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सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 मामले के याचिकाकर्ता ने भारतीय संविधान का पालन करने और उसकी अखंडता की रक्षा करने की शपथ लेते हुए हलफनामा दायर किया
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 मामले के याचिकाकर्ता ने भारतीय संविधान का पालन करने और उसकी अखंडता की रक्षा करने की शपथ लेते हुए हलफनामा दायर किया

जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह में प्रमुख याचिकाकर्ता नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और संसद सदस्य मोहम्मद अकबर लोन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में कहा गया है कि वह भारत के संविधान के प्रावधानों को स्वीकार करते हैं और राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उनसे ऐसा हलफनामा दायर करने के लिए कहा था, जब कश्मीरी पंडितों के संगठन "रूट्स इन कश्मीर" ने कहा था कि लोन ने जम्मू-कश्मीर...

सुप्रीम कोर्ट ने निवारक हिरासत की वैधता तय करने के लिए अदालतों द्वारा विचार किए जाने वाले 10 कारकों को समझाया
सुप्रीम कोर्ट ने निवारक हिरासत की वैधता तय करने के लिए अदालतों द्वारा विचार किए जाने वाले 10 कारकों को समझाया

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य में संविधान के तहत लोगों को दी गई स्वतंत्रता और आजादी पर विचार किए बिना निवारक हिरासत के आदेश पारित करने की बढ़ती प्रवृत्ति की कड़ी निंदा करते हुए दिशानिर्देश दिए।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निवारक निरोध के आदेशों की वैधता पर विचार करते समय अदालतों द्वारा इसका पालन किया जाना चाहिए।जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने एक वैध हिरासत आदेश की आवश्यकताओं और उस पर न्यायिक पुनर्विचार के दायरे पर कई निर्णयों का उल्लेख किया और संवैधानिक अदालतों के पालन के लिए...

प्राइवेट क्लास 12th स्टूडेंट नीट एग्जाम देने के पात्र- एनएमसी ने कहा; सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस एडमिशन की अनुमति दी
प्राइवेट क्लास 12th स्टूडेंट नीट एग्जाम देने के पात्र- एनएमसी ने कहा; सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस एडमिशन की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में 12वीं क्लास पास करने वाले एक उम्मीदवार को नीट (NEET) काउंसलिंग के बाद एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने की अनुमति दी। ऐसा तब हुआ जब नेशनल मेडिकल कमिशन ने न्यायालय को सूचित किया कि नवीनतम ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन (जीएमईआर) 2023 के अनुसार, ऐसे उम्मीदवार नेशनल एडमिशन कम एलिजिबिलिटी टेस्ट (नीट) में उपस्थित होने के लिए पात्र हैं।जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कानून के प्रश्न को खुला...

याचिका में विशिष्ट चुनौती के बिना वैधानिक प्रावधान को अल्ट्रा वायर्स घोषित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
याचिका में विशिष्ट चुनौती के बिना वैधानिक प्रावधान को अल्ट्रा वायर्स घोषित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि किसी कानून के प्रावधानों को रद्द करने या कुछ नियमों को अल्ट्रा वायर्स घोषित करने के लिए एक विशिष्ट दलील और ऐसी राहत के लिए अनुरोध होना चाहिए।न्यायालय ने कहा,"कानून के प्रावधानों को खत्म करने या नियमों को अल्ट्रा वायर्स घोषित करने के लिए विशिष्ट दलील दी जानी चाहिए और ऐसी राहत का अनुरोध किया जाना चाहिए, हालांकि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट रूप से गायब है।ऐसी दलील के अभाव में यूनियन ऑफ इंडिया के पास इसका खंडन करने का अवसर नहीं है। दूसरे पक्ष के पास लागू किए गए...

धारा 162 सीआरपीसी किसी ट्रायल कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेकर गवाह के बयानों से विरोध के लिए सवाल करने से नहीं रोकती : सुप्रीम कोर्ट
धारा 162 सीआरपीसी किसी ट्रायल कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेकर गवाह के बयानों से विरोध के लिए सवाल करने से नहीं रोकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 162 दस्तावेजों पर गौर करने या गवाहों से बयानों का विरोध करने के लिए स्वत: संज्ञान लेने की अदालत की शक्ति को प्रभावित नहीं करती है।जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, "हमारी राय में सीआरपीसी की धारा 162 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक ट्रायल जज को स्वत: संज्ञान लेते हुए चार्जशीट के कागजात को देखने और पुलिस द्वारा जांच किए गए किसी व्यक्ति के बयान का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति के बयानों का खंडन करने के उद्देश्य से...

बिहार जाति सर्वेक्षण: ट्रांसजेंडर पहचान को जाति सूची में शामिल करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बिहार जाति सर्वेक्षण: ट्रांसजेंडर पहचान को जाति सूची में शामिल करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

बिहार सरकार ने पिछले महीने जाति आधारित सर्वेक्षण के मद्देनजर 'हिजड़ा', 'किन्नर', 'कोठी' और 'ट्रांसजेंडर' को कास्ट लिस्‍ट यानि जाति सूची में शामिल करने का फैसला किया ‌था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ भी कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें सर्वेक्षण की प्रक्रिया की संवैधानिकता पर संदेह जताया गया है।ट्रांस एक्टिविस्ट रेशमा प्रसाद ने इन लैंगिक पहचानों के लिए एक अलग कास्ट कोड तय करने और उन्हें सर्वेक्षण के मकसद से...

अनुच्छेद 370| ये दलील कि अनुच्छेद 370 को पुनर्जीवित करना मूल संरचना का उल्लंघन होगा,  दूर की कौड़ी है : सुप्रीम कोर्ट [ दिन 15]
अनुच्छेद 370| ये दलील कि अनुच्छेद 370 को पुनर्जीवित करना मूल संरचना का उल्लंघन होगा, " दूर की कौड़ी" है : सुप्रीम कोर्ट [ दिन 15]

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 की कार्यवाही के 15 वें दिन, केंद्र सरकार और अन्य उत्तरदाताओं ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ के समक्ष अपनी दलीलें समाप्त कीं। पीठ ने प्रतिवादी पक्ष की दलीलों पर सुनवाई बंद कर दी।सुनवाई के दौरान पीठ ने सीनियर एडवोकेट वी गिरी के इस तर्क पर असहमति जताई कि यदि अनुच्छेद 370 को पुनर्जीवित किया गया तो यह भारतीय संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन होगा। पीठ ने...

निवारक हिरासत के आदेश ड्रॉप ऑफ ए हैट की तरह पारित नहीं किए जा सकते, कुछ अफसर स्वतंत्रता को कुचल रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस को फटकार लगाई
निवारक हिरासत के आदेश 'ड्रॉप ऑफ ए हैट' की तरह पारित नहीं किए जा सकते, कुछ अफसर स्वतंत्रता को कुचल रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना राज्य में भारत के संविधान के तहत लोगों को दी गई स्वतंत्रता की गारंटी पर विचार किए बिना 'ड्रॉप ऑफ ए हैट' की तरह निवारक हिरासत के आदेश पारित करने की बढ़ती प्रवृत्ति की निंदा की।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने तेलंगाना राज्य के अधिकारियों को याद दिलाया कि संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों पर विचार किए बिना निवारक हिरासत अधिनियम के कठोर प्रावधानों को लागू नहीं किया जाना चाहिए:“तेलंगाना राज्य में प्रचलित एक खतरनाक प्रवृत्ति हमारे ध्यान से...

धारा 323 सीआरपीसी| गवाही/गवाह की मुख्य जांच के बाद भी शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
धारा 323 सीआरपीसी| गवाही/गवाह की मुख्य जांच के बाद भी शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 323 के तहत शक्ति का प्रयोग मजिस्ट्रेट किसी गवाह की गवाही या मुख्य परीक्षण के बाद भी कर सकता है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि धारा 323 के तहत शक्ति के प्रयोग के ‌लिए मुख्य आवश्यकता यह है कि संबंधित विद्वान मजिस्ट्रेट को यह महसूस होना चाहिए कि मामला ऐसा है, जिसकी सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए।धारा 323 उस प्रक्रिया से संबंधित है, जब जांच या सुनवाई शुरू होने के बाद मजिस्ट्रेट को लगता है कि मामला कमिट किया जाना...

जन्म से ही किसी को अपराधी करार देना और इसे वंशानुगत घटना मानना कुछ गलत ऐतिहासिक धारणाओं पर आधारित है: जस्टिस विश्वनाथन
जन्म से ही किसी को अपराधी करार देना और इसे वंशानुगत घटना मानना कुछ गलत ऐतिहासिक धारणाओं पर आधारित है: जस्टिस विश्वनाथन

(संदेश गांगुर्डे और विकास यादव)क्रिमिनल ट्राइब एक्ट, 1871 (सीटीए) को निरस्त करने की 71वां वर्षगांठ 31अगस्त को मनायी गयी।उल्लेखनीय है कि डिनोटिफाइड जनजा‌तियों से संबंधित कई समुदाय 31 अगस्त को विमुक्त दिवस के रूप में मनाते हैं। ‌य‌ह दिन 1952 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट को निरस्त किए जाने के बाद उस कानून से आजादी के दिन के रूप में मनाया जाता है।विमुक्त दिवस की पूर्व संध्या पर लाइव लॉ के सहयोग से आपराधिक न्याय और पुलिस जवाबदेही परियोजना ने एक व्याख्यान का आयोजन किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के...

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 मामले के याचिकाकर्ता से भारत की संप्रभुता को स्वीकार करने और भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा जाहिर करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 मामले के याचिकाकर्ता से भारत की संप्रभुता को स्वीकार करने और भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा जाहिर करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह में प्रमुख याचिकाकर्ता नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और सांसद मोहम्मद अकबर लोन से एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा, जिसमें लोन बिना शर्त यह स्वीकार करें कि जम्मू-कश्मीर वह भारत का अभिन्न अंग है और वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं। आज सुबह, कश्मीरी पंडितों के संगठन "रूट्स इन कश्मीर" ने संविधान पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया था कि लोन ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान के समर्थन में नारे...

सुप्रीम कोर्ट ने कथित हेट स्पीच पर अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली बृंदा करात की याचिका पर सुनवाई  स्थगित की
सुप्रीम कोर्ट ने कथित हेट स्पीच पर अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली बृंदा करात की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता बृंदा करात और केएम तिवारी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। इस याचिका में भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ जनवरी 2020 में चुनावी रैलियों के दौरान कथित नफरत भरे भाषण (Hate Speech) के आरोप में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की मांग की गई है। अब सुनवाई 3 अक्टूबर को होनी है। हालांकि अदालत ने मामले को एक महीने बाद फिर से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि दिल्ली...

अनुच्छेद 370: मुख्य याचिकाकर्ता पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट जवाब मांगेगा
अनुच्छेद 370: मुख्य याचिकाकर्ता पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट जवाब मांगेगा

अनुच्छेद 370 मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में मुख्य याचिकाकर्ता, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मोहम्मद अकबर लोन पर पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने का आरोप लगा है।मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने सोमवार को कहा कि वह इस संबंध में मुख्य याचिकाकर्ता से जवाब मांगेगी।आज सुबह जैसे ही पीठ बैठी, कश्मीरी पंडितों के संगठन "रूट्स इन कश्मीर" की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनकी जानकारी में एक "आश्चर्यजनक तथ्य" आया है, जिसके बारे में उन्होंने एक हलफनामा दायर किया है।उन्होंने बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस...

वकील का रियल एस्टेट एजेंट के रूप में काम करना और क्लाइंट की संपत्ति बेचना कदाचार : सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर बीसीआई का जुर्माना बरकरार रखा
वकील का रियल एस्टेट एजेंट के रूप में काम करना और क्लाइंट की संपत्ति बेचना कदाचार : सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर बीसीआई का जुर्माना बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक वकील को घोर पेशेवर कदाचार (professional misconduct) के लिए 5 साल के लिए लॉ प्रैक्टिस से निलंबित करने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया के फैसले को बरकरार रखा, क्योंकि यह पता चला था कि वकील ने संपत्ति से संबंधित मामले में अपने ही क्लाइंट से जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल की थी और बाद में संपत्ति बेच दी। जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ बीसीआई के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने पेशेवर कदाचार के कारण वकील को प्रैक्टिस से 5 साल के लिए निलंबित कर...

सुप्रीम कोर्ट ने टैक्सी सर्विस संचालित करने वाले वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई बरकरार रखी
सुप्रीम कोर्ट ने टैक्सी सर्विस संचालित करने वाले वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टैक्सी सर्विस संचालित करने वाले एक वकील के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को बरकरार रखा। बार ने वकील को उसके पेशेवर कदाचार के कारण एक वर्ष के लिए प्रैक्टिस से प्रतिबंधित कर दिया गया था। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ पेशेवर कदाचार के कारण लॉ प्रैक्टिस से रोकने के बीसीआई के फैसले के खिलाफ एक वकील द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। मामला दो प्रमुख आरोपों के इर्द-गिर्द है। सबसे पहले यह स्थापित किया गया कि...

मोटर एक्सीडेंट क्लेम- आय का कोई निश्चित प्रमाण न होने पर मृतक की सामाजिक स्थिति पर विचार किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
मोटर एक्सीडेंट क्लेम- आय का कोई निश्चित प्रमाण न होने पर मृतक की सामाजिक स्थिति पर विचार किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) द्वारा दिए गए उस अवार्ड को बहाल कर दिया, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों के मूल्यांकन में हाईकोर्ट द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण पर निराशा व्यक्त की और MACT का फैसले बहाल कर दिया।कोर्ट ने कहा,“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान प्रकृति के मामले में हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य का आकलन करते हुए मृतक की आय के संबंध में सख्त सबूत की मांग की। वर्तमान प्रकृति के मामले में जहां मुआवजे की मांग की जाती है, वहां आय के...

सीआरपीसी की धारा 311 - गवाह को वापस बुलाने की शक्ति का इस्तेमाल तब किया जाना चाहिए जब उचित फैसले के लिए आवश्यक हो : सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी की धारा 311 - गवाह को वापस बुलाने की शक्ति का इस्तेमाल तब किया जाना चाहिए जब उचित फैसले के लिए आवश्यक हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 311 के तहत एक गवाह द्वारा दायर एक आवेदन को अनुमति दी, जिसमें उसे पूछताछ के लिए फिर से बुलाने की मांग की गई थी। अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया कि उनके प्रारंभिक बयान में, उनके पास कुछ तथ्य लाने का कोई अवसर नहीं था, जो विशेषज्ञ गवाह की जांच के बाद प्रासंगिक हो गए।कोर्ट ने एक मिसाल का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि सीआरपीसी की धारा 311 के तहत शक्ति का इस्तेमाल तब किया जाना चाहिए जब '...यह मामले के उचित...

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम - संपत्ति में उत्तराधिकारियों के हिस्से का पता लगाने के लिए, पहला कदम यह है कि सहदायिक संपत्ति में मृत्यु की तारीख पर मृतक का हिस्सा निर्धारित करे : सुप्रीम कोर्ट
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम - संपत्ति में उत्तराधिकारियों के हिस्से का पता लगाने के लिए, पहला कदम यह है कि सहदायिक संपत्ति में मृत्यु की तारीख पर मृतक का हिस्सा निर्धारित करे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक सिविल अपील (1 सितंबर 2023) का निपटारा करते हुए टिप्पणी की कि कई बार आज़माया और परखा गया, मिताक्षरा सहदायिक संपत्ति के उत्तराधिकार का मुद्दा लर्ना झील के अमर दैत्य की तरह बार-बार अपना सिर उठाता रहता है। इस मामले में, एक विभाजन वाद वर्ष 1991 में दायर किया गया था और ट्रायल कोर्ट ने वर्ष 1996 में उस पर फैसला सुनाया था। प्रथम अपीलीय अदालत ने 1999 में अपील खारिज कर दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने 2009 में आंशिक रूप से दूसरी अपील की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, मुद्दा यह था...