मुख्य सुर्खियां
'जिन अधिवक्ताओं को कंप्यूटर की कम जानकारी है, वे अदालतों से संपर्क नहीं कर सकते', दिल्ली बार काउंसिल ने लॉकडाउन में सुनवाई के लिए नया सिस्टम बनाने का अनुरोध किया
दिल्ली बार काउंसिल के चेयरमैन केसी मित्तल ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लॉकडाउन के मद्दनजर पेश आ रही मुश्किलों को कम करने के लिए सीमित कामकाज का एक सिस्टम बनाने की बात कही है। पत्र में उस संकटपूर्ण चरण को स्वीकार किया गया है, जिससे होकर देश गुजर रहा है और जिसके परिणामस्वरूप अदालतों ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केवल जरूरी मामलों की सुनवाई का फैसला किया है और कोर्ट के कामकाज को सीमित किया गया है। पत्र में उन कठिनाइयों की चर्चा की गई है, जिनका...
COVID19: दिल्ली हाईकोर्ट सभी अधिकारियों से आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने का अनुरोध किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालत के सभी अधिकारियों और अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में COVID19 वायरस के प्रसार की स्थिति की जांच करने के लिए आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें। यह अनुरोध न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने सोमवार को जारी एक आधिकारिक आदेश के माध्यम से किया है। उक्त अनुरोध को उक्त मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लाभों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। भारत सरकार द्वारा लोगों को सामूहिक रूप से महामारी (COVID-19) के प्रकोप से लड़ने के लिए आवश्यक...
वीडियो कॉलिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई से समय की बचत, हर मामले की परिस्थिति का विश्लेषण करने में मददगार : मद्रास हाईकोर्ट
COVID-19 महामारी के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो रही मामलों की सुनवाई को मद्रास हाईकोर्ट ने सही माना है और इसके फ़ायदे गिनाए हैं। दो कोरियाई नागरिकों की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग के माध्यम से तमिलनाडु में डिटेंशन शिविरों का जायज़ा लिया। कोरियाई नागरिकों ने काफ़ी भीड़भाड़ होने के कारण इस शिविर से बाहर निकाले जाने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने इस सुनवाई के क्रम में कहा, "व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग के माध्यम से...
अंबेडकर जयंती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का संदेश: "सांप्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद और लैंगिक पक्षपात हमारे संवैधानिक आदर्शों के विपरीत"
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता डॉ बी.आर अंबेडकर की 129 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक संदेश भेजा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि साम्प्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद, लैंगिक पक्षपात और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों के प्रति छोटे या दमघोटू विचार हमारे संवैधानिक आदर्शों के विरोधी हैं।उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों का पालन करना केवल राज्य का काम नहीं है , बल्कि ये मूल्य हमारे जीवन का तरीका और हर नागरिक की दिन-प्रतिदिन की गतिविधि होने चाहिए। मुख्य...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, मीडिया यह सुनिश्चित करे की COVID 19 के मामलों में कोर्ट में कही गई बातों की गलत रिपोर्टिंग न हो
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि मीडिया, विशेष रूप से, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को COVID-19 के मामलों में अदालत के आदेशों की रिपोर्टिंग करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए। चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस बीवी नागरथना की खंडपीठ ने कहा, "हमें COVID-19 से सबंधित विभिन्न संवेदनशील मुद्दों का सामना करना पड़ रहा हैं। हम यह स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेशों की रिपोर्टिंग करते समय, मीडिया और विशेष रूप से, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बहुत सावधान रहना होगा। मीडिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायालय की कार्यवाही में रखी...
रेलवे कोच को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित करना सरकार का नीतिगत निर्णय, न्यायालय इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता : मद्रास हाईकोर्ट
‘‘इस गंभीर स्थिति में, डॉक्टरों द्वारा COVID रोगियों को दी जा रही योमन सेवाओं को कभी भी दिल-दिमाग या यादों से मिटने नहीं दिया जा सकता है। वास्तव में यह न्यायालय डॉक्टरों, नर्सों, पुलिस, निगम के अंतिम ग्रेड के कर्मचारियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए अपनी अथाह प्रशंसा को व्यक्त करता है। ’
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सेक्स-वर्कर को बलात्कार पीड़िता की तरह ही गर्भपात की अनुमति दी
एक सेक्स-वर्कर की मानसिक पीड़ा को बलात्कार की शिकार महिला के बराबर मानते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने उसे गर्भपात की इजाज़त दे दी। यह आदेश देने वाली एकल न्यायाधीश की बेंच ने कहा, "अगर गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म लेने की इजाज़त दी जाए तो इससे उसकी मानसिक पीड़ा कम नहीं होगी। उसे (बच्चे को) हमेशा ही उसके अतीत की याद दिलाई जाएगी और चूंकी इस तरह के बच्चे के पिता का कोई पता नहीं होगा, उसके दिल और दिमाग़ पर हमेशा ही यह चोट करता रहेगा।" अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता जिसे ज़बरदस्ती वेश्यावृत्ति में...
दस्तावेजों को दाखिल करने के लिए ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एडवांस स्टेज में, क्लर्कों को फाइलिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट आने की आवश्यकता नहीं होगी : जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़
मध्य प्रदेश मामले में सोमवार को फैसला सुनाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के प्रमुख जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुनवाई अच्छी तरह चल रही है। उन्होंने कहा कि कोर्ट 24/7 दस्तावेजों को दाखिल करने के लिए ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एडवांस स्टेज में है और जल्द ही क्लर्कों को फाइलिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट आने की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सत्र के दौरान कुछ गड़बड़ियां हुई थीं। पिछले...
ऐसा अपराध जिसमें क़ैद की सज़ा हो सकती है और जिसमें तीन साल के लिये सज़ा बढ़ाई जा सकती है, संज्ञेय है या असंज्ञेय, बड़ी पीठ करेगी फैसला
राजस्थान हाईकोर्ट की बड़ी पीठ इस मुद्दे पर ग़ौर करने वाली है कि ऐसा अपराध जिसमें तीन साल तक की क़ैद की सज़ा हो सकती है, उसकी प्रकृति (संज्ञेय या असंज्ञेय) क्या है? एकल पीठ ने इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का फ़ैसला किया। इस पीठ को यह निर्णय करना है कि भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 91(6)(a) (बिना किसी क़ानूनी अधिकार के भूमि पर क़ब्ज़ा करना) और कॉपीराइट अधिनियम की धारा 63 और 68A के तहत होने वाला अपराध दोनों ही संज्ञेय हैं या असंज्ञेय? न्यायाधीश ने कहा कि पिंटू देवी बनाम राजस्थान राज्य...
बॉम्बे हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश, एनपीए की गणना के लिए तय अवधि से लॉकडाउन को बाहर रखें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि लोन एकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित करने के लिए लॉकडाउन के 90 दिन की अवधि को बाहर रखा जाना चाहिए। एक मार्च, 2020 को डिफॉल्ट हो चुके लोन एकाउंट पर COVID-19 राहत पैकेज के तहत दिया गया मोहलत का लाभ लागू होता है। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता ने एक मार्च से पहले ही डिफॉल्ट हो चुके एक लोन एकाउंट को एनपीए घोषित किए जाने के संबंध में आरबीआई के राहत पैकेज के तहत पूर्ण लाभ का दावा किया गया था, हालांकि आईसीआईसीआई बैंक ने...
पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक देसाई का निधन
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक देसाई का सोमवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया। देसाई ने 1956 में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी। उन्हें 8 अगस्त 1977 को एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। एक वकील के रूप में वे बॉम्बे हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में मामलों में पेश हुए। उन्होंने 9 जुलाई 1996 से 6 मई 1998 तक भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में पद संभाला। उन्हें 2001 में पद्म भूषण पुरस्कार और लॉ ल्यूमिनेरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह नवतेज सिंह जौहर (धारा 377 का...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15-17 अप्रैल के बीच अत्यंत आवश्यक मामलों की सुनवाई के लिए बेंच गठित की, सभी न्यायालयों / न्यायाधिकरणों के लिए तय किए प्रोटोकॉल
इलाहाबाद में 15 अप्रैल से 17 अप्रैल, 2020 के बीच अत्यंत आवश्यक मामलों की सुनवाई के लिए 2 डिविजन बेंच और 12 एकल पीठों का गठन किया गया है, जिनमें तीन ई-कोर्ट भी शामिल होंगी। ये सभी पीठ उन दो दिनों में मामलों की सुनवाई करेंगी जब राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन में ढील दिए जाने की संभावना है। प्रतिदिन काफी संख्या में होने वाली फाइलिंग को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधीश की पूर्व स्वीकृति के साथ इन बेंच का गठन किया गया है। सभी बेंच की सूची और उनके द्वारा सुने जाने वाले मामलों की प्रकृति को तय कर दिया...
गृह मंत्रालय ने राज्यों को प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए पत्र लिखा
गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को COVID-19 महामारी के कारण राष्ट्रीय लॉकडाउन के मद्देनजर देश भर में राहत आश्रयों / शिविरों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन के लिए पत्र लिखा है। MHA की ओर से ये दिशा-निर्देश एक्टिविस्ट हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज और पश्चिम बंगाल से सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई से पहले आया है। इन याचिकाओं में से मंदर और भारद्वाज की याचिका श्रमिकों को...
COVID 19: "गोवा का सामुदायिक सर्वेक्षण 'गलत सलाह' पर आधारित", सीजेआई को पत्र लिखकर रोक लगाने की मांग
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के समक्ष पत्र के जरिए दायर याचिका में COVID 19 की जांच के लिए 13 अप्रैल, 2020 से गोवा में शुरू हो रहे सामुदायिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग की गई है। पत्र में न्यायालय से अपील की गई है कि वह सामुदायिक सर्वेक्षण की प्रक्रिया में तत्काल हस्तक्षेप करे। याचिका में जोर देकर कहा गया है कि अगर जांच पर रोक के मुद्दे को एक दिन भी टाला गया तो यह पूरे समुदाय को खतरे में डाल देगा। सर्वेक्षण की "गलत सलाह" पर आधारित है और "पूरी तरह से योजनाबद्ध" नहीं है। ...
बलात्कार की शिकार 12 साल की गर्भवती के 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की राय मांगी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 साल की एक नाबालिग लड़की की अपने 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की और इस बारे में चंद्रपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड को अपनी राय देने को कहा है। यह लड़की बलात्कार की शिकार रही है। नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति वीएम देशपांडे ने इस अपील की सुनवाई की। चूंकी याचिककर्ता किसी वक़ील की सेवा नहीं ले पायी, इसलिए विधिक सेवा प्राधिकरण ने स्वीटी भाटिया को पीड़ित के लिए वक़ील नियुक्त किया। उन्होंने इस लड़की की ओर से याचिका...
लॉकडाउन : दिल्ली हाईकोर्ट ने लोन लेने वाले को उस सम्पत्ति पर अंतरिम क़ब्ज़े की अनुमति दी जिसका बैंक ने प्रतिभूतिकरण किया है
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक परिवार को देशव्यापी लॉकडाउन के कारण एक फ़्लैट के एक फ़्लोर पर अंतरिम क़ब्ज़ा क़ायम रखने की अनुमति दे दी है। इस फ़्लैट को एसएआरएफएईएसआई अधिनियम की धारा 14 के तहत आईआईएफएल होम फ़ाइनेंस लिमिटेड ने प्रतिभूतिकरण किया है। याचिकाकर्ता को इस परिसंपत्ति के एक फ़्लोर पर रहने की अनुमति देकर न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंड लॉ और न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि वे लोग इस फ़्लैट के पहले माले पर किसी और को नहीं रखेंगे और इस परिसंपत्ति के किसी अन्य भाग पर कोई क़ब्ज़ा...
समय पर जागरूकता स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम में बाधा डालने वालों पर एनएसए लगाने जैसे कठोर कदम उठाने से बचा सकती है : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट (औरंगाबाद पीठ) ने कहा है कि समय पर जागरूकता के लिए कदम उठाने से COVID-19 का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई करने जैसे ''कठोर उपायों'' से बचा जा सकता है।न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वारले ने इंदौर में स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ एनएसए लगाने के मामले में मीडिया में आई खबरों पर ध्यान देते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने कहा कि''यह बताने के लिए किसी...
कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय की सफाई, COVID-19 के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया गया धन सीएसआर नहीं माना जाएगा
कार्पोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि COVID-19 के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष या राज्य राहत कोष में दिया गया धन कंपनी अधिनियम के तहत सीएसआर व्यय नहीं माना जाएगा। अधिनियम की अनुसूची II में मुख्यमंत्री राहत कोष या राज्य राहत कोष का उल्लेख नहीं है । मंत्रालय ने कहा है, "COVID-19 संबंधित गतिविधियों के लिए CSR की धनराशि खर्च करना CSR व्यय माना जाएगा। आगे स्पष्ट किया गया है कि अनुसूची II के आइटम नंबर (i) और (xii) में शामिल COVID-19 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए धन...

















