सीएससी उपलब्ध होने पर वकीलों का अलग पैनल बनाने का उद्देश्य बताएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक एजुकेशन के डीजी को तलब किया

LiveLaw News Network

23 July 2021 5:35 AM GMT

  • सीएससी उपलब्ध होने पर वकीलों का अलग पैनल बनाने का उद्देश्य बताएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक एजुकेशन के डीजी को तलब किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह वकीलों का एक अलग पैनल बनाने के फैसले को "अजीब" बताते हुए महानिदेशक, बेसिक एजुकेशन, यूपी, लखनऊ से इस पर जवाब मांगा। यह पैनल ऐसे समय में बनाया गया है जब विभाग का प्रतिनिधित्व मुख्य सरकारी वकील (सीएससी) द्वारा किया जा रहा है।

    न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ संजय सिंह द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी

    इस याचिका में सचिव बोर्ड ऑफ बेसिक एजुकेशन के पद से निलंबन को चुनौती दी गई है।

    महानिदेशक, बेसिक एजुकेशन, यूपी, लखनऊ को यह बताने के लिए कि उन्होंने किस कानून के प्रावधान के तहत मुख्य सरकारी वकील के कार्यालय से एक अलग पैनल का गठन किया है।

    इसके बाद अदालत ने उन्हें राज्य सरकार द्वारा गठित सरकारी वकील के पैनल से एक अलग पैनल का गठन करने पर एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने और उद्देश्य की व्याख्या करने का भी निर्देश दिया।

    कोर्ट ने निलंबन पर रोक लगाई

    याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उन शिकायतों के समर्थन में बिना किसी हलफनामे के उनके खिलाफ दो शिकायतें प्रस्तुत की गई हैं। इसके बाद, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

    नोटिस के अनुसरण में, यह प्रस्तुत किया गया कि उन्होंने यह कहते हुए अपना जवाब दाखिल किया कि उनके खिलाफ तुच्छ आरोप लगाए गए हैं, जो अधिकारियों द्वारा एक खोज और निरंतर जांच पर आधारित हैं ताकि उनके खिलाफ निलंबन का मामला बनाया जा सके।

    उन्होंने यह भी कहा कि बेसिक एजुकेशन बोर्ड के सचिव के पद से स्थानांतरित होने की तारीख से लगभग तीन साल बाद निलंबन आदेश पारित किया गया था।

    यह भी प्रस्तुत किया गया था कि वह सेवानिवृत्ति के कगार पर है और 31 अगस्त, 2021 को सेवानिवृत्त होने वाले है।

    अंत में, यह देखते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सरकारी वकील को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया। इसके अलावा, यह निर्देश भी दिया गया कि न्यायालय के अगले आदेश तक अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा पारित पाँच मार्च, 2021 के आक्षेपित आदेश का संचालन पर यूपी सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

    केस का शीर्षक - संजय सिन्हा बनाम यू.पी. राज्य और अन्य

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