सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (18 मार्च, 2024 से 22 मार्च, 2024 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
कॉर्पोरेट इकाई की शिकायत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत सुनवाई योग्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कॉर्पोरेट इकाई/कंपनी को पुराने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत बीमा राशि का दावा करने वाली उपभोक्ता शिकायत दर्ज करने के लिए 'व्यक्ति' के रूप में मानने पर रोक नहीं होगी।
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का आदेश रद्द करते हुए पाया कि यद्यपि 'व्यक्ति' शब्द में विशेष रूप से कॉर्पोरेट इकाई शामिल नहीं है। फिर भी, 1986 के अधिनियम में प्रदान की गई 'व्यक्ति' की परिभाषा में कॉर्पोरेट संस्थाओं/कंपनी को भी शामिल किया गया, जिसमें एक पात्र बीमा दावा व्यक्ति भी शामिल है।
केस टाइटल: एम/एस. कोज़ीफ्लेक्स मैट्रेसेस प्राइवेट लिमिटेड बनाम एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनमाने ढंग से पारित किए गए Preventive Detention आदेशों को सलाहकार बोर्ड द्वारा तुरंत रद्द किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने नियमित और यांत्रिक तरीके से पारित हिरासत प्राधिकरण के निवारक हिरासत (Preventive Detention) आदेश की जांच करते हुए निवारक हिरासत कानूनों के तहत गठित सलाहकार बोर्डों की शक्ति के मनमौजी प्रयोग पर उनकी भूमिका और कर्तव्य पर चर्चा की।
अदालत ने कहा, “निवारक हिरासत कठोर उपाय है, शक्तियों के मनमौजी या नियमित अभ्यास के परिणामस्वरूप हिरासत के किसी भी आदेश को शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए। इसे पहली उपलब्ध सीमा पर समाप्त किया जाना चाहिए। इस प्रकार, यह सलाहकार बोर्ड होना चाहिए, जिसे सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए, न केवल हिरासत में लेने वाले अधिकारियों की व्यक्तिपरक संतुष्टि बल्कि क्या ऐसी संतुष्टि हिरासत में लिए गए लोगों की हिरासत को उचित ठहराती है। सलाहकार बोर्ड को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या हिरासत न केवल हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी की नजर में बल्कि कानून की नजर में भी जरूरी है।
केस टाइटल: नेनावथ बुज्जी और अन्य बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट ने States/UTs को E-Shram Portal के तहत रजिस्टर्ड 8 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने (19 मार्च को) राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (States/UTs) को असंगठित क्षेत्र के उन 8 करोड़ श्रमिकों को राशन कार्ड देने का निर्देश दिया, जिनके पास केंद्र के ई-श्रम पोर्टल (E-Shram Portal) के तहत रजिस्टर्ड होने के बावजूद ये राशन कार्ड नहीं हैं।
इससे बदले में इन श्रमिकों को भारत संघ और राज्य सरकारों द्वारा योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (अधिनियम) का लाभ भी मिल सकेगा। इस कार्य के लिए न्यायालय द्वारा दी गई समयसीमा दो महीने है।
केस टाइटल: प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों में
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
कानून एवं व्यवस्था से निपटने में राज्य पुलिस की अक्षमता, निवारक हिरासत लागू करने का बहाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट
एक उल्लेखनीय फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने निवारक हिरासत से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया है। न्यायालय ने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने में राज्य की पुलिस मशीनरी की असमर्थता निवारक हिरासत के अधिकार क्षेत्र को लागू करने का बहाना नहीं होनी चाहिए।
'कोर्ट आज भी डीके बसु मामले के सिद्धांतों को बहाल करने के लिए मजबूर', सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और जांच एजेंसियों को गिरफ्तारी के नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने के दौरान संवैधानिक और वैधानिक सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करने के लिए जांच एजेंसियों और पुलिस के आचरण पर नाराजगी व्यक्त की।
लॉक-अप से बाहर निकलने के बाद आरोपी को महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी और शिकायतकर्ता द्वारा शारीरिक और मौखिक दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। आरोपी को हथकड़ी लगाई गई और उसके गले में जूतों की माला पहनाकर अर्धनग्न कर घुमाया गया।
केस टाइटल: सोमनाथ बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
ED ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित शराब नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में केजरीवाल को इस स्तर पर दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने का आदेश पारित करने से इनकार किया था।
केजरीवाल ने केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए आवेदन भी दायर किया। मामले की सुनवाई 22 अप्रैल को तय की गई।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
NEET-UG | महाराष्ट्र में MBBS सीट के लिए मूल निवासी ही हकदार, भले ही पेरेंट सर्विंग यूनियन राज्य के बाहर तैनात हो: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक उम्मीदवार को बड़ी राहत दी, जिसे पिछले साल NEET-UG 2023 में महाराष्ट्र में राज्य कोटा में मेडिकल एडमिशन से गलत तरीके से वंचित कर दिया गया था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे MBBS (UG) अगले सत्र यानी NEET UG-2024 में उसी कॉलेज में पाठ्यक्रम के पहले वर्ष में समायोजित किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, अदालत ने कॉलेज और महाराष्ट्र सरकार को अवैध और मनमाने ढंग से प्रवेश रद्द करने पर उम्मीदवार को 1 लाख (प्रत्येक 50,000/- रु.) रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: वंश पुत्र प्रकाश डोलास बनाम शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
Electoral Bond नंबर और सभी विवरण ECI को दे दिए गए: SBI चेयरमैन
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अध्यक्ष, दिनेश कुमार खारा ने सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन हलफनामा दायर किया। इस हलफनामा में कहा गया कि SBI ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) को Electoral Bond से संबंधित सभी विवरणों का खुलासा किया है, जिसमें बांड का विशिष्ट नंबर भी शामिल है। बांड नंबर उन राजनीतिक दलों के साथ बांड के खरीदारों का मिलान करने में सक्षम बनाते हैं, जिन्होंने उन बांडों को भुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने IT Rules के तहत 'Fact Check Unit' की केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (21 मार्च) को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम 2023 (आईटी संशोधन नियम 2023) के तहत Fact Check Unit (FCU) की केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगा दी। यह रोक तब तक लागू रहेगी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट आईटी नियम संशोधन 2023 की चुनौतियों पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को प्रेस सूचना ब्यूरो को FCU के रूप में अधिसूचित किया था।
केंद्र सरकार के व्यवसाय के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई कोई भी जानकारी, जिसे FCU द्वारा नकली या गलत के रूप में चिह्नित किया गया है, उनको सोशल मीडिया मध्यस्थों द्वारा हटा दिया जाना चाहिए, अन्यथा वे पोस्ट की गई ऐसी जानकारी से उत्पन्न होने वाली कानूनी कार्यवाही के विरुद्ध 'सुरक्षित आश्रय' प्रतिरक्षा खो देंगे।
केस टाइटल- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 6717-6719 दिनांक 2024
कुणाल कामरा बनाम भारत संघ | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 6871-6873 2024
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
चुनाव आयुक्त चयन पैनल से सीजेआई को हटाने वाले कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (21 मार्च) को विवादास्पद मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 पर रोक लगाने के खिलाफ फैसला किया, जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से हटा देता है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर सुनवाई की।
केस टाइटल- डॉ. जया ठाकुर एवं अन्य बनाम भारत संघ और अन्य। | रिट याचिका (सिविल) नंबर 14/2024 और संबंधित मामले
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि ने माफी मांगी
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, आचार्य बालकृष्ण ने न्यायालय को दिए गए वचन का उल्लंघन करते हुए औषधीय इलाज के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष माफी मांगी। यह घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा (19 मार्च को) विज्ञापनों के प्रकाशन पर अवमानना मामले में पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव (कंपनी के सह-संस्थापक) की व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश के दो दिन बाद आया।
केस टाइटल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया| डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 000645/2022
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
प्रतिकूल कब्जे का दावा करने वाले पक्ष को पता होना चाहिए कि संपत्ति का वास्तविक मालिक कौन है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एक वादी प्रतिकूल कब्जे के दावे के आधार पर संपत्ति पर स्वामित्व की मांग नहीं कर सकता है यदि वह यह साबित करने में विफल रहता है कि (i) संपत्ति का वास्तविक मालिक कौन था और (ii), 12 साल से अधिक समय तक निर्बाध कब्जा मूल मालिक की जानकारी में था ।
हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षों की पुष्टि करते हुए जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि यदि वादी सामग्री तथ्यों का खुलासा करने में विफल रहता है तो वह वादपत्र में संपत्ति पर उसके प्रतिकूल कब्जे को साबित करते हुए संपत्ति के प्रतिकूल कब्जे के लाभ का दावा करने का हकदार नहीं होगा।
केस : एम राधेश्यामलाल बनाम वी संध्या और अन्य
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
Krishna Janmabhoomi Case | सुप्रीम कोर्ट का मुकदमों को समेकित करने के एचसी के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार
कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में नवीनतम घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 मार्च) को मामले में 15 मुकदमों को समेकित करने के हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील का निपटारा किया।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने 15 मुकदमों के एकीकरण के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 11 जनवरी के फैसले के खिलाफ मस्जिद समिति की विशेष अनुमति याचिका का निपटारा कर दिया, यह देखते हुए कि इस आदेश को वापस लेने के लिए आवेदन हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।
केस टाइटल- प्रबंधन ट्रस्ट समिति शाही मस्जिद ईदगाह बनाम भगवान श्रीकृष्ण विराजमान एवं अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 6388/2024
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
निर्णय को संशोधित/स्पष्ट करने के लिए निपटान के बाद का आवेदन केवल दुर्लभ मामलों में ही मान्य होगा: सुप्रीम कोर्ट
राजस्थान डिस्कॉम से लेट पेमेंट सरचार्ज (एलपीएस) की मांग करने वाली अडानी पावर की विविध अर्जी (एमए) खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया कि मामले के निपटारे के बाद अदालत द्वारा पारित आदेश के स्पष्टीकरण की मांग करने वाली विविध अर्जी पर विचार नहीं किया जा सकता।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कानून की स्थापित स्थिति को रेखांकित किया कि मामले के निपटारे के बाद विविध आवेदन दाखिल करना सामान्य प्रक्रिया में स्वीकार्य नहीं है, लेकिन केवल दुर्लभ परिस्थितियों में ही सुनवाई करने वाली पीठ के रूप में अपील के निपटारे के बाद मामला किसी आवेदन पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र नहीं रखता।
केस टाइटल: जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम अदानी पावर राजस्थान लिमिटेड, डायरी नंबर 21994/2022
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
'यह मतदाता के साथ मजाक है': सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव-चिन्ह फैसले पर ECI पर सवाल उठाया, कहा- यह दलबदल को प्रोत्साहित कर सकता है
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में दरार से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 मार्च) को भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा "विधायी बहुमत" का परीक्षण के तहत केवल अजीत पवार गुट को आधिकारिक मान्यता देने के औचित्य पर सवाल उठाया। न्यायालय ने चिंता व्यक्त की कि यह दृष्टिकोण दलबदल को प्रोत्साहित कर सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ECI के 6 फरवरी के फैसले को चुनौती देने वाले शरद पवार गुट द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
केस टाइटल- शरद पवार बनाम अजीत अनंतराव पवार और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 4248/2024
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
AAP नेता सत्येन्द्र जैन प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी, ED ने जुटाई पर्याप्त सामग्री: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येन्द्र जैन, उनके सहयोगी अंकुश जैन और वैभव जैन प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग के कथित अपराधों के दोषी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए हमारी राय है कि अपीलकर्ता हमें संतुष्ट करने में बुरी तरह विफल रहे हैं कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि वे कथित अपराधों के लिए दोषी नहीं हैं। इसके विपरीत, प्रतिवादी-ED द्वारा यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री एकत्र की गई कि वे कथित अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया दोषी हैं।
केस टाइटल- सत्येन्द्र कुमार जैन बनाम प्रवर्तन निदेशालय | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 6561 2023
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
'घड़ी' चुनाव चिन्ह न्यायालय में विचाराधीन, NCP (शरद पवार) के लिए 'तुरही' चुनाव चिन्ह आरक्षित करें ECI: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 मार्च) को निर्देश दिया कि अजीत पवार गुट को सार्वजनिक घोषणा करनी चाहिए कि आगामी लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए उसके द्वारा 'घड़ी' चुनाव चिन्ह का उपयोग न्यायालय में विचाराधीन है और परिणाम के अधीन है। अजीत पवार गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के रूप में मान्यता देने के भारत के चुनाव आयोग (ECI) के फैसले को शरद पवार गुट द्वारा दी गई चुनौती।
केस टाइटल: शरद पवार बनाम अजीत अनंतराव पवार और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 4248/2024
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
NI Act | कंपनी के रोजमर्रा के मामलों के लिए जिम्मेदार नहीं डायरेक्टर को चेक अनादर के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (15 मार्च) को कहा कि कंपनी के डायरेक्टर, जो अपने रोजमर्रा के मामलों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, उन्हें नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1882 (NI Act) के तहत चेक के अनादरण के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के उस आदेश को पलटते हुए कहा कि एक्ट की धारा 141 के तहत कंपनी द्वारा किए गए अपराधों के लिए कंपनी के डायरेक्टर को उत्तरदायी बनाने के लिए उसके खिलाफ विशिष्ट साक्ष्य होने चाहिए, जिसमें दिखाया जाए कि कंपनी के व्यवसाय के संचालन के लिए डायरेक्टर कैसे और किस तरीके से जिम्मेदार है।
केस टाइटल: सुसेला पद्मावती अम्मा बनाम एमएस. भारती एयरटेल लिमिटेड