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सुप्रीम कोर्ट की एक और पीठ ने एशियन रिसर्फेंसिंग फैसले पर चिंता व्यक्त की, कहा- स्‍थगन आदेश को स्वत: हटाना पूर्वाग्रह का कारण बन रहा
सुप्रीम कोर्ट की एक और पीठ ने 'एशियन रिसर्फेंसिंग' फैसले पर चिंता व्यक्त की, कहा- स्‍थगन आदेश को स्वत: हटाना पूर्वाग्रह का कारण बन रहा

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट एक पीठ ने एक द‌िसंबर को एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ रोड एजेंसी लिमिटेड डायरेक्टर बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के मामले में अपने 2018 के फैसले पर संदेह व्यक्त किया था। उस फैसले में हाईकोर्ट और अन्य अदालतों की ओर से दीवानी और आपराधिक मामलों में दिया गया स्थगन आदेश छह महीने के बाद स्वतः समाप्त हो जाएगा, जब तक कि ऐसे आदेशों विशेष रूप से बढ़ाए नहीं जाते हैं। संयोग से उसी दिप सुप्रीम कोर्ट की एक और पीठ, जिसमें जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मिथल शामिल थे, ने...

सीमित विभाग प्रतियोगी परीक्षा (LDCE) से पदोन्नति को सामान्य पदोन्नति के बराबर नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
'सीमित विभाग प्रतियोगी परीक्षा (LDCE)' से पदोन्नति को सामान्य पदोन्नति के बराबर नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सामान्य पदोन्नति और सीमित विभाग प्रतियोगी परीक्षा (LDCE) से पदोन्नति के बीच अंतर किया। कोर्ट ने कहा कि LDCE प्रतिस्पर्धी चयन प्रक्रिया होने के नाते योग्यता के आधार पर त्वरित पदोन्नति की अनुमति देता है और मानदंड नियमित पदोन्नति के बजाय प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए विशिष्ट होते हैं।न्यायालय ने कहा,“सामान्य पदोन्नति और LDCE के माध्यम से चयन द्वारा पदोन्नति के बीच अंतर किया जाना चाहिए। प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तुलना में LDCE के माध्यम से चयन द्वारा पदोन्नति सुविधा या...

तथ्यों का मार्केट में कोई स्थान नहीं: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑनलाइन दुष्प्रचार और हेट स्पीच के बारे में चिंता व्यक्त की
'तथ्यों का मार्केट में कोई स्थान नहीं': सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑनलाइन दुष्प्रचार और हेट स्पीच के बारे में चिंता व्यक्त की

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने "इंटरनेट पर दुष्प्रचार और हेट स्पीच के अभूतपूर्व प्रसार" के बारे में चिंता व्यक्त की, जो लोकतंत्र में मुक्त भाषण को समझने के पारंपरिक तरीकों के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है।'डिजिटल युग में नागरिक स्वतंत्रता को कायम रखना: निजता, निगरानी और मुक्त भाषण' विषय पर 14वें जस्टिस वीएम तारकुंडे मेमोरियल लेक्चर देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि दुष्प्रचार को भारतीय संविधान अनुच्छेद 19 के तहत पारंपरिक मुक्त भाषण सिद्धांतों और संवैधानिक न्यायशास्त्र...

कभी-कभी सोशल एक्टिविस्ट व्यावसायिक हितों से प्रेरित होते हैं: सुप्रीम कोर्ट ने कैब एग्रीगेटर्स के विनियमन की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
'कभी-कभी सोशल एक्टिविस्ट व्यावसायिक हितों से प्रेरित होते हैं': सुप्रीम कोर्ट ने कैब एग्रीगेटर्स के विनियमन की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (1.12.2023) को उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकारों से ऐप-बेस्ड कैब सेवाओं के लिए नियम स्थापित करने की मांग की गई।जनहित याचिका में सुरक्षा, ओवरचार्जिंग और टैक्सी और कैब एग्रीगेटर्स द्वारा मनमाने ढंग से सवारी रद्द करने जैसे मुद्दों पर चिंता जताई गई।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष मामला सूचीबद्ध किया गया था।सीजेआई ने मामले में याचिकाकर्ता के...

आईपीसी की धारा 375 के तहत महिला पर बलात्कार का मामला कैसे दर्ज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने विधवा की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
आईपीसी की धारा 375 के तहत महिला पर बलात्कार का मामला कैसे दर्ज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने विधवा की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात पर संदेह जताया कि क्या किसी महिला पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत बलात्कार और आईपीसी की धारा 376डी के तहत सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ 61 वर्षीय विधवा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर आईपीसी की धारा 376 (2)एन, धारा 342, धारा 323 और धारा 506 और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया। महिला को उसके छोटे बेटे के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में सह-अभियुक्त के रूप में...

सुनिश्चित करें कि गंगा नदी से सटे कोई और निर्माण न हो: सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को निर्देश
सुनिश्चित करें कि गंगा नदी से सटे कोई और निर्माण न हो: सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि गंगा नदी के किनारे, खासकर पटना और उसके आसपास कोई और निर्माण न हो।न्यायालय ने राज्य को निर्देश दिया कि वह 213 चिन्हित अवैध संरचनाओं को हटाने की प्रगति के बारे में उसे रिपोर्ट करे, जो कि पटना में गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में बनाई गई हैं।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने एनजीटी के आदेश से उत्पन्न अपील में यह आदेश पारित किया, जिसमें 2020 में पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा के मूल आवेदन का निपटारा किया गया...

राज्य पुलिस से कोई शक्ति छीनी नहीं गई : सुप्रीम कोर्ट ने बीएसएफ अधिकार क्षेत्र विस्तार के खिलाफ पंजाब की याचिका पर कहा
"राज्य पुलिस से कोई शक्ति छीनी नहीं गई" : सुप्रीम कोर्ट ने बीएसएफ अधिकार क्षेत्र विस्तार के खिलाफ पंजाब की याचिका पर कहा

पंजाब में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र को पहले के 15 किमी की तुलना में 50 किमी तक बढ़ाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि 2021 की अधिसूचना के अनुसार, बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर पंजाब पुलिस की शक्तियां छीनी नहीं गई हैं ।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल (एसजी) मेहता (केंद्र की ओर से पेश) और एडवोकेट शादान फरासत ( एडिशनल एडवोकेट जनरल , पंजाब राज्य)...

सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड सिस्टम में सुधार के सुझावों को खारिज किया, नए सुझाव मांगे
सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड सिस्टम में सुधार के सुझावों को खारिज किया, नए सुझाव मांगे

शुक्रवार ( एक दिसंबर ) को सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) प्रणाली में सुधार के लिए एडवोकेट गौरव अग्रवाल द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर किया। हालांकि, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने स्पष्ट किया कि ये सुझाव न्यायालय की चिंताओं का समाधान नहीं करते हैं।रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां व्यक्त करते हुए कोर्ट ने कहा कि उसकी प्राथमिक चिंता यह है कि एओआर को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि इसका उद्देश्य दूसरों पर बोझ डालना या इसे और अधिक जटिल बनाना...

सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के खिलाफ लेख पर गुजरात पुलिस की कठोर कार्रवाई से चार पत्रकारों को दी गई अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के खिलाफ लेख पर गुजरात पुलिस की कठोर कार्रवाई से चार पत्रकारों को दी गई अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के खिलाफ प्रकाशित लेखों के संबंध में चार पत्रकारों को गुजरात पुलिस की कठोर कार्रवाई के खिलाफ दिए गए अंतरिम संरक्षण को बढ़ा दिया है। कोर्ट ने गुजरात राज्य को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय भी दिया। ‌जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने तीन नवंबर को पत्रकार रवि नायर और आनंद मंगनाले को गुजरात पुलिस के हाथों गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। उन्हें अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट...

कैदियों के वेतन में संशोधन के यूपी सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
कैदियों के वेतन में संशोधन के यूपी सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। इस याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के अगस्त 2023 के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें कैदियों की मजदूरी में संशोधन किया गया। चीफ़ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ द्वारा कैदियों के वेतन में संशोधन नहीं करने में राज्य के अधिकारियों के व्यवहार के बारे में गंभीर चिंताओं के बाद इस साल अगस्त में सरकारी आदेश जारी किया गया। अपने आदेश में सरकार ने कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल कैदियों की मजदूरी को 40, 30 और 25 रुपये...

सुप्रीम कोर्ट को एशियाई रिसर्फेसिंग जजमेंट पर संदेह, पांच जजों की बेंच को संदर्भित किया
सुप्रीम कोर्ट को एशियाई रिसर्फेसिंग' जजमेंट पर संदेह, पांच जजों की बेंच को संदर्भित किया

सुप्रीम कोर्ट ने एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ रोड एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड निदेशक बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के मामले में अपने 2018 के फैसले पर संदेह व्यक्त किया। उस फैसले के मुताबिक, हाईकोर्ट और अन्य अदालतों की ओर से दीवानी और फौजदारी मामलों में दिए गए अंतरिम स्‍थगन आदेश छह महीने के बाद स्वतः समाप्त हो जाएंगे, जब तक कि उन आदेशों को विशेष रूप से बढ़ाया नहीं जाता है।सुप्रीम कोर्ट ने एशियन रिसर्फेसिंग में कहा था कि ट्रायल कोर्ट छह महीने की अवधि समाप्त होने पर, किसी अन्य सूचना की प्रतीक्षा किए बिना कार्यवाही...

सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने पर तमिलनाडु के राज्यपाल से सवाल किया, कहा- सहमति रोकने के बाद वह ऐसा नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने पर तमिलनाडु के राज्यपाल से सवाल किया, कहा- सहमति रोकने के बाद वह ऐसा नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (1 दिसंबर) को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के फैसले पर सवाल उठाया, क्योंकि उन्होंने घोषणा की कि वह उन पर सहमति रोक रहे हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि राज्यपाल द्वारा सहमति रोके जाने की घोषणा के बाद विधानसभा द्वारा विधेयकों को फिर से लागू करने के बाद राज्यपाल विधेयकों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते हैं।पीठ ने कहा कि...

राज्य यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में राज्यपाल को स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर: सुप्रीम कोर्ट
राज्य यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में राज्यपाल को स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर: सुप्रीम कोर्ट

केरल में कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (वीसी) के रूप में डॉ. गोपीनाथ रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30.11.2023) को रेखांकित किया कि राज्य यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में कार्य करते समय राज्यपाल राज्य ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता से कार्य किया, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में "राज्य के अनुचित हस्तक्षेप" के आधार पर डॉ. गोपीनाथ...

यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्यायाधीश अपना कर्तव्य निभाएं, किसी को न केवल उनकी रक्षा करनी चाहिए बल्कि उन्हें जिम्मेदार भी ठहराना चाहिए: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्यायाधीश अपना कर्तव्य निभाएं, किसी को न केवल उनकी रक्षा करनी चाहिए बल्कि उन्हें जिम्मेदार भी ठहराना चाहिए: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार (30 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में बोलते हुए कहा कि वकीलों का कर्तव्य है कि वे न केवल न्यायाधीशों की रक्षा करें बल्कि उन्हें जिम्मेदार ठहराएं।उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा,“हम अपने पेशे की बेहतरी के लिए और अपने पेशे की बेहतरी के माध्यम से न्याय की सेवा करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं कि पेशे के दूसरे पक्ष न्यायाधीश जो न्याय की सहायता के लिए कार्य करने के लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने पर BCI की रोक को चुनौती देने वाली वकील की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार किया; हाईकोर्ट के पास जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने पर BCI की रोक को चुनौती देने वाली वकील की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार किया; हाईकोर्ट के पास जाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30 नवंबर) को वकील द्वारा किसी भी बार काउंसिल में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।अदालत एडवोकेट गुणरतन सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें BCI के फैसले को चुनौती दी गई, जो 13 जुलाई, 2018 को चुनाव के दौरान मतगणना प्रक्रिया के दौरान कथित तौर पर उनके द्वारा किए गए हंगामे का हवाला देते हुए लगाया गया।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने...

राज्य न्यायिक अधिकारियों के लिए गरिमापूर्ण कामकाजी परिस्थितियां प्रदान करें, न्यायिक स्वतंत्रता के लिए वित्तीय गरिमा अनिवार्य : सुप्रीम कोर्ट
राज्य न्यायिक अधिकारियों के लिए गरिमापूर्ण कामकाजी परिस्थितियां प्रदान करें, न्यायिक स्वतंत्रता के लिए वित्तीय गरिमा अनिवार्य : सुप्रीम कोर्ट

ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन बनाम भारत संघ मामले में एक आदेश सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30.11.2023) को न्यायिक अधिकारियों के लिए उनके कार्यकाल के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद गरिमापूर्ण कामकाजी परिस्थितियों को सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया। यह मामला दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) द्वारा अनुशंसित न्यायिक अधिकारियों के लिए वेतन वृद्धि के कार्यान्वयन से संबंधित है। अपने आदेश में, अदालत ने न्यायाधीशों को उचित भत्ते प्रदान करने और यह कहते हुए कि न्यायपालिका की...

धारा 307 आईपीसी | साधारण चोटें, बार-बार या गंभीर आघात नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के प्रयास के लिए दोषसिद्धि को पलट दिया
धारा 307 आईपीसी | 'साधारण चोटें, बार-बार या गंभीर आघात नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के प्रयास के लिए दोषसिद्धि को पलट दिया

सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को हत्या के प्रयास के तहत दोषसिद्धि को रद्द करते हुए दो कारकों को महत्व दिया। सबसे पहले, न्यायालय ने कहा कि कोई बार-बार या गंभीर आघात नहीं हुआ। दूसरे, पीड़ितों की चोटें सामान्य प्रकृति की थीं।कोर्ट ने कहा, “बेशक, बार-बार या गंभीर चोट पहुंचाने का कोई आरोप नहीं है। यहां तक कि पीडब्लू1 और पीडब्लू2 की चोटें भी सामान्य प्रकृति की पाई गई हैं, जो अपीलकर्ताओं के पक्ष में एक अतिरिक्त बिंदु है... ऐसे में, आईपीसी की धारा 307 के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है।"ऐसा करते समय, न्यायालय...

दस्तावेज, जिस पर मोहर लगाना आवश्यक है, उस पर पर्याप्त मोहर नहीं लगी है तो उसकी कॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में नहीं जोड़ा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
दस्तावेज, जिस पर मोहर लगाना आवश्यक है, उस पर पर्याप्त मोहर नहीं लगी है तो उसकी कॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में नहीं जोड़ा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में दोहराया कि अगर किसी दस्तावेज़ पर पर्याप्त मुहर नहीं लगी है, तो ऐसे दस्तावेज़ की कॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में नहीं जोड़ा जा सकता है।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कई निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा, "अगर किसी दस्तावेज पर, जिस पर मोहर लगाना आवश्यक है, पर्याप्त रूप से मोहर नहीं लगाई गई है तो कानून की स्थिति अच्छी तरह से स्थापित है कि ऐसे दस्तावेज़ की एक कॉपी द्वितीयक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं की जा सकती है।"मौजूदा मामले में, वादी और...

सुप्रीम कोर्ट को उस मिसाल पर संदेह, जिसने डिस्चार्ज आवेदनों पर निर्णय लेने में हाईकोर्ट के दायरा को सीमित किया
सुप्रीम कोर्ट को उस मिसाल पर संदेह, जिसने डिस्चार्ज आवेदनों पर निर्णय लेने में हाईकोर्ट के दायरा को सीमित किया

सुप्रीम कोर्ट ने मिनाक्षी बाला बनाम सुधीर कुमार, (1994) 4 एससीसी 142 के फैसले पर आपत्ति व्यक्त की है, जिसमें आपराधिक मामलों से आरोपियों को बरी करने में हाईकोर्टों द्वारा सीमित दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को रद्द करते हुए, जिसमें एक आपराधिक मामले में आरोपी को आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया गया था, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मिनाक्षी बाला के मामले के निष्कर्षों, विशेष रूप से फैसले के पैराग्राफ 8 के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त...

जरूरी नहीं कि पीएमएलए के तहत आरोपी अनुसूचित अपराध के तहत भी आरोपी हो : सुप्रीम कोर्ट
जरूरी नहीं कि पीएमएलए के तहत आरोपी अनुसूचित अपराध के तहत भी आरोपी हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 के तहत अपराध के आरोपी व्यक्ति को अनुसूचित अपराध में आरोपी के रूप में दिखाए जाने की आवश्यकता नहीं है। फैसले में स्पष्ट किया गया कि एक व्यक्ति, जो अनुसूचित अपराध से जुड़ा नहीं है, लेकिन जानबूझकर अपराध की आय को छिपाने में सहायता कर रहा है, को पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध करने का दोषी ठहराया जा सकता है।“यह आवश्यक नहीं है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है, उसे अनुसूचित अपराध में...