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सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को मुफ्त और समय पर कानूनी सहायता देने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को मुफ्त और समय पर कानूनी सहायता देने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता सुहास चकमा द्वारा दायर याचिकाओं के समूह में दोषी कैदियों को मुफ्त और समय पर कानूनी सहायता देने के सवाल पर फैसला सुरक्षित रखा, जिसमें कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता और खुली जेल सुधारों का मुद्दा उठाया गया था।मुफ्त कानूनी सहायता के मुद्दे पर जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ को एमिक्स क्यूरी और सीनियर एडवोकेट विजय हंसरिया ने सहायता प्रदान की। हंसरिया ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय, राज्य, जिला और तालुका स्तर पर कानूनी सेवा प्राधिकरणों के...

गुजरात अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए अवैध तोड़फोड़ के खिलाफ याचिका दायर
गुजरात अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए अवैध तोड़फोड़ के खिलाफ याचिका दायर

बुलडोजर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए कथित अवैध तोड़फोड़ के खिलाफ असम के 47 निवासियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद कोर्ट के समक्ष एक और अवमानना ​​याचिका दायर की गई, जिसमें गुजरात के अधिकारियों द्वारा 28 सितंबर को नोटिस जारी किए बिना और/या सुनवाई का अवसर दिए बिना मुस्लिम धार्मिक और आवासीय स्थलों को अवैध रूप से ध्वस्त करने का आरोप लगाया गया।यह याचिका प्रभास पाटन के पटनी मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले ट्रस्ट सुम्मास्त पटनी मुस्लिम जमात द्वारा दायर की...

सुप्रीम कोर्ट ने समय पर जांच पूरी न करने पर यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर पर लगाई गई निंदा की सजा बरकरार रखी
सुप्रीम कोर्ट ने समय पर जांच पूरी न करने पर यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर पर लगाई गई निंदा की सजा बरकरार रखी

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर अपने कर्तव्यों का पालन न करने और निर्धारित समय सीमा के भीतर सौंपी गई जांच पूरी न करने के लिए लगाई गई निंदा की सजा बरकरार रखी।अपीलकर्ता को कारण बताओ नोटिस दिया गया था, जो पुलिस स्टेशन हनुमानगंज, जिला खुशीनगर, उत्तर प्रदेश में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था। इसमें अपीलकर्ता को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय घोर लापरवाही, उदासीनता और स्वार्थ के लिए दोषी ठहराया गया था। कारण बताओ नोटिस के जवाब में अपीलकर्ता ने बताया कि उसका अधिकांश...

Telangana MBBS/BDS Admissions: क्या स्थानीय कोटा मानदंड अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा
Telangana MBBS/BDS Admissions: क्या स्थानीय कोटा मानदंड अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को एमबीबीएस प्रवेश के लिए तेलंगाना स्थानीय कोटा नियम से संबंधित मुद्दे पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना राज्य को सुझाव दिया कि वह इस बात पर विचार करे कि क्या नए मानदंड (चार साल लगातार अध्ययन और तेलंगाना में योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करना) अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किए जा सकते हैं।सुनवाई के दौरान, राज्य ने यह भी कहा कि वह याचिकाकर्ताओं के लिए एक बार के अपवाद के लिए पहले दी गई रियायत को रद्द करने पर विचार कर रहा है, जिन्होंने मानदंडों को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट...

S. 173(8) CrPC | यदि आवेदन बिना किसी नए साक्ष्य के दाखिल किया गया तो आगे की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
S. 173(8) CrPC | यदि आवेदन बिना किसी नए साक्ष्य के दाखिल किया गया तो आगे की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 173(8) के तहत आगे की जांच का अनुरोध करने वाले पक्ष ने अपने साक्ष्य में कुछ भी नया नहीं बताया और बिना नए साक्ष्य के आगे की जांच के लिए अपने आवेदन को आधार बनाया तो अदालतों को आगे की जांच का आदेश देने से बचना चाहिए।“जहां नए साक्ष्य सामने आते हैं, जो पहले से आरोपी नहीं रहे व्यक्तियों को फंसा सकते हैं या पहले से आरोपी व्यक्तियों को दोषमुक्त कर सकते हैं या जहां जांच एजेंसी के संज्ञान में आता है कि किसी अपराध के लिए पहले से आरोपी व्यक्ति के...

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पहले स्वीकार की गई निरस्तीकरण याचिका पर फिर से सुनवाई करने को बिल्कुल गलत बताया
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पहले स्वीकार की गई निरस्तीकरण याचिका पर फिर से सुनवाई करने को "बिल्कुल गलत" बताया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को कहा कि मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पहले ही मामला खारिज करने के बावजूद निरस्तीकरण याचिका पर फिर से सुनवाई करने का फैसला "बिल्कुल गलत" है।जस्टिस अभय ओका ने कहा,"यह क्या चलन है? अब क्या किया जाना चाहिए? यह पूरी तरह से गलत है।"जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (DGP) जाफर सैत की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी निरस्तीकरण याचिका पर फिर से सुनवाई करने के फैसले को...

सुप्रीम कोर्ट ने क्षमा याचिकाओं में झूठे बयानों पर चिंता जताई, SCAORA अध्यक्ष से सहायता करने का अनुरोध किया
सुप्रीम कोर्ट ने क्षमा याचिकाओं में झूठे बयानों पर चिंता जताई, SCAORA अध्यक्ष से सहायता करने का अनुरोध किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को क्षमा याचिकाओं में झूठे बयान दिए जाने के एक और मामले पर प्रकाश डाला। साथ ही सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के अध्यक्ष विपिन नायर से इस मुद्दे पर न्यायालय की सहायता करने का अनुरोध किया।जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि हाल ही में कई मामले सामने आए, जिनमें समय से पहले रिहाई की मांग करने वाली रिट याचिकाओं और एसएलपी में झूठे बयान दिए गए। ऐसे मुद्दों की बार-बार होने वाली प्रकृति को देखते हुए न्यायालय ने SCAORA...

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 1992-93 के सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को मुआवज़ा देने में देरी पर चिंता जताई
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 1992-93 के सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को मुआवज़ा देने में देरी पर चिंता जताई

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 1992 और 1993 के सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को मुआवज़ा देने में देरी पर चिंता जताई।महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा मुआवज़ा देने के लिए न्यायालय के पिछले आदेश के अनुपालन को दर्शाने वाली रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने पर जस्टिस अभय ओक ने टिप्पणी की, "दंगा पीड़ितों को मुआवज़ा देने में इतनी देरी हो रही है।"जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन...

किसी भी जज से वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को वर्तमान हाईकोर्ट जज के वेतन बकाया जारी करने का निर्देश दिया
"किसी भी जज से वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए": सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को वर्तमान हाईकोर्ट जज के वेतन बकाया जारी करने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य को निर्देश दिया कि वह पटना हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस आर.पी. मिश्रा का वेतन तुरंत जारी करे, जिनका हाईकोर्ट में पदोन्नति की तिथि से बकाया बकाया था।अदालत ने इस बात को ध्यान में रखते हुए अंतरिम आदेश पारित किया कि "किसी भी जज से वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।"चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ पटना हाईकोर्ट के जजों के लंबित वेतन जारी करने और न्यायिक अधिकारियों के लिए पेंशन निर्धारण...

सुप्रीम कोर्ट ने DRT को अधीनस्थ विभाग मानने के लिए वित्त मंत्रालय की आलोचना की
सुप्रीम कोर्ट ने DRT को "अधीनस्थ विभाग" मानने के लिए वित्त मंत्रालय की आलोचना की

सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय द्वारा विशाखापत्तनम स्थित ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) को अपने अधीनस्थ विभाग के रूप में मानने पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि DRT कर्मचारियों को वित्त मंत्रालय द्वारा सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिए भेजा गया था।DRT के पीठासीन अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में विस्तृत रूप से बताया गया कि कर्मचारियों को मंत्रालय द्वारा मांगे गए डेटा को एकत्र करने के लिए पर्याप्त समय और प्रयास समर्पित करना पड़ा, जिससे न्यायाधिकरण की कार्यवाही करने की क्षमता...

RG Kar Case| हम आईपी/ओपी ड्यूटी सहित सभी आवश्यक सेवाएं कर रहे हैं: पश्चिम बंगाल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
RG Kar Case| हम आईपी/ओपी ड्यूटी सहित सभी आवश्यक सेवाएं कर रहे हैं: पश्चिम बंगाल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में बताया

आरजी कर बलात्कार-हत्या अपराध पर स्वतः संज्ञान से मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को पश्चिम बंगाल राज्य के रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से दिए गए बयान को दर्ज किया कि वे अब इन-पेशेंट और आउट-पेशेंट ड्यूटी सहित सभी आवश्यक और आपातकालीन सेवाएं कर रहे हैं।आरजी कर अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में डॉक्टरों ने ड्यूटी से परहेज किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस आश्वासन के साथ अपने कर्तव्यों पर लौटने का निर्देश दिया कि उनके खिलाफ कोई...

सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल और सीएम आतिशी के खिलाफ मानहानि मामले पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल और सीएम आतिशी के खिलाफ मानहानि मामले पर रोक लगाई

आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना को अंतरिम राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने केजरीवाल-आतिशी द्वारा मानहानि मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम राहत दी। केजरीवाल-आतिशी ने शिकायत में आरोपी के रूप में उन्हें तलब किए जाने के खिलाफ याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के...

सुप्रीम कोर्ट ने IIT को फीस भुगतान में देरी के कारण एडमिश खोने वाले स्टूडेंट को राहत दी
सुप्रीम कोर्ट ने IIT को फीस भुगतान में देरी के कारण एडमिश खोने वाले स्टूडेंट को राहत दी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को दलित स्टूडेंट को राहत दी, जिसने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में अपना एडमिशन खो दिया था, क्योंकि वह 17,500 रुपये की ऑनलाइन एडमिशन फीस का भुगतान करने में कुछ मिनट की देरी कर गया था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में सीट पर एडमिशन दिया जाना चाहिए, जो उसे आवंटित किया गया।कोर्ट ने कहा कि उसे समायोजित करने के...

तिरुपति लड्डू विवाद | लैब रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया यह नहीं दिखाया गया कि अशुद्ध घी का इस्तेमाल किया गया: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना की
तिरुपति लड्डू विवाद | 'लैब रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया यह नहीं दिखाया गया कि अशुद्ध घी का इस्तेमाल किया गया:' सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की आलोचना की, जिन्होंने तिरुमाला तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले लड्डू बनाने के लिए मिलावटी घी के इस्तेमाल के बारे में सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए थे।न्यायालय ने मुख्यमंत्री द्वारा ऐसे बयान देने के औचित्य पर सवाल उठाया, जब मामले की जांच चल रही थी। पीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि लैब रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि यह खारिज किए गए घी के सैंपल थे, जिनकी जांच की गई थी।जस्टिस बीआर...

सुप्रीम कोर्ट ने सोनापुर विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर असम सरकार को नोटिस जारी किया, यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सोनापुर विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर असम सरकार को नोटिस जारी किया, यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने असम के 47 निवासियों द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर असम राज्य को नोटिस जारी किया, जिसमें 17 सितंबर, 2024 के न्यायालय के अंतरिम आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया, जिसके तहत निर्देश दिया गया था कि न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना देश भर में कोई भी विध्वंस नहीं किया जाना चाहिए।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने योग्य नोटिस जारी करते हुए यह भी आदेश दिया कि इस बीच पक्षकारों द्वारा यथास्थिति बनाए रखी जाएगी।याचिकाकर्ता की ओर से...

Breaking: बलात्कार मामले में मलयालम एक्टर सिद्दीकी को सुप्रीम कोर्ट से मिला अंतरिम संरक्षण
Breaking: बलात्कार मामले में मलयालम एक्टर सिद्दीकी को सुप्रीम कोर्ट से मिला अंतरिम संरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम एक्टर सिद्दीकी को युवा एक्ट्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।24 सितंबर को केरल हाईकोर्ट के जज जस्टिस सी.एस. डायस ने अग्रिम जमानत की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज की थी। कोर्ट ने यह देखते हुए याचिका खारिज की थी कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से अपराध में सिद्दीकी की प्रथम दृष्टया संलिप्तता का संकेत...

आप राहत देने से इनकार करने वाले जज के खिलाफ इन-हाउस जांच की मांग नहीं कर सकते: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
'आप राहत देने से इनकार करने वाले जज के खिलाफ इन-हाउस जांच की मांग नहीं कर सकते': सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार (30 सितंबर) को वादी द्वारा राहत न देने के लिए जज के खिलाफ इन-हाउस जांच की मांग करने पर आपत्ति जताई।वादी, जो व्यक्तिगत पक्ष है, याचिका का उल्लेख कर रहा था, जिसमें उसने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को प्रतिवादी के रूप में जोड़ा था। उन्होंने कहा कि याचिका मई 2018 में दायर की गई थी।याचिका पर आश्चर्य और निराशा व्यक्त करते हुए सीजेआई ने पक्षकार से कहा:"आप जज को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? कुछ गरिमा होनी चाहिए। आप यह नहीं कह...

दिव्यांग व्यक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट की पुस्तिका रूढ़िवादिता को समाप्त करती है, न्यायाधीशों को अमानवीय भाषा से बचने की सलाह देती है
दिव्यांग व्यक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट की पुस्तिका रूढ़िवादिता को समाप्त करती है, न्यायाधीशों को अमानवीय भाषा से बचने की सलाह देती है

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डॉ डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (28 सितंबर) को किशोर न्याय समिति, भारत के सुप्रीम कोर्ट और यूनिसेफ इंडिया के सहयोग से आयोजित ' दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों के अधिकारों की रक्षा और दिव्यांगता की अंतर्संबंधता' पर 9वें वार्षिक राष्ट्रीय परामर्श हितधारकों के परामर्श में भारत के सुप्रीम कोर्ट की 'दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित पुस्तिका' का शुभारंभ किया।कार्यक्रम में बोलने वाली किशोर न्याय समिति की अध्यक्ष जस्टिस बी वी नागरत्ना ने दिव्यांगता अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के...

चयन प्रक्रिया पूरी होने तक उत्तर पुस्तिकाओं को सुरक्षित रखें, जिससे गड़बड़ी के आरोपों से बचा जा सके : सुप्रीम कोर्ट
चयन प्रक्रिया पूरी होने तक उत्तर पुस्तिकाओं को सुरक्षित रखें, जिससे गड़बड़ी के आरोपों से बचा जा सके : सुप्रीम कोर्ट

मणिपुर में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब सार्वजनिक पदों के लिए भर्ती की जा रही हो तो अधिकारियों को प्रक्रिया पूरी होने तक उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं को सुरक्षित रखना चाहिए, जिससे गड़बड़ी के किसी भी आरोप से बचा जा सके।इसने कहा,"जब राज्य द्वारा सार्वजनिक पदों के लिए भर्ती की जा रही हो तो अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद उचित समय तक उत्तर पुस्तिकाओं को सुरक्षित रखना विवेकपूर्ण कदम है। हम उम्मीद करते हैं कि सभी संबंधित लोग भविष्य की भर्तियों...