इलाहाबाद हाईकोट
'फादर' 'मौलाना' या 'कर्मकांडी' जो किसी को जबरन धर्मांतरित करता है, वह यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत उत्तरदायी होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी धर्म का व्यक्ति और चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए जैसे कि फादर, कर्मकांडी, मौलवी या मुल्ला, आदि, वह यूपी धर्मांतरण विरोधी अधिनियम (UP 'Anti Conversion' Act) के तहत उत्तरदायी होगा, यदि वह किसी व्यक्ति को बलपूर्वक, गलत बयानी, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती और प्रलोभन देकर धर्मांतरित करता है।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने मौलाना (धार्मिक पुजारी) को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर पीड़िता को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और मुस्लिम...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्माण के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वकील के नए चैंबर ब्लॉक में प्रवेश पर रोक लगाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील पर 40,000 रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था। उक्त वकील ने हाईकोर्ट परिसर में बनने वाले नए पार्किंग और वकील चैंबर ब्लॉक के निर्माण में शामिल लार्सन एंड टुब्रो के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा,“अब ठेकेदारों/बिल्डरों पर अनुचित दबाव डालने के लिए तुच्छ जनहित याचिकाएं दायर करना चलन बन गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट और इस न्यायालय ने कई बार इस प्रथा की...
सरकारी मुआवज़े के लिए आरोपी को झूठा फंसाया गया: इलाहाबाद HC ने 100 वर्षीय महिला की हत्या, बलात्कार के प्रयास मामले में व्यक्ति को बरी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह 2017 में एक 100 वर्षीय महिला की हत्या और बलात्कार के प्रयास के आरोपी व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया कि सबूतों से संकेत मिलता है कि मृतक की मृत्यु 'सेप्टिक शॉक' के कारण हुई थी, न कि किसी झटके या चोट के कारण। न्यायालय ने इस तथ्य पर भी विचार किया कि ट्रायल कोर्ट ने स्वयं अपनी राय व्यक्त की थी कि किसी भी वस्तु पर कोई शुक्राणु या वीर्य नहीं पाया गया था, न ही पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में जननांगों पर कोई बाहरी चोट का संकेत था, और न ही कोई सबूत या आरोपियों...
बोरो प्लस आयुर्वेदिक क्रीम औषधीय मरहम है, प्रविष्टि 41 अनुसूची II UPVAT Act के तहत 5% पर टैक्स योग्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कामर्शियल टैक्स ट्रिब्यूनल, लखनऊ के इस निष्कर्ष को बरकरार रखा है कि बोरो प्लस आयुर्वेदिक क्रीम एक 'मेडिकेटेड ऑइंटम' है न कि 'एंटीसेप्टिक क्रीम'। यह माना गया कि बोरो प्लस आयुर्वेदिक क्रीम उत्तर प्रदेश मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2008 की प्रविष्टि 41 अनुसूची II के तहत 5% पर कर योग्य है।प्रविष्टि 41 में "ड्रग्स एंड मेडिसिन" शीर्षक 11 अक्टूबर, 2012 से प्रभावी, औषधीय साबुन, शैम्पू, एंटीसेप्टिक क्रीम, फेस क्रीम, मसाज क्रीम, आई जेल और हेयर ऑयल को शामिल नहीं करता है, लेकिन इसमें टीके,...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय लड़के के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी 'पुजारी' को जमानत देने से इनकार किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में पुजारी को जमानत देने से इनकार किया। उक्त पुजारी पर इस वर्ष फरवरी में मंदिर के पास 12 वर्षीय अनाथ बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोप में धारा 377 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया था।अपराध की गंभीरता और पीड़ित के बयानों पर विचार करते हुए कि आरोपी ने कथित कृत्य कैसे किया, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने आरोपी-आवेदक (जमुना गिरी) को जमानत देने से इनकार किया।न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,“पीड़ित, जो लगभग 12 वर्ष का नाबालिग है, उसके बयान के अवलोकन से यह...
यदि अपराध एक जुलाई से पहले किया गया हो तो इसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत ही पंजीकृत किया जाएगा, हालांकि जांच बीएनएसएस के अनुसार होगीः इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी विशेष मामले में, यदि एक जुलाई, 2024 (तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने की तिथि) को या उसके बाद एफआईआर दर्ज की जाती है, जबकि अपराध उस तिथि से पहले किया गया है, इसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत ही पंजीकृत किया जाएगा, हालांकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के अनुसार जांच जारी रहेगी।न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी विशेष मामले में, यदि एक जुलाई, 2024 को जांच लंबित है तो सीआरपीसी के अनुसार जांच जारी रहेगी; हालांकि, पुलिस रिपोर्ट का संज्ञान भारतीय...
यदि व्यावसायिक परिसर में किए गए सर्वेक्षण के दौरान अतिरिक्त स्टॉक पाया जाता है तो GST Act की धारा 130 के तहत कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
दिनेश कुमार प्रदीप कुमार बनाम अपर आयुक्त के मामले में निर्णय का हवाला देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया कि यदि निर्माता के व्यावसायिक परिसर में अतिरिक्त स्टॉक पाया जाता है तो भी UPGST Act की धारा 130 के तहत कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।UPGST Act की धारा 130 के अनुसार सरकार निर्दिष्ट राशि से अधिक मूल्य के माल की किसी भी खेप को ले जाने वाले वाहन के प्रभारी व्यक्ति से ऐसे दस्तावेज और ऐसे उपकरण ले जाने की मांग कर सकती है जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है। यह प्रावधान माल या वाहन की जब्ती और...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुरान की आयतों वाला तिरंगा लेकर चलने के आरोपी 6 मुस्लिम पुरुषों को राहत देने से किया इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 6 मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार किया। उन पर कथित तौर पर धार्मिक जुलूस में अपने हाथों में तिरंगा लेकर चलने का आरोप लगाया था, जिस पर कुरान की आयतें (आयत और कलमा) लिखी थीं।जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने प्रथम दृष्टया टिप्पणी करते हुए कहा कि आवेदकों का कृत्य भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के तहत दंडनीय है। आवेदकों द्वारा राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1971 की धारा 2 का उल्लंघन किया गया।इस बात पर जोर देते हुए कि भारत...
आरोपी के पास जांच के चरण में कोई अधिकार नहीं, वह धारा 173(8) CrPc के तहत मामले की आगे/पुनः जांच की मांग नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इस बात पर जोर देते हुए कि जांच के चरण में आरोपी के पास कोई अधिकार नहीं है, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि आरोपी को धारा 173(8) सीआरपीसी के तहत याचिका दायर करके मामले की आगे/पुनः जांच की मांग करने का अधिकार नहीं है।जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने राज्य बनाम हेमेंद्र रेड्डी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले पर भरोसा करते हुए यह टिप्पणी की। यह माना गया कि धारा 173(8) CrPc के तहत आगे की जांच के लिए आवेदन पर विचार करते समय अदालत आरोपी की सुनवाई करने के लिए बाध्य नहीं है।अदालत ने...
सीतापुर एस-आई की 'रहस्यमय' मौत | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर आईपीएस अधिकारी द्वारा एफआईआर और जांच के आदेश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह 54 वर्षीय पुलिस उपनिरीक्षक (एस-आई) की 'रहस्यमय' मौत की जांच सीनियर आईपीसी अधिकारी द्वारा करने का निर्देश दिया। उक्त पुलिस अधिकारी की इस साल अप्रैल में सीतापुर के मछरेहटा पुलिस थाने में कथित तौर पर अपनी सर्विस बंदूक से खुद को गोली मारने के बाद मौत हो गई थी।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने संबंधित पुलिस महानिरीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि एफआईआर दर्ज करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी फैसले का अनुपालन...
अविवाहित बेटी यदि वह खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ तो हिंदू पिता धारा 20 एचएएम एक्ट के तहत उसके भरण-पोषण के लिए बाध्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20 के तहत हिंदू व्यक्ति पर अपनी अविवाहित बेटी का भरण-पोषण करने का वैधानिक दायित्व है, जो अपनी कमाई या अन्य संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है। जस्टिस मनीष कुमार निगम की पीठ ने टिप्पणी की, "हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20(3) बच्चों और वृद्ध माता-पिता के भरण-पोषण के संबंध में हिंदू कानून के सिद्धांतों को मान्यता देने के अलावा और कुछ नहीं है। धारा 20(3) के तहत अब हिंदू व्यक्ति का यह...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छुट्टी पर रहते हुए गैंगस्टर एक्ट मामले में समन जारी करने वाले न्यायिक अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ जांच का आदेश दिया, जिसने दो आरोपियों के खिलाफ धारा 3(1) यूपी गैंगस्टर्स एक्ट के तहत अपराध के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए समन जारी किया था, जबकि उस दिन अधिकारी कथित तौर पर छुट्टी पर था। जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने कानपुर नगर के जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे जांच करें कि किन परिस्थितियों में समन आदेश पारित किया गया और यदि आवश्यक हो, तो तत्कालीन पीठासीन अधिकारी को स्पष्टीकरण के लिए बुलाएं।अदालत ने यह आदेश गजेंद्र सिंह...
Barred By Limitation: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुल्तानपुर सांसद के चुनाव के खिलाफ BJP नेता मेनका गांधी की याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सीनियर नेता, पूर्व सांसद और कैबिनेट मंत्री मेनका गांधी द्वारा सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद राम भुवाल निषाद के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने चुनाव याचिका को सीमा से वर्जित पाया, जिसमें कहा गया कि गांधी की चुनाव याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 81 के साथ धारा 86 के उल्लंघन में दायर की गई। यह ध्यान देने योग्य है कि गांधी ने सात दिन की देरी से चुनाव याचिका दायर...
जवाब पर समग्रता से विचार नहीं किया गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ब्लैकलिस्टिंग आदेश को रद्द किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक कंपनी को अनिश्चित काल के लिए ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने फैसले में देखा कि याचिकाकर्ता कंपनी के जवाब पर समग्रता से विचार नहीं किया गया था, बल्कि संतोषजनक न होने के कारण उसे खारिज कर दिया गया था। यह देखते हुए कि काली सूची में डालने से कंपनी पर दीवानी परिणाम होते हैं, जस्टिस शेखर बी सराफ और जस्टिस मंजीव शुक्ला की पीठ ने कहा कि “इस प्रकार काली सूची में डालने का आदेश सभी पहलुओं पर विचार करते हुए पारित किया जाना चाहिए और इसे लापरवाही से पारित नहीं...
आंखों से देखी गई गवाही संदिग्ध हो तो मकसद का होना/नहीं होना महत्वपूर्ण हो जाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में व्यक्ति को बरी किया
2006 के हत्या मामले में आरोपी को बरी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि जहां प्रत्यक्ष और विश्वसनीय साक्ष्य मौजूद हैं, वहां मकसद पीछे रह जाता है। हालांकि जहां आंखों से देखी गई गवाही संदिग्ध लगती है, वहां मकसद का होना या न होना कुछ मायने रखता है।जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ मुख्य रूप से 2006 में महिला की हत्या के मामले में दोषी सुनील द्वारा दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने निर्धारित किया कि आरोपी के खिलाफ मामला अविश्वसनीय आंखों से...
चुनाव अधिसूचना के दौरान राज्य चुनाव आयोग की पूर्व स्वीकृति के बिना पारित ट्रांसफर आदेश टिकने योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि चुनाव में शामिल किसी कर्मचारी को ट्रांसफर करने वाली कोई अधिसूचना उस अवधि के दौरान पारित नहीं की जा सकती, जब चुनाव अधिसूचना सक्रिय हो सिवाय राज्य चुनाव आयोग की पूर्व अनुमति के। यह माना गया कि ऐसा ट्रांसफर आदेश कानून में स्थापित नहीं है।याचिकाकर्ता सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) के पद पर कार्यरत थे, जब जिला पंचायत राज अधिकारी, गोंडा द्वारा उनका ट्रांसफर आदेश जारी किया गया, जिसमें उन्हें विकास खंड वजीरगंज से विकास खंड मुजेहना, जिला-गोंडा ट्रांसफर किया गया। यह ट्रांसफर...
मुस्लिम कानून के तहत लिखित रूप में अपंजीकृत दस्तावेज़ पर मौखिक उपहार स्टाम्प अधिनियम की धारा 47 A के अधीन नहीं हो सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि मुस्लिम कानून के तहत मौखिक उपहार, जो अपंजीकृत दस्तावेज़ पर लिखित रूप में कम किया जाता है, भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए के तहत कार्यवाही के अधीन नहीं हो सकता।भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-A कलेक्टर को अधिनियम के तहत किसी भी उपकरण पर स्टाम्प शुल्क में कमी के लिए कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देती है। धारा 47-ए की उप-धारा (1) में प्रावधान है कि जहां पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किसी भी उपकरण में यह पाया जाता है कि उल्लिखित बाजार मूल्य...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएचडी स्टूडेंट का दाखिला बहाल किया, कहा- देश को शोध कार्य की सख्त जरूरत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पांच साल का पीएचडी कोर्स पूरा करने के बाद किसी छात्र को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान कथित अनियमितता के कारण पढ़ाई पूरी करने से इनकार नहीं किया जा सकता।याचिकाकर्ता छात्र को राहत देते हुए जस्टिस आलोक माथुर ने कहा, उन्होंने कहा, 'देश विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र बनने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है। बार-बार यह कहा जाता है कि विकसित राष्ट्र बनने के लिए देश के भीतर बहुत बड़ा शोध कार्य करने की आवश्यकता है। अब, जब छात्र अपने शोध कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं और...
संबंध वापसी का सिद्धांत सेवा मामलों में लागू होता है, जब कर्मचारी के पक्ष में पारित बाद का आदेश प्रारंभिक विवाद से संबंधित होता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवा विवादों में संबंध वापसी के सिद्धांत का आवेदन बरकरार रखा है, जहां कर्मचारी के पक्ष में बाद के आदेश पारित किए गए हैं, जो प्रारंभिक विवादों से संबंधित हैं।वर्ष 1998 (रोक आदेश की तिथि) से 2021 (जिस तिथि को याचिकाकर्ताओं की नियुक्तियां वैध मानी गईं) तक के बकाया वेतन के भुगतान का निर्देश देते हुए जस्टिस मनीष माथुर ने कहा कि वापस संबंध का सिद्धांत सेवा मामलों में लागू होगा। खासकर तब जब किसी कर्मचारी के पक्ष में पारित आदेश या बाद में दोषमुक्ति प्रारंभिक विवाद से संबंधित...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र की अनिवार्य फास्टैग नीति के खिलाफ एडवोकेट की जनहित याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में एक एडवोकेट की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें राजमार्गों पर फी प्लाजा की सभी लेन को फास्टैग लेन घोषित करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बधवार की पीठ ने कहा,“…(यह) निर्णय राष्ट्रीय राजमार्गों के तेजी से बदलते परिदृश्य को देखते हुए स्पष्ट रूप से गलत नहीं माना जा सकता है, जिसमें फास्टैग सुविधा के अभाव में, यात्रियों को एक विशेष टोल प्लाजा से गुजरने के लिए लंबे समय तक लाइन में खड़ा...



















