पगड़ी के बिना घायल पड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीरें खींचना और इंटरनेट पर पोस्ट करना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के समान: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
8 Nov 2021 9:45 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पगड़ी को एक आवश्यक धार्मिक प्रतीक बताते हुए हाल ही में कहा है कि पगड़ी के बिना एक घायल पड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीर लेना और इसे सार्वजनिक मंच पर सार्वजनिक रूप से देखने के लिए अपलोड करना प्रथम दृष्टया धार्मिक भावनाओं को आहत करने के समान है।
न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की पीठ ने गुरप्रीत सिंह और अन्य की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने कथित तौर पर एक 65 वर्षीय बुजुर्ग की पगड़ी उतार दी और उसे बार-बार पीटा।
इसके अलावा, कथित तौर पर याचिकाकर्ता और अन्य आरोपियों ने बिना पगड़ी के उसकी वीडियोग्राफी भी की, जब उसका खून बह रहा था और उसे फेसबुक पर अपलोड किया।
इसके बाद, याचिकाकर्ताओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 341, 506, 295 ए, 148 और 149 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66-ई के तहत मामला दर्ज किया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि उक्त धाराएं जमानती हैं और धारा 295-ए के तहत प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनाया जाएगा क्योंकि डीएसपी ने जांच में कहा कि शिकायतकर्ता की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप नहीं लगाए गए हैं।
दूसरी ओर, शिकायतकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि 65 वर्षीय शिकायतकर्ता की पगड़ी उतार दी गई, बार-बार पीटा गया और गाली दी गई। इसके बाद घटना की वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड कर दी गई।
कोर्ट ने कहा कि पगड़ी एक आवश्यक धार्मिक प्रतीक है और पगड़ी के बिना घायल अवस्था में एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीर खींचना और इसे सामाजिक मंच पर सार्वजनिक रूप से देखने के लिए अपलोड करना प्रथम दृष्टया धार्मिक भावनाओं को आहत करने के समान होगा।
कोर्ट ने आगे कहा,
"मैं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के इस तर्क से सहमत नहीं हूं कि प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 295-A के तहत मामला नहीं बनता है। याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती।"
इसके साथ ही अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
केस का शीर्षक - गुरप्रीत सिंह एंड अन्य बनाम पंजाब राज्य