'उत्पीड़न का औजार': कर्नाटक हाईकोर्ट ने गाजियाबाद FIR मामले में ट्विटर इंडिया के एमडी के ‌खिलाफ जारी यूपी पुलिस के नोटिस को रद्द किया

LiveLaw News Network

23 July 2021 11:43 AM GMT

  • हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक

    कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक उच्‍च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ट्व‌िटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्ट के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत जारी नो‌टिस को रद्द कर दिया। कोर्ट ने उक्त नोटिस को "उत्पीड़न का उपकरण" करार दिया। गाजियाबाद में एक मुस्लिम पर हुए हमले के वीडियो को ट्विटर पर पोस्ट करने के मामले में दर्ज एफआईआर में उक्त नोटिस जारी की गई थी।

    उच्च न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह सुनिश्‍चित किए बिना नोटिस जारी किया है कि ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीसीआईपीएल) के एमडी मनीष महेश्वरी का ट्विटर पर पोस्ट की गई सामग्री पर कोई नियंत्रण है भी या नहीं?

    जस्टिस जी नरेंदर ने अपने आदेश में कहा, "संविधान के प्रावधानों को उत्पीड़न के औजार बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। प्रतिवादी ने रत्ती भर भी ऐसी सामग्री पेश नहीं कि जिससे प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की भागीदारी दिखाई दे। इस बिंदु पर ही याचिकाकर्ता ने मामला बनाया है। धारा 41ए तहत जारी किया गया नोटिस दुर्भावनापूर्ण है और याचिका सुनवाई योग्य है। अनुलग्नक ए 1 नोटिस को रद्द किया जाता है।"

    खंडपीठ ने कहा कि धारा 41ए का नोटिस- जिसमें गिरफ्तारी की धमकी होती है- धारा 160 CrPC के तहत एक नोटिस के रूप में पढ़ा जाना चाहिए, जिसे गवाह से बयान मांगने के लिए जारी किया जाता है। बेंच ने साफ किया कि पुलिस वर्चुअल मोड से गवाह के रूप में माहेश्वरी का बयान दर्ज करने के लिए स्वतंत्र है।

    हाईकोर्ट ने कहा, "धारा 41 ए का उपयोग हाथ मरोड़ने के तरीके के रूप में किया गया है, क्योंकि महेश्वरी ने धारा 160 CrPC के तहत प्रारंभिक नोटिस का जवाब नहीं दिया था।"

    हाईकोर्ट ने कहा कि कि रिकॉर्ड्स ने संकेत दिया है कि ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीसीआईपीएल) मार्केट रिसर्च और विज्ञापन में शामिल है, सोशल मीडिया सामग्री पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। अमेरिकी कंपनी ट्विटर इंक माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म का प्रबंधन करती है, टीसीआईपीएल की इसमें कोई हिस्सेदारी नहीं है।

    कोर्ट ने कहा "रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री दर्शाती है कि ट्विटर इंडिया एक स्वतंत्र इकाई और शेयरहोल्डिंग और कंपनी के मामलों का नियंत्रण ट्विटर आयरलैंड के हाथों में है ... उपलब्ध जानकारी से यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता का ट्व‌िटर इंक द्वारा संचालित सोशल मी‌डिया प्लेटफॉर्म की सामग्री को नियंत्रित करने को हाथ है।"

    अदालत ने यह भी कहा कि महेश्वरी को गाजियाबाद एफआईआर में आरोपी के रूप में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि धारा 41 ए के तहत जारी किया गया नोटिस "दुर्भावानापूर्ण", "हा‌थ मरोड़ने का तरीका" और "उत्पीड़न का उपकरण" है। अदालत ने यूपी पुलिस की ओर से क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार की कमी और याचिका सुनवाई योग्य ना होने की आप‌त्तियों को भी खा‌रिज कर दिया।

    गाजियाबाद वीडियो मुद्दे पर जांच के संबंध में यूपी पुलिस ने माहेश्वरी से लोनी बॉर्डर थाने में पेश होने को कहा था। उन्हें CrPC की धारा 160 के तहत 17 जून को जारी नोटिस के बाद धारा 41 ए के तहत नोटिस जारी की गई ‌थी और मामले में गवाह के रूप में बयान दर्ज करने के लिए कहा गया था।

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