पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड्स तोड़ने और पुलिस पर हमला करने के आरोपी प्रदर्शनकारी को जमानत दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को किसान प्रदर्शनकारी नवदीप सिंह को जमानत दे दी। नवदीप को मार्च में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत आदेश लागू होने के दौरान अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड्स तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा,
"आपराधिक न्यायशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार, किसी को भी तब तक दोषी नहीं माना जाना चाहिए, जब तक कि अपराध उचित संदेह से परे साबित न हो जाए। इस मामले में इस तथ्य के मद्देनजर मुकदमे में लंबा समय लगने की संभावना है कि अभियोजन पक्ष के 52 गवाहों में से अभी तक किसी की भी जांच नहीं की गई। याचिकाकर्ता को अनिश्चित काल के लिए सलाखों के पीछे रखना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा और यह उस सिद्धांत के खिलाफ है। "जमानत नियम है, जेल अपवाद है" जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के "दाताराम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य;, (2018) 3 एससीसी 22" के फैसले में स्पष्ट किया गया।"
सिंह को हत्या के प्रयास और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आईपीसी की धारा 147, 149, 186, 188, 332, 352 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाव अधिनियम, 1984 की धारा 3 और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 8बी के तहत अंबाला पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
सिंह की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ने तर्क दिया कि जांच पूरी हो चुकी है, चालान मई में पेश किया जाएगा और मुकदमे के निष्कर्ष पर पहुंचने में लंबा समय लगेगा, क्योंकि अभियोजन पक्ष के 52 गवाहों में से अभी तक किसी से भी पूछताछ नहीं की गई।
उन्होंने दावा किया कि इसी तरह की स्थिति वाले सह-आरोपी- गुरकीरत को भी ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी है। जमानत का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक और एफआईआर में भी शामिल है। हालांकि, उन्होंने याचिकाकर्ता के सीनियर वकील द्वारा की गई दलीलों का खंडन नहीं किया कि इसी तरह की स्थिति वाले सह-आरोपी- गुरकीरत को भी ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी है।
प्रस्तुतियां सुनने के बाद यह देखते हुए कि चालान मई में पेश किया गया और याचिकाकर्ता पहले ही हिरासत में पर्याप्त अवधि यानी 3 महीने और 15 दिन बिता चुका है। सह-आरोपी- गुरकीरत को भी 06.06.2024 को ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत दी गई।
कोर्ट ने कहा कि उसे "याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार करने का कोई कारण नहीं मिला।"
जस्टिस मौदगिल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जबकि कुछ अवधि के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करना टाला नहीं जा सकता है, लेकिन ट्रायल/अपील लंबित रहने तक वंचित करने की अवधि अनावश्यक रूप से लंबी नहीं हो सकती।
अब्दुल रहमान अंतुले और अन्य बनाम आर.एस. नायक और अन्य [1992(2) आरसीआर (आपराधिक) 634] पर भरोसा करते हुए इस बात को रेखांकित किया गया कि अनुच्छेद 21 से प्रवाहित त्वरित ट्रायल का अधिकार सभी चरणों को शामिल करता है, अर्थात जांच, पूछताछ, ट्रायल, अपील, री-ट्रायल का चरण।
न्यायालय ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता के अपने मामले के अनुसार, वह 15 से अधिक मामलों में शामिल है। उन 15 मामलों में से छह मामलों में वह बरी हो चुका है और तीन मामलों में जांच अभी भी चल रही है।
जज ने कहा,
"सभी मामले एक ही तर्ज पर हैं, जो एक ही आरोपों के आधार पर एक ही स्थान पर दर्ज किए गए प्रतीत होते हैं। इसके अलावा, सभी मामले केवल अंबाला जिले में दर्ज किए गए, जो इस न्यायालय के लिए यह अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त है कि याचिकाकर्ता को उन सभी मामलों में गलत तरीके से घसीटा जा रहा है। ऐसी स्थिति में अन्य मामलों/दोषसिद्धियों के लंबित होने के कारण जमानत से इनकार करने के नियम का सख्ती से पालन करने से याचिकाकर्ता को जमानत से इनकार करने की स्थिति में आने की संभावना है।"
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने नियमित जमानत दी।
केस टाइटल: नवदीप सिंह बनाम हरियाणा राज्य