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न्यायिक चुप्पी निर्वाचित के अत्याचार की पुष्टि करती: पूर्व मुख्य न्यायाधीश को एक जवाब
न्यायिक चुप्पी 'निर्वाचित के अत्याचार' की पुष्टि करती: पूर्व मुख्य न्यायाधीश को एक जवाब

अप्रत्याशित कोनों से कोर्ट पर, विशेष कर सुप्रीम कोर्ट पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि वो गंभीर राष्ट्रीय मसलों, विशेष रूप से प्रवासी संकट में हस्तक्षेप न करें। सरकारों की लगातार निष्क्रियता का परिणाम यह है कि लाखों प्रवासी मजदूरों के जीवन अकल्पनीय दुखों का ढेर लग गया है, वो सड़कों पर पैदल चल रहे हैं। भोजन, पानी, जीवन के आवश्यक साधनों की कमी से जूझ रहे हैं। इस कठिन दौर में, अदालतों को हस्तक्षेप न करने की सलाह देना आंख पर पट्टी बांधने जैसा है। दूसरा मशविरा श्री आरसी लाहोटी (पूर्व सीजेआई) की...

प्रवासी संकट: पूर्व जजों और कानूनी बिरादरी की‌ प्रतिक्रिया का नतीजा, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी संकट का संज्ञान लिया
प्रवासी संकट: पूर्व जजों और कानूनी बिरादरी की‌ प्रतिक्रिया का नतीजा, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी संकट का संज्ञान लिया

मनु सेबे‌स्टियनराष्ट्रीय स्तर पर लगाए गए लॉकडाउन के कारण दो महीनों से बहुत ही ज्यादा संकट का सामना कर रहे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा का संज्ञान अंततः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 26 मई को ले लिया। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के कारण सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि सुप्रीम कोर्ट अब तक अ‌नभिज्ञता की मुद्रा में रहा है और सरकार के बयान को कि-सब ठीक है- को ही सही मानता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रवासी मजदूरों से संबंधित कई मुद्दों, जैसे कि मजदूरी का भुगतान, खाद्य सुरक्षा, आश्रय...

मुस्लिम विवाह और उसके लिए आवश्यक शर्तें, वे कौन सी परिस्थितियां हैं, जिनमें मुस्लिम विवाह नहीं हो सकता
मुस्लिम विवाह और उसके लिए आवश्यक शर्तें, वे कौन सी परिस्थितियां हैं, जिनमें मुस्लिम विवाह नहीं हो सकता

विवाह हर समाज धर्म इत्यादि की आवश्यकता है। मुस्लिम विधि में भी विवाह जिसे निकाह कहा गया है, इसकी अवधारणा रखी गयी है। दांपत्य जीवन जीने के लिए विवाह की अनिवार्यता पर प्रत्येक समाज और व्यवस्था पर बल दिया गया है। इसी प्रकार से मुस्लिम विधि में भी विवाह पर बल दिया गया है। 'पैगंबर साहब ने हदीस में बताया है कि विवाह निकाह आधा ईमान होता है। कोई भी मोमिन तब तक मुकम्मल नहीं होता जब तक वह निकाह नहीं करता।' अनेक मुस्लिम विधिवेत्ताओं ने और भारत के न्यायालय ने विवाह (निक़ाह) की परिभाषाओं को पेश किया है...

बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन: क्या बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी बार एसोसिएशन के मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है?
बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन: क्या बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी बार एसोसिएशन के मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है?

अनुराग भास्कर पृष्ठभूमि हाल ही में, एक अभूतपूर्व कदम के तहत, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अपने सचिव को निलंबित करने के फैसले को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। जवाब में, एससीबीए ने बीसीआई को लिखा कि "बीसीआई के पास एससीबीए सहित देश में किसी भी बार एसोसिएशन को नियंत्रित करने की शक्ति या अधिकार नहीं है।" जिसके बाद, बीसीआई ने एससीबीए अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ, प्रस्ताव पर...

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा हैः अमेरिकी वॉचडॉग USCIRF ने अपनी वार्ष‌िक रिपोर्ट में कहा
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा हैः अमेरिकी वॉचडॉग USCIRF ने अपनी वार्ष‌िक रिपोर्ट में कहा

धार्मिक मुद्दों पर अमेरिकी वॉचडॉग यूनाइटेड स्टेट्स कम‌ीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ( USCIRF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति में '2019 में भारी गिरावट' पर चिंता प्रकट की है। बुधवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में संगठन ने भारत को "विशेष चिंता का देश" श्रेणी में रखा है। 2004 के बाद USCIRF पहली बार भारत को 'विशेष चिंता का देश' श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट में भारत को बर्मा, चीन, इरिट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, ताजिकिस्तान,...

केशवानंद भारती केसः जिसके बाद दुनिया ने संवैधानिक विचारों के लिए भारत की ओर देखा
केशवानंद भारती केसः जिसके बाद दुनिया ने संवैधानिक विचारों के लिए भारत की ओर देखा

कनिका हांडा, अंजलि अग्रवाल[यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहास‌िक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित विशेष सीरीज़ का हिस्सा है। उक्त फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का ‌निर्धारण किया था।]विभिन्न कानूनी प्रणालियों से कानूनी सिद्धांतों का आयात नई अवधारणा नहीं है। यह सदियों से होता रहा है। विदेशी अदालतों के फैसले बाध्यकारी नहीं होते, फिर भी प्रेरक श‌‌क्त‌ि रूप में उनकी गिनती होती रहती है।1973 में द‌िया गया भारतीय फैसला, "केशवानंद भारती बनाम...

जस्टिस एचआर खन्नाः ‌‌जिन्होंने चीफ ज‌स्टिस का पद पाने के बजाय संविधान बचाना जरूरी समझा
जस्टिस एचआर खन्नाः ‌‌जिन्होंने चीफ ज‌स्टिस का पद पाने के बजाय संविधान बचाना जरूरी समझा

स्वप्‍निल त्रिपाठी [यह आलेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में दिए गए ऐतिहास‌िक फैसले के 47 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित विशेष सीरीज़ का हिस्सा है। उक्त फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' का ‌निर्धारण किया था।] अप्रैल 1976 में, जब भारत में कुख्यात आपातकाल लागू हुआ, न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की सुप्रीम कोर्ट के एक जज की तारीफ में एक आलेख लिखा। जज की तारीफ कारण एक फैसले में दर्ज उनकी असहमतियां थीं। 'फेडिंग होप इन इंडिया' शीर्षक से प्रकाश‌ित आलेख में जस्टिस एचआर खन्ना...