बार काउंसिल ऑफ केरला (बीसीके) ने एकल न्यायाधीश के अंतरिम आदेश के खिलाफ केरल हाईकोर्ट की एक खंडपीठ में अपील की है, जिसमें बीसीके को निर्देश दिया गया था कि वह न्यायालय में याचिका दायर करने वाले संभावित वकीलों से नामांकन फीस के रूप में 750 रुपये से अधिक न वसूले।बार काउंसिल ने अपनी याचिका में कहा है कि इनरोलमेंट फीस को अंतरिम आदेश देकर 750 रुपए तक सीमित कर देने से प्रक्रिया लगभग ठप हो गई है।बार काउंसिल राज्यों द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि"उक्त अंतरिम आदेश का दूरगामी और दुर्बल करने वाला प्रभाव...

हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक
घरेलू हिंसा अधिनियम - अदालत पति को एक ही घर में रहने के बदले में पत्नी को आर्थिक खर्च का भुगतान करने का आदेश दे सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को संशोधित किया जिसमें एक महिला को मासिक भरण पोषण के रूप में 6,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था और उसे पति के साझा घर में अलग रहने के लिए एक कमरा दिया था। जस्टिस वी श्रीशानंद की एकल न्यायाधीश की पीठ ने पत्नी से अलग हुए पति द्वारा दायर आवेदन को अनुमति दी, जिसने प्रति माह 6,000 रुपये के भरण पोषण की राशि का भुगतान करने और महिला को वैकल्पिक आवास के लिए 5,000 रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करने का अंडरटैकिंग दिया...