इलाहाबाद हाईकोट
यूपी का 'धर्मांतरण विरोधी' कानून धर्मनिरपेक्षता की भावना को बनाए रखने का प्रयास करता है; धार्मिक स्वतंत्रता में धर्मांतरण का सामूहिक अधिकार शामिल नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 का उद्देश्य सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देना है, जो भारत की सामाजिक सद्भावना और भावना को दर्शाता है। इस अधिनियम का उद्देश्य भारत में धर्मनिरपेक्षता की भावना को बनाए रखना है।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने आगे कहा कि संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है, लेकिन यह व्यक्तिगत अधिकार धर्म परिवर्तन करने के...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईपीसी, सीआरपीसी और अन्य आपराधिक कानूनों की वैधता के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा किया, कहा-नए कानून अधिनियमित, याचिकाकर्ता उन्हें देखे
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें याचिकाकर्ता ने यह घोषित करने की मांग की थी कि भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और अन्य आपराधिक कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 13 और 21 का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर तर्क दिया कि कानून गैर-सुधारात्मक और अधिक दंड उन्मुख थे।चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बधवार की पीठ ने कहा कि चूंकि पुराने अधिनियमों को नए आपराधिक कानूनों, यानी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय...
धारा 19 एचएमए | फैमिली कोर्ट केवल किसी पक्ष की आपत्ति या उच्चतर अदालतों के स्थानांतरण आदेश पर ही अधिकार क्षेत्र से इनकार कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में माना कि अगर दो स्थानों की फैमिली कोर्ट्स को तलाक की कार्यवाही पर समवर्ती क्षेत्राधिकार प्राप्त है तो उनमें से एक न्यायालय अधिकार क्षेत्र के आधार पर ऐसी याचिका पर विचार करने से तभी मना कर सकता है, जब दूसरे पक्ष ने विशिष्ट आपत्ति की हो या कार्यवाही को स्थानांतरित करने का आदेश किसी हाईकोर्ट ने पारित किया हो। उल्लेखनीय है कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 19 विवाह संबंधि विवादों के न्यायाधिकरण के लिए उन न्यायालयों को अधिकार क्षेत्र प्रदान करती है,...
इलाहाबाद हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से याचिकाएं जिला न्यायालयों के ई-सेवा केंद्रों से दायर की जा सकेंगी, फोटो पहचान सत्यापन हटाया जाएगा
एडवोकेट के.सी. जैन द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर आवेदन के जवाब में रजिस्ट्रार, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जो याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहते हैं, वे जिला न्यायालयों के ई-सेवा केंद्रों से अपनी याचिकाएं ई-फाइल कर सकते हैं।यह कहा गया कि ऐसे याचिकाकर्ताओं के फोटो पहचान सत्यापन का विकल्प ई-सेवा केंद्रों पर दाखिल करने की प्रक्रिया से हटा दिया जाएगा।इसका मतलब यह है कि यदि कोई याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित...
लीज रेंट एग्रीमेंट की प्रमाणित कॉपी स्मॉल कॉज कोर्ट में स्वीकार्य साक्ष्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि लीज रेंट एग्रीमेंट की प्रमाणित कॉपी स्मॉल कॉज कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में स्वीकार्य साक्ष्य है क्योंकि यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत एक 'सार्वजनिक दस्तावेज' है।जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने कहा कि "पट्टा समझौते की प्रमाणित प्रति एक सार्वजनिक दस्तावेज है, जैसा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1972 की धारा 74 के तहत माना जाता है और धारा 65 (e) या 65 (f) के तीसरे प्रावधान के संदर्भ में प्रमाणित प्रति साक्ष्य में स्वीकार्य है। मामले की पृष्ठभूमि: वादी, मेसर्स...
धारा 18 सीमा अधिनियम| सीमा विस्तार के लिए सीमा अवधि के भीतर दायित्व को स्वीकार किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के अंतर्गत दावा समय-सीमा के भीतर दायर नहीं किया जाता है, तो समय-सीमा समाप्त होने के बाद दूसरे पक्ष द्वारा दायित्व स्वीकार किए जाने पर इसे उठाया नहीं जा सकता।सीमा अधिनियम की धारा 18 में प्रावधान है कि जहां कोई पक्ष दायित्व के संबंध में वाद या आवेदन दायर करने के लिए निर्धारित अवधि के भीतर अपने दायित्व को स्वीकार करता है, तो उस स्थिति में नई सीमा अवधि उस तिथि से शुरू होती है, जब ऐसे दायित्व को लिखित रूप में स्वीकार...
राज्य सरकार द्वारा BJP के आदेश पर काम नहीं करने पर स्पष्टीकरण की मांग वाली याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगने वाली जनहित याचिका खारिज की कि वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आदेश के तहत काम नहीं कर रही हैइलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को जनहित याचिका (PIL) खारिज की, जिसमें राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश देने की मांग की गई कि वह BJP के आदेश के तहत काम नहीं कर रही है।एडवोकेट मंजेश कुमार यादव द्वारा दायर जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा पिछले महीने BJP की एक दिवसीय राज्य कार्यसमिति की बैठक के दौरान दिए...
"आचार संहिता लागू होने के बाद जाति आधारित रैली करने पर चुनाव आयोग क्या कार्रवाई करता है?" इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से अपने अधिकार और जाति आधारित राजनीतिक रैलियां करके आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दल या उम्मीदवार के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को स्पष्ट करने के लिए कहा।7 अगस्त के ऑर्डर में कोर्ट ने कहा “चुनाव आयोग की तरफ से सीनियर एडवोकेट ओ पी श्रीवास्तव अगली तारीख को अदालत को संबोधित करेंगे कि यदि कोई राजनीतिक दल या चुनाव में उम्मीदवार जाति आधारित राजनीतिक रैली आयोजित करने पर प्रतिबंध के संबंध में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल को सभी जिला बार एसोसिएशनों में एक ही दिन चुनाव कराने पर विचार करने का निर्देश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह अधिवक्ताओं के व्यापक हित में राज्य के सभी जिला बार संघों में एक ही दिन चुनाव कराने का निर्णय ले। जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने राज्य बार काउंसिल को तीन महीने के भीतर मामले में निर्णय लेने का निर्देश देते हुए कहा, "...(यह) चुनाव से संबंधित कई विवादों को रोकेगा, फिर इसे सभी जिला बार संघों के लिए बाध्यकारी बनाने के लिए इस संबंध में आवश्यक आदेश/संकल्प जारी करने पर विचार करना चाहिए।"खंडपीठ ने फैजाबाद बार एसोसिएशन...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द की 'भूत' की एफआईआर, जांच करने और आरोपपत्र दाखिल करने के लिए जांच अधिकारी को फटकार भी लगाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष हाल ही में धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़ा एक असामान्य मामला पेश किया गया, जिसमें एक मृत व्यक्ति ने कथित रूप से 2014 में, अपनी मृत्यु के लगभग तीन साल बाद, एक एफआईआर दर्ज कराई थी। मामले ने जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ को हैरान कर दिया। उन्होंने पाया कि पुलिस ने मृत व्यक्ति के बयान के आधार पर मामले की जांच भी की थी। इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए न्यायालय ने कहा, "यह बहुत ही अजीब है कि एक मृत व्यक्ति ने न केवल एफआईआर दर्ज कराई है, बल्कि जांच अधिकारी के समक्ष अपना बयान...
लोकसभा चुनावो से पहले Congress की 'घर घर गारंटी' योजना शुरू करने पर ECI के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्वारा शुरू की गई 'घर घर गारंटी' योजना/अभियान [जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'खटखट योजना' भी कहा जाता है] के खिलाफ कार्रवाई करने में कथित रूप से निष्क्रियता को लेकर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 3 अप्रैल को नई दिल्ली में सियाद पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य "देश भर के आठ करोड़ परिवारों तक पहुंचना और उन्हें इसकी गारंटी के बारे में जागरूक करना"...
सहिष्णुता विवाह की बुनियाद, पत्नी का परिवार अक्सर तिल का पहाड़ बना देता है, अदालतों को झूठी FIR से सावधान रहना चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट
दहेज की मांग करने और अपने पति एवं परिवार के सदस्यों पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सहिष्णुता एक अच्छे विवाह की नींव होनी चाहिए, लेकिन अक्सर ऐसे मामलों में पाया जाता है कि पत्नी का परिवार 'तिल का पहाड़' बना देता है।जस्टिस दिव्येश ए जोशी की सिंगल जज बेंच ने 44 पेज के अपने फैसले में कहा कि कई बार ऐसे मामलों में पत्नी के माता-पिता और करीबी रिश्तेदार 'तिल का पहाड़' बना देते हैं। इसके बाद पीठ ने कहा,...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विसरा जांच रिपोर्ट के आधार पर दहेज हत्या मामले में तीन आरोपियों बरी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते विसरा जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर चिंताओं का हवाला देते हुए 1993 के कथित दहेज हत्या मामले में तीन आरोपियों को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा था। अदालत ने रिपोर्ट को 'संदिग्ध' पाया, जिससे अभियोजन पक्ष के सबूतों के बारे में संदेह पैदा हुआ।निचली अदालत के 1997 के फैसले और आरोपियों को बरी करने के आदेश को बरकरार रखते हुए, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि दहेज की कथित मांग और वैवाहिक क्रूरता के बारे में सबूत विसंगति और...
1978 मर्डर केस | आरोपी के खिलाफ़ कथित परिस्थितियां संतोषजनक रूप से साबित नहीं हुईं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी करने का आदेश बरकरार रखा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को 1978 के एक हत्या के मामले में एक आरोपी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए कई आरोप अभियोजन पक्ष द्वारा संतोषजनक ढंग से साबित नहीं किए गए। जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस सुरेन्द्र सिंह-I की पीठ ने यह भी कहा कि पीडब्लू 4 के बयान के रूप में हत्या का प्रत्यक्ष साक्ष्य विश्वसनीय नहीं था, मकसद संतोषजनक ढंग से साबित नहीं किया गया थाऔर प्राथमिकी दर्ज करने में 'महत्वपूर्ण' देरी हुई थी, जिसे संतोषजनक ढंग से साबित नहीं किया गया...
राज्य एजेंसी द्वारा मध्यस्थता अपील दायर करने में 1191 दिन की देरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रमुख सचिव/अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तर प्रदेश को उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया है, जिनके कारण मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत अपील 1191 दिनों की देरी से दायर की गई है। प्रतिवादी मेसर्स सुप्रीम इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल वर्क्स के पक्ष में 34,21,423/- रुपये मूलधन और 1,67,16,033/- रुपये ब्याज के रूप में पारित किया गया। इसे मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत चुनौती दी गई थी। हालांकि,...
वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के एक साल बाद तक साथ न रहने पर डिक्री धारक को विवाह विच्छेद का अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
40 साल से अलग रह रहे जोड़े के विवाह विच्छेद के आदेश को बरकरार रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश की मांग की हो, लेकिन ऐसे आदेश के पारित होने के एक साल बाद तक साथ न रहने पर पति विवाह विच्छेद का आदेश मांग सकता है।हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act) की धारा 13 (1ए) (ii) में वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के पारित होने के एक साल या उससे अधिक समय बाद तक साथ न रहने पर तलाक देने का प्रावधान है।जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य के सभी वकीलों के लिए बीमा योजना बनाने पर उत्तर प्रदेश बार काउंसिल से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल से राज्य के सभी एडवोकेट जिनमें सरकारी एडवोकेट भी शामिल हैं, उनके लिए बीमा योजना बनाने के प्रस्ताव पर जवाब मांगा।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने प्रस्ताव दिया कि उत्तर प्रदेश में स्थानीय बार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के मार्गदर्शन में वकीलों के लिए बीमा पॉलिसी लागू कर सकते है, जिससे राज्य भर में नियमित रूप से प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट बार काउंसिल स्थानीय बार एसोसिएशन और बीमा कंपनी के बीच सहमत शर्तों के आधार पर...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोबर्ट्सगंज लोक सभा सीट से सपा सांसद छीटोलाल के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना दल (सोनेलाल) के नेता रिंकी कोल द्वारा हाल ही में हुये आम चुनावों में रॉबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र से उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर समाजवादी पार्टी के सांसद छोटेलाल खरवार को नोटिस जारी किया।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने कोल को रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, वह सपा के खरवार से 1.2 लाख से अधिक मतों के अंतर से हार गईं थी। कोल ने अपनी चुनाव याचिका में खरवार के चुनाव को इस आधार पर...
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी संदेहास्पद: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते दहेज हत्या के अपराध के आरोपी एक व्यक्ति (मृतक/पीड़ित के पति) को जमानत दी, यह देखते हुए कि यह संदिग्ध था कि मामले में किसी भी दहेज की मांग की गई थी क्योंकि दोनों पक्षों ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी की थी।जस्टिस राजीव मिश्रा की पीठ ने जून 2023 में गिरफ्तार आरोपी पति को जमानत देते हुए कहा "मृतक का विवाह राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजना के तहत आवेदक के साथ संपन्न हुआ था, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, इसलिए, प्रथम दृष्टया, यह नहीं कहा जा सकता...
कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में कंपनी के खिलाफ GST की धारा 73 के तहत आदेश पारित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (GST Act)की धारा 73 के तहत आदेश उस कंपनी के खिलाफ पारित नहीं किया जा सकता, जो दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के तहत है।GST Act की धारा 73 एक उचित अधिकारी को कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देती है। यदि वह संतुष्ट है कि किसी भी कर का भुगतान नहीं किया गया, या कम भुगतान किया गया, या गलत तरीके से वापस किया गया, या जहां किसी भी करदाता द्वारा कर से बचने के लिए धोखाधड़ी या किसी जानबूझकर गलत बयान या...

















