तीन पहिया माल वाहक में कोई भी व्यक्ति चालक की सीट साझा नहीं कर सकता: केरल हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

10 Nov 2021 6:41 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह व्यवस्था दी थी कि तीन पहिया मालवाहक वाहन में कोई अन्य व्यक्ति, वह यात्री हो या वाहन का मालिक, चालक के साथ सीट साझा नहीं कर सकता है और ऐसी कोई भी कार्य बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा।

    मोटर वाहन ट्रिब्यूनल ने इस प्रकार के "अनावश्यक यात्री" को मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनी पर देयता तय की थी, जिसे जस्टिस ए बदरुद्दीन ने रद्द कर दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "... यदि दावेदार माल के मालिक के रूप में वाहन में यात्रा नहीं कर रहा था तो वह बीमा पॉलिसी के तहत कवर नहीं होगा। इसके अलावा एक तीन पहिया माल गाड़ी में चालक किसी और को अपनी सीट साझा करने की अनुमति नहीं दे सकता। कोई अन्य व्यक्ति चाहे यात्री हो या वाहन का मालिक, वह चालक की सीट साझा नहीं कर सकता है और ऐसी कोई भी कार्रवाई बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है।"

    उक्त टिप्‍पण‌ियों के साथ न्यायालय ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है और दायित्व वाहन के मालिक पर है।

    पृष्ठभूमि

    दुर्घटना में घायल दावेदार 23 जनवरी 2008 को एक तीन पा‌हिया माल वाहन में एक ड्राइवर के साथ सीट साझा कर रहा था। वह वाहन में निर्माण सामग्री ले जा रहा था। वह दुर्घटना का शिकार हो गया।

    मूल याचिकाकर्ता होने के कारण घायल व्यक्ति ने मुआवजे के रूप में 1,50,000 रुपये का दावा किया।

    बीमा कंपनी ने अपील में दायित्व उठाते हुए दलील दी कि घायल व्यक्ति माल वाहन में एक ऐच्छ‌िक यात्री था। अपीलकर्ता ने दायित्व से छूट की मांग की लेकिन ट्रिब्यूनल ने इसकी अनुमति नहीं दी।

    अपीलकर्ता की दलील यह था कि मूल याचिकाकर्ता दुर्घटना में शामिल माल वाहक वाहन में चालक के साथ सीट साझा कर रहा था, जबकि चालक को अकेले यात्रा करने की अनुमति थी।

    हालांकि, ट्रिब्यूनल ने मूल याचिकाकर्ता की स्थिति को उसमें ले जाए गए सामान के साथ आने वाले व्यक्ति का पाया था। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क संगत नहीं था। विवाद के ‌‌निस्तारण के लिए न्यायालय ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 147 और न्यायिक उदाहरणों में इसकी विभिन्न व्याख्याओं का उल्लेख किया।

    विशेष रूप से नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम बलजीत कौर [2004 (2) एससीसी 1] में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि धारा 147(1)(बी)(i) के तहत परिकल्पित "कोई भी व्यक्ति" में कोई भी ऐच्छ‌िक यात्री शामिल नहीं होगा और यदि दावेदार माल के मालिक के रूप में वाहन में यात्रा नहीं कर रहा था तो वह बीमा की पॉलिसी से कवर नहीं होगा।

    इस निर्णय के जर‌िए सिंगल जज ने निष्कर्ष निकाला कि किसी भी अनावश्यक यात्री को माल वाहन में यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और वाहन का मालिक भी माल वाहक वाहन में चालक की सीट साझा नहीं कर सकता है।

    कोर्ट ने याचिकाकर्ता के साथ सहमति व्यक्त की कि एक तिपहिया माल वाहक वाहन में चालक किसी और को अपनी सीट साझा करने की अनुमति नहीं दे सकता था।

    "कोई अन्य व्यक्ति चाहे यात्री हो या वाहन का मालिक चालक की सीट साझा नहीं कर सकता है। इसलिए बीमा के अनुबंध की शर्त का उल्लंघन स्वीकृत है।"

    इसलिए यह माना गया कि अपीलकर्ता के पूर्ण दोषमुक्ति के तर्क को स्वीकार किया जाना चाहिए।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट लाल जॉर्ज और प्रतिवादियों की ओर से एडवोकेट टीबी शाजिमोन ने पेश हुए।

    केस शीर्षक: बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम भीमा और अन्य।

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