हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2021-11-14 05:45 GMT

देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (एक नवंबर, 2021 से सात नवंबर, 2021) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप।

पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र में गलत विवरण: केरल हाईकोर्ट ने CoWin पोर्टल पर भी सुधार करने के निर्देश दिए

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सरकार को कोविन पोर्टल (CoWin) पर याचिकाकर्ता के COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र में विवरण की तारीख और स्थान में विसंगति को दो सप्ताह के भीतर सुधार करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने 73 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका को निपटाया, जो अपने बच्चों से मिलने के लिए विदेश यात्रा करने की योजना बना रहा था, लेकिन टीकाकरण प्रमाण पत्र पर गलत विवरण के कारण यात्रा नहीं कर पा रहा है।

केस का शीर्षक: के पी जॉन बनाम भारत संघ

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

"चार दिनों का अस्पष्टीकृत ‌विलंब": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए के तहत उस व्यक्ति की हिरासत को रद्द किया, जिसने कथित तौर पर पुलिस बल पर हमला किया था

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत पारित एक डिटेंशन ऑर्डर को रद्द कर दिया। आदेश यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा याचिकाकर्ता/बंदी के अभ्यावेदन के निस्तारण में चार दिनों के अस्पष्टीकृत विलंब के कारण दिया गया था।

यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की खंडपीठ ने बंदी सोनू@मोहम्मद ​​इश्तियाक अपनी मां शमीम बानो की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

केस शीर्षक - सोनू @ मोहम्मद इश्तियाक मां शमीम बानो के माध्यम से बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कोई भी कानून या धर्म किसी पिता को उसकी पसंद के व्यक्ति से शादी करने से इनकार करने पर बेटी को परेशान करने का लाइसेंस नहीं देता: जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी कानून या धर्म किसी पिता को उसकी पसंद के व्यक्ति से शादी करने से इनकार करने पर बेटी को परेशान करने का लाइसेंस नहीं देता है।

न्यायमूर्ति संजय धर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अंजुम अफशान (याचिकाकर्ता संख्या 1) द्वारा अपने पति (याचिकाकर्ता संख्या 2) के साथ दायर सुरक्षा याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिका में आरोप लगाया है कि उसे उसके ही पिता द्वारा मार दिया जाएगा क्योंकि याचिकाकर्ता के पिता उसकी शादी से नाखुश हैं।

केस का शीर्षक - अंजुम अफशान एंड अन्य बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य एंड अन्य।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हथियार की बरामदगी आईपीसी की धारा 397 के तहत डकैती या लूट के आरोप तय नहीं करने का आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने पाया है कि तथ्य यह है कि एक हथियार बरामद नहीं किया गया है, धारा 397 आईपीसी के तहत आरोप तय नहीं करने का कोई आधार नहीं है, जो किसी व्यक्ति को मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ डकैती, या डकैती करने के अपराध के लिए प्रदान करता है।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि हथियार की बरामदगी न होने का प्रभाव केवल मुकदमे में देखा जाएगा और यह धारा 397 आईपीसी के तहत आरोप तय नहीं करने का एक कारण नहीं हो सकता है।

शीर्षक: राज्य बनाम हसन अहमद

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

बच्चे से छेड़खानी के झूठे आरोप आरोपी के लिए घातक: केरल हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी से बलात्कार के आरोपी पिता को बरी किया

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को पोक्सो के एक मामले का निस्तारण किया, जहां एक पिता पर नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ का आरोप लगा था।‌ फैसले में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे से छेड़छाड़ के झूठे आरोपों, विशेष रूप से माता-पिता के खिलाफ ऐसे आरोंपों का, आरोपी पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है।

जस्टिस कश्मीर विनोद चंद्रन और जस्टिस सी जयचंद्रन की खंडपीठ ने पिता को बरी करते हुए कहा, "फोरेंसिक और सिमेंटिक्स के अलावा, बच्‍चों का उत्पीड़न समाज के लिए शर्म की बात है, लेकिन अगर आरोप झूठे हैं तो यह आरोपी के जीवन के लिए घातक है, खासकर अगर आरोपी माता-पिता है, भले ही वह अंत में बरी हो जाए। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें सौतेली मां के सक्रिय सहयोग से एक बच्चे ने अपने पिता के खिलाफ इस तरह का आरोप लगाया है...।"

केस शीर्षक: के राघवन बनाम केरल राज्य

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

'यह कोई सर्कस या सिनेमा नहीं': केरल हाईकोर्ट ने वर्चुअल हियरिंग के दौरान एक व्यक्ति के शर्टलेस दिखने पर कहा

केरल हाईकोर्ट ने वर्चुअल हियरिंग में एक व्यक्ति के बिना शर्ट के शामिल होने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत सभी के लिए खुली है इसलिए उपस्थित लोगों से कोर्ट रूम में आवश्यक मर्यादा बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की पीठ के दोपहर के सत्र में एक शर्टलेस व्यक्ति अपने कैमरे के साथ सुनवाई में शामिल हो रहा था। इस पर कोर्ट टिप्पणी की: "यह कौन है? क्या चल रहा है? मुझे किसी के साथ कार्यवाही सुनने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन कम से कम मर्यादा का पालन करें। मैं यहां एक शर्टलेस आदमी को देख सकता हूं। यह एक कोर्ट है, कोई सर्कस या सिनेमा नहीं।"

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

चित्रकूट गैंगरेप केस- यूपी कोर्ट ने यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को दोषी करार दिया

लखनऊ की एक विशेष अदालत ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और दो अन्य को 2017 के चित्रकूट सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराया। विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय (एक सांसद/विधायक न्यायालय की अध्यक्षता करते हुए) ने गायत्री सहित तीन आरोपियों को आईपीसी की धारा 376 डी और पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 के तहत दोषी पाया।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

अगर कोर्ट नाराजी याचिका से सहमत नहीं है तो इसे शिकायत माना जा सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यदि न्यायालय नाराजी याचिका (Protest Petition) से सहमत नहीं है तो न्यायपूर्ण और उचित कार्यवाही यह हो सकती है कि कोर्ट इस आवेदन को एक शिकायत याचिका के रूप में पढ़े।

जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पुनरीक्षण न्यायालय की क्षमता में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश / सुल्तानपुर (यूपी) के फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा पारित 2006 के आदेश के खिलाफ भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्‍पणी की।

केस का शीर्षक - महेश चंद्र द्विवेदी बनाम यूपी राज्य गृह सचिव, लखनऊ के माध्यम से और 3 अन्य

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सिविल प्रोसीजर कोड का आदेश XLI नियम 5 केवल डिक्री के निष्पादन पर रोक की अनुमति देता है, फैसले के संचालन पर नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि नागरिक प्रक्रिया संहिता का आदेश XLI नियम 5 केवल एक डिक्री के तहत कार्यवाही पर रोक या डिक्री के निष्पादन पर रोक की अनुमति देता है। यह अपीलीय अदालत को फैसले के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार नहीं देता है।

न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने मूल याचिका (सिविल) को अपीलीय अदालत को एक निर्देश के साथ अनुमति दी कि वह रोक लगाने के आवेदन पर नए सिरे से विचार करे और पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर आदेश पारित करे।

केस का शीर्षक: रवींद्रन बनाम ललिता एंड अन्य।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

किसी माल की श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए तुलनात्मक विज्ञापन की अनुमति, लेकिन यह दूसरे के माल को बदनाम किए बिना हो: दिल्ली हाईकोर्ट

तुलनात्मक विज्ञापन और ट्रेडमार्क उल्लंघन संबंधित एक मुकदमे के निस्तारण के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एक विज्ञापनदाता को विज्ञापन में खेलने के लिए पर्याप्त जगह दी जानी चाहिए और वादी को इसके प्रति अतिसंवेदनशील नहीं होना चाहिए।

पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि, "तुलनात्मक विज्ञापन में एक माल की दूसरे के साथ तुलना करना और दूसरे पर अपने माल की श्रेष्ठता स्थापित करना अनुमेय है। हालांकि कोई यह बयान नहीं दे सकता है कि एक माल बुरा, हीन या अवांछनीय है क्योंकि इससे दूसरे के माल की बदनामी होगी।"

केस शीर्षक: रेकिट बेंकिसर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मध्यस्थता समझौते में हस्तलिखित क्लॉज की प्रै‌क्टिस को तब तक बंद करने की आवश्यकता है, जब तक कि मध्यस्थ, पक्ष प्रतिहस्ताक्षर न करें: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि मध्यस्थता समझौते में हस्तलिखित क्लॉज की प्रैक्टिस को तत्काल बंद करने की आवश्यकता है, जब तक कि मध्यस्थ या परामर्शदाता के साथ-साथ पक्षों ने अपनी उपस्थिति में प्रतिहस्ताक्षरित या आद्याक्षर न किया हो।

जस्टिस नजमी वज़ीरी ने कहा, "अक्सर जब एक समझौता दर्ज किया जाता है, तो यह पार्टियों के बीच बहुत सारी बातचीत के बाद होता है, जिन्होंने हमेशा लंबे मुकदमों, उत्पीड़न और बहुत पीड़ा का सामना किया होता है। वे मध्यस्थता समझौते की रिकॉर्डिंग के बेहतर बिंदुओं को नहीं जान सकते हैं; इसलिए, यह सुनिश्चित करना मध्यस्थ/परामर्शदाता कर्तव्य बन जाता है कि निपटान समझौता विशेष रूप से रजत गुप्ता (सुप्रा) में इस अदालत के आदेश के अनुसार दर्ज किया गया है।"

शीर्षक: महेंद्र सिंह बनाम मीनाक्षी यादव

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

तीन पहिया माल वाहक में कोई भी व्यक्ति चालक की सीट साझा नहीं कर सकता: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह व्यवस्था दी थी कि तीन पहिया मालवाहक वाहन में कोई अन्य व्यक्ति, वह यात्री हो या वाहन का मालिक, चालक के साथ सीट साझा नहीं कर सकता है और ऐसी कोई भी कार्य बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा। मोटर वाहन ट्रिब्यूनल ने इस प्रकार के "अनावश्यक यात्री" को मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनी पर देयता तय की थी, जिसे जस्टिस ए बदरुद्दीन ने रद्द कर दिया।

कोर्ट ने कहा, "... यदि दावेदार माल के मालिक के रूप में वाहन में यात्रा नहीं कर रहा था तो वह बीमा पॉलिसी के तहत कवर नहीं होगा। इसके अलावा एक तीन पहिया माल गाड़ी में चालक किसी और को अपनी सीट साझा करने की अनुमति नहीं दे सकता। कोई अन्य व्यक्ति चाहे यात्री हो या वाहन का मालिक, वह चालक की सीट साझा नहीं कर सकता है और ऐसी कोई भी कार्रवाई बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है।"

केस शीर्षक: बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम भीमा और अन्य।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मद्रास हाईकोर्ट ने न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं, क्लर्क के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाया

मद्रास हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच ने COVID-19 महामारी के आलोक में अधिवक्ताओं और क्लर्कों के न्यायालय परिसर में प्रवेश पर पहले से लगाए गए प्रतिबंधों को हटा दिया। उन्हें COVID-19 प्रोटोकॉल मानदंडों और सुरक्षा उपायों के अधीन सभी द्वारों के माध्यम से प्रवेश की अनुमति दे दी गई।

मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर जारी एक अधिसूचना के तहत यह आदेश आया। इसमें 15 नवंबर से प्रिंसिपल सीट के कामकाज में कुछ छूट दी गई है।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

दिल्ली हाईकोर्ट ने NCLAT के तकनीकी सदस्य के रूप में श्रीशा मेरला की नियुक्ति को बरकरार रखा

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के सदस्य (तकनीकी) के रूप में श्रीशा मेरला की नियुक्ति को बरकरार रखा।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा, "प्रतिवादी नंबर दो (मेरला) की योग्यता को देखते हुए वह NCLAT के तकनीकी सदस्य के रूप में नियुक्त होने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं ... उन्होंने कई वर्षों तक राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के सदस्य के रूप में भी काम किया है।"

केस टाइटल: इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मद्रास हाईकोर्ट ने डीएमके नेता कनिमोझी करुणानिधि के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला खारिज किया

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को डीएमके नेता कनिमोझी करुणानिधि के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि का मामला खारिज किया। दरअसल, करुणानिधि पर तमिलनाडु के पूर्व सीएम, अन्नाद्रमुक के एडप्पादी पलानीस्वामी के खिलाफ कथित रूप से निराधार भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया गया था।

न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने कचरा निपटान के मुद्दे पर विल्लुपुरम में 2018 डीएमके के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन से संबंधित मामले को खारिज कर दिया। कनिमोझी पर अपने भाषण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी की प्रतिष्ठा धूमिल करने का आरोप लगाया गया था।

केस का शीर्षक: कनिमोझी करुणानिधि बनाम लोक अभियोजक एंड अन्य।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कामगार की 'बहाली' केवल रोजगार के मूल स्थान पर की जा सकती है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने इस सिद्धांत को दोहराया कि यदि कर्मचारी को उसके मूल रोजगार के स्थान पर बहाल नहीं किया जाता है तो बहाली आदेश मान्य नहीं होगा।

न्यायमूर्ति एम.एस. रमेश ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 17बी के तहत अंतिम आहरित मजदूरी की मांग करने वाली एक याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। यह प्रावधान हाईकोर्ट में लंबित कार्यवाही के लिए काम करने वाले को पूर्ण वेतन का भुगतान करने के लिए संदर्भित करता है।

केस शीर्षक: प्रबंधन, माइक्रो लैब्स लिमिटेड बनाम पाटिल वीरशेट्टी और अन्य।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मुख्यमंत्री, सत्ता पक्ष या राज्यपाल का आश्वासन देश का कानून नहीं बन जाता: तेलंगाना हाईकोर्ट

तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी सत्ताधारी पार्ट‌ी या मुख्यमंत्री या महामहिम राज्यपाल द्वारा दिया गया आश्वासन देश के कानून नहीं बन जाता।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ए राजशेखर रेड्डी की पीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ सरकारी नौकरियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 58 या 60 वर्ष से बढ़ाकर 61 वर्ष करने के राज्य सरकार के फैसले को पूर्वव्यापी स्तर पर लागू करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पगड़ी के बिना घायल पड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीरें खींचना और इंटरनेट पर पोस्ट करना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के समान: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पगड़ी को एक आवश्यक धार्मिक प्रतीक बताते हुए हाल ही में कहा है कि पगड़ी के बिना एक घायल पड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीर लेना और इसे सार्वजनिक मंच पर सार्वजनिक रूप से देखने के लिए अपलोड करना प्रथम दृष्टया धार्मिक भावनाओं को आहत करने के समान है।

न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की पीठ ने गुरप्रीत सिंह और अन्य की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने कथित तौर पर एक 65 वर्षीय बुजुर्ग की पगड़ी उतार दी और उसे बार-बार पीटा।

केस का शीर्षक - गुरप्रीत सिंह एंड अन्य बनाम पंजाब राज्य

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News