हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2021-07-26 13:40 GMT

19 जुलाई2021 से 24 जुलाई2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

''जब जनता की राय जांच को प्रभावित करती है तो इसकी दिशा परेशान करने वाले परिणामों की तरफ मुड़ जाती है'' : केरल हाईकोर्ट ने आदिवासी महिला के बलात्कार और हत्या के आरोपी को बरी किया

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आदिवासी महिला से बलात्कार करने और उसकी हत्या के मामले में दो आरोपी व्यक्ति मणि और राजन को बरी कर दिया है। 30 मई 2005 को आदिवासी महिला की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जियाद रहमान एए की एक खंडपीठ ने कहा कि ''जब जनता की राय एक जांच को प्रभावित करती है, तो इसका पूरा रास्ता परेशान करने वाले परिणामों की तरफ मुड़ जाता है।''

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एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत बयान को इकबालिया बयान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने माना है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 67 के तहत एक बयान को इस अधिनियम के तहत किसी अपराध के मुकदमे में इकबालिया बयान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। हालांकि, न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की पीठ ने 'तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु सरकार (2013)' के मामले पर भरोसा जताया, जिसमें यह माना गया था कि जिन अधिकारियों को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 53 के तहत शक्तियां प्रदान की गयी हैं, वे साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के दायरे में पुलिस अधिकारी हैं।

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'उत्पीड़न का औजार': कर्नाटक हाईकोर्ट ने गाजियाबाद FIR मामले में ट्विटर इंडिया के एमडी के खिलाफ जारी यूपी पुलिस के नोटिस को रद्द किया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्ट के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत जारी नोटिस को रद्द कर दिया। कोर्ट ने उक्त नोटिस को "उत्पीड़न का उपकरण" करार दिया। गाजियाबाद में एक मुस्लिम पर हुए हमले के वीडियो को ट्विटर पर पोस्ट करने के मामले में दर्ज एफआईआर में उक्त नोटिस जारी की गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह सुनिश्चित किए बिना नोटिस जारी किया है कि ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीसीआईपीएल) के एमडी मनीष महेश्वरी का ट्विटर पर पोस्ट की गई सामग्री पर कोई नियंत्रण है भी या नहीं?

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'POCSO कोर्ट के जजों को तमिलनाडु स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमी से ट्रेनिंग लेनी चाहिए': मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, ट्रायल कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट को त्रुटिपूर्ण तरीके से लागू किया

मद्रास हाईकोर्ट ने 7 जुलाई के अपने हालिया फैसले में कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के तहत मामलों से निपटने वाली विशेष अदालतों की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीशों को अनिवार्य प्रशिक्षण लेना होगा और ऐसे संवेदनशील मामलों का न्यायिक निर्णय कैसे किया जाए,इस पर उन्हें संवेदीकरण बनाना होगा। न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने यह टिप्पणी उस समय की,जब अदालत के संज्ञान में लाया गया कि सत्र न्यायालय अपराध की तारीख यानी घटना के समय पीड़िता की 8 साल की उम्र पर विचार करने में विफल रहा है और पाॅक्सो एक्ट के प्रावधानों के विपरीत आरोपी को कम कठोर सजा दी गई है।

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सीएससी उपलब्ध होने पर वकीलों का अलग पैनल बनाने का उद्देश्य बताएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक एजुकेशन के डीजी को तलब किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह वकीलों का एक अलग पैनल बनाने के फैसले को "अजीब" बताते हुए महानिदेशक, बेसिक एजुकेशन, यूपी, लखनऊ से इस पर जवाब मांगा। यह पैनल ऐसे समय में बनाया गया है जब विभाग का प्रतिनिधित्व मुख्य सरकारी वकील (सीएससी) द्वारा किया जा रहा है। न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ संजय सिंह द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी इस याचिका में सचिव बोर्ड ऑफ बेसिक एजुकेशन के पद से निलंबन को चुनौती दी गई है।

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दिल्ली हाईकोर्ट 13 अगस्त तक वीसी मोड के माध्यम से केवल अति-आवश्यक मामलों पर सुनवाई करेगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश दिनांक 28 जून के क्रम में 13 अगस्त तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केवल अति-आवश्यक मामलों की सुनवाई करने का प्रस्ताव पास किया है। 22 जुलाई को रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी कार्यालय आदेश के अनुसार, यह कहा गया है कि फुल कोर्ट ने इस तंत्र को जारी रखने के लिए यह प्रस्ताव पास किया है। 28 जून के अपने पहले के आदेश में कोर्ट ने कहा था कि उसने न्यायिक अधिकारियों, अदालत के कर्मचारियों और अधिवक्ताओं के जीवन के नुकसान को देखते हुए प्रतीक्षा और निगरानी नीति अपनाने का प्रस्ताव पास किया।

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फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल संदर्भ का उत्तर देते समय स्वत: अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग ऐसी राय देने के लिए नहीं कर सकता जो उससे मांगी नहीं गई है: गुवाहाटी हाईकोर्ट

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि विदेशी ट्रिब्यूनल असम में एक व्यक्ति के प्रवेश के संबंध में किए गए संदर्भ का उत्तर देते समय स्वत: अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग एक ऐसी राय देने के लिए नहीं कर सकता है जो उससे मांगी नहीं गई है। न्यायमूर्ति एन कोटेश्वर सिंह और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की खंडपीठ 29 नवंबर 2019 को फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा पारित राय को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें यह पाया गया कि याचिकाकर्ता अपनी नागरिकता साबित करने में सफल नहीं रही और वह अवैध रूप से 24 मार्च, 1971 के बाद भारत में प्रवेश की थी।

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तिहाड़ जेल में जेल अधिकारियों द्वारा विचाराधीन कैदी की कथित तौर पर हत्याः दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच ट्रांसफर की

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को तिहाड़ जेल के अंदर जेल अधिकारियों द्वारा एक विचाराधीन कैदी की कथित तौर पर हत्या करने के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। कोर्ट ने कहा कि मामले में गहन जांच की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि मृतक की बहन द्वारा किए गए उस दावे की कोई जांच नहीं की गई थी कि उसने अपनी मृत्यु से एक दिन पहले अपनी बहन को फोन करके उसे मार दिए जाने की आशंका व्यक्त की थी।

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने शारीरिक रूप से स्कूलों को फिर से शुरू करने/ऑनलाइन कक्षाओं पर नीतिगत निर्णय लेने तक ऑनलाइन कक्षाओं पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश पर रोक लगाया

कर्नाटक हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने मंगलवार को 8 जुलाई, 2020 को अदालत की एक समन्वय पीठ द्वारा पारित अंतरिम आदेश की पुष्टि की, जिसमें पीठ ने 15 जून और 27 जून, 2020 को जारी किए गए सरकारी आदेशों पर रोक लगा दी थी। सरकार ने एलकेजी से दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस हंचटे संजीव कुमार ने कहा कि, "हम पाते हैं कि अंतरिम निर्देश तब तक लागू होना चाहिए जब तक कि राज्य सरकार शारीरिक रूप से स्कूलों को फिर से खोलने के संबंध में निर्णय लेने या ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन के संबंध में नीतिगत निर्णय लेने का निर्णय नहीं लेती।"

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"कोई भी साक्ष्य आरोपी के अपराध को साबित नहीं करते": कोर्ट ने दिल्ली दंगों में आरोपी व्यक्ति को बरी किया

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को सुरेश को पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में भड़के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान एक दुकान पर हमला करने और लूटने और एक गैरकानूनी असेंबली का हिस्सा होने से जुड़े सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि कोई भी साक्ष्य आरोपी के अपराध को साबित करने लायक नहीं हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने दिल्ली दंगों के मामले में फैसला सुनाते हुए, कहा कि गवाही में स्पष्ट विसंगतियां हैं और यहां तक कि मामले में आरोपियों की पहचान भी स्थापित नहीं की जा सकी जिसके परिणामस्वरूप बरी किया जाता है।

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कस्टोडियल टॉर्चर के संकेत मिलने पर चिकित्सक आरोपी का आवश्यक मेडिकल टेस्ट कर सकते हैं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य निदेशक द्वारा जारी सर्कुलर अपराधियों के मामलों में हिरासत में यातना के संकेत या शिकायतों पर आरोपी का मेडिकल जांच करने वाले डॉक्टरों को उचित जांच का आदेश देने से नहीं रोकेगा। न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने एक सरकारी चिकित्सक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला किया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आर गोपन पेश हुए। सीआरपीसी की धारा 53 के तहत याचिकाकर्ता का कर्तव्य है कि वह किसी आरोपी का मेडिकल जांच करवाए। हालांकि आंतरिक चोटों का पता लगाने के लिए आरोपी पर किए जाने वाले सटीक टेस्ट के बारे में प्रावधान सही से उजागर नहीं किए गए हैं। इसलिए प्रमाण पत्र में बाहरी चोटों को नोट किया गया है, जिसे न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा।

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धारा 205 CrPC: अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश के लिए मजिस्ट्रेट यांत्रिक रूप से शर्तें नहीं लगा सकता: कलकत्ता उच्च न्यायालय

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माना है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 205 के तहत अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति को उपलब्ध कराने के आदेश के लिए मजिस्ट्रेट यांत्रिक रूप से शर्तें नहीं लगा सकता है। यह देखा गया कि मजिस्ट्रेट ने आक्षेपित आदेश पारित करते समय केवल यह उल्लेख किया था कि कुछ तथ्य हैं, जिन्हें केवल आरोपी व्यक्ति ही समझा सकता हैं, और वे तथ्य केवल उनकी जानकारी में हैं, और इस तरह, उनकी उपस्थिति की आवश्यकता हो सकती है।

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मंदिर की संपत्ति को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पट्टे पर देना विरासत मूल्यों का ह्रास है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में मंदिर की संपत्तियों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पट्टे पर देने की बढ़ती प्रथा को लेकर फटकार लगाई जो कि पूजा के उद्देश्य से असंबंधित हैं, जिससे मंदिरों के विरासत मूल्य का ह्रास हो रहा है। न्यायमूर्ति टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति एस. अनाथी की खंडपीठ ने दु:ख के साथ कहा कि, "विभिन्न मंदिरों के विरासत मूल्य से बेखबर अधिकारियों ने मंदिर की संपत्ति के साथ-साथ मंदिरों के प्रागराम और बरामदे को पट्टे पर दिया है और व्यापारियों ने व्यापारिक गतिविधि करने के लिए उन वस्तुओं को बेचा जो कि मंदिर और पूजा के उद्देश्य से असंबंधित है। इन जगहों पर दुकानें वस्तुतः शॉपिंग सेंटर और शॉपिंग मॉल बनाए गए हैं।"

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हम फादर स्टेन स्वामी के काम का सम्मान करते हैं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे ने सोमवार को कहा कि दिवंगत आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और पादरी स्टेन स्वामी की 5 जुलाई, 2021 को उनके निधन के बाद उनके गरिमापूर्म अंतिम संस्कार ने उन्हें अंदर तक छुआ है। उन्होंने कहा, "हमने यह अंतिम संस्कार देखा और यह बहुत गरिमापूर्ण था। ऐसा अद्भुत व्यक्ति। उन्होंने समाज को जिस तरह की सेवाएं दी हैं, हम उनके काम का सम्मान करते हैं। कानूनी तौर पर, उनके खिलाफ जो कुछ भी है वह एक अलग मामला है ... हम आम तौर पर ऐसा नहीं करते हैं। 'टीवी के लिए समय नहीं मिला, लेकिन हमने इस अंतिम संस्कार को देखा, और यह बहुत गरिमापूर्ण था।

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साधारण देशी बम मामलों को आतंकवादी अपराध मानने से एनआईए अधिनियम का उद्देश्य विफल हो जाएगा: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम के तहत अधिसूचित अपराधों से जुड़े सभी मामलों को एनआईए अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित 'विशेष न्यायालयों' में भेजने से होने वाली कठिनाइयों के बारे में चिंता व्यक्त की है। चूंकि विस्फोटक पदार्थ अधिनियम भी एनआईए अधिनियम के तहत एक अधिसूचित अपराध है, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत अपराधों से जुड़े हर मामले के लिए एनआईए अधिनियम के तहत विशेष अदालतों में जाना होगा। इस संदर्भ में, हाईकोर्ट ने कहा कि विस्फोटक पदार्थ अधिनियम को तमिलनाडु में गैंगस्टर अपराधों में नियमित रूप से लागू किया जाता है क्योंकि "साधारण उपद्रवी गिरोह अब चाकू का उपयोग करने से लेकर देशी बम बनाने तक सीख गए हैं जिसे उन्हें पारंपरिक हथियारों की तुलना में ले जाना और फेंकना आसान लगता है।"

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गैंग रेप- "महिलाएं असुरक्षित हैं, समान अधिकारों से वंचित हैं और अत्याचारी इसका अनुचित लाभ उठाते हैं": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में यह देखते हुए सामूहिक दुष्कर्म के दो आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया कि गांवों, कस्बों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सदियों से चल रही महिला जागृति का कोई प्रभाव नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से महिलाएं असुरक्षित हैं, समान अधिकारों से वंचित हैं, अन्याय के निवारण के अधिकार से वंचित हैं। कोर्ट ने आगे कहा, "इस माहौल का अनुचित फायदा समाज के अत्याचारी उठा रहे हैं, जिन्हें बालिकाओं, किशोरियों और नाबालिगों को अपनी हवस का शिकार बनाने में डर और झिझक नहीं है।"

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''हर मां बनने वाली महिला मातृत्व के दौरान सम्मान की हकदार; गर्भवती महिला जेल नहीं जमानत की हकदार है'': एनडीपीएस मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को यह देखते हुए कि इस महिला को कैद में रखने को यदि टाल दिया जाए तो आसमान नहीं गिर जाएगा, कहा कि हर गर्भवती महिला मातृत्व के दौरान सम्मान की हकदार है और ऐसी स्थिति में, एक गर्भवती महिला जेल की नहीं जमानत की हकदार होती है। एनडीपीएस अधिनियम के तहत आरोपी एक गर्भवती महिला को अग्रिम जमानत देते हुए, न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि गर्भावस्था की पूरी अवधि में एक महिला पर कोई रोकथाम/प्रतिबंध नहीं होना चाहिए क्योंकि यह प्रतिबंध और सीमित स्थान गर्भवती महिला के मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं।

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मानसिक रूप से विक्षिप्त बलात्कार पीड़िता को अवांछित गर्भावस्था की मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति नहीं देना उसकी शारीरिक अखंडता का उल्लंघन होगा: एमपी हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि गंभीर मानसिक समस्याओं से पीड़ित बलात्कार पीड़िता को अवांछित गर्भावस्था की मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति नहीं देना उसकी शारीरिक अखंडता का उल्लंघन होगा। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने 23 वर्षीय बलात्कार पीड़िता पीड़िता, जिसकी मानसिक आयु केवल 6 वर्ष की थी, की गर्भावस्था को मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति देते हुए कहा: "मौजूदा मामले में बलात्कार पीड़िता को अवांछित गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति नहीं देना उसे पूरी अवधि के लिए ऐसी गर्भावस्था को जारी रखने और बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर करने के बराबर होगा, जो उसकी शारीरिक अखंडता का उल्लंघन होगा। यह न केवल उसके मानसिक आघात को बढ़ाएगा, बल्कि मनोवैज्ञानिक और मानसिक पहलुओं सहित उसके समग्र स्वास्थ्य पर भी विनाशकारी प्रभाव डालेगा।"

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राष्ट्रीय राजमार्ग विकास से धार्मिक संस्थान प्रभावित हुए तो भगवान हमें क्षमा करेंगे : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग 66 को चौड़ा करने के लिए अधिग्रहण की कार्यवाही में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए याचिकाओं के एक बैच को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इस मामले में न्यायिक समीक्षा की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कोल्लम में NH-66 को चौड़ा करने के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के खिलाफ याचिकाओं के एक बैच को खारिज करते हुए कहा, "अगर राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के दौरान धार्मिक संस्थान प्रभावित होते हैं, तो भगवान हमें माफ कर देंगे।"

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